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08 अक्टूबर : मधुबनी की मुख्य खबरें

सिविल सर्जन ने रहिका पीएचसी का किया निरीक्षण

मधुबनी : प्रसव कक्ष में मिल रही स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के उद्देश्य से शुक्रवार को रहिका पीएचसी के प्रसव कक्ष का सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान प्रसव रूम, प्रोटोकॉल के आधार पर साफ सफाई, स्वच्छता की उपलब्धता, ट्रे, रजस्टिर व संधारण, डुकोमेंटेशन, सम्मानपूर्वक मातृत्व देखभाल, हाइजीन स्टूमेंट्स, अल्पवजन वाले शिशु का देखभाल व रेफर आदि बिंदुओं पर बारीकी से गहन किया गया।

सर्जन ने बताया निरीक्षण में प्रसव रूम में मिल रही सुविधाओं की और बेहतर किया जा सके इस उद्देश्य निरीक्षण कर किया गया। सर्जन ने रेडिएंट वार्मर, प्रतिदिन अस्पताल में डिलीवरी होने की संख्या, पी एन सी काउंसलिंग, एलआर डॉक्यूमेंटेंशन, हाई रिस्क गर्भवती महिला को चिन्हित करने, प्रतिदिन बेड बदलने, कोविड वैक्सीन के रख रखाव की जानकारी ली व आवश्यक दिशा निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान संस्थागत प्रसव को लेकर कई तरह के आवश्यक दिशा-नर्दिेश दिए गए हैं।

उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करने के निर्देश:

सिविल सर्जन ने उपस्थित कर्मियों से कहा उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) वाले मामले चिन्हित करें वहीं, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शिविर लगाकर हर महीने की 9 तारीख को उच्च जोखिम गर्भावस्था वाले मामले चिन्हित करें इसमें महिला का वजन, बीपी, शुगर, एचआईवी, संक्रमण आदि की नि:शुल्क जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया एचआरपी महिलाओं के लिए विशेष रूप से जरूरी है कि वह चिकित्सक के परामर्शानुसार नियमित जांच कराएं ताकि जटिलताओं को टाला जा सके।

सुरक्षित प्रसव कराना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम शत प्रतिशत प्रयास करते हैं। बताया उच्च जोखिम गर्भावस्था में सामान्य गर्भावस्था की तुलना में अधिक जटिलताओं की आशंका रहती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान खून या अन्य पोषक तत्वों की कमी, हाईपरटेंशन, डायबिटीज, एचआईवी, गर्भ में जुड़वा बच्चे होना, पिछला प्रसव सिजेरियन होना या गर्भपात होना, कम या ज्यादा उम्र में गर्भधारण होना आदि। कई बार इससे मां और होने वाले बच्चे दोनों की जान को खतरा भी हो सकता है। इसलिए ऐसी महिलाओं को प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा अधिक निगरानी की जरूरत होती है।

प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग की चादर बिछाने के निर्देश:

सिविल सर्जन ने जांच के क्रम में बेड पर प्रतिदिन चादर बदलने का निर्देश दिया जिसके तहत रविवार को बैगनी, सोमवार को नीला, मंगलवार को आसमानी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को लाल रंग की चादरें बिछाने का निर्देश दिया। मौके पर एमओआईसी डॉ आर. के महतो, बी एच एम प्रभात रंजन मिश्रा, केयर इंडिया के बी एम अमित कुमार विपुल आदि मौजूद थे।

एड्स कार्यक्रम को लेकर मासिक समीक्षा बैठक का हुआ आयोजन

मधुबनी : जिले में एचआईवी की रोकथाम व जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग विशेष अभियान चला रहा है कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सदर अस्पताल के एएनएम सभागार ए.सी.एम.ओ डॉ आर के सिंह की अध्यक्षता में मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में डॉ सिंह ने बताया सभी गर्भवती महिलाओं एवं टीबी के मरीजों का एचआईवी टेस्ट सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में एचआईवी टेस्ट कीट उपलब्ध कराया गया है।

जिले की सौ फीसदी गर्भवती महिलाओं व टीबी मरीजों को एचआईवी टेस्ट कराने का निर्देश दिया। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए , जिले में संचालित कार्यक्रमों आईसीटीसी, पीपीटीसीटी, एफआईसीटीसी, प्रीजन एफ एवं पीपीएफ आईसीटीसी के साथ भी समीक्षा किया गया। उन्होंने बताया स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में टेस्ट किट उपलब्ध है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है।

