बाजारों में सरकारी भाव से अधिक गेहूं का दाम, खाली पड़ा है सरकारी गोदाम

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नवादा : वर्ष 2021-22 में मौसम ने कड़े तेवर दिखाए, जिसके बाद किसानों के घर रबी फसल उत्पादों का टोटा रहा हैं। पिछले वर्ष सितंबर में सरकार ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 40 रुपये की बढ़ोत्तरी की और गेहूं की कीमत 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया। जबकि बाजार में गेहूं की कीमत सरकारी मूल्य से कही अधिक हैं। बाजार में गेहूं की कीमत सरकारी दर से 01 सौ से 02 सौ रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है, ऐसे में किसान बाजारों में अपना उत्पाद बेच रहे हैं। किसानों को फसल के दाम नगदी मिल जा रहा हैं, जिससे वे पैक्स की जगह बाजार में गेहूं बेच रहे हैं। सरकारी गोदाम खाली पड़े हैं।

कौआकोल

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महज 50 क्विंटल हुई गेहूं की खरीद पैक्सों में गेहूं की आधिकारिक खरीदारी के दो सप्ताह से अधिक लेकिन बीत चुके हैं, लेकिन कौआकोल में निर्धारित लक्ष्य 2,137 मीट्रिक टन के विरुद्ध महज 50 क्विंटल ही गेहूं की खरीद हो सकी है। वह भी किसान रहे पैक्स अध्यक्षों से ही खरीद हो सकी है। बताया जाता है कि पैक्स अध्यक्ष अपना नुकसान उठाकर सरकारी खरीद के आंकड़े दुरुस्त कर रहे हैं। कौआकोल सहकारिता पदाधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विटंल तय किया गया, जबकि गेहूं का इससे अधिक मूल्य खुले बाजार में ही मिल रहा है। जिससे किसान पैक्सों में गेहूं नहीं बेचकर खुले बाजार में ही बेच रहे हैं।

सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि गेहूं का बाजार भाव पहले 18-19 सौ रूपए प्रति क्विंटल का ही ले रहा था। इसी बीच सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2,015 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया गया। गेहूं 21 सौ तथा 22 सौ रूपए प्रति क्विंटल खरीदी जाने लगी। किसान अब पैक्सों में गेहूं बेचना नहीं चाह रहे। प्रखंड के किसानों ने बताया कि उन्हें पैक्स में धान बेचे छह माह हो गए, पर उन्हें अभी तक उसका दाम नहीं मिल सका है। पैक्स अध्यक्षों द्वारा धान की राशि देने में रोज सिर्फ टहलाने का काम किया जा रहा है। प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि किसानों को गेहूं के सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक कीमत बाजार में ही मिल जा रही हैं।

पकरीबरावां

पैक्सों में नहीं हो रही है गेहूं की खरीदारी पकरीबरावां प्रखण्ड के विभिन्न पैक्सों में गेहूं कीन्हा खरीदारी नहीं हो रही है। गेहूं की खरीदारी नहीं होने से पैक्स गोदाम सुनसान है। वहां कोई चहल-पहल नहीं है। पैक्स अध्यक्षों ने बताया कि इस बार कोई भी किसान पैक्स को गेहूं नहीं नहीं दे रहा है। बताया गया कि गेहूं का बाजार मूल्य, सरकारी मूल्य से ज्यादा है। बाजार में गेहूं 21 सौ रुपए प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है, जबकि पैक्सों के माध्यम से 2015 रुपए प्रति क्विंटल लिया जा रहा है। इस कारण किसान पैक्सों को गेहूं नहीं दे रहे हैं।

किसान भूषण से सम्मानित नागेन्द्र प्रसाद, धेवधा गांव के किसान सुधीर सिंह, हसनगंज के रामचरित्र यादव आदि ने बताया कि इस बार गेहूं का उत्पादन काफी खराब हुआ है। सरकारी मूल्य, बाजार मूल्य से ज्यादा होना चाहिए ताकि किसानों को लाभ हो पाता। लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित कीमत कम है। ऐसे में किसान खुले बाजार में गेहूं बेच रहे हैं। प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी नागेन्द्र कुमार ने बताया कि किसान पैक्सों को गेहूं नहीं दे रहे हैं। किसानों के अनुसार बाजार मूल्य ज्यादा है।

हिसुआ

गेहूं का सरकारी से अधिक बाजार मूल्य हिसुआ क्षेत्र के किसान बाजारों में गेहूं बेच रहे हैं। सरकारी मूल्य से अधिक बाजार मूल्य होने के कारण किसी भी पंचायत और पैक्स स्तर से गेहूं की खरीदारी नहीं हुई है। पकरीबरावां में अभी तक खऱीददारी शून्य है। हर दिन बाजार में ग्रामीण क्षेत्र से गेहूं का अच्छा आवक हो रहा है। किसान उसे दो हजार रूपये प्रति क्विंटल से लेकर दो हजार 200 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बेच दे रहे हैं। उन्हें नगद रूपये मिल रहा हैं।

जबकि सरकारी दर दो हजार 15 रूपये है। किसानों का कहना है कि जब सरकारी दर से अधिक पैसे हमें नगद मिल जा रहे हैं, तो हम सरकारी स्तर पर बिक्री के चक्कर में क्यों पड़ें? सहकारिता पदाधिकारी और पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि किसानों को प्रेरित करने के बावजूद वे गेहूं देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। बीसीओ ने बताया कि अभी तक किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें गेहूं बेचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पैक्स स्तर से भी गेहूं खरीददारी नहीं हुई है।

रोह

अच्छी कीमत के लिए खुले बाजार में गेहूं बेच रहे किसान अच्छी कीमत पाने के लिए किसान खुले बाजार में गेहूं बेच रहे हैं। रोह प्रखंड क्षेत्र में कम से कम यही स्थिति देखी जा रही है। चालू वर्ष में सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीद के लिए सारी कवायद फेल होती दिख रही है। क्योंकि रोह प्रखंड क्षेत्र के एक भी किसान ने अबतक सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन नहीं कराया है। जबकि मड़रा, भट्टा, मरूई और कुंज पैक्स में गेहूं की खरीद के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर पैक्स अध्यक्ष गेहूं खरीदने को तैयार हैं।

लेकिन किसान हैं कि सरकारी क्रय केंद्रों की ओर झांकना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। किसान विपिन यादव, अर्जुन यादव, सूरज यादव, मिथिलेश प्रसाद, प्रकाश रावत, दामोदर महतो, भुनेश्वर सिंह समेत दर्जनों किसानों ने बताया सरकारी क्रय केंद्रों पर निर्धारित गेहूं का मूल्य काफी कम है। जबकि बाजार में 2050-2150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हो रही है। ऐसी स्थिति में किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की बिक्री कर आर्थिक नुकसान नहीं उठाना चाहेगा।

रजौली

पैक्सों में गेहूं का टोटा, बाजार में रौनक जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के 16 पंचायतों के पैक्सों में गेंहू खरीद अबतक शुरु नहीं हो पाई है। इधर, गेहूं की फसल का 90 फीसदी हिस्सा बाजार के हवाले हो चुका है। इधर, सहकारिता विभाग में मात्र चार-पांच किसानों ने ही गेहूं खरीद के लिए अपना निबंधन कराया है। हालांकि किसी पैक्स के द्वारा अबतक छटांक भर भी गेंहू खरीद नहीं हो सकी है।

प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी मो. फईम की मानें, तो बाजार में ही सरकारी मूल्य से अधिक कीमत मिल जा रहा है। जिसके कारण किसान पैक्सों में गेहूं देने में रुचि नहीं दिखा रहे। व्यापार मंडल अध्यक्ष पवन कुमार सिंह ने बताया कि प्रखंड के 16 पैक्सों में 7 पैक्स ठीक से कार्य करने की मंशा रखते हैं। कुछ किसानों ने कहा कि प्रारंभिक दौर में जब बाजार मूल्य सरकारी मूल्य से कम था, तब भी सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने किसानों के निबंधन व गेंहू खरीद में कोई रुचि नहीं दिखाई। बहरहाल किसानों के गेहूं बाजार पहुंच रहा है और सहकारिता विभाग टकटकी लगा कर देख रहा है।

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