नवादा : जिले में हर घर-नल का जल योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों को अगर छोड़ दिया जाय तो मुख्यमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजना जिला मुख्यालय में ही दम तोड़ती नजर आ रही है। आलम यह है कि समाहरणालय से चंद कदमों की दूरी पर हर घर-नल का जल योजना का लाभ अबतक नहीं पहुंचा। नागरिक आस-पड़ोस में लगे चापाकलों से पीने का पानी लाते है या फिर कुछ दूरी पर लगे नल-जल योजना के टोंटी वाले नलों से पेयजल ढोते है। करीब 30 से 35 फीसदी आबादी के घरों में आज भी नलों की टोंटी मयस्सर नहीं है।
ऐसा नहीं है कि नगर परिषद और जिला प्रशासन को इस बात की खबर नहीं, लेकिन प्रशासनिक महकमा मौन हैं और नागरिक पीने के पानी जैसी सुविधा से वंचित हैं। नवादा नगर परिषद में पूर्व में 33 वार्ड रहे हैं। इन सभी वार्डों के नागरिकों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को हर-घर नल का जल योजना का लाभ पहुंचना था।
पहले चरण में काम भी हुआ, लेकिन वार्ड पार्षदों के चहेते नागरिकों के घरों तक पाइपलाईन पहुंची। जबकि गरीब-गुरबे और अन्य मध्यम वर्गीय परिवारों के घर नल का जल का पानी टोंटी से नहीं टपका। धरातल पर पड़ताल करें, तो नगर परिषद के प्रत्येक वार्ड में कई ऐसे घर हैं, जहां आज तक हर घर-नल का जल योजना नहीं पहुंचा है। जबकि मुख्यमंत्री ने सात निश्चय योजनाओं की दूसरी सीरीज भी शुरु करा दी है।
कलेक्ट्रेट से चंद फासले की दूरी पर नहीं है नल जल योजना
जिला मुख्यालय का प्रजातंत्र द्वार और पास में बना समाहरणालय शहर की हृदयस्थली है। यहां से चंद फासले की दूरी पर हरिश्चन्द्र स्टेडियम है। यहां मलीन बस्तियां है। इधर, सोनार पट्टी रोड में बेली शरीफ इलाका है। पंपुकल चौक के पास मुसहर टोला है। गोला रोड की कई गलियां है। इतना ही नहीं, पार नवादा के कई प्रमुख सड़कों के किनारे बने घरों में आज तक नल का जल नहीं पहुंचा है। लगभग हर वार्ड में यही हाल है।
मलीन बस्ती में रहनेवाले तंग-फटेहाल लोग हो, या नगर परिषद क्षेत्र में रहनेवाले मध्यमवर्गीय परिवार। इन्हें मुख्यमंत्री की सात निश्चय योजनाओं में कई का लाभ नहीं मिल पाया है।
सबसे आधारभूत जरूरत है- पेयजल
जब नागरिक शुद्ध पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं, तो अन्य योजनाओं की बात करना ही बेमानी है। वार्ड पार्षदों ने नहीं दिया ध्यान, कागजों पर व्यवस्था है दुरुस्त मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर-नल का जल योजना काफी प्रभावी रही, इसे केन्द्र सरकार ने भी अपनाया। लेकिन नवादा के शहरी क्षेत्रों में ही योजना दम तोड़ती नजर आती है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह रही, वार्ड पार्षदों में रूचि का अभाव।
इस योजना से वे लोग लाभान्वित हुए, जिनके घरों में ट्यूबवेल का पानी है, जबकि गरीब-गुरबे अब भी योजना से वंचित है। ऐसा वार्ड पार्षदों के द्वारा पर्याप्त ध्यान नहीं दिए जाने के कारण हुआ। नगर परिषद हो, या लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग। सभी विभागों के दस्तावेजों में योजना दुरुस्त है, लेकिन जमीन पर स्याह सच कुछ और नजर आता है।
शहर के बेली शरीफ मोहल्ले में योजना का हाल जाना। कड़वा सच निकल कर सामने आया है, जिसकी आवाज जिला प्रशासन तक पहुंचेगा। आगे भी वार्डों की पड़ताल होगी और सच्चाई से रूबरू कराया जायेगा। फिलहाल, जिला प्रशासन के पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया आनी बाकी है।