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03 जुलाई : नवादा की मुख्य खबरें

दस लाख रुपये से अधिक मूल्य का 64 कार्टन अंग्रेजी शराब बरामद

नवादा : चंडीगढ़ से मंगवाई गई एक मिनी ट्रक में लदा 64 कार्टन अंग्रेजी शराब तथा संबंधित ट्रक को वारिसलीगंज पुलिस ने जब्त कर लिया। कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर थाना क्षेत्र के अपसढ गांव में देर रात हुई। छापेमारी में वारिसलीगंज पुलिस ने छापेमारी कर 64 कार्टन अंग्रेजी शराब जब्त किया है। जब्त कार्टन में रखा रॉयल स्टैग नामक 750 एम एल का 768 बोतल अंग्रेजी शराब है।

जब्त शराब के साथ चार फर्जी नंबर प्लेट सहित तीन आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर थाना लाया गया। जब्त शराब का अनुमानित कीमत करीब दस लाख से अधिक बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि मध निषेध इकाई पटना के अधिकारियों द्वारा स्थानीय थाना को सूचित किया गया कि शराब लदा एक मिनी ट्रक उक्त गांव में पहुंच चुका है।

वरीय अधिकारियों से मिले निर्देश के तहत वारिसलीगंज पुलिस टीम के द्वारा गांव पहुंच छापेमारी की गई। इस क्रम में एक मिनी ट्रक सड़क किनारे खड़ी थी और कुछ लोग वाहन से शराब की कार्टन उतार कर एक गौशाला में रख रहे थे। पुलिस को देखते ही शराब उतार रहे लोगो में अफरा-तफरी मच गई।

पुलिस को देख भागने के क्रम में अपसढ ग्रामीण मनोज कुमार उर्फ ललित सिंह, नालंदा जिले के परवलपुर थाना क्षेत्र के शिवचौक निवासी सूरज कुमार तथा वाहन चालक पंजाब के तरनतारन निवासी अमरदीप सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर गौशाला में रखा गया 64 कार्टन में 768 बोतल रॉयल स्टैग नामक अंग्रेजी शराब जब्त की गई। गिरफ्तार तीनों आरोपितो के विरुद्ध नई उत्पाद अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर शनिवार को न्यायिक हिरासत मे भेज दिया।

कई राज्यो से होकर वारिसलीगंज पहुंची शराब

शराब लदी वाहन अंबाला, पानीपत, कानपुर, रामपुर सासाराम और मोहनिया होते वारिसलीगंज पहुंची थी। रास्ते में कई नाका एवं टोल प्लाजा मिला जहां से चालक शराब लदी वाहन को सुरक्षित अपसढ़ तक पहुंचाने में कामयाब हुए। वाहन से कार्टन उतारने के दौरान पुलिस की पकड़ में आ गया।

शराब लदी वाहन 

जांच के दौरान उसमें रखे विभिन्न प्रदेशों के चार नंबर प्लेट Up86J/9689, Uk 07cc/2445 व बिहार प्रवेश करने पर शराब लदे वाहन BR 09D/7652 के सहारे वारिसलीगंज पहुंचने में सफल हुआ था। जीपीएस लगे मिनी ट्रक में एक ही नंबर लिखा दो नंबर प्लेट बरामद किया गया। टोल प्लाजा पर राशि जमा के बाद दिया गया आधा दर्जन स्थानों की रसीद सहित दो मोबाइल, 20 हजार रुपया नकद बरामद किया गया है।

शुरू हुआ अमृत सरोवर का काम, एक एकड़ में तालाब की हो रही खुदाई, मुखिया ‘एहतेशाम’ ले रहे व्यक्तिगत दिलचस्पी

नवादा : जिले के नरहट प्रखंड के नरहट पंचायत में अमृत सरोवर योजना के तहत पोखर की खोदाई शुरू की गई है। इस कार्य में यहां के मुखिया एहतेशाम कैसर उर्फ गुड्डु स्वयं दिलचस्पी दिखा रहे हैं। खोदाई के बाद उद्देश्यों की पूर्ति हो सके इसका ख्याल रखा जा रहा है। नरहट शवदाह गृह के पास तालाब की खोदाई की जा रही है। काम में मजदूर जुटे हुए हैं।

शवदाह स्थल यानी श्मशान घाट के पास एक तालाब की सख्त दरकार ग्रामीणों को थी। पहली बार मुखिया निर्वाचित हुए एहतेशाम अपने 5 साल के कार्यकाल में पंचायत का समावेशी विकास का खाका तैयार कर रखे हैं। प्राथमिकता के काम को जल्द पूरा करने में जुटे हैं। जनहित के काम कराए जाने से पंचायत वासियों में संतोष व्याप्त है।

