जमीन विवाद में अधेड़ को मारी गोली
आरा : भोजपुर जिले के आयर थानान्तर्गत मोरसिया गांव में बुधवार की सुबह जमीन के विवाद में एक अधेड़ को गोली मार दी गई। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया| उन्हें आरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है| जख्मी आयर थानान्तर्गत मोरसिया गांव निवासी स्व. रामचंद्र सिंह का 51 वर्षीय पुत्र हरेंद्र सिंह है।
हरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पट्टीदार से पूर्व से 3 डिसमिल जमीन को लेकर विवाद चला रहा है। उनकी बेटी की शादी अगले माह की 18 तारीख को होने वाली है। उसी को लेकर आज सुबह जब वह घर के सामने अपने परती जमीन में पड़े कचरे को साफ कर रहे थे तभी उक्त पट्टीदार के कुछ व्यक्ति वहां आ धमके और जमीन को अपना बताने लगे। इसी बात को लेकर उनके बीच तीखी नोकझोंक हुई। जिसके बाद उक्त लोगों ने उन्हें गोली मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। जख्मी हरेंद्र ने सोनू एवं संतोष सिंह पर गोली मारने का आरोप लगाया है।
आयर थानाध्यक्ष पी के भास्कर ने बताया कि दोनो पट्टीदार है। आज सुबह जब जख्मी हरेंद्र सिंह अपने घर के सामने परती जमीन पर पड़े कचरे को साफ कर रहे थे। तभी दूसरे पट्टीदार के लोग वहां आ धमके और उनके बीच बहस हुई। जिसके बाद दूसरे पट्टीदार के सुभाष सिंह उन्हें गोली मार दी। इसके बाद सभी आरोपी फरार हो गए। हालांकि पुलिस उनकी गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी कर रही है।
हेरोइन माफिया के घर छापेमारी
आरा : भोजपुर जिले में एंटी नारकोटिक्स विभाग की टीम ने शाहपुर में हेरोइन माफिया के घर छापेमारी की। छापेमारी तकरीबन 4 घंटे से जारी है। टीम के सदस्य घर के चारों तरफ से घेराबंदी कर छापेमारी कर रहे हैं। हालांकि इस दौरान टीम को क्या उपलब्धि मिली? यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में कोई भी वरीय अफसर कुछ भी बताने से परहेज कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक बुधवार को एंटी नारकोटिक्स विभाग की टीम ने शाहपुर के वार्ड नंबर 10 निवासी हेरोइन तस्कर किशन धानुक के घर में छापेमारी की। इस दौरान टीम के सदस्य घर के चारों तरफ घेराबंदी कर सर्च अभियान चलाया। तकरीबन 4 घंटे से सर्च अभियान जारी है।
बता दें कि हाल में ही भोजपुर पुलिस की टीम द्वारा आरा शहर के गौसगंज गांगी इलाके में छापेमारी कर भारी मात्रा में हेरोइन बरामद की थी। इस दौरान नगदी भी बरामद हुआ था। इस मामले में पुलिस ने एक महिला समेत तीन लोगों को जेल भेजा था।
भोजपुर में चार्जशीटेड सहित 25 आरोपित गिरफ्तार
आरा : भोजपुर एसपी विनय तिवारी के निर्देश शराब निषेध प्रभावी रोक को लेकर छापेमारी अभियान चलाया गया| इस दौरान दौरान शराब तस्करी और जबरन वसूली सहित अन्य कांडों में 25 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान करीब चार लीटर अंग्रेजी और 67 देसी शराब बरामद की गयी है। वहीं शराब की तीन भट्ठियों को ध्वस्त करते हुये 2325 लीटर महुआ पास भी नष्ट किया गया है। वहीं लूट और फायरिंग सहित अन्य केस में चार्जशीटेड एक नामी बदमाश को गिरफ्तार किया गया है।
एसपी ने आज बताया कि सिकरहट्टा थाना की पुलिस ने सिकरौल गांव में छापेमारी कर देसी कट्टा और दो गोली के साथ नारायण पांडेय को गिरफ्तार किया गया है। सिकरहट्टा थानाध्यक्ष के अनुसार पकड़ा गया नारायण पांडेय सिकरौल गांव निवासी विनय पांडेय का पुत्र है। उसके खिलाफ फायरिंग और लूट सहित अन्य कांड में चार्जशीट भी हो गया है। वह सोमवार की रात किसी घटना को अंजाम देने की फिराक में था। तभी उसे गुप्त सूचना के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया।
नगर थाना की पुलिस ने डीजे बजाने के आरोप में जगदीशपुर निवासी योगी चौधरी को गिरफ्तार किया है। बड़हरा थाना की पुलिस ने जबरन वसूली के आरोपित पटना के बिहटा थाना क्षेत्र के परेव टोला के सुधीर कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। नगर थाना पुलिस ने 40 लीटर देसी शराब के साथ रौजा मोहल्ला निवासी सबीर और आफताब साई को गिरफ्तार किया है।
दोहरे हत्याकांड में पुलिस संदिग्धों को हिरासत में ले कर रही पूछताछ
आरा : भोजपुर जिले के कोईलवर थानान्तर्गत कमालुचक दियारे में बालू घाट पर कब्जे को लेकर गोलीबारी और दोहरे हत्या कांड में फरार चल रहे बालू माफियाओं की पुलिस ने कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। इसके तहत पुलिस गिरफ्तारी वारंट हासिल करने हेतु कोर्ट में अर्जी भी दे दी गयी है। उसके बाद इश्तेहार और कुर्की के लिये पुलिस कोर्ट जायेगी।
फरार बालू माफियाओं की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस टीम की छापेमारी भी तेज हो गयी है। पुलिस माफियाओं के हर ठिकानों पर दबिश दे रही है। वहीं कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है। इसके बावजूद अधिकतर आरोपित माफिया अबतक पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके हैं।
बताते चलें कि 21 जनवरी की दोपहर राजपुर-कमालुचक दियारे में स्थित बालू घाट पर कब्जे को लेकर जमकर गोलीबारी हुई थी। उसमें दो लोगों की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गयी थी। मृतकों में शहर के जज कोठी मोड स्थित एक गोल्ड लोन कंपनी के स्टाफ दुर्गेश कुमार और बालू घाट के मुंशी संजीत कुमार थे। इसे लेकर दो प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
पहली प्राथमिकी मृतक के परिजन के बयान पर की गयी। उसमें पच्चीस नामजद और तीस से पैंतीस अज्ञात लोगों को आरोपित किया गया था। वहीं दूसरा केस पुलिस के बयान पर की गयी थी। उसमें 28 नामजद समेत तीस से पैंतीस अज्ञात लोगों को आरोपित किया गया है। इसमें अबतक दो आरोपितों को ही गिरफ्तार किया जा चुका है। एसपी विनय तिवारी ने बताया कि फरार आरोपितों की धरपकड़ को लेकर छापेमारी की जा रही है। वारंट के लिये कोर्ट से निवेदन भी किया गया है। उसके बाद भी गिरफ्तारी नहीं होने पर कुर्की की कार्रवाई की जायेगी।
आरा सदर अस्पताल परिसर में मिली शराब की खाली बोतलें
आरा : भोजपुर जिले में आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के उद्घाटन के मौके पर अस्पताल परिसर में शराब की खाली कई बोतलें उस समय मिली जब डीएम के साथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए बिहार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी जुड़े थे। डीएम ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है|
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड और जनप्रतिनिधी वार्ड के पास शराब की कई बोतलें फेंकी हुई मिली. ये घटना आरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के जीर्णोद्धार के समय की है. भोजपुर के डीएम रौशन कुशवाहा सदर अस्पताल के नए भवन के उद्घाटन के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से जुड़े थे. एक तरफ, जहां उद्घाटन का चकाचौंध था तो वहीं, सिर्फ लगभग 15 गज की दूरी पर शराब की कई बोतलें फेंकी हुई पाई गई।
खाली शराब की बोतल खुलेआम शराबबंदी की पोल खोल रहा था. उद्घाटन के दौरान सदर अस्पताल के सिविल सर्जन से लेकर कई चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधक डीएम के आने के बाद अपने कामों की तारीफ करवाने में जुटे थे. लेकिन, अस्पताल प्रसाशन की लापरवाही का सबूत वहां पड़ी शराब की खाली बोतलें और प्लास्टिक का ग्लास बयां कर रही थी।
उद्घाटन के बाद डीएम ने शराब की खाली बोतल मिलने को लेकर कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है. इस बात को दिखवाते हैं और जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं जिला अधिकारी रौशन कुशवाहा शराब की बोतल को देखने भी पहुंचे. जिसके बाद, अस्पताल प्रसाशन हरकत में आया और जल्दी-जल्दी में इमरजेंसी वार्ड के पास फेंकी गई शराब की बोतल को उठवाकर फेंकवाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
गौरतलब है कि बिहार में शराबबंदी है। इसके बावजूद सूबे में शराब तस्करी का खेल जारी है। पुलिस शराब के धंधेबाजों पर नकले कसने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन, शराब तस्कर धड़ल्ले से शराब बेच रहे हैं. पीने वाले शराब खरीदकर पी रहे हैं। बता दें कि अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया गया था। तमाम राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। अब शराबबंदी लागू हुए 6 साल बीत चुके हैं लेकिन अभी भी बिहार में शराब पीने के मामले कम नहीं हो रहे हैं।
आरा में 700 लोगों पर प्राथमिकी
आरा : बिहार में RRB-NTPC के रिजल्ट को लेकर विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस ने भोजपुर जिले में अब 700 अज्ञात छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें RPF थाने में 200 छात्रों पर और GRP थाने में 4 नामजद सहित 500 पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं चार नामजद में अरुण कुमार पंडित, विष्णु शंकर पंडित, वरुण पंडित और रवि शंकर कुमार पंडित है। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
प्रदर्शनकारी छात्रों के समर्थन में छात्र संगठन भी आगे आ गए हैं| छात्र संगठन आइसा-इनौस ने 28 जनवरी को बिहार बंद का ऐलान किया है। आरआरबी-एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली के खिलाफ आइसा और नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा छात्र संगठन अब छात्रों के साथ खड़ा हो गया है।
आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, मुकदमा और गिरफ्तारी के खिलाफ छात्र-युवा आंदोलन के समर्थन में छात्र संगठनों ने आगामी 28 जनवरी को बिहार बंद करने की बात कही है. इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव और विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अजीत कुशवाहा ने प्रेस बयान जारी किया है।
सभी ने कहा है कि आंदोलन कर रहे छात्र-युवा अपने आक्रोश को मोदी-नीतीश सरकार के खिलाफ मोड़ दें और चरणबद्ध आंदोलन खड़ा करते हुए रेलवे बेचने और नौकरियां खत्म करने पर आमदा मोदी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दें. वहीं छात्र संगठनों ने कहा कि प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार और 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली नीतीश सरकार बताए कि उसने छात्र-युवाओं के लिए अबतक क्या किया है।
उन्होंने कहा कि रोजगार के नए सृजन की बजाए उसमें लगातार हो रही कटौती ने आज छात्र-युवाओं की जिंदगी और भविष्य को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है. उन लोगों ने बताया कि पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है. आइसा–इनौस इस आंदोलन का हर तरह से समर्थन करती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह इन अभ्यर्थियों की मांगों पर अविलंब सुनवाई करे.
कमिटी बनाने का प्रस्ताव झांसा, रेल मंत्री सामने आएं
आरा : छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इनौस ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ चल रहे छात्र-युवा आंदोलन के दबाव में रेलवे प्रशासन द्वारा आज पहले मामले में जांच कमिटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को स्थगित करने के दिए गए आश्वासन को झांसा बताते हुए 28 जनवरी के बिहार बंद को जारी रखने का आह्वान किया है.
इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद राज्य अध्यक्ष व विधायक अजीत कुशवाहा, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन व आइसा के राज्य सचिव सब्बीर कुमार ने आज फिर से संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि अभ्यर्थियों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है. चरम बेरोजगारी की मार झेल रहे छात्र-युवाओं का यह व्यापक आंदोलन ऐसे वक्त खड़ा हुआ है, जब यूपी में चुनाव है. इसी के दबाव में सरकार व रेलवे का यह प्रस्ताव आया है और चुनाव तक इस मामले को टालने की साजिश रची जा रही है। लेकिन विगत 7 वर्षों से देश के युवा मोदी सरकार के छलावे को ही देखते आए हैं. और यही वजह है कि उनका गुस्सा इस स्तर पर विस्फोटक हुआ है। यदि सरकार सचमुच अभ्यर्थियों की मांगों पर गंभीर होती तो इतने बड़े मसले पर रेल मंत्री खुद सामने आकर अभ्यर्थियों से तत्काल बात करते. लेकिन एक तरफ जांच कमिटी का झांसा है, तो दूसरी ओर बर्बर तरीके से हर जगह छात्र-युवाओं पर दमन अभियान भी चलाया जा रहा है. इससे सरकार की असली मंशा साफ-साफ जाहिर हो रही है।
छात्र-युवा नेताओं ने पूछा कि स्नातक स्तरीय 35277 पदों के लिए हुई परीक्षा के पीटी रिजल्ट को लेकर उठाए जा रहे सवाल को समझने में रेलवे प्रशसन को क्या दिक्कत है, जो वह जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही है. कोई एक अभ्यर्थी एक से अधिक पदों पर सफल हो सकता है, लेकिन वह एक अभ्यर्थी ही है और इसलिए उसकी गिनती एक व्यक्ति के बतौर ही होनी चाहिए न कि अनेक. इस तरह 7 लाख अभ्यर्थियों की जगह सही अर्थों में महज 2 लाख 76 हजार अभ्यर्थियों को ही चयनित किया जा रहा है और 4 लाख 24 हजार अभ्यर्थियों (यानी दो तिहाई) को रोजगार के मौके से ही बाहर कर दिया जा रहा है। आइसा-इनौस नेताओं की मांग है कि रेल मंत्रालय 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करे।
जहां तक ग्रुप डी का मामला है, उसमें परीक्षा स्थगित की गई है। यह समझ से परे है कि ग्रुप डी तक की नौकरियों के लिए दो परीक्षा क्यों होगी? इसमें भी अभ्यर्थियों की साफ मांग है कि पहले के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा ली जाए और दूसरे नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. इसमें भी कोई कन्फयूजन नहीं है. रेलवे जानबूझकर मामले को उलझा रहा है। छात्र-युवा इस बार सरकार के झांसे में नहीं आने वाले हैं। आइसा-इनौस नेताओं ने तमाम अभ्यर्थियों से सरकार की असली मंशा को बेनकाब करने तथा 28 जनवरी के बिहार बंद को जोरदार ढंग से सफल बनाने का आह्वान किया।
राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट