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27 जुलाई : आरा की मुख्य खबरें

सरकारी निर्णय के विरुद्ध पुजारियों का धरना दूसरे दिन जारी

आरा : बिहार सरकार के कोरोना रोकने को लेकर सावन के महीने में भी सभी मंदिरों के बंद करने एवं मंदिरों में प्रवेश पर रोक के निर्णय के विरुद्ध भोजपुर जिला स्थित आरण्य देवी मंदिर के महंथ एवं अन्य पुजारी मंदिर पर आज दूसरे दिन भी धरना और अनशन जारी है। सरकार की दलील है कि सावन महीने में काफी संख्या में मंदिरों में भीड़ होती है जिससे कोरोना फैलने के चांस ज्यादा है. इस फैसले से नाराज मंदिरों के पुरोहित एवं महंत अपना विरोध जता रहे हैं. आरण्य देवी मंदिर शहर द्वापर युग का मंदिर माना जाता है जिसे भारत के सिद्ध पीठ में से एक माना जाता है|

ऐसी मान्यता है कि यहाँ आप रूपी प्रकट देवी मानी जाती हैं. इस मंदिर में सदियों से पूजा होती रही है। कहा जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत काल में दो में से एक देवी की स्थापना की थी। यहां पूजा की परंपरा भक्तों द्वारा की जाती है. लेकिन इस बार भक्तों के लिए कोरोना फैलने का हवाला देकर मंदिर को बंद करा दिया गया है। इस फैसले से नाराज मंदिर के महंत मनोज बाबा एवं उनकी टीम के पंडितों ने धरना दे दिया है। मंदिर परिसर में धरना पर बैठे हैं। उनका कहना है कि 2 साल से कोरोना देश में फैला था।

हमने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से आग्रह करके कहा था कि आप लोग मंदिर में ना आइए. लेकिन अब मंदिर बंद करने का कोई औचित्य नहीं है. नेताओं के बड़े-बड़े सम्मेलन हो रहा है जिसमे लाखों की भीड़ हो रही है। अभी हाल में बंगाल में विधान सभा चुनाव हुआ जिसमे लाखों-करोड़ों लोगों की भीड़ लगी. अगले साल उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव है जिसमे भी लाखों की भीड़ लगेगी पर उसमें कोरोना नहीं फैल रहा है, लेकिन पूजा करने के दौरान कोरोना फैलेगा, यह कौन सा आदेश है। ऐसी बात कही जा रही है कि मंदिर में कोरोना फैलने के चांस ज्यादा है सरासर गलत है।

तत्काल सरकार से आग्रह किया कि हर हाल में मंदिर को खोला जाए और कुछ गाइडलइन हो वह ठीक है, लेकिन मंदिर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को ना रोका जाए. उन्होंने आगे कहा कि कई लोगों के सामने भुखमरी की समस्या भी मंदिर नहीं खुलने से उत्पन्न हो गई है. इधर सरकार की दलील है कि कोरोना से लोगों एव श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ वाले स्थान पर जाने से बचना चाहिए ताकि कोरोना से बचा जा सके। हालांकि मंदिरों में पंडित एवं पुरोहितों द्वारा पूजा की जा सकती है. भुखमरी की समस्या एवं अन्य चीजों का हवाला देकर मंदिर के महंत अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं।

आरण्य देवी मंदिर के महंथ मनोज बाबा ने कहा कि सावन में प्रशासन की सख्ती के कारण श्रद्धालु भगवान शंकर की पूजा और जलाभिषेक करने से वंचित रह गये हैं। सावन में प्रशासन की सख्ती के कारण श्रद्धालु भगवान शंकर की पूजा और जलाभिषेक करने से वंचित रह गये हैं। सावन माह शुरू होते ही प्रशासन द्वारा मंदिर के मेन गेट को बंद कर दिया गया है। कहा कि मंदिर से हजारों लोग जुड़े है। उनके परिवार का जीविको पार्जन चलता है। प्रशासन के इस फैसले से उन परिवारों के सामने घोर संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस फैसले पर फिर से विचार करने और मंदिर का खोलने की मांग की है।

सावन के पहली सोमवारी पर पूरे दिन भक्त भगवान शंकर को जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने में जुटे रहे। लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मंदिरों के पट बंद हैं। इससे भक्‍तों में काफी मायूसी देखी गयी। मंदिर बंद रहने के कारण श्रद्धालु गेट पर ही पूजा-अर्चना और जल-पुष्‍प अर्‌पित करते देखे गये। जिले के अधिकतर मंदिरों का यही हाल था। सावन में प्रशासन की सख्ती के कारण श्रद्धालु भगवान शंकर की पूजा और जलाभिषेक करने से वंचित रह गये हैं। सावन माह शुरू होते ही प्रशासन द्वारा मंदिर के मेन गेट को बंद कर दिया गया है। कहा कि मंदिर से हजारों लोग जुड़े है। उनके परिवार का जीविको पार्जन चलता है। प्रशासन के इस फैसले से उन परिवारों के सामने घोर संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस फैसले पर फिर से विचार करने और मंदिर का खोलने की मांग की है।

सावन के पहली सोमवारी पर पूरे दिन भक्त भगवान शंकर को जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने में जुटे रहे। लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मंदिरों के पट बंद हैं। इससे भक्‍तों में काफी मायूसी देखी गयी। मंदिर बंद रहने के कारण श्रद्धालु गेट पर ही पूजा-अर्चना और जल-पुष्‍प अर्‌पित करते देखे गये। जिले के अधिकतर मंदिरों का यही हाल था। शहर के प्रसिद्ध आरण्य देवी मंदिर में भी सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी थी। लेकिन मंदिर बंद रहने के कारण भक्त बाहर से ही भगवान को नमन कर चलते बने। भक्तों की भीड़ को रोकने को लेकर सभी मंदिरों पर मजिस्ट्रेट और जवान तैनात कर दिये गये हैं। मंदिर से हजारों लोग जुड़े है जिससे परिवार का जीविको पार्जन चलता है। प्रशासन के इस फैसले से उन परिवारों के सामने घोर संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस फैसले पर फिर से विचार करने और मंदिर का खोलने की मांग की है।

बताते चलें कि भारत में सालों भर कोई न कोई पर्व त्यौहार पड़ता रहता है और उसमे मंदिरों के महंथ, पुजारी तथा अन्य पंडितों की चांदी रहती है और वे मनचाहा पैसा भक्तो से वसूलकर धनाढ्य हो चुके है तथा वे कोई आयकर भी नही देते| अगर सरकार देश के मंदिरों में रह रहे पंडितों और महंथों की संपत्ति की जांच कराये तो अरबों रूपये देश को मिल सकते हैं| पर इस साल सरकार के कोरोना को लेकर मन्दिरों को बंद रखने के आदेश से उनकी आमदनी पर असर पड़ा है और इसलिए वे आन्दोलनरत हो गये हैं|

आदेशपाल की हादसे में मौत

आरा : भोजपुर जिले के बिहिया-चौरास्ता पर पेट्रोल पंप के समीप सोमवार की देर शाम पिकअप की ठोकर से बाइक सवार आदेशपाल की मौत हो गई। बाइक में पेट्रोल भरवा कर सड़क पर आते ही अनियंत्रित पिकअप ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।

मृतक शाहपुर थाना क्षेत्र के भरौली गांव निवासी जगदीश प्रसाद हैं। वे अपने परिवार के साथ बिहिया में ही मकान बनाकर रह रहे थे। सोमवार को वे प्रखंड कार्यालय में अपनी ड्यूटी पूरी कर बाइक से अपने घर बिहिया जा रहे थे। तभी रास्ते में हादसे के शिकार हो गये। पुलिस ने उनके शव का आरा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया|

एसपी की कार्रवाई का नही देखा असर,शाम को फिर ‘माफिया गुलजार’

आरा : भोजपुर एसपी विनय तिवारी के नेतृत्व में सोमवार को दोपहर से देर शाम तक फिर अवैध बालू खनन के खिलाफ सोन नदी में छापेमारी अभियान चलाया गया। हालाँकि कोई पकड़ा तो नहीं गया लेकिन, बालू लोड 18 नावें जब्त कर ली गईं। इससे पूर्व रविवार को नौ नावें जब्त की गई थी। 48 मजदूर पकड़े गए थे। जिन्हें जेल भेज दिया गया।

रविवार को एसपी विनय तिवारी के नेतृत्व में सोन नदी में 11 घण्टे तक कि गयी कार्रवाई में चार दर्जन मजदूर/तस्कर गिरफ्तार किए गए थे। वहीं 9 नाव भी जब्त किए गए थे। पर इस कार्रवाई का कोई असर नहीं दिखा। रविवार को छापेमारी खत्म होने के दो घंटे बाद ही शाम छह बजे दो हजार से ज्यादा नाव गंगा नदी के रास्ते सोन नदी में पहुच गये।

सोमवार को दोपहर बाद एसडीएम वैभव श्रीवास्तव और एसडीपीओ विनोद कुमार पूरे दल बल के साथ नाव और स्टीमर के सहारे कोईलवर में सोन नद में छापेमारी करने उतरे। देर शाम तक चली कार्रवाई में डेढ़ दर्जन से अधिक नाव पकड़े गए। छह घटे से अधिक समय तक अलग-अलग नाव व स्टीमर से टीम बनाकर छापेमारी करने उतरी टीम ने नदी के डाउन स्ट्रीम में सुरौधा, महादेवचक, सेमरिया,महुई महाल,कमालुचक, सेमरा,फुहां, बिन्दगांवा के दियारा इलाके तक सघन छापेमारी अभियान चलाया।

दोपहर से देर शाम तक चली छापेमारी के दौरान सोन नद में वीरानगी छायी रही। लेकिन देर शाम सात बजे जैसे ही छापेमारी कर पुलिस लौटी और पकड़ी गयी नावों को व्यवस्थित ही कर रही थी, तभी सैकड़ों की संख्या में नाव फिर बालू लूटने के लिए टूट पड़ी। दो से ढाई हजार की संख्या में पहुंची नावों की धमक से पुलिस प्रशासन के भी होश उड़ गए। छापेमारी दल के सामने से गुजर रहे रेला को देखने के बाद सिवाय हाथ मलने के प्रशासन के पास कोई चारा नहीं था।
कोईलवर सोन नदी में डिपिग क्षेत्रों से शाम में नावें आती है।

सोन नदी से नाव द्वारा उत्खनन किया गया बालू सोन नदी से गंगा सरयू और गंडक के रास्ते सारण, वैशाली, उतर बिहार और पूर्वांचल के जिलों तक पहुंच जाता है। प्रतिदिन दो से ढाई हजार नाव सोन के गर्भ से बालू निकाल उसे जिले और राज्य की सीमा से बाहर भेजते हैं।इन नावों की लदान क्षमता चार से 14 ट्रक तक ही होती है। छोटी नावों से चार ट्रक और बड़ी नावों से 14 ट्रक से अधिक बालू का उठाव होता है। ऐसी ढाई से तीन हजार नावें प्रतिदिन सोन से बालू लूट कर ले जाती हैं|

छापेमारी के दौरान दर्जन भर से ज्यादा नाव पकड़ी गयी हैं। देर शाम तक दूर दियारा इलाके में हुई छापेमारी के बाद पकड़ी गयी नावों को कोईलवर लाया गया। सूत्रों के अनुसार इन नावों को क्षतिग्रस्त कर दिया जाएगा ताकि भविष्य में ये नाव दुबारा बालू के अवैध धंधे में न उतर सकें। लोगों ने कहा नदी में छापेमारी करने से धंधा खत्म नहीं होगा, धरातल पर मेहनत करनी होगी।

राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट