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03 फरवरी : आरा की मुख्य खबरें

अपराधियों ने महिला को मारी गोली

आरा : बक्सर जिला के नैनीजोर थानान्तर्गत बडकी नैनीजोर गाँव के बाँध के पास में बुधवार की रात अपनी जेठानी के साथ शौच को गयी देवरानी को अपराधियों ने गोली मार कर जख्मी कर दिया| उसे इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल लाया गया जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे गंभीर हालत में पटना रेफर कर दिया गया है। घटना का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। पुलिस मौके पर पहुंचकर छानबीन कर रही है| जख्मी महिला बक्सर जिले के नैनीजोर थानान्तर्गत बड़की नैनीजोर गांव निवासी पवन तिवारी की 25 वर्षीया पत्नी आत्मा देवी है।

आत्मा देवी ने बताया कि बुधवार की रात वह अपनी जेठानी मीना देवी के साथ गांव में ही स्थित बांध के समीप शौच के लिए गई थी। तभी एक बाइक पर सवार तीन की संख्या में हथियारबंद बदमाश वहां आ धमके और बाइक खड़ी कर दी। इसके बाद बदमाशों ने यही सब है मारो-मारो कहकर फायरिंग कर दी जिससे एक गोली देवरानी के बाये हाथ के हथेली में लग गई। इसके बाद बदमाशों ने उसकी जेठानी मीना देवी पर भी फायरिंग की। जिसे बचाने के क्रम में दूसरी गोली देवरानी के सीने के बीचो-बीच लग गई। घटना के बाद हथियारबंद बदमाश बाइक से फरार हो गए।

अपराधियों ने बालू घाट के गार्ड को मारी गोली

आरा : भोजपुर जिले के संदेश थानान्तर्गत बचरी (सारीपुर) बालू घाट पर गुरुवार की अहले सुबह हथियारबंद बदमाशों ने बालू घाट पर निगरानी कर रहे निजी गॉर्ड को गोली मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया। उसे आरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया पर प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया है।

जख्मी संदेश थानान्तर्गत बचरी गांव निवासी स्व.नागेश्वर सिंह के 50 वर्षीय पुत्र रवि सिंह है। वह बचरी (सारीपुर) बालू घाट पर नाइट गार्ड का काम करते है। स्थानीय थाना घटनास्थल पर पहुंच मामले की छानबीन कर रहा है| जख्मी के गोविंद ने बताया कि जिंदल बालू कंपनी की द्वारा उसे नाइट गार्ड के रूप में बालू घाट पर रखा गया था। वह हर रोज की तरह रात में नाइट गार्ड के रूप में ड्यूटी करने गया था।

गुरुवार की अहले सुबह बालू घाट पर बैठकर अलाव ताप रहे थे। तभी दो बाइक पर सवार चार हथियारबंद बदमाश वहां आ धमके और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। फायरिंग में उनके दोनों जांघ पर गोली लग गई। जिसके बाद सभी बदमाश बाइक फरार हो गए।

रंगदारी का फिल्मी प्लान फेल, युवक गिरफ्तार

आरा : भोजपुर जिला मुख्यालय आरा के नगर थानान्तर्गत जेल रोड स्थित एक कम्लेक्स के मालिक से रंगदारी मांगे जाने का पुलिस ने 48 घंटे में खुलासा कर रंगदारी मांगने वाले को गिरफ्तार कर लिया है। रंगदारी मांगने में इस्तेमाल मोबाइल और सिम भी बरामद कर लिया गया है। गिरफ्तार आरोपित झारखंड के पलामू के मोदिनीनगर थानान्तर्गत रजडेरवां गांव निवासी अनुप कुमार है जो आरा के नवादा थानान्तर्गत गोढ़ना रोड में किराये के मकान में पत्नी और बच्चों के साथ रहता है। वह जेल रोड स्थित उसी कम्लेक्स की एक मोबाइल की दुकान में काम करता था। उसने कर्ज चुकाने के लिये रंगदारी की मांग कर डाली थी।

भोजपुर एसपी विनय तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि इस साल तीस जनवरी को जेल रोड स्थित कम्पलेक्स मालिक अरुण कुमार जैन के मोबाइल पर कॉल कर पांच लाख की रंगदारी की मांग की गयी थी। इसके लिये दो दिन का समय दिया गया था। पैसे नहीं देने पर उनके पोते की हत्या कर धमकी भी दी गयी थी। उसे गंभीरता से लेते हुये एएसपी हिमांशु के नेतृत्व में टीम बना मामले की जांच और रंगदारी मांगने वाले की तलाश शुरू की गयी। इस क्रम में टीम ने तकनीकी जांच के आधार पर कम्पलेक्स स्थित एक मोबाइल दुकान के स्टाफ अनुप कुमार को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने कर्ज चुकाने के लिये रंगदारी मांगे जाने की बात स्वीकार कर ली। इस मामले में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

एसपी ने बताया कि झारखंड के पलामू के रहने वाला अनूप कुमार पिछले करीब छह माह से जेल रोड स्थित कम्पलेक्स की एक मोबाइल दुकान में काम कर रहा था। वह कुछ दिनों से पारिवारिक समस्या और कर्ज से परेशान था। इस बीच सीरियल और फिल्म देख उसके दिमाग में कर्ज चुकाने के लिये रंगदारी मांगने का आइडिया है। उसके बाद ही उसने रंगदारी मांगने का प्लान बनाया। इसके तहत उसने कम्पलेक्स मालिक को टारगेट किया। पूछताछ में उसने बताया कि सीरियल और फिल्म देखने से आइडिया मिला कि पोते की जान का खतरा देख व्यवसायी द्वारा आसानी से पैसे दे दिया जायेगा। उसके बाद उसने कम्पलेक्स मालिक से पांच लाख की रंगदारी की मांग की। नहीं देने पर उनके पोते की हत्या की धमकी दे डाली।

एसपी ने बताया अनूप कुमार मोबाइल की दुकान पर काम करता था। उसके पास कई कई मोबाइल और सिम मिल जा रहे थे। उसके बाद उसने कम्लेक्स मालिक के मोबाइल पर कॉल कर रंगदारी की मांग कर डाली। कम्पलेक्स मालिक की शिकायत के बाद जब मोबाइल की जांच शुरू की गयी, तो वह पकड़ में आ गया।

आर्थिक संकट के ‘चक्रव्यूह’ में फंसे मूर्तिकार, नहीं मिल रहे मूर्तियों के खरीदार

आरा : भोजपुर जिला में सरस्वती पूजा को मात्र दो दिन शेष रह गये है और तैयारियां जोरों पर हैं| ऐसे में मूर्तिकार विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. लेकिन मूर्ति कला को पेशा बनाने वाले कुम्हार, कोरोना महामारी की मार से बेदम हो चुके है. कोरोना संक्रमण के कारण बिहार सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद कर दिया हैं. ऐसे में सरस्वती पूजा के लिए मूर्ति बना रहे कलाकारों का दर्द किसी से छिपी नहीं है. कोरोना के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

कोरोना ने मूर्तिकारों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. कोरोना की वजह से पहले ही मां सरस्वती की मूर्तियों का ऑर्डर कम मिलता था. इस बार सरकार ने कोरोना के कारण सभी शिक्षण संस्थानों को 6 फरवरी तक बंद रखने का आदेश दिया है. जिससे मूर्तिकार चिंतित दिख रहे हैं. अपने पारंपरिक काम को रोजगार बनाने वाले इन कलाकारों के लिए अपना और परिवारों का पेट पालना मुश्किल हो गया है|

लगातार दूसरे साल भी कोरोना का कहर इस कलाकारों पर आफत बनकर टूटा है. कोरोना संक्रमण नियंत्रण को लेकर प्रभावी पाबंदियों के तहत शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण इस बार सरस्वती पूजा में महंगी व बड़ी मूर्तियों की मांग न के बराबर है. वहीं सरस्वती पूजा के बीच इंटरमीडिएट परीक्षा होने के कारण मूर्ति का ऑर्डर भी अन्य वर्षों की तुलना में काफी कम है. जिससे मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े लोगों के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भारी पड़ रहा है।

मूर्तिकार राजकुमार ने कहा कि सरस्वती पूजा आने के चार महीने पहले ही मूर्ती बनाने का काम चालू कर देते हैं. बढ़ते कोरोना महामारी के कारण सरकार ने कई गाइडलाइन जारी कर दी है. जिसके तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि स्कूल और कोचिंग बंद रहने के कारण मूर्तियों का ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. जो ऑर्डर मिला भी है, उसे भी कैंसिल करा दिया गया है. जिससे हमें काफी नुकसान हुआ है।

उन्होंने बताया कि हमारे पास 500 रुपये से 5000 रुपये तक की प्रतिमा बनाकर रखी गई है। लेकिन दो चार प्रतिमा को छोड़ अभी तक सभी मूर्तियां जस की तस रखी हुई हैं. दूसरी तरफ शिक्षक श्याम सिंह बताते हैं कि इस बार शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित नहीं की जाएगी। जिससे छात्र काफी दुखी है. उन्होंने छात्रों से अपील की कि इस बार मां सरस्वती की पूजा आराधना छात्र अपने घरों में करें. भोजपुर जिला प्रशासन ने भी ऐसी ही अपील की है|

बता दें कि कोरोना के खतरे को देखते हुए राज्यभर में पाबंदियां लागू है. इसका असर इस बार सरस्वती पूजा के आयोजन पर भी देखने को मिल रहा है. इस साल सरस्वती पूजा 5 फरवरी को है. लोगों मानना है की आस्था के अनुरूप लोग पूजा जरूर कर रहे हैं. लेकिन व्यवस्था में थोड़ी कमी की गई है. मूर्तियों की मांग कम होने से मूर्तिकार काफी चिंतित हैं. वहीं आने वाले समय में मूर्तिकारों को यह उम्मीद है कि बचे वक्त में उन्हें कुछ और ऑर्डर मिल सकते हैं।

मूर्तिकार राजकुमार ने बताया कि इस बार ठंड अधिक होने के कारण कम संख्या में प्रतिमा का निर्माण हो रहा है. इक्का-दुक्का कलाकार ही मूर्ति बनाते नजर आ रहे हैं. धूप कम निकलने के कारण मूर्ति समय से तैयार नहीं हो पा रही है. उन्होंने बताया कि मिट्टी की प्रतिमा होने के कारण सूखने के लिए इसे धूप की आवश्यकता होती है, लेकिन धूप नहीं निकलने के कारण प्रतिमाओं को सुखाने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रतिमा बनाना हमारा पुश्तैनी काम है। पहले हमारे पिताजी शहर आकर मूर्ति निर्माण करते थे। अब हमलोग ये काम करते हैं. हमलोग करमन टोला में वर्षों से मां सरस्वती की बड़ी-छोटी प्रतिमा का निर्माण करते हैं, लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण इसमें कमी आई है. पूरे साल हम सभी इसी दिन का इंतजार करते हैं कि प्रतिमा की बिक्री से हमें आमदनी होगी. लेकिन इस बार ठंड ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है. ऐसे अभी समय है, इसलिए उम्मीद है कि प्रतिमा सूख जाएगी।

उन्होंने पुनः बताया कि इस सब के साथ सभी सामग्रियों की कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. इसलिए प्रतिमाओं की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. अभी मीडियम आकार की प्रतिमाओं की ज्यादा डिमांड है. सरस्वती पूजा करने वाले युवा प्रतिमा की बुकिंग भी कराने लगे हैं. उम्मीद है कि धूप निकलने के बाद प्रतिमा तैयार करने का समय मिल जायेगा. अधूरी फिनिशिंग भी पूरी हो जायेगी. उन्होंने आगे कहा कि कारीगरों के मुताबिक आज प्राचीन मूर्ति कला को बचाने की जरूरत है. कुम्हारों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलना चाहिए. नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब मूर्ति निर्माण में मल्टीनेशनल कंपनियों का बोलबाला हो जाएगा।

बताया जाता है कि हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में मिट्टी की मूर्तियों का काफी महत्व है. प्रमुख त्योहारों दुर्गा पूजा, गणपति पूजा और सरस्वती पूजा जैसे प्रमुख त्योहारों में मिट्टी की मूर्ति की पूजा की परंपरा है. इस पूजा में बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं. दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है. पूजा कमिटी के सदस्य सब जगह पैसे खर्च करते हैं. लेकिन मूर्तियों का उचित मूल्य नहीं देते हैं. जिससे इन मूर्तियों को बनाने वाले कुम्हार घाटे में चला जाता है. परन्तु कोरोना के खतरे को देखते हुए राज्यभर में पाबंदियां लागू है. इसका असर इस बार सरस्वती पूजा के आयोजन पर भी देखने को मिल रहा है।

लोगों मानना है की आस्था के अनुरूप लोग पूजा जरूर कर रहे हैं. लेकिन व्यवस्था में थोड़ी कमी की गई है. मूर्तियों की मांग कम होने से मूर्तिकार काफी चिंतित हैं. वहीं आने वाले समय में मूर्तिकारों को यह उम्मीद है कि बचे वक्त में उन्हें कुछ और ऑर्डर मिल सकते हैं.

इस पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भोजपुर जिला के जगदीशपुर प्रखंड क्षेत्र के इसाढ़ी गांव के रहने वाले मूर्तिकार मुरारी पंडित का परिवार मूर्ति निर्माण में लगा हुआ है| इसाढ़ी गांव स्थित अपने घर को छोड़कर पूरा परिवार इसाढ़ी कुसुम्हां नहर पथ के किनारे घास फूस का मड़ई लगाकर मूर्ति निर्माण के कार्य में लगा हुआ है। मूर्ति निर्माण के कार्य में मुरारी पंडित के साथ उनकी पत्नी सुनीता देवी, 16 वर्षीय पुत्री रागिनी कुमारी व बेटा दीपक कुमार भी पिता के कार्य में हाथ बंटा रहे हैं।मुरारी पंडित ने बताया कि हम और हमारा परिवार सालों भर मूर्ति बनाने का कार्य करते हैं।मूर्ति बनाकर ही उससे अर्जित पैसे से घर का जीवनयापन चलता है।

कोरोना काल में मूर्ति नहीं बिकने से हमारे परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।तब मजबूरन परिवार के जीविका के लिए गांव में थोड़ी सी खेती बारी करने के साथ साथ 22 वर्षीय बड़े बेटे दीपक कुमार को केरला में प्राइवेट नौकरी के लिए जाना पड़ा।तब जाकर परिवार के जीविका के गाड़ी पटरी पर लौट पाई।अब भी दुर्गापूजा, लक्ष्मीपूजा, सरस्वती पूजा के समय बेटा दीपक कुमार बाहर से गांव आकर हमारे मूर्ति निर्माण के कार्य में हाथ बंटाता है।

रागिनी ने बताया कि लगभग 15 वर्षों से हमारा परिवार मिट्टी व पक्के मूर्ति निर्माण के कार्य में लगा हुआ है।अब मैं बड़ी होने पर पढ़ाई के साथ साथ पिता माता के साथ मिलकर निर्माण में सहयोग करती हूँ।जिससे परिवार की रोजी रोटी की कमी न हो।रागिनी बताती है कि परिवार के सहयोग से मैनें पढ़ाई के साथ साथ कौशल विकास केंद्र से सिलाई कढ़ाई की भी ट्रेनिंग ली है।आगे और भी पढ़ने की इच्छा है।

राजीव एन अग्रवाल की रिपोर्ट