करंट लगने से युवा किसान समेत दो लोगों की मौत
आरा : भोजपुर जिले में करंट से एक अधेड़ किसान समेत दो लोगों की मौत हो गयी। पहली घटना अगिआंव बाजार थानान्तर्गत भाडिहरा और दूसरी घटना उदवंतनगर थानान्तर्गत दरियापुर गांव में हुई। बताया जा रहा है कि खंभाडिहरा गांव निवासी बरमेश्वर नाथ पांडेय के 32 वर्षीय पुत्र कौशलेश पांडेय सुबह खेत में पटवन कर रहा था। वहां करंट प्रवाहित तार टूटकर गिरा था।
पटवन करने के दौरान वह तार की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया। इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसी तरह उदवंतनगर थानान्तर्गत दरियापुर गांव में भी सुबह में खेत में काम करने के दौरान ईश्वर सिंह करंट की चपेट में आ गये। इलाज के लिये सदर अस्पताल लाये जाने के दौरान उनकी भी मौत हो गयी। दोनों के परिजन बिना पोस्टमार्टम कराये शव लेकर चले गये।
अगवा नौवीं की मृतका छात्रा की हुयी पहचान
आरा : भोजपुर जिले के इमादपुर थानान्तर्गत सहियारा गाँव की नहर से बोरे में बंद मिली मृत किशोरी की पहचान आरा के नवादा थानान्तर्गत विष्णु नगर (बैंक कॉलोनी) निवासी फौजी मदन पांडेय की पुत्री एवं नौवी की छात्र अंकिता कुमारी के रूप में की गयी| वह बीते एक जून से गायब थी। पिछली 13 जुलाई को उसका शव मिला था। शव मिलने के चार रोज बाद परिजनों ने फोटो से उसकी पहचान की। परिजनो ने अगवा करने के बाद हत्या करने तथा पुलिस पर लापरवाही करने और शव को क्षत-विक्षत करने का आरोप लगाया है।
छात्रा के चाचा अंदेश्वर पांडेय ने पुलिस की मिलीभगत से तेजाब डाल कर शव को जलाने का आरोप लगाया है ताकि उसकी पहचान नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई को शव सही सलामत मिला था। लेकिन आरा सदर अस्पताल आते-आते शव पूरी तरह वीभत्स हो गया था। चेहरे सहित शरीर का आधा भाग जल गया था। इससे तेजाब डाल शव जलाने की आशंका उत्पन्न हो रही है। भोजपुर एसपी विनय तिवारी के आदेश के बाद पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन कर रही है तथा इस मामले में पुलिस ने एक युवक को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ कर रही है।
स्कूली छात्रा अंकिता का शव मिलने से परिजनों में काफी गुस्सा है। वे इसके लिये सीधे नवादा थाने की पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उसके चाचा ने तो पुलिस पर हत्या तक का आरोप लगा डाला है। उनका कहना है कि आखिर केस दर्ज होने के 50 दिन बाद तक पुलिस उसे क्यों नहीं खोज सकी? पुलिस क्या कर रही थी? वहीं शव मिलने के बाद पुलिस द्वारा सूचना तक भी नहीं दी गयी। एक फौजी के साथ पुलिस का सलूक ऐसा है, तो आम पब्लिक को न्याय कैसे मिलेगा?
बताया जा रहा है कि बीते एक जून को छात्रा अंकिता बिस्किट लेने घर से गयी थी पर घर नहीं लौटी तो खोजबीन शुरू की गयी। चार दिनों तक कोई सुराग नहीं मिला, तो पांच जून को नवादा थाने में केस किया गया। उसके 13 जुलाई को आरा से दूर इमादपुर थाने के सहियारा नहर से उसका शव बरामद किया गया था पर उस समय शव की पहचान नही हो पायी थी| अपहरण की प्राथमिकी के बाद छात्रा की बरामदगी में विफल रही पुलिस द्वारा शव मिलने के बाद भी परिजनों को सूचना नहीं दी।
एक रिश्तेदार के जरिये शव मिलने की सूचना पर परिजनों ने किसी तरह पहचान की गयी। उसके बाद छात्रा के चाचा ने सोमवार को एसपी से मिल घटना की जानकारी दी और न्याय की गुहार लगाई। एसपी विनय तिवारी ने थानेदार को पूरे मामले की जांच कर अविलंब कार्रवाई करने का आदेश दिया। उसके बाद पुलिस हरकत में आयी और नवादा थाने के साथ टाउन थाना इंचार्ज भी मामले की छानबीन में जुट गये हैं। थानेदार सदर अस्पताल पहुंचे और शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर से शव के बारे में पूरी जानकारी ली। कातिलों तक पहुंचने का प्रयास भी तेज कर दिया गया। इसके लिये मोबाइल सर्विलांस की मदद ली जा रही है। सूत्रों के अनुसार इसमें कुछ नंबर भी मिले हैं। उसकी जांच की जा रही है।
अपहरण के समय छात्रा के पास मोबाइल भी नहीं था ताकि वह परिजनों को घटना की सूचना दे सकी। चाचा के अनुसार उसने एक-दो बार दूसरे के मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन बात नहीं हो सकी थी। दस जुलाई को उसकी एक रिश्तेदार से कुछ सेकेंड बात हुई थी। उसके दो दिन बाद ही उसका शव बरामद हो गया। उन्होंने बताया कि जिन-जिन नंबरों से बात हुई है, वह पुलिस को दे दिया गया है। पुलिस उसकी जांच कर रही है।
13 जुलाई को इमादपुर थाना क्षेत्र के सहियारा स्थित नहर से बोरे में बंद एक किशोरी का शव मिला था। तब पुलिस इंक्वेस्ट के अनुसार किशोरी के नाक से खून बह रहा था। इंक्वेस्ट में आंख व मुंह बंद और जीभ अंदर होने की बात लिखी गयी थी। शव जले या वीभत्स होने की चर्चा पुलिस की मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट में नहीं थी। जबकि शव मिलने की सूचना पर परिजन सदर अस्पताल के मर्चरी रूम गये, तो शव पूरी तरह वीभत्स हो चुका था। किशोरी के चाचा के अनुसार चेहरा और शव का आधा हिस्सा जल हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर शव कहां जल गया? परिजन अब पुलिस से इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं। परिजनों का कहना है कि हत्या करने वालों द्वारा पुलिस से मिलकर शव को जला दिया गया है। ताकि शव की पहचान नहीं हो सके।
गायब छात्रा की खोजबीन में जुटे परिजनों को रिश्तेदारों ने सहियारा नहर से शव मिलने की सूचना दी। इस पर उसके परिजन आरा सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन शव की हालत देख पहचान से इनकार कर दिया। बाद में दूसरे रिश्तेदारों ने नहर से शव निकालते समय का फोटो भेजा। तब जाकर पहचान हो सकी। उसके चाचा ने यह बात बताई। बताया कि छात्रा के नाना तरारी के धनछुहां गांव में रहते हैं। छात्रा के अपहरण के बाद सहियारा नहर से शव मिलने की सूचना दी।
छठे दीक्षांत समारोह पर अभी भी अनिश्चितता के बादल
आरा : वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में टॉपर विद्यार्थियों से दीक्षांत राशि लिए जाने के एक साल बाद भी दीक्षांत समारोह को लेकर कोई तैयारी नही दीख रही है| विभिन्न सत्रों के आयोजन ऑफलाइन होगे या ऑनलाइन,इसका भी कोई पता नही है| इसे लेकर सम्मानित होने वाले विद्यार्थियों में मायूसी छाई है और वे तिथि घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं।
मालूम हो कि कोरोना के कारण 31 मई को प्रस्तावित छठा दीक्षांत समारोह टल गया था। इसके पहले जनवरी में छठा दीक्षांत समारोह होने की उम्मीद थी, लेकिन उक्त तिथि को भी आयोजन नहीं हो सका। गोल्ड मेडल की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि लगता है कि अभी और इंतजार करना पड़ेगा। पहले जनवरी और फिर मई माह में दीक्षांत समारोह के लिए प्रस्तावित तिथि तय की गई थी, लेकिन दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हो पाया। कोरोना के कारण मई माह में दीक्षांत नहीं हो पाया, लेकिन अब स्थिति सही है। इसलिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को राजभवन से इस पर मार्गदर्शन लेना चाहिए।
बता दें कि पिछले दिनों राजभवन ने दीक्षांत की तैयारी का निर्देश विवि को दिया था। राजभवन से मांगी गई प्रस्तावित तिथि को ले तत्कालीन कुलपति ने अधिकारियों और संकाय अध्यक्षों के साथ बैठक भी की थी। जनवरी माह में 15 से 20 जनवरी के बीच कोई तिथि चयनित कर विवि को भेजने को कहा गया था। उस वक्त विवि ने तैयारी भी पूरी कर ली थी।
18 जनवरी की तिथि दीक्षांत समारोह के लिए मुकर्रर की गई, लेकिन आयोजन नहीं हो पाया। उस वक्त ऑनलाइन कुलाधिपति जुड़ने वाले थे। दीक्षांत के लिए शुल्क ले लिया गया है। परन्तु दीक्षांत समारोह का आयोजन नही होने से विद्यार्थी भी परेशान हैं। पुनः 31 मई को दीक्षांत की तिथि तय होने से खुशी थी, लेकिन स्थिति ऐसी उत्पन्न हो गई कि फिर से सभी मायूस हो गए हैं। अब दीक्षांत कब होगा, इसकी जानकारी के लिए विद्यार्थी भटक रहे थे। लगभग सौ विद्यार्थी सम्मानित होने हैं।
छठे दीक्षांत समारोह में पीजी सत्र 2016-18 और 2017-19, एमएड सत्र 2017-19, एमसीए सत्र 2015-18 व 2016-19 एवं एमबीए सत्र 2016-18 व 2017-19 के टॉपर छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल दिया जाना है। पीएचडी डिग्री वाले शोधार्थियों ने जिहोने एक जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच पीएचडी किया हैं, उन्हें भी डिग्री मिलनी है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबल योजना फेल
आरा : केंद्रीय ऊर्जा मंत्री एवं स्थानीय सांसद राज कुमार सिंह के संसदीय क्षेत्र आरा में सुरक्षित व निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए करीब 20 करोड़ की अंडरग्राउंड केबल योजना शुरुआती दौर में ही फेल हो गई है। कुछ माह पूर्व महज 1.2 किलोमीटर की दूरी में आरा स्टेशन से कतीरा तक इसकी शुरुआत हुई थी। इससे निर्बाध बिजली की बजाय आपूर्ति बार-बार ठप हो जा रही है। सुधा बूथ से कतीरा की तरफ पिछले 17 दिनों से अंडरग्राउंड केबल योजना ठप पड़ी है। फिलहाल पुराने ढर्रे पर ही बिजली की आपूर्ति हो रही है।
जैन कॉलेज के समीप अंडरग्राउंड केबल कटा था। शुरुआती दो-तीन दिनों तक फॉल्ट ढूंढ़ना भी मुश्किल रहा। बाद में फॉल्ट मिला तो कटा केबल जोड़ दिया गया पर अब तक इससे आपूर्ति शुरू नहीं की गयी है। बिजली कंपनी के अधिकारी अंडरग्राउंड केबल सिस्टम शुरू करने के लिए इस उमसभरी गर्मी में बिजली काटने से गुरेज कर रहे। उन्हें आशंका है कि बिजली काटने से लोग आंदोलित हो सकते हैं।
कार्यपालक अभियंता पंकज प्रसून ने बताया कि फिर से केबल सिस्टम जोड़ने के लिए तीन से चार घंटे शट डाउन करना पड़ेगा। फिर एकाएक लोड पड़ने से फ्यूज आदि में तकनीकी गड़बने आने की आशंका है। इससे काफी समय तक बिजली बाधित हो सकती है। लिहाजा केबल जोड़ दिये जाने के बावजूद उससे आपूर्ति शुरू करने के लिए अनुकूल मौसम का इंतजार किया जा रहा है।
