20 अगस्त : नवादा की मुख्य खबरें

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नवादा में लगा महागठबंधन नेताओं का जमाबड़ा

– प्रतिपक्ष के नेता ने किया मूर्ति का अनावरण

नवादा : जिले के सदर प्रखंड क्षेत्र के इंग्लिश पथरा गांव में महागठबंधन नेताओं का जमाबड़ा लगा। मौका था पूर्व जिप अध्यक्ष समाजसेवी स्व जेहल यादव के मूर्ति अनावरण का। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने विधिवत मूर्ति का अनावरण किया। मौके पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नवादा में महागठबंधन काफी मजबूत है। यह यहां के मतदाताओं का महागठबंधन के प्रति प्रेम व एनडीए के प्रति नफरत को दर्शाता है।

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पूरा देश महंगाई से त्रस्त है। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते मूल्य ने कृषि को घाटे का सौदा बना डाला है। चारों ओर अराजकता का वातावरण है। एनडीए के लोग जंगल राज की दुहाई देकर लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। आज भी जनादेश महागठबंधन के नाम है बावजूद नीतीश कुमार सत्ता पर कब्जा जमाये बैठे हैं। नवादा विधायक विभा देवी की प्रसंशा करते हुए कहा कि एक घरेलू महिला आज बाढ़ से प्रभावित पांच हजार से अधिक लोगों को खाना खिलाने का काम कर रही है। इसके साथ जिले के लोगों की भलाई के लिये हमेशा तत्पर हैं।

गरीब-गुरबों की मुसीबत समझने के लिये उनके दरबाजे पर जा रही है। पीडीएस दुकानदारों के लूट पर अंकुश लगाने को तत्पर हैं। उन्होंने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि पूरे देश के लिये यह समय की मांग है। इसके साथ ही उन्होंने केन्द्र व बिहार सरकार के कार्यकाल की जमकर आलोचना की। मौके पर राजद विधायक विभा देवी, प्रकाशवीर, मो कामरान,हिसुआ के कांग्रेस विधायक नीतू देवी,राजद जिलाध्यक्ष महेन्द्र यादव, कांग्रेस अध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन सिंह, सपा अध्यक्ष उमेश यादव, जिप सदस्य अशोक यादव, रामदेव यादव समेत महागठबंधन के हजारों नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।

नेताओं के लिए नहीं कोई कोरोना गाईडलाइन

नवादा : जिला प्रशासन की दोहिरी नीति। कोरोना गाईडलाइन का पालन नहीं करने वाले ताजियादारों पर होगी प्राथमिकी लेकिन नहीं दर्ज होगी प्राथमिकी उन नेताओं पर जो करोना गाईडलाइन का धड़ल्ले से उड़ा रहे हैं धज्जियां। कुछ इसी प्रकार की स्थिति गुरुवार को प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव व केन्द्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह के कार्यक्रमोंमें देखने को मिली।

एक तरफ विपक्ष के तेजस्वी यादव के पथरा इंग्लिश स्थित पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव के दिवंगत पिता जेहल यादव की प्रतिमा का अनावरण में जुटे हुजूम का है जहां इस अवसर पर जिले के महागठबंधन के सभी विधायक मौजूद थे। इतना ही नहीं कोरोना के नियमों को ताख पर रख लोगों का इतना हुजूम जुटा कि सड़को पर जाम का मंजर दिखा ,गांव से शहर तक गाड़ियों की धूल के साथ कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ी.

वहीं सरकार पक्ष के केंद्रीय इस्पात मंत्री आर. सी. पी. सिंह के कार्यकर्ता जनसंपर्क में भी करोना गाईडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी। उड़े भी क्यों नहीं जब बिहार के राजधानी पटना में जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के अभिनंदन समारोह में लाखों की संख्या में लोग जुट सकते हैं और वहां भी कोरोना गाईडलाइन की धज्जियां नहीं उड़ती तो जिले में ऐसा होना आम बात है। सवाल वही, क्या करोना के नियम सिर्फ मोटरसाइकिल चालकों पर है। क्या मंदिरों और विद्यालय में कोरोना वायरस घूमता है।

