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20 सितंबर : आरा की मुख्य खबरें

ट्रेन की चपेट में आने से रिटायर होमगार्ड जवान की मौत

आरा : पूर्व-मध्य रेलवे, हाजीपुर के दानापुर रेल मंडल अंतर्गत आरा एवं कुल्हड़िया स्टेशन के बीच अप व डाउन लाइन के बीच सोमवार की सुबह ट्रेन की चपेट में आने से एक रिटायर होमगार्ड जवान की मौत हो गई। आरा रेल पुलिस घटनास्थल पर पहुच कर शव का पोस्टमार्टम आरा सदर अस्पताल में करवाया। मृतक होमगार्ड जवान चांदी थानान्तर्गत भदवर गांव निवासी स्व.महंगु साह के 65 वर्षीय पुत्र राम किशुन साह है। वह पांच वर्ष पूर्व रिटायर हुये थे।

मृतक के परिजनों ने बताया कि आज सुबह वह कुल्हड़िया स्टेशन से सवारी गाड़ी पकड़ कर आरा दवा लेने के लिए आ रहे थे। इसी बीच आरा एवं कुल्हड़िया के बीच ट्रेन से गिर पड़े। जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस की माने तो मृतक होमगार्ड जवान की मौत ट्रेन से गिरकर व कटकर होना प्रतीत होता है। हादसे में मृतक होमगार्ड जवान इसका शरीर पूरी तरह क्षत-विक्षत हो गया है।

आरा में गाँधी जी के आगमन के 100 वर्ष पूरे होने पर यरवदा चरखे का लोकार्पण

आरा : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भोजपुर आगमन के एक सौ एक वर्ष पूरे होने के पर सर्जना न्यास द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह ”भोजपुर में गांधी” कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्थानीय सांसद सह केंद्रीय उर्जा मंत्री राज कुमार सिंह, स्थानीय विधायक सह कृषि मंत्री, बिहार सरकार तथा बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की| इस मौके पर तीनो मंत्रियों ने संयुक्त रूप से 24 फीट लंबा तथा 8 फीट चौड़ा विश्व के सबसे बड़े यरवदा चरखे का उसे चलाकर लोकार्पण किया| महात्मा गांधी 1920 में ही बिहार यात्रा के दौरान आरा आये थे। पिछले साल कोरोना की वजह से कोई भी कार्यक्रम नहीं हो पाया था।

बिहार सरकार द्वारा कोरोना के नए गाइड लाइन में मिली छूट के बाद सर्जना न्यास के द्वारा भोजपुर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। बापू द्वारा पुणे के यरवदा जेल में बनाई गई चरखे का नाम यरवदा चरखा रखा गया। केन्द्रीय मंत्री आर के सिंह ने कहा कि इस प्रकार का आयोजन हमेशा होना चाहिए। ऐसी आयोजन से हमलोग स्वतंत्रता संग्राम और गांधी जी को याद कर लेते है। यह बिहार ही है  जिसने गांधी जी को गांधी बनाया। जब वो चंपारण आये थे।

कार्यक्रम के अध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस चरखे का आजादी के लड़ाई में कम योगदान नहीं था। इस चरखे ने 40 लाख लोगों को ललकारा था। उन्होंने कहा कि मैं गांधीवादी परिवार में जन्मा हूं। उन्होंने कहा कि मेरे दादा जी और उनके दोस्त 1920 में गांधी जी को पटना से लाने गए थे। हमारे रंगकर्मियों का सत्याग्रह सफल हुआ। है। यह चरखा आजादी की लड़ाई को यादगार बनाए रखने में सहायक होगा। गांधीजी वह तत्कालीन नेताओं के भोजपुर आगमन व उस दौरान घटित घटनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया मेरे घर पर अन्य देवी देवताओं के साथ गांधी जी की भी पूजा होती थी, उन्होंने बताया उनकी दादी द्वारा गांधीजी के लंबे हाथों को दिखाते हुए उन्हें साक्षात नारायण का अवतार बताती थी। गांधीजी की आरा स्टेशन बाल हिंदी पुस्तकालय व जमीरा तक टमटम पर बैठकर जाने की घटना पर भी प्रकाश डाला। शुरुआत में विषय प्रवेश करते हुए विजय कुमार सिंह ने तत्कालीन घटनाओं पर प्रकाश डाला।

नवीन नितिन ने कहा कि मैंने जो भी यहां देखा वो देख कर मैं बहुत खुश हूँ। अमृत महोत्सव इससे अच्छा नहीं हो सकता। बापू का यरवदा चरखा में कई पेंटिंग बनाई गई है। बापू कब बिहार आये आरा आये सब दर्शाया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कोहबर, पीडियां, छठ पूजा व उससे जुड़े डाक टिकट आदि की भी चर्चा की। आजादी की लड़ाई में हुए संघर्षों व बलिदान को याद रखने के लिए व लोक कलाओं को जीवंत बनाए रखने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है।

मंगल पांडेय ने अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत भोजपुर में गांधी के कार्यक्रम के लिए आभार व्यक्त किया। देश के निर्माण में गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मैं पहली बार गांधी जी कार्यक्रम में आया हूं। मुझे नहीं पता था कि लोककला की प्रदर्शनी क्या होती है। लेकिन जब मैंने देखा तो मुझे देखकर अच्छा लगा। सर्जना न्यास शताब्दी वर्ष के रूप में “भोजपुर में गांधी” शीर्षक से एक सांस्कृतिक सामारोह आयोजित किया।

बापू ने पुणे के यरवदा जेल में एक चरखा बनाया था। यरवदा जेल में बनाये जाने की वजह से उसका नाम यरवदा चरखा रखा गया। जब बापू आजादी को संघर्ष के समय एक जगह से दूसरे जगह जाना होता, तो वे अपने साथ चरखा को नहीं ले जा पाते थे। ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक ऐसा चरखा बनाया जाए जो आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा  सके। इसी दरम्यान गांधी जी को यरवदा जेल में रखा गया। उसी जेल में गांधी जी ने एक फोल्डिंग चरखे का निर्माण किया, जिसे झोले में रख कर आसानी से ले जा सके। चरखा का निर्माण यरवदा जेल में होने की वजह से इस चरखे का नाम यरवडा चरखा रखा गया।

यरवदा चरखा सर्जना न्यास के अध्यक्ष संजीव सिन्हा के ने बनाया गया है। सर्जना न्यास अपनी परंपरा और संस्कृति को सहेजने के लिए कार्यशाला, गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहती है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भोजपुर की धरती पर संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से बापू 4 सितंबर 1920 को पहली बार आये थे।

ह्त्या के विरोध में कैंडल मार्च

आरा : वैशाली के महनार थाना के करनौती ग्राम के 14 वर्षीय बेटी के साथ हत्या एवं सामूहिक बलात्कार के खिलाफ भूमिहार ब्राह्मण समाजिक फ्रंट की ओर से आरा के विभिन्न मार्गो से होते हुए आरा स्टेशन परिसर में कैंडल मार्च के सभी साथियों के साथ एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें बिहार सरकार को एक निश्चित समय अवधि के तहत आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाने पर रोष व्यक्त किया गया और आगे सरकार की तरफ से दोषियों पर करवाई नहीं होती है आगे विभिन्न स्तर पर आंदोलन की जाएगी कैंडल मार्च का नेतृत्व यज्ञ नारायण तिवारी साथ में शामिल लोगों में प्रोफेसर बजरंगी राय प्रसाद रविंद्र राय वार्ड काउंसलर भानु हो गया सत्येंद्र शर्मा प्रमोद राय प्रिंस सिंह विकास सिंह रोहित कुमार रामनाथ ठाकुर राकेश पांडे पंकज कुमार अविनाश कुमार सिंह नीरज कुमार सिंह डब्लू सिंह संतोष उपाध्याय पंकज सिंह अनीश कुमार सिंह सनी कुमार सिंह सूरज कुमार सिंह धर्मवीर सिंह कमल सिंह शंभू कुमार सिंह प्रशांत कुमार सिंह आदि लोगों ने प्रमुख भूमिका में थे। राष्ट्रीय पोषण माह अंतर्गत आरा समाहरणालय में भोजपुर ज़ाल पदाधिकारी रौशन कुशवाहा ने वृक्षारोपण किया तथा पोषण सम्बंधित सेल्फी पॉइंट का भी उद्घाटन किया|

भोजपुर जिला समाहरणालय सभागार में उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में पोषण माह अंतर्गत जिला समन्वय समिति की बैठक की गयी| इस बैठक में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आई.सी.डी.एस, माला कुमारी, सिविल सर्जन, भोजपुर, एल, पी झा, जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रेमचंद, जिला योजना पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता (PHED), जिला समन्यवक (NNM), जिला परियोजना सहायक (NNM), जिला कार्यक्रम समन्यवक(PMMVY), जिला कार्यक्रम सहायक(PMVY), बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, आरा ग्रामीण इत्यादि उपस्थित थे|

बैठक में उप विकास आयुक्त ने कुपोषण दूर करने के शपथ दिलवाई| जिला समन्यवक द्वारा PPT माध्यम से पोषण माह की गतिविधियों की चर्चा की गयी| उपविकास आयुक्त ने अन्नप्राशन कराया तथा कुपोषण दूर करने हेतु चर्चा की तथा लोगों को प्रेरित किया|

राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट