प्लानिंग ऑफिसर की बेहोशी पर डीएम का पलटवार, कहा, लापरवाही काे किया ढकने का प्रयास
नवादा : डीएम नवादा यशपाल मीणा का आक्रमक तेवर कम होता नहीं दिख रहा है। बीडीओ संग विवाद के गरमागरमी वाले माहौल के बीच अब जिला योजना पदाधिकारी संतोष कुमार पर भी पलटवार किया है। डीएम के तरफ से जिला जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा विज्ञप्ति जारी की गई है। जिसमें कहा गया है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत जिला प्रशासन की छवि को धूमिल किया गया तथा अपने कार्य में लापरवाही को ढकने का प्रयास किया गया जो एक सरकारी पदाधिकारी के आचरण के बिल्कुल प्रतिकूल है।
आइए जानिए कि डीएम की ओर से क्या कुछ कहा गया
22 अप्रैल 2022 अतीश चंद्रा केंद्रीय प्रभारी पदाधिकारी आकांक्षी जिला कार्यक्रम अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भारतीय खाद्य निगम मुख्यालय नई दिल्ली द्वारा स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, राजस्व ,कौशल विकास और आधारभूत संरचना के संबंध में अब तक किए गए प्रगति के संबंध में बिंदुवार समीक्षा किया गया था। उन्होंने सभी उपस्थित अधिकारियों को नीति आयोग द्वारा दिए गए राशि को गुणवत्ता के साथ कार्यों में लगाने का निर्देश दिया था।
जिला नियोजन पदाधिकारी संतोष कुमार को भी निर्धारित कार्यक्रमों को यथाशीघ्र संपन्न कराने का निर्देश दिया गया। 22 अप्रैल को सोशल मीडिया पर यह समाचार चल रहा था कि डीएम की प्रताड़ना से बेहोश हुए जिला योजना पदाधिकारी पटना रेफर जो बिल्कुल ही भ्रामक है। जिलाधिकारी के द्वारा जिला योजना पदाधिकारी पर किसी प्रकार का कोई और असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है। नीति आयोग से संबंधित सभी अधिकारियों को ससमय गुणवत्ता पर कार्य करने का निर्देश दिया गया है।
इसी कड़ी में जिला योजना पदाधिकारी नवादा को भी निर्देश दिया गया। सदर अस्पताल में ड्यूटी पर उपस्थित डॉक्टरों के द्वारा जिला योजना अधिकारी की स्वास्थ्य जांच की गई और उनके ही आग्रह पर उन्हें विशेष इलाज पटना रेफर किया गया था। जिस दिन चिकित्सक द्वारा पटना रेफर किया गया जिला योजना पदाधिकारी उस दिन चिकित्सा के लिए पटना नहीं गए, बल्कि नवादा में ही आवास पर थे। इससे स्पष्ट होता है कि उनकी तबीयत बिल्कुल नॉर्मल थी।
अगले दिन वे पटना जाकर पीएमसीएच के ओपीडी में पर्ची बनवाते हैं तथा पुनः वापस आकर ऑफिस ज्वाइन कर लेते हैं। इससे भी स्पष्ट होता है कि उनकी तबीयत बिल्कुल नॉर्मल थी। अगर तबीयत इतनी खराब थी तो 2 दिनों के अंदर बिल्कुल नॉर्मल होकर ऑफिस ज्वाइन करना आश्चर्यजनक है। उनके द्वारा एक सोची समझी रणनीति के तहत जिला प्रशासन की छवि को धूमिल किया गया तथा अपने कार्य में लापरवाही को ढकने का प्रयास किया गया जो एक सरकारी पदाधिकारी के आचरण के बिल्कुल प्रतिकूल है।
योजना पदाधिकारी ने क्या कहा था
-जिला योजना पदाधिकारी के हवाले से जो खबर चलाई गई थी उसमे कहा गया था कि डीएम द्वारा गाली-गलौज किया गया। जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। रक्तचाप अचानक ज्यादा बढ़ गया था। घर में बेहोश हो गए थे। सदर अस्पताल में जांच के बाद चिकित्सकों ने पटना रेफर कर दिया था।
हास्य का पात्र बना है पूरा प्रशासनिक सिस्टम
-दरअसल, इन दिनों लगातार डीएम विवादों में घिर रहे हैं। कभी जिला योजना पदाधिकारी द्वारा प्रताड़ना, असंसदीय भाषा का प्रयोग करने के आरोप लगाए जा रहे हैं तो कभी जिले के सभी बीडीओ द्वारा गाली-गलौज की भाषा का इस्तेमाल करने का। सभी आरोपों को ढ़कने के लिए डीएम संबंधित पदाधिकारियों पर कार्याें में लाापरवाही, शिथिलता आदि के आरोप मढ़े जा रहे हैं। कुछ घटनाएं खुले में सार्वजनिक हो रही है तो कुछ मामले अंदर ही अंदरखाने चर्चाओं को गरमा रहा है।
सवाल उठता है कि क्या पूरा का पूरा सिस्टम ही जिले में छिन्न-भिन्न हो गया है। खासकर तब जबकि जिला के मालिक के स्तर से ही ऐसी बातें सामने लाई जा रही हो। साफ है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। ऐसे में जरूरत है प्रशासनिक सिस्टम में पूरी ओवरवायलिंग की। अन्यथा, इस प्रकार के वाक्ये सामने आते रहेंगे और सिस्टम हास्य का पात्र बनता रहेगा।