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18 मार्च : नवादा की मुख्य खबरें

बिना भवन चल रहा विद्यालय, कभी खेत-खलिहान तो कभी पेड़ के नीचे पढ़ रहे बच्चे

नवादा : थैला में कार्यालय और गौशाला में विद्यालय, बेहतर शिक्षा को तरस रहे बच्चे। ठंड हो या गर्मी या फिर बरसात का माैसम। बगैर भवन वाले स्कूलों के बच्चों व शिक्षकों के लिए कुछ ज्यादा ही परेशानी है। ऐसे विद्यालयों के छात्र या तो कहीं झोपड़ी में पढ़ते हैं या फिर किसी पेड़ या बांस की झाड़ी के नीचे।

यह हाल है जिले के पकरीबरावां प्रखंड बुधौली पंचायत की तरहरा गांव का। यहां सरकारी स्कूल के बच्चे गौशाला में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय का भवन नहीं होने से स्कूली बच्चे कभी पेड़ तो कभी खेत-खलिहान में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय का सरल व शाब्दिक अर्थ है विद्या का घर। पर क्या हो, अगर विद्यालय का अपना भवन ही न हो।

भले ही सरकार ने सभी बच्चों को शिक्षा दिलाने के वास्ते जगह-जगह नया प्राथमिक विद्यालय खोलकर शिक्षकों की नियुक्ति कर दी है, लेकिन भवन के अभाव में इस विद्यालय के बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। नौनिहालों को मिलने वाली शैक्षणिक सुविधाओं से जब रूबरू हुआ तो आश्चर्यजनक बातें सामने आई।

पड़ताल में प्रधान शिक्षिका रिया राय ने बताया कि 116 बच्चों में यहां कुल आठ शिक्षक हैं, जिसमें से 70 बच्चे एवं पांच शिक्षक उपस्थित हैं। वर्ग पांच में पढ़ रहे छात्र अमीत कुमार ने बताया कि उसे बेहतर पढ़ाई की इच्छा है। उसके शिक्षक नियमित रूप से पढ़ाने के लिए नहीं आते हैं। स्कूल भी नहीं बना है। दिक्कत होती है।

वैसे प्रखंड में लगभग दो दर्जन प्राथमिक विद्यालय भवन विहीन हैं। बगैर भवन वाले स्कूलों के बच्चों व शिक्षकों के लिए कुछ ज्यादा ही परेशानी है। जिन पर इन सबकी जवाबदेही है, वह तत्परता नहीं दिखाते। ऐसे विद्यालयों के छात्र या तो कहीं झोपड़ी में पढ़ते हैं या फिर किसी पेड़ या बांस की झाड़ी के नीचे। ऐसे विद्यालयों में बच्चों को मिलने वाली कई प्रकार की सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। इन स्कूलों को शिक्षक अपनी मर्जी से चलाते हैं।

पकरीबरावां प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय तरहरा, नवसृजित प्राथामिक विद्यालय जलपार, प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुर बरेवा, प्राथमिक विद्यालय मोहम्दपुर, प्राथमिक विद्यालय छोटी तालाब, प्राथमिक विद्यालय भूरहा, प्राथमिक विद्यालय सलेमपुर सहित कई पंचायतों में ऐसे नवसृजित विद्यालय हैं, जो वर्षों से भवन की आस में टकटकी लगाए हैं। उक्त विद्यालयों को जमीन उपलब्ध है पर सरकार के द्वारा आवंटन नहीं होने से छात्रों के पठन-पाठन पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

नहीं है शौचालय व पेयजल की सुविधा

संचालित स्कूल परिसर में शौचालय नहीं होने से कार्यरत शिक्षकों खासकर महिला शिक्षक व छात्राओं को काफी परेशानी होती है।महिला शिक्षक व छात्राएं शौच क्रिया से निवृत्त होने के लिए इधर-उधर जगह तलाशते हैं। पेयजल की भी समस्या आती है।