नरहट शवदाह स्थल के समीप पोखर का होना अति आवश्यक था। उस पोखर से आसपास के ग्रामीणों को पशुओं को पानी पिलाने एवं सिंचाई करने में आसानी होगी। श्राद्ध कर्म में तालाब के पानी की उपयोगिता होगी। वहीं भूजल स्तर भी ऊपर होगा। जिससे पूर्व में उत्पन्न पेयजल संकट कम होगा। ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए एक एकड़ जमीन में पोखर खोदाई का कार्य प्रारंभ किया गया है। ग्रामीणों की मानें तो पंचायत के विभिन्न गांव एवं वार्डो में जनहित के सभी जरूरी कल्याणकारी योजना धरातल पर दिखने लगी है।

पांडेयगंगौट में दो दिनी मड़ही पूजा शुरू, चादरपोशी के लिए उमड़ेे श्रद्धालु, पूजा के दौरान टूटी मजहब की दीवारें

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित कौआकोल प्रखंड के पांडेय गंगौट गांव में प्रेम, सौहार्द व भाईचारे का प्रतीक दो दिवसीय मड़ही पूजा खुशनुमा माहौल में शनिवार को शुरू हुआ। मड़ही पूजा में मजहबी दीवार इस कदर टूटी कि जाति-धर्म, कौउ हिंदू, कौन मुसलमान का भेद खत्म हो गया। एक ही चादर को एक तरफ हिंदू ने तो दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग पकड़कर सूफी संत की समाधि पर चढ़ा रहे थे। यहां सिर्फ आस्था, श्रद्धा और समर्पण दिख रहा था।

सूफी संत वारिस पाक और संत शिरोमणि पंचबदन सिंह उर्फ महंथ बाबा की पुण्यस्मृति में आयोजित इस मड़ही पूजा में शरीक होने के लिए देश भर से श्रद्धालु पांडेय गंगौट पहुंचे हैं। सर्व प्रथम सूफी भजन से बाबा की आराधना कर पूजा समारोह की शुरुआत की गई। इस पूजा की खासियत रही है कि इसमें शामिल होने तथा मन्नतें मांगने के लिए हर सम्प्रदाय के लोग पहुंचते हैं। इसी का नतीजा है कि पूजा के दौरान यहां मजहब की दीवार टूट जाती है। सभी सरकार वारिस पाक की खिदमत में समर्पित रहते हैं।

पूजा में शामिल होने के लिए देश के कोने- कोने से वारसी धर्मावलंबी श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है। ऐसी मान्यता है कि यहां जिस भी श्रद्धालु ने सच्चे मन से आकर बाबा की दरबार में माथा टेका है सरकार वारिस पाक ने सभी की मुरादें अवश्य ही पूरी की हैं। इसी का नतीजा है कि पाण्डेयगंगौट स्थित मड़ही में प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की 18वीं तिथि को आयोजित होने वाले इस पूजा में देश के कोने कोेने से श्रद्धालु पहुंच कर बाबा के दरबार में माथा टेकते हैं एवं चादरपोशी करते हैं।

पूजा को लेकर साफ सफाई,सुरक्षा व्यवस्था एवं रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है। इस दौरान श्रद्धालुओं की मनोरंजन के लिए पूजा स्थल परिसर में तरह तरह के ऐतिहासिक नाट्य मंचन,सूफी भजन, कौव्वाली एवं लोक नृत्य की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई है।

पूजा में शामिल होने दूर दराज से पहुंचने वाले मेहमानों के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था पूजा आयोजकों द्वारा की गयी है। मड़ही पूजा को सफल बनाने में समस्त ग्रामीणों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। ग्रामीणों की मानें तो सिद्ध संत झुनकी बाबा भी मडही पूजा में आते थे। वे जबतक जीवित रहे मड़ही पूजा में आते रहे। उन्होंने महंथ जी से मांस का सेवन छोड़ने का अनुरोध किया था, तब महंथ जी ने कहा था हम छोड़ देंगे लेकिन जब आप खाने लगेंगे तब।

वारिस पिया को चाहने वाले सूफी संत पंचवदन बाबा की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी। लोग बताते हैं कि वे हर किसी की समस्याओं को दूर करते रहते थे। उनके चाहने वाले अपनी किसी भी समस्या को लेकर जाते थे तो उनके समस्या का निराकरण अवश्य होता था। स्थानीय लोगों की मानें तो मड़ही में लोग अपनी मन्नतें मांगने के लिए चिट्ठी लिखकर समाधि के पास रखते हैं। श्रद्धालु चिट्ठी में अपनी समस्याएं लिखकर बाबा से मिन्नतें करते हैं। फिहलाल, पूजा को ले पांडेय गंगौट सहित आसपास के गांवों का माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