मुहर्रम पर्व हो या दुर्गा पूजा सभी पर कोरोना काल को ले सर्वाजनिक पूजा करने तक रोक है। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे सरकार के रोक के बावजूद ऐसे खुलेआम कोरोना काल की धज्जियां उड़ाई जा रही। क्या सिर्फ मास्क ,सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंस सिर्फ वसूली का जरिया बन गया है? अगर नहीं तो कैसे मिल जाती है ऐसे हुजूम लगाने की इजाजत ? अगर नहीं मिलती इजाजत तो क्यों नहीं होती कार्रवाई? क्या नियम सिर्फ आम जनता के लिए बनाया गया है? यह सवाल फ़िजा में तैरना लगा है ।

आज ही के दिन इमाम हुसैन को कर्बला के मैदान में उतारा था धोखे से मौत का घाट

नवादा : इस्लामी कैलेंडर के मुहर्रम माह की दसवीं तारीख है। इस दिन खुदा की बड़ी-बड़ी नेमतों की निशानियां जाहिर हुईं और कर्बला की त्रासदी,’हजरते इमाम हुसैन की शहादत’ का भी यही दिन है। इसलिए पूरे इस्लामी विश्व में इस दिन रोजे रखे जाते हैं, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद भी इस दिन कर्बला की घटना से पहले भी रोजे रखते थे। तैमूरी रिवायत को मानने वाले मुसलमान रोजा-नमाज के साथ इस दिन ताजियों-अखाड़ों को दफन या ठंडा कर शोक मनाते हैं।

इमाम हुसैन (रअ) दरअसल इंसानियत के तरफदार और इंसाफ के पैरोकार थे। मोहर्रम माह की दसवीं तारीख जिसे यौमे आशूरा कहा जाता है, इमाम हुसैन की (रअ) शहादत का दिवस है। यह समझ लेना जरूरी होगा कि इमाम हुसैन कौन थे और उन्हें क्यों शहीद किया गया। मजहबे इस्लाम (इस्लाम धर्म) के प्रवर्तक और पैगम्बर हजरत मोहम्मद (सल्लाहलाहु अलैहि व सल्लम) के नवासे थे इमाम हुसैन। इमाम हुसैन के वालिदे- मोहतरम ‘शेरे-खुदा’ अली (रजि.) हजरत मोहम्मद यानी पैगम्बर साहब के दामाद थे। बीबी फातिमा दरअसल पैगम्बर मोहम्मद (सल्ल.) की बेटी और इमाम हुसैन (रअ) की वालदा थीं।

किस्सा कोताह यह कि हजरत अली (रअ) अरबिस्तान (मक्का-मदीना वाला भू-भाग) के खलीफा हुए यानी मुसलमानों के धार्मिक-सामाजिक राजनीतिक मुखिया हुए। उन्हें खिलाफत (नेतृत्व) का अधिकार उस दौर की अवाम ने दिया था। अर्थात हजरत अली (रजि.) को लोगों ने जनतांत्रिक तरीके यानी आमराय से अपना खलीफा (मुखिया) बनाया था। हजरत अली के स्वर्गवास के बाद लोगों की राय इमाम हुसैन को खलीफा बनाने की थी, लेकिन अली के बाद हजरते अमीर मुआविया ने खिलाफत पर कब्जा किया। मुआविया के बाद उसके बेटे यजीद ने साजिश रचकर दहशत फैलाकर और बिकाऊ किस्म के लोगों को लालच देकर खिलाफत हथिया ली।

यजीद दरअसल शातिर शख्स था जिसके दिमाग में फितुर (प्रपंच) और दिल में जहर भरा हुआ था। चूँकि यजीद जबर्दस्ती खलीफा बन बैठा था, इसलिए उसे हमेशा इमाम हुसैन (रअ) से डर लगा रहता था। कुटिल और क्रूर तो यजीद पहले से ही था, खिलाफत यानी सत्ता का नेतृत्व हथियाकर वह खूंखार और अत्याचारी भी हो गया।

इमाम हुसैन (रअ) की बैअत (अधीनस्थता) यानी यजीद के हाथ पर हाथ रखकर उसकी खिलाफत (नेतृत्व) को मान्यता देना, यजीद का ख्वाब भी था और मुहिम भी। यजीद दुर्दांत शासक साबित हुआ। अन्याय की आंधी और तबाही के तूफान उठाकर यजीद लोगों को सताता था। यजीद दरअसल परपीड़क था।

यजीद जानता था कि खिलाफत पर इमाम हुसैन का हक है क्योंकि लोगों ने ही इमाम हुसैन के पक्ष में राय दी थी। यजीद के आतंक की वजह से लोग चुप थे। इमाम हुसैन चूंकि इंसाफ के पैरोकार और इंसानियत के तरफदार थे, इसलिए उन्होंने यजीद की बैअत नहीं की।

इमाम हुसैन ने हक और इंसाफ के लिए इंसानियत का परचम उठाकर यजीद से जंग करते हुए शहीद होना बेहतर समझा लेकिन यजीद जैसे बेईमान और भ्रष्ट शासक और बैअत करना मुनासिब नहीं समझा। यजीद के सिपाहियों ने इमाम हुसैन को चारों तरफ से घेर लिया था, नहर का पानी भी बंद कर दिया गया था, ताकि इमाम हुसैन और उनके साथी यहां तक कि महिलाएं और बच्चे भी अपनी प्यास नहीं बुझा सकें।

तिश्निगी (प्यास) बर्दाश्त करते हुए इमाम हुसैन बड़ी बहादुरी से ईमान और इंसाफ के लिए यजीद की सेना से जंग लड़ते रहे। यजीद के चाटुकारों शिमर और खोली ने साजिश का सहारा लेकर प्यासे इमाम हुसैन को शहीद कर दिया। इमाम हुसैन की शहादत दरअसल दिलेरी की दास्तान है, जिसमें इंसानियत की इबारत और ईमान के हरूफ (अक्षर) हैं।

चार दिनों से पड़ा है रेलवे ट्रैक पर अज्ञात शव, नहीं ले रहा कोई सुध

नवादा : जिले के गया-किउल रेलखंड पर नवादा मस्तानगंज के पूरब शताब्दी स्कूल रेलवे ट्रैक के पास पिछले चार दिनों से अज्ञात शव पड़ा है। शव को चिल कौवे अपना निवाला बना रहे हैं लेकिन इसे उठाने की जहमत न तो रेलवे थाना उठा रहा है न ही संबंधित थाना की पुलिस। नगर परिषद के अंसार नगर वार्ड सदस्य मो तनवीर आलम ने बताया कि सूचना रेलवे थाना को दी गयी लेकिन शव को अबतक नहीं उठाये जाने के कारण विद्यालय के पास फैल रही बदबू से बच्चों को पढने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि वैसे संबंधित घटनास्थल अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र में पड़ता है। आसपास के लोगों ने गश्ती पुलिस को दी लेकिन अबतक शव उठाने में रूचि नहीं दिखाई देने से आसपास के लोग परेशान हैं। इस बावत रजौली एसडीओपी संजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि सूचना मिली है शव को बरामद कर पोस्टमार्टम व पहचान का निर्देश अकबरपुर थानाध्यक्ष को दिया गया है।

पंचायत समिति सदस्य का आकस्मिक निधन,छाया मातम

नवादा : जिले के नारदीगंज प्रखंड के पेश पंचायत की पंचायत समिति सदस्य 52 र्वषीय सुनील राजबंशी का आकस्मिक निधन हो गया। घटना शुक्रवार की सुबह में हुई। वे पचेया पहाडतली गांव के निवासी थे। निधन की खबर मिलते ही स्वजनों व शुभचितंकों में मातम छा गया।

घटना की खबर मिलते ही उनके पैतृक आवास पर संवेदना जताने वाले का तांता लगा रहा। स्वजनों का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था। लोग संत्वाना देने में लगे रहें। उनके निधन की सूचना मिलते ही हर लोग हतप्रभ रह गये। बताया जाता है कि शुक्रवार की सुबह तकरीबन 9 बजे के आसपास में उन्हें अचानक पेट में दर्द शुरू हो गया। स्वजनों ने इलाज के लिए नारदीगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आ रहें थे,तभी बनगंगा के समीप उनका निधन हो गया। घटना की खबर पाते ही स्वजन विलाप करने लगे। लोग समझाने बुझाने में लगे रहे।

घटना की खबर पाते ही समाजसेवी अजीत कुमार उर्फ गुडडु सिंह,पूर्व जिला र्पाषद कृष्णदेव सिंह,पूर्व मखिया नंदू राजबंशी,लोजपा नेता बब्लू सिह,पूर्व जिला र्पाषद सह समाजसेवी प्रत्याशी बुंदेल मांझी,पूर्व मुखिया सुनील यादव,वेणू यादव समेत अन्य लोग शोक संतप्त परिजन से मिलकर ढांढस बंधाया,और गहरी संवेदना व्यक्त की।

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