डीएम ने नवादा व पकरीबरावां सीडीपीओ का वेतन बंद करने व आंगनबाड़ी सेविका पर कार्रवाई का दिया आदेश
नवादा : जिलाधिकारी श्रीमती उदिता सिंह ने अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में आईसीडीएस कार्यालय के संचालित विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में विस्तृत समीक्षा किया। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले सभी बच्चों का पोषण ट्रेकर का कार्य शत्-प्रतिशत पूर्ण करें। इसके तहत सभी बच्चों का लम्बाई और वजन लेकर उसको पोषण ट्रेकर ऐप पर अपलोड किया जाता है। सीडीपीओ नवादा के द्वारा इसमें मात्र 40 प्रतिशत कार्य किया गया है जिसपर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त की और वेतन बंद करने का निर्देश दिया।
पकरीबरावां सीडीपीओ के द्वारा भी मात्र 53 प्रतिशत बच्चों का पोषण ट्रेकर पर अपलोड किया गया था। शत्-प्रतिशत कार्य नहीं करने के कारण अगले आदेश तक वेतन बंद करने का निर्देश दिया। रोह और गोविंदपुर में 60 से 65 प्रतिशत तक पोषण ट्रेकर अपलोड किया गया है जिसको अगले माह तक शत प्रतिशत अपलोड करने का निर्देश दिया। सिरदला और वारिसलीगंज 83 प्रतिशत और नारदीगंज 82 प्रतिशत बच्चों का पोषण ट्रेकर अपलोड किया गया है, जिन्हें भी अगले माह तक शत्-प्रतिशत अपलोड करने का सख्त निर्देश दिया। जो सेविका अपेक्षित कार्य नहीं करती है, उन्हें भी चयनमुक्त करने का निर्देश दिया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी डाटा सही-सही अपलोड करना सुनिश्चित करें। बच्चों को क्रिमीमुक्त दवा अलमेंडाजोन डाॅक्टर के निर्देश पर देने के लिए कहा गया। जीरो से छः माह के बच्चों का ग्रोथ का निगरानी करने के लिए सीडीपीओ को कहा गया। डीपीओ आईसीडीएस को भी निर्देश दिया गया कि अपने स्तर से सभी डाटा का सत्यापित कर लें।
जिलाधिकारी ने श्याम का डाटा को सही-सही अपलोड करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि गलत डाटा देने पर संबंधित सेविका पर सख्त कार्रवाई करें। प्रखंडों के वरीय पदाधिकारी को भी श्याम बच्चे की जाॅच करने का निर्देश दिया गया तथा संबंधित अविभावकों को गाईड करने के लिए कहा गया।
बैठक में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की बैठक में विस्तृत समीक्षा की गयी। यह सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, जिसके तहत बालिकाओं के संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा स्वाबलंबन पर आधारित योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कन्या भू्रण को रोकना, कन्याओं के जन्म, निबंधन, टीकाकरण, लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना, बाल विवाह पर अंकुश लगाना आदि है।
जिलाधिकारी ने सभी बालिकाओं को मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से जोड़ने का निर्देश दिया। इसके तहत कन्या के जन्म होने पर 02 हजार रूपये, एक वर्ष पूर्ण होने पर 01 हजार रूपये और दो वर्ष पूर्ण होने पर टीकाकरण के उपरान्त दो हजार रूपये उसके माता-पिता की बैंक खाते में दिये जाते हैं। बैठक में डीपीओ आईसीडीएस कुमारी रिता सिंहा, श्री सत्येन्द्र प्रसाद डीपीआरओ के साथ-साथ संबंधित सीडीपीओ आदि उपस्थित थे।
सिमुलतला प्रवेश परीक्षा को ले डीएम-एसपी ने जारी किया संयुक्तादेश
नवादा : 20.10.2022 को सिमुलतला आवासीय विद्यालय, सिमुलतला जमुई में कक्षा छः (सत्र 2023-24) में नामांकण हेतु प्रवेश परीक्षा को स्वच्छ, कदाचारमुक्त एवं शांतिपूर्ण वातावरण में संचालन के लिए जिला पदाधिकारी श्रीमती उदिता सिंह एवं पुलिस अधीक्षक डाॅ0 गौरव मंगला द्वारा संयुक्त आदेश जारी किया गया है।
परीक्षा एक पाली में 01ः00 बजे अप0 से 03ः30 बजे अप0 तक सम्पन्न होगी। यह परीक्षा दो परीक्षा केन्द्रों (8201-प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय, नवादा एवं 8202-कन्या इंटर स्कूल, नवादा) में होगी। दोनों परीक्षा केन्द्रों पर विधि-व्यवस्था कायम रखने एवं कदाचारमुक्त परीक्षा के संचालन हेतु सशस्त्र/लाठी बल के साथ स्टैटिक दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गयी है साथ ही गश्तीदल-सह-उड़नदस्ता दल दंडाधिकारी में सशस्त्र/लाठी बल के साथ स्टैटिक दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी की भी प्रतिनियुक्ति की गयी है। प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी को सख्त निर्देश दिया गया है कि किसी भी स्थिति में प्रवेश पत्र के बिना परीक्षार्थी अन्दर नहीं जाने पायें,। किसी प्रकार की गड़बड़ी पाये जाने पर केन्द्राधीक्षक उत्तरदायी माने जायेंगे।
सिमुलतला आवासीय विद्यालय, सिमुलतला जमुई प्रवेश परीक्षा प्रारम्भिक-2022 के दौरान कदाचार के आरोप में पकड़े गये मामले के विचारण के लिए श्री उमेश कुमार भारती अनुमंडल पदाधिकारी नवादा सदर को प्राधिकृत किया गया है।
कदाचार में लिप्त पाये जाने पर परीक्षार्थी को छः महीने का कारावास या दो हजार रूपये तक का जुर्माना दण्ड के भागी होंगे। वज्रगृह एवं अन्य कार्याें को जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने देख-रेख में करायेंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारी-सह-जिला परीक्षा नियंत्रक एवं केन्द्राधीक्षक सभी प्रकार के निर्देशों का अक्षरशः निर्वहन करेंगे।
अनुमंडल पदाधिकारी सदर द्वारा परीक्षा केन्द्र के 500 गज की परिधि में धारा 144 के तहत् दिनांक 20.10.2022 को निषेधाज्ञा लागू रहेगी। कदाचारमुक्त परीक्षा संचालन को देखते हुए परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने तथा दोनों परीक्षा केंद्रों पर विडियोग्राफी का निर्देश दिया गया है। परीक्षा में प्रश्नपत्रों से संबंधित अथवा अन्य किसी अवांछित जानकारी की आशंका को देखते हुए जैमर लगाने का निर्देश दिया गया है।
परीक्षावधि में अनुमंडल दंडाधिकारी सदर एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नवादा सदर विधि-व्यवस्था पर सतत् निगरानी रखेंगे। पूरे परीक्षा के शांतिपूर्ण एवं कदाचार मुक्त संचालन एवं विधि-व्यवस्था पर श्री उज्ज्वल कुमार सिंह, अपर समाहर्ता-सह-अपर जिला दंडाधिकारी नवादा एवं श्री अनिल कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, नवादा सतत् निगरानी रखना सुनिश्चित करेंगे।
आधुनिक बिहार के निर्माता थे बिहार केसरी डॉ. श्री कृष्ण सिंह
नवादा : बिहार केसरी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह और दण्डी संन्यासी स्वामी सहजानंद सरस्वती ने 1920 में पटना में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का दर्शन किया। दर्शन जानना और दर्शन देने वाले का साक्षात दर्शन करना एक संयोग था,जिसके सामने भारत की आजादी और मानवतावादी समाज की संरचना उद्देश्य बन गई।
इस संदर्भ में बिहार विभूति स्वर्गीय अनुग्रह नारायण सिंह ने एक जगह लिखा था 1920 के बाद बिहार का इतिहास श्री बाबू के जीवन का इतिहास है। महात्मा गांधी द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन को उन्होंने बिहार में गति प्रदान की और 1922 में शाह मोहम्मद जुबैर के निवास स्थल पर गिरफ्तार कर लिए गए और वह पहली बार जेल गए। उसी समय बिहारी नेताओं ने उन्हें बिहार केसरी की उपाधि से विभूषित किया। 1923 में जेल से मुक्त होने के बाद उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य चुना गया। 1924 में वे मुंगेर जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद पर आसीन हुए।शाह मोहम्मद जुबैर के पक्ष में अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया।
श्री बाबू के राजनीतिक जीवन में इस घटना का महत्व है कि वह सबों को लेकर चलने के पक्षपाती थे। 1929 में सोनपुर के हरिहर क्षेत्र मेला के समय बिहार के किसानों के दुर्दशा पर चिंतित नेताओं का जमावड़ा लगा। स्वामी सहजानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में पटना जिला में किसान सभा संचालित था।बिहार प्रदेश किसान सभा का गठन स्वामी सहजानंद सरस्वती की अध्यक्षता में हुआ और श्री बाबू को सचिव चुना गया। इसी वर्ष श्री बाबू बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव चुने गए। स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में बिहार के नेताओं में श्री बाबू अगुआ थे।1930 में बेगूसराय गदपुरा में नमक बनाते समय खोलते हुए कड़ाह को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर उस पर सो जाने से वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
जख्मी हालत में अंग्रेज सैनिकों ने जिस क्रूरता से उन्हें घसीट कर बंदी बनाया उसे देख बर्बरता भी लज्जित हो गई थी। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण श्री बाबू को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया। इस बीच धर्मपत्नी राम रुचि देवी प्रायः बीमार रहने लगी और 31 जनवरी 1944 को वह स्वर्गवास कर गई। भारत की आजादी को उन्होंने अपना लक्ष्य माना था। उसके प्रति अडिग रहे। अंग्रेज सरकार ने शर्त लगाया था कि अगर वह आजादी के संघर्ष से हट जाए तो गिरफ्तार नहीं किया जाएगा लेकिन श्री बाबू ने यह स्वीकार नहीं किया था।
स्वतंत्रता सेनानी के रूप में श्री बाबू ने 7 वर्ष 10 दिन तक जेल यातना सही और कई ढंग से प्रताड़ित होते रहे लेकिन संकल्प के प्रति निष्ठा कभी कमजोर नहीं हुई। बढ़ते जनाक्रोश को देखकर अंग्रेजों की सरकार ने जनप्रतिनिधियों की सरकार का गठन किया। इस ढंग की सरकार में राज्यपाल के पास शक्ति होती थी और जनप्रतिनिधियों का काम सरकार को सलाह देना होता था। माना जाता था कि या अंतरिम सरकार थी।1939 में गठित सरकार के श्री बाबू प्रधानमंत्री चुने गए। फिर आजादी के बाद गठित बिहार सरकार के मुख्यमंत्री चुने गए।दोनों कार्यकाल मिलाकर 16 वर्ष 10 माह कार्यरत रहे।
श्री बाबू के जीवन का अंतिम चुनाव वर्ष 1957 में संपन्न हुआ।इस चुनाव में भी उनके कुशल नेतृत्व में कांग्रेस को विजय मिली। इस बार बिहार विधानसभा के नेतृत्व के लिए कांग्रेस दल में संघर्ष हुआ और मतपत्रों की गिनती दिल्ली में हुई। श्री बाबू विजयी हुए और पुनः मुख्यमंत्री बने पर इस संघर्ष से श्री अनुग्रह नारायण सिंह के प्रति उनकी सद्भावना में कोई कमी नहीं आई। नेतृत्व संघर्ष के बाद जब दोनों मिले तो राम भरत मिलाप का दृश्य उपस्थित हुआ और श्री बाबू और अनुग्रह बाबू की जोड़ी लगातार बिहार के विकास के लिए तत्पर रही।
श्री बाबू के मन में बिहार के विकास की जो योजना थी, उनके अनुसार उन्होंने बिहार में जापानी खेती का प्रचलन बढ़ाया और हरित क्रांति लाने के लिए कृषकों को काफी उत्साहित किया। उनके कार्यकाल में प्रखंडों का गठन हुआ और सभी प्रखंडों में कृषि उत्पाद के सामानों की प्रदर्शनी लगती थी और उन्नत प्रभेद के अन्न, फल-फूल,गन्ना एवं सब्जी उत्पादक कृषकों को उपहार प्रदान किया जाता था। इस ढंग के आयोजनों में जनप्रतिनिधि क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया था।वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए प्रशिक्षित कृषि वैज्ञानिकों का दल सक्रिय ढंग से काम करता था। उन्होंने सबौर में कृषि कॉलेज, रांची में कृषि एवं पशुपालन महाविद्यालय, ढोली में कृषि महाविद्यालय, पूसा में ईख अनुसंधान संस्थान तथा सिंदरी में भारत का प्रथम खाद कारखाना स्थापित करवाया।
विद्युत की आपूर्ति हेतु दामोदर घाटी तथा पतरातू विद्युत केंद्र की स्थापना दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार को जोड़ने के लिए हाथीदह में गंगा नदी में पुल एवं बरौनी और डालमिया उद्योग समूह की स्थापना जैसे बुनियादी काम श्री बाबू के शासनकाल में हुए थे। श्री बाबू की सरकार ने बिहार के आर्थिक विकास और औद्योगिक क्रांति लाने में सक्रिय भूमिका निभाई। बरौनी तेल शोधक कारखाना, रांची में हिंदुस्तान लिमिटेड का कार्यालय दिल्ली से स्थानांतरित कर लाया गया तथा बोकारो में बड़ा लौह कारखाना बनकर तैयार हो गया था।
बिहार में 29 चीनी मिलें सफलता के साथ चल रही थी और बिहार देश का दूसरा चीनी उत्पादक प्रदेश था ।उनके शासन काल में शिक्षा, सामुदायिक विकास, कृषि, पशुपालन सहयोग संस्थाएं, उद्योग, तकनीकी शिक्षा, सिंचाई, बिजली, परिवहन स्थानीय स्वशासन, कारा, भूमि सुधार, स्वास्थ्य, जलापूर्ति तथा परिवहन और संचार के कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया और उनके शासनकाल में काफी प्रगति हुई।बिहार के शोक के रूप में जानी जा रही कोसी नदी की बाढ़ से बचाव के लिए जनसहयोग या श्रमदान से 152 मील लंबा बांध करीब-करीब पूरा हो चुका था।
श्री बाबू ने सामाजिक विषमता दूर करने का जोरदार प्रयास किया।भाषणों में स्पष्ट रूप से बोलते थे अगर हिंदुस्तान को आगे बढ़ाना है तो हरिजनों को ऊपर उठाना होगा।हरिजनों की दीन-हीन स्थिति है।सिद्धांत बड़ा बड़ा बघारा करो, मगर व्यवहार में यदि हरिजन ब्राह्मण में भेद करोगे तो सब व्यर्थ है।
श्री बाबू ने दलितों के मन की मजबूती के लिए 27 सितंबर 1953 को अपने नेतृत्व में बैधनाथ मंदिर देवघर का मुख्य प्रवेश द्वार से 800 हरिजनों के साथ प्रवेश किया। हरिजनों ने शिव की पूजा की।यह दलितों के मन की मजबूती के लिए श्री बाबू के द्वारा उठाए गए क्रांतिकारी कदम है। इसके साथ हरिजन कल्याण के कई महत्वाकांक्षी योजना को भी धरती पर श्री बाबू के नेतृत्व की सरकार ने साकार किया।
जमींदारी प्रथा शोषण पर आधारित व्यवस्था की जातिगत दुर्भावना सामाजिक विकास में बाधक है। छुआछूत की भावना मानव जाति के लिए दुखद अध्याय है। इस अध्याय को समाप्त करने के लिए श्री बाबू ने जो प्रयास किए इससे यह मानना न्यायसंगत है कि श्री बाबू बिहार के लेलिन थे। लेलिन का सोवियत रूस तो बिखर गया लेकिन बिहार मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।
एसपी की कार्रवाई ने पुलिस महकमे में मचा दी खलबली, कार्य में लापरवाही बरतने को ले एसपी ने दो दारोगा सहित 15 पुलिस कर्मियों का वेतन किया बंद
नवादा : जिले में वर्षों से पुलिस की लापरवाही व कर्तव्यहीनता का दाग लगता आ रहा है। ऐसे में उन लापरवाह पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस कर्मियों को सुधारने में एसपी डॉ गौरव मंगला पूरी सख्ती से जुटे हुए हैं, ताकि आम नागरिकों में पुलिस की छवि बेहतर बन सके। बावजूद इसके लगातार दिये जा रहे निर्देशों को नजर अंदाज किया जा रहा है। ऐसे में एसपी डॉ मंगला को उन निकम्मे पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस कर्मियों को सुधारने के लिए कठोर कार्रवाई करना पड़ गया है।
पिछले दिनों नवादा नगर थाना क्षेत्र में दुर्गा पूजा मेला के दौरान ड्यूटी से गायब पाये गये दो दारोगा व एक चौकीदार सहित 15 पुलिस कर्मियों का वेतन बंद करने की कार्रवाई की गई है। इतना ही नहीं जिन लोगों का वेतन बंद किया गया है, उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।
बताया जाता है कि दुर्गा पूजा मेला के दौरान एक महिला से चैन छिनने का मामला सामने आने के बाद एसपी के निर्देश पर सभी पूजा पंडालों का निरीक्षण पुलिस उपाधीक्षक रक्षित मदन प्रसाद से कराया गया।
निरीक्षण के दौरान नगर के प्रसाद बिगहा दुर्गा मंदिर के पास से प्रतिनियुक्त एसआई नागमणि भास्कर तथा शोभिया मंदिर के निकट प्रतिनियुक्त एसआई उमा प्रसाद के अलावा विभिन्न स्थानों पर तैनात महिला व पुरूष पुलिस कर्मियों को ड्यूटी से गायब पाये गए थे। इसके अलावा एक चौकीदार 1/3 के रामजी प्रसाद भी ड्यूटी से नदारत पाये गये।
उक्त सभी पुलिस पदाधिकारियों व चौकीदार सहित पुलिस कर्मियों पर सख्ती से कार्रवाई करते हुए एसपी ने तत्काल प्रभाव से वेतन बंद करने की कार्रवाई की है। गौरतलब हो कि एसपी की इस कार्रवाई से पुलिस महकमें में खलबली मच गया है।
बता दें कि ड्यूटी को लेकर सख्त बने एसपी डॉ गौरव मंगला स्वयं देर रात को सड़कों पर निरीक्षण करने में जुटे हैं। ऐसे में निचले स्तर के पुलिस पदाधिकारी व पुलिस कर्मियों की शिथिलता सामने आते ही उसे सख्ती से दंडित करने का काम करने में जुटे हैं।
कहां-कहां ड्यूटी से गायब पाये गये पुलिस पदाधिकारी व सिपाही और चौकीदार
प्रसाद बिगहा दुर्गा मंदिर- एसआई नागमणि भास्कर, शोभिया मंदिर- एसआई उमाकांत प्रसाद, मुस्लिम रोड लाल चौक- महिला सिपाही अनिता कुमारी, कलाली रोड ठाकुरबाड़ी दुर्गा पूजा समिति- महिला सिपाही नंदनी कुमारी, मां काली पूजा समिति कलाली रोड- सिपाही राहुल कुमार व महिला सिपाही चंदा कुमारी, प्रसाद बिगहा दुर्गा मंदिर- सिपाही ब्रजेश कुमार, रामनगर ब्लॉक के पास- सिपाही राहुल कुमार, भगत सिंह चौक दुर्गा पूजा स्थल- महिला सिपाही अंकिता कुमारी, जवाहर नगर दुर्गा पूजा पंडाल- चौकीदार रामजी पासवान, विद्युत कार्यालय दुर्गा पूजा समिति- महिला सिपाही इंदु कुमारी तथा शोभिया मंदिर- सिपाही अंकित कुमार, रौशन कुमार, चंदन मुरारी एवं महिला सिपाही राजलक्ष्मी कुमारी अपने ड्यूटी से गायब पाये गये थे।
सीआरपीएफ जवान के अकाउंट से साइबर क्राइम: अपराधियों ने उड़ाए पैसे, थाने में आवेदन देकर न्याय की गुहार
नवादा : नगर में साइबर अपराधियों ने आरपीएफ जवान के खाते से लगभग 3,963 रुपए उड़ा लिए। इसके बाद पीड़ित जवान ने नगर थाने में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है।
पुलिस जवान रामनगर निवासी रंजीत कुमार ने बताया कि अपने आप पे-फोन के माध्यम से अवैध रूप से मेरे खाते से 3हजार 9सौ 63 रुपए की निकासी हो गई। इसके बाद आनन-फानन में बैंक से शिकायत की और अपना एटीएम और बैंक खाते को फिलहाल बंद करा दिया। बैंक मैनेजर द्वारा बताया गया कि थाना में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं। जिसके बाद नगर थाना को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाया हूं।
उन्होंने बताया कि रैपिड एक्शन फोर्स दिल्ली में तैनात हूँ। इन दिनों अपराधियों का हौसला बुलंद देखने को मिल रहा है पर अब आते ही साईवर अपराधी काफी सक्रिय हो गए हैं। त्योहार को लेकर साइबर अपराधी एक बार फिर सक्रिय हो गया है। जिसके कारण आए दिन इस तरह का मामला सामने आ रहा है।
घटना घटने के बाद नगर थाना तो आवेदन ले लेती है, लेकिन उस आवेदन को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। ऐसे दर्जनों मामले थाना पहुंचता है, लेकिन कार्रवाई नहीं के बराबर होती है। जिसके कारण साइबर अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है.
आयुर्वेद -होम्योपैथी डॉक्टर लिख रहे एलोपैथ की दवाई, संभाल रहे इमरजेंसी सेवा
नवादा : एलोपैथ के साइड इफेक्ट से बचाने और आयुर्वेदिक तथा होम्योपैथ दवाई का उपयोग बढ़ाने के लिए जिले में बड़े पैमाने पर आयुष चिकित्सकों की बहाली की गई। लेकिन जिस उद्देश्य से आयुष चिकित्सक बहाल किए गए वह पूरा नहीं हो पा रहा। आयुष चिकित्सक बहाल तो कर लिए गए लेकिन जिन चिकित्सा पद्धति में इन डॉक्टरों ने डिग्री ली है इस पद्धति की दवाई ही नहीं मिल रही।
जिले के सभी प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में दो-दो आयुष चिकित्सकों की तैनाती की गई है लेकिन किसी भी पीएचसी व सीएचसी को आयुर्वेद या होम्योपैथिक दवाई नहीं मिली। इतना ही नहीं जिले के आयुष चिकित्सकों को फील्ड में रहकर विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग और उपचार का काम करना है लेकिन इससे ज्यादा वे पीएससी की ओपीडी और इमरजेंसी सेवा में लगे रहते हैं। खुद आयुष चिकित्सक इस बात को लेकर रोज जाहिर करते हैं।
स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष चिकित्सकों से नियम के विरुद्ध कार्य लिया जा रहा है। इन चिकित्सकों से ऐलोपैथ की दवा लिखवाई जा रही है। जिसका कई सरकारी एवं गैर सरकार संस्थाओं ने विरोध किया है। इन चिकित्सकों को इमरजेंसी रात्रि ड्यूटी भी दी जाती है। जबकि रात्रि ड्यूटी देने की सहमति स्वास्थ्य विभाग ने भी नहीं दी है। सदर अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और एपीएचसी में करीब 45 से अधिक आयुष चिकित्सक हैं।
इन संगठनों ने एलोपैथ लिखने की नहीं दी अनुमति
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ), सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडिया मेडिसीन (सीसीआइएम), सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (सीसीएच) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने आयुष चिकित्सकों को एलोपैथ दवा लिखने की अनुमति नहीं दी है। कई बार आपत्ति जाहिर होने के बाद मामला तूल पकड़ चुका है। गाइडलाइन में आयुष चिकित्सकों को एलापैथ दवा लिखने का जिक्र नहीं है। साथ ही उनसे रात्रि ड्यूटी लेने का भी जिक्र नहीं है। इसके उलट चिकित्सकों से रात्रि डयूटी दी जाती है।
रात में आयुष चिकित्सक के जिम्मे होता है कई अस्पताल
जिले के कई पीएचसी व सीएचसी ऐसे हैं जहां रेगुलर और एमबीबीएस चिकित्सक छुट्टी मारते हैं और रात में अस्पताल को आयुष चिकित्सक के हवाले कर देते हैं। ऐसे में रात में आने वाले गंभीर मरीजों का प्राण संकट में रहता है। आयुष चिकित्सकों की भी अपनी मजबूरी है। आयुष चिकित्सकों ने कहा कि रात्रि ड्यूटी में गंभीर मरीज के आने पर उन्हें रेफर करने के सिवाय और कोई चारा नहीं है। क्योंकि आयुष चिकित्सकों को इमरजेंसी सेवा करने बाबत प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है।
कहती हैं सिविल सर्जन
शुरुआत के दिनों में कुछ आयुष दवाइयां मिली थी लेकिन उसके बाद से आयुर्वेदिक या यूनानी दवाएं नहीं आ रही है। ऐसे मूलतः आरबीएसके को विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य मॉनिटरिंग और उपचार के लिए लगाया गया है। आयुष चिकित्सकों से ओपीडी या इमरजेंसी ड्यूटी करने को नहीं कहा जाता है। अगर कहीं ऐसा हो रहा है तो इसको लेकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ निर्मला सिन्हा, सीएस नवादा:
सरकारी विद्यालय में प्राइवेट शिक्षक चला रहे निजी कोचिंग
नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के विद्यालयों में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। विद्यालयों की बिगड़ती स्थिति की जांच करने के बाद भी अधिकारियों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण विद्यालयों के हालात सुधरते दिखाई नहीं पड़ रहे हैं। विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर हो गई है। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे प्रारंभिक शिक्षा से लेकर मध्य स्तर तक की शिक्षा पाने को तरस रहे हैं। मंगलवार को भी कुछ इसी तरह के हालात फरका बुजुर्ग पंचायत में नजर आया। फरका बुर्जुग पंचायत में दोपहर 2 बजे ही कई विद्यालय बंद मिला।
दोपहर 2 बजे उत्क्रमित मध्य विद्यालय हाथोचक बंद मिला। विद्यालय के शिक्षक विद्यालय को बंद कर फरार थे। वही लगभग 2:30 बजे प्राथमिक विद्यालय मांगोडीह, गंगटिया भी बंद मिला। यहां भी विद्यालय के शिक्षक विद्यालय बंद कर फरार थे। विद्यालय में कोई बच्चा नहीं था। लेकिन विद्यालय का 4 वर्ग कक्ष का कमरा खुला हुआ था।
कुछ देर वहां पर रुकने पर पता चला कि दोपहर 3 बजे से एक प्राइवेट शिक्षक पप्पू कुमार विद्यालय में कोचिंग चलाने के लिए आए हुए हैं। कोचिंग पढ़ने के लिए वहां कई बच्चे मौजूद थे। विद्यालय में मौजूद प्राइवेट शिक्षक पप्पू कुमार ने कहा कि प्रतिदिन वह सुबह 5:30 बजे से लेकर 9 बजे तक सरकारी विद्यालय में आकर गांव के बच्चों को कोचिंग पढ़ाते हैं। एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष ने भी रजौली प्रखंड के कई विद्यालयों की जांच की थी। उनके जांच करने के बाद बीडीओ अनिल मिस्त्री ने भी विद्यालयों की जांच की। लेकिन विद्यालय के हालातों में कोई सुधार नहीं आया।