एचआईवी/टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार देने के साथ एड्स की जांच की जाए जिसके के तहत स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा टीबी के मरीजों का पहचान करेगी साथ ही जिन्होंने एचआईवी टेस्ट नहीं कराया है इसके बाद सभी मरीजों को जागरूक पर एआरटी सेंटर पर जांच के लिए लाया जाएगा टीबी के मरीज को एचआईवी एड्स की जांच के लिए जागरूक पर एआरटी सेंटर पर लाया जाएगा. जिले में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो टीबी होने के बाद भी अपना एचआईवी टेस्ट नहीं कराते हैं इसलिए स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों की पहचान करेगा जहां जांच के दौरान अगर कोई मरीज एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है तो उसका इलाज कराया जाएगा उसकी रिपोर्ट गोपनीय रखी जाएगी। जिले में एड्स के 7900 मरीज पंजीकृत है। जिसमे 4652 मरीज की दवा सदर अस्पताल से दी जाती है।

एड्स शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता को कम कर देता है :

एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया एड्स स्त्री-पुरुष दोनों को होता है। हमारे शरीर में होने वाले जीवाणुओं के संक्रमण से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं, जिससे शरीर हानिकारक जीवाणुओं के प्रभाव से सुरक्षित रहता है। शरीर की जीवाणुओं से लड़ने की अपनी इस स्वाभाविक शक्ति को इम्यूनिटी सिस्टम कहा जाता है। एड्स के वायरस इन व्हाइट ब्लड सेल्स को भी क्रियाहीन करके हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं, जिससे वायरस से लड़ने की हमारे शरीर की शक्ति खत्म हो जाती है और रोग शरीर में अपना अधिकार जमा लेता है। यही कारण है कि इसे इम्यून डेफिशिएंसी यानी रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना कहते हैं।

जनमानस को रोग के प्रति जागरूक करना जरूरी:

आईसी कम डीआईएस सचिन कुमार पासवान बताया ने कहा कि जागरूकता ही एचआईवी संक्रमण के मामलों को रोकने का एकमात्र तरीका है। इसलिये ये जरूरी है कि रोग के कारण, लक्षण व इसके प्रसार की संभावनाओं के प्रति आम जनमानस को जागरूक किया जाये। एचआईवी व एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास किये जा रहे हैं। बहुद हद तक हम इसमें कामयाब हुए हैं। उन्होंने कहा कि एचआईवी व एड्स सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा न होकर हमारे समग्र विकास से जुड़ा मुद्दा है। इसलिये हमें हर स्तर पर इसके खतरे व इससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति आम लोगों को जागरूक करते हुए इस पर प्रभावी नियंत्रण के उपाय करने होंगे। बैठक में डीपीसी पंकज कुमार, पीओ भुवन कर्ण एवं सभी परामर्शी प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी उपस्थित थे।

पर्व- त्यौहार में कोरोना प्रोटोकॉल का करें अनुपालन : सीएस

मधुबनी : कोरोना संक्रमण के मद्देनजर त्यौहार के इस मौसम में बाजारों में होने वाली भीड़ को लेकर से स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है। कोरोना टेस्ट ज्यादा किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पूरे अमले को व्यवस्था दुरुस्त रखने और ड्यूटी पर मुस्तैदी के निर्देश दिए हैं। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया भीड़भाड़ वाले पूजा पंडालों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा वैक्सीनेशन सहित कोरोना जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि सर्दी और प्रदूषण के बीच त्यौहार की भीड़ में एक तरह से कोरोना का मामल बढ़ सकता है। लिहाज़ा लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर बुजुर्ग व बच्चों की विशेष देखभाल ज़रूरी है।

भीड़ के कारण पॉजिटिविटी रेट बढ़ने की सम्भावना:

सिविल सर्जन ने कहा कि इन दिनों काफी लोग आपस में भी मिलजुल रहे हैं। कोई भी पॉजिटिव आता है, उसके सभी कांटेक्ट को ट्रेस किया जा रहा है। जो उनके कांटेक्ट में हैं, उन सबके टेस्ट किए जा रहे हैं। एक परिवार में कोई एक पॉजिटिव आया तो पूरे परिवार को जो घर में रहते हैं, उनका टेस्ट किया जाता है।

अस्पतालों में जांच की सुविधा :

कोरोना संक्रमण के मद्देनजर विभाग की ओर से विशेष सतर्कता बरतने की जानकारी मिली है। बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अलर्ट रहने को कहा गया है। जांच में भी तेजी लाने को कहा गया है। किसी प्रकार से कोरोना की स्थिति या संदेह उत्पन्न होने पर निकट के सरकारी अस्पतालों में संपर्क कर सकते हैं। वहां पूरी जांच की व्यवस्था की गई है। वहां पर किसी प्रकार की समस्या होने पर कोई भी व्यक्ति फ्लू कॉर्नर में संपर्क कर सकते हैं, उन्हें सहायता प्रदान की जाएगी।

कोरोना से रक्षा के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ज़रूरी:

आने वाले त्यौहार में लोगों के एक जगह इकट्ठा होने की पूरी सम्भावना है। ऐसे में मास्क और दो गज की दूरी का पालन जरूर करें। यह कोरोना से बचाव में सबसे उपयोगी साबित हो सकती है। मास्क इस समय सर्दी, प्रदूषण और कोरोना तीनों से बचाव कर सकता है। इसलिए घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग जरूर करें। इसमें किसी तरह की लापरवाही न बरतें। यह सही है कि इस समय कोरोना का रिस्क ज्यादा है। ऐसे में लोग त्यौहार मनाने के उत्साह में कोरोना को लेकर बिल्कुल भी लापरवाह न हो। विभाग द्वारा अब ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। पूरे स्टाफ को अलर्ट किया गया है।

जिला के सभी ऑक्सीजन प्लांट का पीएम ने किया लोकार्पण

मधुबनी : जिला अस्पताल सहित 3 प्रखंड में बनाए गए 5 ऑक्सीजन प्लांट का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वर्चुअल माध्यम से करेंगे। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि लोकार्पण की तैयारी पूरी की जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में देशभर की तरह जिले में भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत हुई थी। ऑक्सीजन की जरूरत को देखते हुए तब जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाने की बात कही गई थी।

जिला अस्पताल में एक हजार लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन पैदा करने वाला प्लांट बनकर तैयार हो चुका है। साथ ही अनुमंडलीय अस्पताल जयनगर में 500 एलपीएम, फुलपरास में 400 एलपीएम, झंझारपुर में 400एलपीएम, अररिया संग्राम में 300 एलपीएम प्लांट की स्थापना की गयी है। जिला अस्पताल में अब एक साथ सैकड़ों लोगों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है। कोरोना की तीसरी संभावित लहर से बचाव के लिए भी जिला अस्पताल में तैयारी पूरी कर ली गई है। अस्पताल में ऑक्सीजन के पाइप की फिटिंग भी कर दी गई है।

जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर :

जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. दयाशंकर निधि ने बताया जिले में संभावित तीसरी लहर की भी तैयारी चल रही है। जिले में ऑक्सीजन प्लांट के अतिरिक्त 525 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। जिसमें सदर अस्पताल में 40, अनुमंडलीय अस्पताल में 25- 25, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तथा सभी पीएचसी में 10 -10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तथा सभी सीएचसी में 5- 5 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध है। सरकार द्वारा जो ऑक्सीजन के लिए निर्धारित सीमा है उसके अंतर्गत जिले में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं । अगर तीसरी लहर आती है तो उससे निपटने में जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से तैयार है।

सदर अस्पताल में 1000/मिनट लीटर क्षमता का लगा ऑक्सीजन प्लांट :

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच देश ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा है। ऑक्सीजन की कमी से टूट रही सांसों की डोर को बचाने के लिए सरकार ने जिले में पीएम केयर्स फंड से 1000/मिनट लीटर क्षमता वाले ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने का निर्णय लिया है| जिसके लिए सदर अस्पताल में दवा भंडार तथा आई वार्ड के बीच में स्थल भी चयन कर ऑक्सीजन प्लांट बनाया गया है।

जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित करने के पीछे मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि जिले की दिन-प्रतिदिन मेडिकल ऑक्सीजन जरूरतों को पूरा करना है। यह सुनिश्चित करना कि जिलों के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक किसी भी तरह के व्यवधान का सामना न करना पड़े।

अभी सतर्कता का पालन जरूरीः

कोरोना के मामले लगभग खत्म हो गए हैं| इसका यह मतलब नहीं है कि लोग सावधानी बरतना छोड़ दें । अभी सतर्क रहना होगा। लोग अगर सतर्क रहेंगे तो संभावित तीसरी लहर से बचा जा सकता है। सिविल सर्जन कहते हैं कि निश्चित तौर पर लोगों को घर से बाहर जाते वक्त पर मास्क लगाना चाहिए।

सामाजिक दूरी का पालन करते हुए एक-दूसरे के बीच दो गज की दूरी का पालन करना चाहिए। बाहर से घर आने पर 20 सेकेंड तक हाथों की धुलाई अवश्य करनी चाहिए। साथ ही जिन लोगों ने कोरोना का टीका नहीं लिया है, उन्हें जाकर टीका ले लेना चाहिए। इसके अलावा जिन्होंने टीका की सिर्फ एक डोज ली है, उन्हें समय पर जाकर दूसरी डोज भी ले लेनी चाहिए। ऐसा करने से लोग कोरोना की चपेट में आने से बचे रहेंगे।

सुमित कुमार की रिपोर्ट