पारंपरिक खेती से हटकर बटन मशरूम की खेती में अमित दिखा रहे हैं युवा किसानों को नई राह

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– बटन मशरूम की खेती से बदल रहे हैं लोगों की जिंदगी

नवादा : जागरूक किसान अमित कुमार ने पारंपरिक खेती से अलग हटकर बटन मशरूम की खेती शुरू की। जिससे उनको काफी मुनाफा हो रहा है। अब वो दूसरे युवाओं को भी बटन मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दे रहे हैं। अगर आप कुछ अलग करना चाहते हैं, कम समय में ही ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं तो बटन मशरूम की खेती आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।

बटन मशरूम की डिमांड इन दिनों बहुत ज्यादा है और इसकी खेती बहुत कम लोग करते हैं। ऐसे में अगर आप बटन मशरूम की खेती करते हैं तो मशरूम की खेती के लिए बहुत बड़े रकबे की जरूरत भी नहीं होती है, बस थोड़ी सी जमीन पर ही इसकी खेती की जा सकती है और 2 गुना लाभ कमाया जा सकता है।

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अमित कुमार ने बनाई अलग पहचान

जागरूक किसान और इनोवेटिव आइडिया के लिए अमित कुमार ने जिला में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। कादिरगंज, मायाबीघा में अमित मशरूम सेंटर सालों भर मशरूम खेती का मुख्य संस्थान है। अखिल भारतीय वानिकी संस्थान की मदद से शुरू किए गए मशरूम की खेती के लिए बनाए आधुनिक व्यवस्था उत्पादन में सहयोगी साबित होती है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रूप से धान गेहूं और सब्जी जैसे खेती के साथ ही यदि मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जाता है तो अधिक आमदनी होगी और किसानों को मुनाफा भी बढ़ेगा।

कुछ अलग करने की चाहत में उन्होंने ऑस्टर मशरूम की खेती करनी शुरू की। जागरूक किसान अमित कुमार बताते हैं कि बटन मशरूम में टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी का गेम ज्यादा होता है। बटन मशरूम की खेती खासकर जाड़े में बड़े ही आसान तरीके से किया जा सकता है। बाजार में बटन मशरूम कि जिस तरह से डिमांड है, अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो कुछ ही महीने में लाखों रुपए भी कमाए जा सकते हैं।

जागरूक किसान अमित कुमार ने बताया कि बटन मशरूम की खेती में अगर रेडीमेड कम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं तो एक महीने बाद ही फसल निकलने लगेगी, और दो महीने तक मशरूम होंगे। एक थैले से दो किलो तक मशरूम निकल जाता है। फसल के बाद की मिट्टी कम्पोस्ट खाद के तौर पर इस्तेमाल हो जाता है।

मशरूम की खेती के बाद जो कंपोस्ट बचता है, उससे बहुत अच्छा खाद बन जाता है। यह फसल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। नवादा जिले के कई स्थानों पर युवा मशरूम की खेती के बारे में जानने के लिए भी अमित कुमार से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई प्रशासनिक अधिकारियों के यहां भी मशरूम उपजाने के लिए पैकेट तैयार करके दिए हैं। अधिकारी अपने घर में अन्य फसलों की तरह मशरूम का भी आनंद ले रहे हैं।

विशाल कुमार की रिपोर्ट

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