कहते हैं अभिभावक

विद्यालयों में जब तक भवन की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक शिक्षा का लाभ छात्रों को नहीं मिल पाएगा। उक्त विद्यालयों में शिक्षक कभी-कभी आते हैं, कभी नहीं भी आते हैं। शिक्षा के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों में महज खानापूर्ति हो रही है। -बबलू कुमार, अभिभावक ऐसे में छात्रों के पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। खास यह बात है कि जब भवन ही नहीं है, तो पढ़ाई कैसी होगी। इन विद्यालयों में भोजन वितरण में भी दिक्कतें होती हैं।

तेतरी देवी, रसोइया, तरहरा विद्यालय

धूप, सर्दी, बारिश हर मौसम में दिक्कत होती है। मध्याह्न भोजन भी नहीं बन पाता है। हम सब गांव के बच्चों के लिए बेहतर स्कूल व सुविधाएं मिलनी चाहिए।

अमीत कुमार, छात्र, तरहरा विद्यालय

कहते हैं अधिकारी

भवन विहीन विद्यालयों के लिए सरकार से आंवटन नहीं मिलने के कारण भवन नहीं बन पा रहा है। जहां जमीन नहीं है, वहां जमीन की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है। उक्त विद्यालयों में छात्रों का भविष्य निर्माण के लिए विभाग को भवन निर्माण के लिए लिखा जाएगा।

प्रमोद कुमार झा, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पकरीबरावां:

बड़े हादसे का आमंत्रण दे रहा फोरलेन बाइपास चौक, नहीं बनाया गया गोलंबर व स्पीड ब्रेकर

नवादा : कहा जाता है कि जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता, तब तक अधिकारियों की तंद्रा भंग नहीं होती है। कुछ इसी तरह की स्थिति नारदीगंज- राजगीर- बोधगया राजमार्ग 82 फोरलेन बाईपास का है।नारदीगंज- नवादा रोड में बाईपास चौक पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।इसका कारण चौक पर गोलंबर या ब्रेकर का नहीं होना है।ब्रेकर या गोलंबर नहीं होने के कारण दोनों तरफ से तेज गति से गाड़ी का परिचालन हो रहा है।

चौक के पूरब नवादा रोड में सड़क किनारे मकान रहने के कारण दोनों तरफ का सड़क दिखाई नहीं पड़ता है। जिसके कारण दर्जनों दुर्घटनाएं हो चुकी है।कई लोग हादसे का शिकार हो चुके हैं।दुर्घटना में कई लोगों का हाथ पैर टूट चुका है,तो कई लोग हल्का जख्मी होकर रह गए हैं। बावजूद प्रशासन की कुंभकर्णी नींद नहीं खुल रही है।

शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा।सादिक पुर गांव के पास नारदीगंज से नवादा जानेवाली सड़क एनएच 82 को पार करती है।नया निर्माण के कारण दोनों सड़क में तेज गति से गाड़ियों का आना जाना होता है। क्रॉसिंग के पास ब्रेकर नहीं रहने के कारण चालकों को समझ नहीं आता है और जबतक समझ आता है तब तक दुर्घटना हो गई होती है।जब कि इस मार्ग से प्रति दिन अधिकारियों का आना जाना होता है।

जिले से नारदीगंज आनेवाले सभी अधिकारी इसी मार्ग से गुजरते हैं, लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। रामे निवासी पंकज सिंह,नीलकमल कुमार, सादिकपुर निवासी श्रवण कुमार समेत दर्जनों लोगों ने बाईपास चौक पर ब्रेकर या गोलंबर निर्माण कराने की मांग की है।

चोरी की बाइक के साथ युवक गिरफ्तार

नवादा : जिले के कादीरगंज ओपी थाना की पुलिस ने चोरी की बाइक के साथ युवक को हिरासत में लिया है। वाहन जांच के दौरान पुलिस ने शक होने पर उसे घोसतावां मोड के समीप से गिरफ्तार किया।

गिरफ्तार युवक की पहचान पटना जिले के बेलछी थाना क्षेत्र के मुंशी पइन गांव के रामनिवास केवट के पुत्र रौशन कुमार के रूप में की है। पुलिस BR 01 DS 6055 बाइक को जप्त कर गिरफ्तार युवक से पूछ ताछ में जुट गई है। इसके साथ ही परिवहन विभाग को वाहन स्वामी का सत्यापन के लिए आग्रह किया है। इस बावत थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई आरंभ की है।

कब्रिस्तान की भूमि पर कब्जा की शिकायत डीएम से

नवादा : जिले के अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र के बकसंडा पंचायत की मदैनी मुस्लिम नट टोला के कब्रिस्तान पर दबंग व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण कर कब्रिस्तान भूमि पर कब्जा किए जाने की शिकायत समाहर्ता से की है।

आवेदन में कहा गया है कि जिस जमीन पर हमलोग रह रहे हैं उसपर हमलोगों का मकान और कब्रिस्तान है। यहां 27 इंदिरा आवास एवं प्रधानमंत्री आवास के तहत आवासों का निर्माण कराया गया है। उक्त भूमि पर 100 घर स्थापित है। साथ ही कब्रिस्तान में अबतक करीब 50 लोगों को दफनाया जा चुका है। पिछले छह महीने के अंदर तीन लोगों को वर्तमान में दफनाया गया।

वर्तमान में मदैनी निवासी मो. शमशाद खान, मो० कलीम खान, फैयाज खान, असलम खान एवं साहब खान द्वारा कब्रिस्तान भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है जिससे कभी भी शांति भंग हो सकती है। वहां रह रहे 30 घरों के सैकड़ों भूमिहीन गरीब परिवार मांगने खाने वाले हैं। पहले घुमंतू समाज से थे। जमीन पहले बिल्कुल बंजर था। अगल बगल एवं स्थानीय व्यक्तियों द्वारा हमलोगों को यहां बसाया गया था लेकिन आज हमें उजाड़ने का काम किया जा रहा है। पीड़ित लोगों ने समाहर्ता से न्याय की गुहार लगाई है।

नियमों की हर दिन उड़ रही धज्जियां, साधन-संसाधन का रोना रो रहा विभाग

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के सवैयाटाँड़ पंचायत अंतर्गत जंगली क्षेत्रों में अवैध अभ्रख खनन बेरोकटोक जारी है। रात के अंधेरे में तो जेसीबी चलती ही है दिन के उजाले में भी खनन जारी है। ऐसा तब है जब 11 जून 2021 को खनन मंत्री जनक राम ने इन खदानों का दौरा कर अधिकारियों को कड़े-निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद ना तो खनन-माफियाओं पर कोई असर पड़ा है न तो प्रशासनिक गतिविधियां सख्त हुई।

हालत यह है कि पेट्रोलिंग टीम जैसे ही जंगल से लौटती है खनन माफियाओं के जेसीबी और पोकलेन गरजने लगते हैं। सवैयाटाँड़ पंचायत की शारदा ललकी, सेठवा, फागुनी ,बसरौन, टोपा पहाड़ी,अंगईया सहित अभ्रख माइंस पर बिहार और झारखंड के दर्जनों माफिया सक्रिय हैं। इनके द्वारा प्रत्येक दिन लाखों रुपए की अभ्रख निकालकर तस्करी की जा रही है। जिसे वन विभाग एवं पुलिस रोक लगाने में सक्षम नहीं हो पा रही है। हालांकि रोक लगाने के लिए वन विभाग के द्वारा सवैयाटाँड़ में चेक नाका का भी निर्माण कराया गया है। बावजूद इनकी सांठगांठ से दर्जनों शक्तिमान,ट्रक,पिकअप, टेम्पो पर अवैध खनन की अभ्रक ढुलाई जारी है।

2004 में ही खत्म हुई लीज

गौरतलब है कि मोदी बंधुओं के नाम लीज हुआ करता था, लेकिन 2004 में ही समाप्त हो गया था तब से आज तक माफियाओं के द्वारा कब्जा कर अवैध खनन लगातार किया जा रहा है। शारदा और ललकी माइंस के सामने गुजरने वाली सड़क के किनारे संध्या पांच बजे के बाद अभ्रख मंडी का बाजार सजता है जहां दर्जनों चटकरी,झलकडीहा, बाराटाड़, जरलहिया, बसरौन, फगुनी, टीटहीयाटाड समेत अन्य अन्य जगहों के ठिकेदार अभ्रख खरीदार खरीदने के लिए तराजू लेकर बैठ जाते हैं और लाखों का कारोबार कर चुपचाप सरक जाते हैं।