अधर में लटका पड़ा है नगर का रोड ओवर ब्रिज, श्रेय लेने की मची थी होड़

नवादा : नगर केमालगोदाम-मिर्जापुर के पास रेल ओवर ब्रिज का निर्माण अबतक लटका पड़ा है। ऐसा तब हुआ, जब करीब दो माह पूर्व केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी द्वारा कहा गया था कि नगर में मिर्जापुर के पास 71 करोड़ की लागत से ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू कराया जा रहा है। मंत्री की इस घोषणा के बाद पुल निर्माण की स्वीकृति का श्रेय लेने की होड़ मच गई थी। इंटरनेट मीडिया व अन्य सोशल साइट पर लोग कई पक्षों में बंट गए थे।

हालांकि, अबतक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। जब ख़ोज-खबर लेनी शुरू की तो पता चला कि पुल निर्माण के लिए अभी डीपीआर फाइनल नहीं हुआ है। पुल निर्माण के लिए अधिकृत विभाग BSRDCL (बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन) गया कार्यालय के प्रबंधक तकनीकी वैभव सागर से बात की गई। उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से कुछ ऑब्जर्वेशन आया था, ऐसे में नए सिरे से डीपीआर (डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाया जा रहा है। डीपीआर बनने के बाद टेंडर निकाला जाएगा। नए डीपीआर में लागत बढ़-घट सकता है।

मंत्री जी की घोषणा के बाद खूब हुई थी राजनीति

मंत्री जी की घोषणा के बाद पुल स्वीकृति का श्रेय लेने की होड़ मच गई थी। इंटरनेट मीडिया व अन्य सोशल साइट पर लोग कई पक्षों में बंट गए थे। एक पक्ष इस पुनीत कार्य के लिए स्थानीय रालोजपा सांसद चंदन सिंह को बधाई देने लगे। दूसरी ओर गोविंदपुर विधायक मो. कामरान के समर्थक भी इसमें कूदे। पूर्व सांसद गिरिराज सिंह के खैर ख्वाह उन्हें श्रेय देने लगे। हिसुआ के पूर्व विधायक अनिल सिंह समर्थक भी पीछे नहीं रहे। एक और जमात इस श्रेयवाद में आगे आया।

लंबे समय तक रेलवे से जुड़ी मांगों के लिए स्टेशन परिसर में धरना-प्रदर्शन यानि आंदोलन का परिणाम पुल निर्माण की स्वीकृति को बताया गया। यह खेमा पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद का रहा। इस खेमे की बात को धार देते हुए नवादा विधायक विभा देवी ने कहा था कि सांसद अकेले पुल निर्माण की स्वीकृति का श्रेय मत लें।

ब्रिज का निर्माण परिस्थितिजन्य मजबूरी

सर्व विदित है कि किउल-गया रेलखंड के दोहरीकरण का काम चल रहा है। 2017 में इस कार्य का शिलान्यास तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा नवादा स्टेशन पर आयोजित समारोह में किया गया था। उस वक्त केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नवादा के सांसद थे। इसके पूर्व विद्युतीकरण का काम हो चुका था। रेलखंड के सभी प्रमुख स्टेशनों पर यात्री सुविधा विस्तार किया जा रहा है।

प्लेटफॉर्म को विस्तार दिया जा रहा है। दोहरीकरण के बाद लंबी रूट की एक्सप्रेस ट्रेनें चलनी है। ठहराव भी कई प्रमुख स्टेशनों पर होना है। आम तौर पर लंबी दूरी की ट्रेनें 22 से 24 कोच की होती है। लंबी ट्रेन होगी तो ठहराव के लिए प्लेटफार्म भी लंबा होना जरूरी है। इस रेलखंड का सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन नवादा माना जाता है। वर्तमान स्टेशन व प्लेटफार्म के उत्तर व दक्षिण दिशा में दो रेलवे क्रासिंग हैं। परिस्थितियां ऐसी बनी है कि दोनों क्रासिंग को बंद करने की नौबत आ गई है।

दक्षिण दिशा में खुरी नदी प्लेटफार्म के विस्तार में बाधक बन रहा था। ऐसे में प्लेटफार्म का विस्तार उत्तर दिशा में आउटर सिग्नल की ओर करना पड़ा। प्लेटफार्म का विस्तार उत्तर दिशा में हुआ है ताे मालगोदाम-मिर्जापुर के पास का क्रासिंग बंद करना है। रेल फाटक प्लेटफार्म विस्तारीकण की जद में आ रहा है।

इस क्रासिंग से होकर नवादा-जमुई राज्य उच्च पथ गुजरी है, जो काफी व्यस्त मार्ग है। ऐसे में आरओबी तो बनना ही था। तकनीकी कारणों से सिर्फ काम प्रारंभ नहीं हो रहा था। मंत्री जी की घोषणा के बाद लगा था कि आरओबी का निर्माण कुछ दिनों में शुरू होगा। ऐसे में श्रेय लेने की होड़ मची। अब फिर से काम लटक गया है।

दावे और हकीकत में है कितना दम

14 मई 22 को आरा (भोजपुर)में केंद्रीय मंत्री की घोषणा के बाद सांसद समर्थकों ने एक लेटर सोशल साइट पर पोस्ट किया था, जिसमें सांसद द्वारा नगर में जाम की समस्या को देखते हुए बुन्देलखण्ड क्रासिंग और मालगोदाम- मिर्जापुर के पास आरओबी निर्माण की मांग की गई थी।

इस पत्र के जवाब में पुल निर्माण निगम लिमिटेड के वरीय परियोजना अभियंता, कार्य प्रमंडल नालंदा बिहारशरीफ ने 26 मई 20 को ही लिखा था कि नवादा-जमुई पथ पर 3 नंबर स्टैंड के पास पुल निर्माण का कार्य बीएसआरडीसीएल द्वारा किया जा रहा है। बुन्देलखण्ड क्रासिंग के पास आरओबी की जरूरत है। विभागीय आदेश प्राप्त होते ही निर्माण कार्य हेतु अग्रेतर कार्रवाई की जा सकती है।

साफ है कि पुल निर्माण की स्वीकृती 26 मई 20 के पूर्व मिल चुकी थी। सांसद ने पुल निर्माण की इस मांग का पत्र 29 जनवरी 20 को लिखा था।बरहाल,मंत्री जी की घोषणा के बाद भी पुल निर्माण का मामला लंबा खींचता दिख रहा है। ले देकर हमारी समझ यही कहती है कि मालगोदाम के समीप ओवर ब्रिज का निर्माण परिस्थितिजन्य मजबूरी थी। कोई चाहकर भी इसे रोक नहीं सकता था। जब रेलवे क्रासिंग को बंद होना है तो ओवर ब्रिज बनाना ही है। नगर में जाम की समस्या को ले ओवरब्रिज को स्वीकृति नहीं मिली। हां, जनप्रतिनिधियों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जितना प्रयास किया उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।

बधार में शौच करने निकली लड़की की करंट की चपेट में आने से मौत

नवादा : खुले में शौच करना एक लड़की को महंगा पड़ गया. जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के जलबीघा गांव में रविवार की सुबह शौच करने गई 16 वर्षीय लड़की की करंट के चपेट में आने से मौत हो गई। मृतका के पिता प्रदीप प्रसाद ने बताया कि 16 वर्षीय सुमन कुमारी रविवार की सुबह शौच करने के लिए घर से निकली थी. खेत में बिजली का तार टूट कर गिरा था. करंट के चपेट में आने से उसकी मौत हो गयी।

उन्होंने बताया कि जैसे ही हम लोगों को जानकारी मिली आनन-फानन में बच्ची को लेकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया। मौत की खबर मिलने के बाद परिवार वालों में कोहराम मच गया। बताया जाता है कि शनिवार की देर रात तेज बारिश के कारण बिजली का तार टूट कर खेत में गिरा था और गांव वाले को इसकी कोई खबर नहीं थी। सुबह में लड़की सोच के लिए अपने घर से निकली थी। उसी दौरान यह घटना हुई। करंट से मौत की जानकारी मिलने पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया।

शराब की छापामारी करने गई पुलिस को नहीं मिला शराब, ग्रामीणों ने लगा दिया बेवजह पिटाई का आरोप

नवादा : जिले मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के रामगढ़ बलोखर गांव में उत्पाद विभाग की टीम ने छापेमारी की। इस दौरान ग्रामीणों ने खुद के साथ जमकर मारपीट करने का आरोप लगा दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस को शराब नहीं मिली तो पिटाई कर दिया। एक दर्जन लोग सदर अस्पताल में भर्ती है। छापेमारी शनिवार रात करीब एक बजे को की गई।

पूरे घर की तलाशी ली जाती है लेकिन कहीं पर भी पुलिस को कोई भी शराब बरामद नहीं होता उसके बाद 10 से 15 लोगों पर पुलिस के द्वारा लाठी बरसा कर जमकर पिटाई की जाती है। जिसके बाद रविवार को सभी लोगों को नवादा के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों में मुकेश कुमार, राकेश कुमार, चंदन मांझी, विरंची मांझी, सरयुग मांझी, नरेश मांझी, राहुल कुमार, सुखदेव मांझी, सुमन मांझी एवं रामानंद मांझी शामिल है।

घायल रामानंद मांझी ने बताया कि उत्पाद पुलिस रामगढ़ बलोखर गांव में छापेमारी करने पहुंची। उस समय हमलोग सभी अपने-अपने घर में सोए हुए थे। उत्पाद पुलिस जबरन सभी के घरों का दरवाजा खुलवाकर गहनता से तलाशी ली, लेकिन किसी भी घर से शराब नहीं बरामद हुआ। शराब बरामद नहीं होने पर ने महादलित परिवारों के साथ मारपीट करने लगी।

ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने कई घरों से नगद समेत अन्य सामान लूट लिया। इस बावत उत्पाद इंस्पेक्टर आदित्य कुमार ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा लगाया गया आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत है। पुलिस छापेमारी करने जरूर गई थी, लेकिन शराब बरामद नहीं होने पर बैरंग वापस लौट गई।

जून के महीने में बारिश का अभाव आगत सुखाड़ का संकेत

नवादा : आर्द्र नक्षत्र समाप्त होने में चार दिनों का समय शेष है. ऐसे में पर्याप्त बारिश के अभाव में खेती- बारी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसान अभी से ही चिंतित दिखने लगे हैं। कहा जाता है कि जून के महीने में बारिश का अभाव आगत सुखाड़ का संकेत देता है। मानसून के बादल मंडरा रहे हैं लेकिन यह सिर्फ बूंदाबांदी अथवा हल्की बारिश तक ही सिमट कर रह जा रहा है। हाल यह है कि जून महीने में सामान्य वर्षापात जहां 134 एमएम होनी थी वहीं सिर्फ 33 एमएम बारिश ही हो सकी है। इस प्रकार जून महीने में सीधे-सीधे 100 एमएम बारिश कम हुई है। जबकि बारिश के अभाव के बीच 41.10 प्रतिशत ही धान के बिचड़े की बुआई जिले भर में हो सकी है।

हाल यह है कि बिचड़े लगाने में भी किसान पिछड़ते जा रहे हैं। बीच-बीच में बारिश के अभाव के कारण बिचड़े के खेत भी सूखने के कगार पर पहुंचते चले गए थे। यह तो राहत रही कि दो दिनों से रिमझिम ही सही, बारिश हो तो रही है। इस बीच, धान के बिचड़ों के अलावा समुचित बारिश के अभाव में मक्का, दहलन और तिलहन की रोपाई का कार्य भी जिले भर में प्रभावित हो रहा है।

जिले में 79 हजार हेक्टेयर में होनी है धान की रोपाई:- जिले में 79 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी होनी है और 7969.02 हेक्टेयर में बिचड़े की बुआई होनी है। अब तक 3275.51 हेक्टेयर में ही बिचड़े लगाए जा सके हैं, ऐसे में धान की रोपाई कब तक शुरू हो पाएगी, यह अधर में लटका पड़ा है। अभी तक जिले में सर्वाधिक 71 फीसदी वारिसलीगंज प्रखंड जबकि सबसे कम 17.35 फीसदी धान नर्सरी की बुआई सिरदला प्रखंड में हो सकी है।

मौसम की बेरूखी का हाल यह है कि पिछले जून में 341.7 एमएम बारिश नवादा में हुई थी और इस बार सामान्य वर्षापात भी नहीं हो सका। अब ले-दे कर किसानों को यही भरोसा है कि जुलाई माह में मानसून सबसे प्रभावी होता है। ऐसे में बस जुलाई माह का ही भरोसा रह गया है। वैसे जुलाई के तीन दिन निराशाजनक साबित हुआ है।

मौसम की बेरूखी को ले कृषि मौसम वैज्ञानिक भी अचंभित हैं। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि सारे मौसमीय आकलन और संख्यात्मक मॉडल बारिश का पूर्वानुमान बता रहे हैं लेकिन बारिश पूरी तीव्रता से नहीं हो पा रही है। यह असमंजस वाली स्थिति हो कर रह गयी है।