घर में मौजूद खाद्य पदार्थों से एनीमिया पर करें वार
मधुबनी : एनीमिया यानी खून की कमी एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उनमें हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम जाती है। ऑक्सीजन ले जाने के लिए हीमोग्लोबिन की आवश्यकता होती है। यदि शरीर में बहुत कम या असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं हैं, या पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं है, तो शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लिए रक्त की क्षमता कम हो जाती है।
इसके परिणामस्वरूप थकान, कमजोरी, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। एनीमिया के कारण बच्चों में उम्र के मुतबिक वजन एवं लंबाई भी कम जाती है एवं वे एवं दुबलापन एवं नाटापन के शिकार हो जाते हैं. जिससे बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाती है।
पोषक तत्वों की कमी के साथ संक्रामक रोग ज़िम्मेदार
एनीमिया के सबसे आम कारणों में पोषक तत्वों की कमी, विशेष रूप से आयरन की कमी शामिल होती है। साथ ही विटामिन की कमी भी एनीमिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। शरीर में विटामिन सी, ए, डी, बी12 एवं ई की भूमिका अधिक होती है।
विटामिन सी शरीर में आयरन के चयापचय को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से यह आयरन के अवशोषण एवं इसकी गतिशीलता को भी बढ़ाता है। इसलिए विटामिन सी युक्त आहार जैसे आँवला, नीबूं एवं अमरुद जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन जरुर करना चाहिए। ये खाद्य पदार्थ आसानी से घरों में उपलब्ध हो जाते हैं। एनीमिया के प्रमुख कारणों में पोषक तत्वों की कमी के साथ कई संक्रामक रोग भी शामिल होते हैं। जिसमें मलेरिया, टीबी, एचआईवी और अन्य परजीवी संक्रमण शामिल हैं. इन रोगों से ग्रसित होने के बाद अमूमन शरीर में खून की कमी हो जाती है।
2 साल से कम उम्र के बच्चों के आहार पर दें ध्यान
एनीमिया किसी भी आयुवर्ग के लोगों को हो सकता है। लेकिन 2 साल से कम उम्र के बच्चों में खून की जरूरत अधिक होती है. 2 साल से कम उम्र के बच्चों की वृद्धि दर बहुत अधिक होती है. 6 से 24 महीने की उम्र के बीच, शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम आयरन की आवश्यकता जीवन के अन्य चरणों की तुलना में अधिक होती है। जन्म के समय कम वजन और समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को अधिक जोखिम होता है।
2 साल की उम्र के बाद विकास की दर धीमी हो जाती है एवं हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है. इस लिहाज से इस दौरान शिशु के आहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. जन्म से 6 माह तक केवल स्तनपान जरुरी होता है. इस दौरान ऊपर से पानी भी शिशु को नहीं देना चाहिए. वहीं, 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार जरुरी होता है. जिसमें बच्चे को अर्ध ठोस आहार देना चाहिए। साथ ही यह ध्यान भी देना चाहिए कि उनके आहार में आनाज, विटामिन एवं वसा की मात्रा शामिल हो।
एनीमिया को दूर करने के लिए सरल खाद्य पदार्थ
• हरी साग-सब्जी
• चना एवं गुड़
• मौसमी फ़ल
• मीट, मछली एवं चिकन
दवा से अधिक जागरूकता की जरूरत
सिविल सर्जन सुनील कुमार झा ने बताया एनीमिया से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई प्रयास कर रहा है. पाँच से 59 महीने के बालक और बालिकाओं को आईएफए की सिरप एवं 5 से 9 साल के लड़के और लड़कियाँ, 10 से 19 साल के किशोर औरकिशोरियां, 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएँ( जो गर्भवती या धात्री न हो), गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आईएफए की गोली निशुल्क दी जा रही है. ताकि एनीमिया के दंश से उन्हें बचाया जा सके. साथ ही यह जरुरी भी है कि सभी आयुवर्ग के लोग अपने खाद्य पदार्थों पर ध्यान भी दें एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें. दवा से अधिक एनीमिया को लेकर जागरूकता की जरूरत है।
संक्रमित व्यक्ति में सीटी वैल्यू 25 से कम होने पर की जा सकेगी ओमीक्रोन की जांच
मधुबनी : कोरोना के तीसरे वेब ओमीक्रोन की जांच को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। जिले में प्रतिदिन लगभग 5000 से अधिक लोगों की कोरोना संक्रमण की जांच की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कार्यपालक निदेशक के पत्र के आलोक में जिले में प्रतिदिन 8 से 9 हजार जांच करने का निर्देश दिया गया है। सिविल सर्जन ने बताया जिले के कोविड केयर सेंटर में स्थित आरटीपीसीआर जांच केंद्र प्रथम चरण में आईसीएमआर के गाइडलाइन के अनुसार खरा उतरा है।
वहीं ओमीक्रोन को लेकर कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर सिविल सर्जन का आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में बताया गया है कि आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित पाए जाने वाले मरीज जिनका सीटी वैल्यू 25 या 25 से कम है वैसे लोगों का जीनोम सीक्वेंस के लिए भेजा जाएगा।
आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों की संख्या का 5% सैंपल ओमीक्रोन की जांच के लिए भेजा जाए। जिससे ओमिक्रोन की पुष्टि की जा सकेगी। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कोविड वायरस का पता लगाने के लिए सीटी काउंट बेहद जरूरी होता है। सीटी का अर्थ होता है साइकिल थ्रेशहोल्ड। यह वायरस की मात्रा को जांचने का एक पैमाना है जो विशेषज्ञों द्वारा तय किया गया है।
कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव या निगेटिव है यह सीटी काउंट के आधार पर ही तय होता है। कोविड वायरस से व्यक्ति संक्रमित है या नहीं इसके लिए सैंपल की सीटी वैल्यू चेक की जाती है। कोविड टेस्ट में सीटी वैल्यू दी जाती है। सीटी वैल्यू कोरोना वायरस के संक्रमण की जानकारी प्रदान करती है। इसी के जरिए मरीजों को पता चलता है। अगर मरीज की सीटी वैल्यू कम होती है तो मरीज की स्थिति बेहद गंभीर होती है। वहीं अगर सीटी वेल्यू थोड़ी ज्यादा होती है तो उसकी स्थिति को गंभीर नहीं माना जाता।
आईसीएमआर द्वारा प्रमाणित हुआ मधुबनी का आरटीपीसीआर जांच केंद्र
जिला कार्यक्रम प्रबंधक दयाशंकर निधि ने बताया जिला में प्रतिदिन 4200 लोगों का एंटीजन किट से जांच होती है । वहीं 850 लोगों का आरटीपीसीआर जांच करायी जा रही है। आईसीएमआर द्वारा कोविड केयर सेंटर रामपट्टी स्थित आरटीपीसीआर जांच केंद्र को प्रमाणित किया गया है। अब आईसीएमआर द्वारा एक लैब कोड उपलब्ध कराया जाएगा.। जिसके बाद जिले के सरकारी संस्थानों में भी आरटीपीसीआर जांच शुरू हो जाएगी। वर्तमान में आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल दरभंगा तथा मधुबनी मेडिकल कॉलेज में भेजा जाता है।
जेल में बंद बंदियों से परिजनों के मुलाकात पर रोक
करोना के प्रकोप को लेकर कारा एवं सुधार सेवाएं के महानिरीक्षक मिथिलेश मिश्र ने पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि कारा में बंद कैदियों से उनके परिजनों को मिलने का अनुमति 31 जनवरी तक बंद कर दी गयी है। इस संबंध में बताया गया है कि राज्य में विगत एक सप्ताह में कोरोना संक्रमित मरीजों के संख्या में इजाफा हो रहा है। जिसके कारण अगर परिजन जेल रह रहे बंदियों से संपर्क में आते हैं तो वायरस के संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ सकती है। जिसके कारण यह निर्णय लिया गया है।
5 वर्षों से कार्यरत वार्ड सचिव को प्राथमिकता के आधार पर रखने को लेकर बीडीओ को सौंपा ज्ञापन
मधुबनी : जिले के बिस्फी प्रखंड के विद्यापति स्मारक भवन परिसर में वार्ड सदस्यों ने एक बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष बेचन यादव ने किया। इस मौके पर प्रखंड अध्यक्ष बेचन यादव ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से हम सभी वार्ड सचिव अपने प्रखंड में सरकार के आदेशानुसार हर वार्ड में विकास कार्य करने का कार्य किए हैं, लेकिन आज तक सरकार के द्वारा कोई मानदेय या भत्ता नहीं दिया गया।
जिसके बावजूद भी हम सभी वार्ड सचिव सरकार पर आस लगाकर सरकार की विकास कार्य कर रहे हैं। सात निश्चय योजना के अंतर्गत हर वार्ड में हर घर नल का जल एवं गली नाली पक्की करण एवं तथा करोना काल में भी अनेकों कार्य वार्ड को चमकाने का कार्य किए हैं, जिसके बावजूद भी सरकार अब तक हमारे लिए चुप है। सरकार से मांग करते है कि सचिवों को फिर से वार्ड सचिवों के पद पर रखने तथा अपने स्तर से वार्ड सचिवों को प्राथमिकता के आधार पर लेटर निर्गत करने की मांग किया है।
इस मौके पर रामचंद्र यादव, सूर्य नारायण यादव, मो० अकरम, शंभू प्रसाद मेहता, महिला प्रखंड अध्यक्ष सुल्ताना बेगम, गणेश कुमार, शिव शंकर यादव, मिथिलेश यादव, सुजीत कुमार, मोहम्मद आफताब शेख सहित वार्ड सचिव उपस्थित थे।
जननायक कर्पूरी ठाकुर की होने वाले प्रतिमा अनावरण को लेकर हुआ भूमि पूजन
मधुबनी : नगर के आर.के. कॉलेज के पास स्थित जननायक कर्पूरी भवन परिसर मे राष्ट्रीय नाई महासभा द्वारा जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा अनावरण को लेकर भूमि पूजन किया गया। भूमि पूजन कार्यक्रम का आरंभ आए हूए अतिथि पीएचईडी मंत्री रामप्रीत पासवान एवं पूर्व एमएलसी सह जेडीयू नेता विनोद सिंह ने नारियल फोड़कर किया।
मिथिला की परंपरा के अनुसार आगत अतिथियो का स्वागत जननायक कर्पूरी ठाकुर भवन राष्ट्रीय नाई महासभा के जिलाध्यक्ष राजा ठाकुर ने किया। इस अवसर पर अतिथियों ने कहा की हमारे नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मभूमि समस्तीपुर थी, तो कर्मभूमि मधुबनी थी। नाई समाज द्वारा उनकी मूर्ति का अनावरण हेतु भूमि पूजन करने के लिये धन्यवाद देता है।
वही राष्ट्रीय नाई महासभा के जिलाध्यक्ष राजा ठाकुर ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा अनावरण मे सहयोग के लिये आगत अतिथियों का आभार जताया है। कार्यक्रम मे नाई समाज के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। बता दे की जननायक कर्पुरी ठाकुर भारत के स्वतंत्रतासेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उप-मुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।
कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में नाई जाति में हुआ था। जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे, तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे। भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद सुशोभित रहे। इस मौके पर कई लोग मौजूद थे।
सुमित कुमार की रिपोर्ट