माइका कारोबार में अपराधी हावी

अपराधियों का इस कारोबार में परोक्ष रूप से दबदबा है जो कारोबार में बिचौलिए की भूमिका निभाते हैं।पिछले दिनों वर्चस्व को लेकर गोलीबारी में कोडरमा जिले के डोमचांच थाना में माफियाओं पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी जिसमें कई माफिया जेल की हवा खा चुके हैं। माइका खनन में परोक्ष रूप से बिहार और झारखंड के माफिया शामिल होते हैं।हालांकि बीते दिनों से कोडरमा पुलिस इस कारोबार पर नकेल कसने की पुरजोर कोशिश की है,बावजूद खनन का कारोबार रुकने के बजाय बढ़ता जा रहा है।

अभ्रख खदान पर धड़ल्ले से विस्फोटक का उपयोग

खनन माफिया एक साथ कई अवैध काम कर रहे हैं। विस्फोटक पदार्थ रखने और विस्फोट करने के साथ हिं ओवरलोडिंग जैसे अपराध माफियाओं के लिए आम बात है। होल मशीन के द्वारा अभ्रख खदानों में आधा दर्जन से अधिक गहरे गड्ढे किए जाते हैं। उसके बाद इसमें अत्यधिक क्षमता वाला डेटोनेटर व जिलेटिन के साथ कई प्रकार के विस्फोटक सामग्री जैसे गुल्ला टोपी से पहले पत्थर नुमा अभ्रख को उड़ाते हैं। उसके बाद चुनने का कार्य करवाते हैं। यहां दिन-रात खनन का कार्य माफियाओं के द्वारा किया जा रहा है। प्रशासनिक निगरानी और कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति ही होती है।

खनन माफिया खुलेआम कहते हैं कि सबको चढ़ावा भेजते हैं इसीलिए किसी का डर नहीं है।यह बात काफी हद तक सही भी है जब कभी मामला बिगड़ता है तो लीपापोती हो जाती है।अवैध खनन कार्य में मजदूरों की मौत होती है तब भी पुलिस यूडी केस कर फाइल बंद कर दिया करती है। क्योंकि परिजन माफियाओं के दबाव में किसी प्रकार का आरोप लगाने से अच्छा लाख-पचास हजार रुपय को लेकर मुंह बंद रखना ज्यादा मुनासिब समझते हैं।

साधन-संसाधन का रोना रो रहा वन विभाग

वन विभाग के अधिकारियों का सिर्फ यह रोना रहता है कि हमारा विभाग संसाधन विहीन है. कारण माफियाओं की चांदी कट रही है। संसाधनों के अभाव के बावजूद वन विभाग के अधिकारी अवैध अभ्रख खनन पर नकेल कसने के लिए कभी-कभार छापेमारी अभियान चलाते हैं, लेकिन माफियाओं का सूचना तंत्र वन विभाग से भी काफी मजबूत है।

राशन में करप्शन नहीं थमा तो सड़क से संसद तक होगी लड़ाई:- विभा

नवादा : जिले में राशन में करप्शन समाप्त नहीं हुआ तो सड़क से संसद तक लड़ाई होगी। गरीबों की हकमारी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा समाहरणालय द्वार पर धरना के उपरांत जिला पदाधिकारी का दिया गया आश्वासन लगता है धीरे-धीरे निष्क्रिय हो गया है। डीडीसी के नेतृत्व में गठित जांच टीम की सक्रियता शुरूआती दिनों तक ही दिखाई पडी।

लगता है भ्रष्टाचार में लिप्त डीलरों द्वारा प्रशासन जिंदाबाद और विधायक मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए प्रदर्शन किये जाने से सभी जांच अधिकारी भ्रष्टाचारियों के आगे घुटने टेक दिया है अथवा खुश होकर जांच बन्द कर दिया है। उपर्युक्त बातें उन्होंने सदर प्रखण्ड के भदोखरा पंचायत अंतर्गत महाराजगंज टीएमसी परिसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा। विधायक विभा देवी ने भदोखरा पंचायत के सभी वार्ड सदस्यों, पंचायत समितियों, मुखिया, सरपंच समेत जागरूक लोगों के साथ बैठक कर जनहित योजनाओं और विकास कार्यों का जायजा लिया तथा पूर्व में किये गए विकास समेत आगामी योजनाओं पर गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श किया।

बैठक के बाद राजद जिलाध्यक्ष महेंद्र यादव ने प्रेस को बताया कि विधायक द्वारा दो दिनों के धरना शुरुआती दिनों में ही प्रभावी रहा जबकि अभी इसपर कोई हलचल दिखाई नहीं पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि भदोखरा पंचायत के शतप्रतिशत जनप्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लिया और पंचायत के सभी 18 वार्डों की अद्यतन स्थिति से विधायक को अवगत कराया। खासकर नाली, गली, पीसीसी ढलाई, नल-जल, नहर उड़ाही, सड़क निर्माण, पोषाहार, एमडीएम, जनवितरण प्रणाली जैसी योजनाओं पर वास्तविक स्थिति को कलमबद्ध किया गया।

उन्होंने कहा कि विधायक के निर्देश पर प्रत्येक शनिवार और रविवार को पंचायतों में बैठक की जायगी और जनहित योजनाओं को सफल बनाने की कोशिश की जायगी। कल इसी कड़ी में ओरैना पंचायत की बैठक टीएमसी परिसर में की जायगी। एक सवाल के जबाब में विधायक ने कहा कि जिलाधिकारी के आश्वासन पर अभी भी भरोसा है, लेकिन अगर यह भरोसा खण्डित हुआ तो आंदोलन जारी रहेगा। विधानसभा में भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।

विधायक द्वारा आयोजित बैठक में शामिल जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र की समस्याएं बेवाकी के साथ रखा और समाधान के रास्ते से भी अवगत कराया। विधायक ने भरोसा दिलाया कि योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक फंड के लिए हम सभी जनप्रतिनिधि कोशिशें जारी रखेंगे। बहरहाल गर्मी का मौसम को देखते हुए पेयजल हेतु आवश्यक पहलकदमी आवश्यक है।

10 लाख से उपर भवन निर्माण करने वाले मालिकों को जमा कराना होगा लेवर शेष की राशि

नवादा : पूनम कुमारी, श्रम अधीक्षक ने बताया कि श्रम संसाधन विभाग, बिहार के निदेशानुसार बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1996 के अन्तर्गत राज्य में कराये जा रहे निर्माण कार्यों के कुल लागत राशि का 01ः (एक प्रतिशत) लेवर सेस के रूप में बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड, के खाते में भवन/प्रतिष्ठान के मालिक द्वारा डिमाण्ड ड्राफ्ट/आरटीजीएस के माध्यम से जमा किया जाना है, साथ ही विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रपत्र-1 में विवरणी दाखिल किया जाना है।

उन्होंने बताया कि 10 लाख से कम लागत वाले मकानों पर लेवर सेस की वसूली नहीं की जायेगी। अधिनियम की धारा-08 के प्रावधान के अनुसार निर्धारित अवधि के अन्तर्गत उपकर जमा नहीं करने पर जमा की जाने वाली राशि का 02ः (दो प्रतिशत) सेस प्रतिमाह ब्याज के साथ जमा कराये जाने का प्रावधान है।

उक्त आदेश के आलोक में निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने हेतु श्रम संसाधन विभाग की टीम द्वारा किया जा रहा है।नगरपालिका/नगर परिषद्/नगर पंचायतों में भवन निर्माण से पूर्व ही नक्शा पास करते समय 01ः (एक प्रतिशत) लेवर सेस की कटौती नगरपालिका/नगर परिषद/नगर पंचायतों द्वारा किया जाना है।अनुपालन नहीं होने पर नियोजकों पर विधिसम्मत कार्रवाई हेतु विभाग को प्रतिवेदित किया जाता है।