शहर के फीडर चार का लोड घटाने व ट्रिपिंग की समस्या कम करने के लिए नई आपूर्ति लाइन बनाई गई है। नई लाइन का अभी नामकरण नहीं किया गया है। नई आपूर्ति लाइन तैयार करने के बाद इसे चालू करने का प्रयास किया गया तो यह नहीं हो पाया। काफी प्रयास के बाद भी चालू नहीं होने पर पता चला कि मिशन स्कूल के पास अंडरग्राउंड केबल कट गया है। लिहाजा नई आपूर्ति लाइन भी अंउरग्राउंड केबल से अभी नहीं जुड़ सकी है। पुराने सिस्टम से ही आपूर्ति हो रही है।
बिजली कंपनी और गैस पाइप लाइन बिछाने वाली कंपनी में सामंजस्य नहीं होने से फिलहाल परेशानी हो रही है। यही वजह है कि बार-बार बिजली का अंडरग्राउंड केबल कट जा रहा है। बिजली कंपनी के परियोजना कार्यपालक अभियंता अमरेंद्र कुमार ने स्वीकार किया कि अब तक कम से कम चार बार केबल कट चूका है| उन्होंने बताया कि आईओसीएल से जुड़ी कंपनी को मौखिक तौर पर कहा गया है कि जब भी कार्य करना है, इसकी सूचना दी जाये ताकि मौके पर अंडरग्राउंड केबल से जुड़े कर्मी मौजूद रहें। वे बता सकेंगे कि यहां केबल बिछा हुआ है। संबंधित कर्मियों का नंबर भी दिया गया है। बावजूद समुचित सूचना नहीं मिलने से अंडरग्राउंड केबल से जुड़े कर्मियों की गैरमौजूदगी में गैस पाइन लाइन बिछाने के दौरान केबल कट जा रहा है।
शहर के भीड़भाड़ इलाकों में अंडरग्राउंड केबल बिछाने की योजना है ताकि वाहनों के आने-जाने से पोल आदि में टकराने या तार गिरने से हादसे कम किये जा सकें। इसके तहत 10 किमी की दूरी में 11 केवी का केबल बिछाना है। इसमें से फिलहाल 4.5 किमी बिछाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। वहीं एलटी केबल 7.5 किमी की दूरी में बिछाना है। इसमें से एक किमी बिछाने का कार्य किया गया है। पहले चरण में स्टेशन से कतीरा तथा दूसरे चरण में पूरबवारी गुमटी से मठिया, हॉस्पिटल होकर जेल तक 2.5 किमी का कार्य पूरा कर लिया गया है। वहीं 315 केवीए के 17 और 200 केवीए के पांच ट्रांसफॉर्मर भी लगाये जाने हैं ताकि लोड सामान्य रहे और केबल फॉल्ट में कमी आ सके। ट्रांसफॉर्मरों में क्रमश: नौ और तीन लगाये गये हैं। हालांकि यह पूरा सिस्टम अभी चालू नहीं हो सका है। पहले चरण के केबल कटने की समस्या ही बनी रह रही है।
शुरुआती दौर में ही महज 1.2 किमी अंडरग्राउंड केबल कटने से शुरू हुई परेशानी कब तक खत्म होगी, यह साफ तौर पर बताने में अफसर भी समर्थ हैं। अभी गैस पाइप लाइन बिछाने के दौरान यह हाल है। समय-समय पर नाले व सड़क आदि का कार्य चलते रहता है। सड़क किनारे लोग कुछ निजी कार्यों हेतु भी गड्ढा खोदते रहते हैं। ऐसे में केबल कटने की समस्या सुलझाना आसान नहीं है। कार्यपालक अभयंता बताते हैं कि बड़े शहरों में मैप के अनुसार सिस्टमेटिक कार्य होता है। यहां ऐसी व्यवस्था नहीं है। नगर निगम के पास भी कोई मैप नहीं है कि कहां और किस तरह का कार्य करना है। लिहाजा केबल नहीं कटेगा, इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती है। उपलब्ध संसाधनों से बेहतर व सुचारू बिजली आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है।
तीसरे दिन बच्चों ने सीखा इम्प्रोवाइजेशन, ग्रुप बनाकर दी प्रतुतियाँ
आरा : मंगलम दी वेन्यू में चल रहे अभिनव एवं ऐक्ट द्वारा आयोजित 20 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के तीसरे दिन रंगकर्मी व निर्देशक रवीन्द्र भारती ने बच्चों को अभिनय के प्रकार बताये। उन्होंने सभी प्रकार के अभिनय को बच्चों को फीलिंग,ऑब्सरबेशन और रिकॉल के बारे में बताया। इन तीनो को कैसे एक व्यक्ति के अंदर विकसित किया जाय और फिर कैसे थियेटर में इसे यूज किया जाय इसको बताया।
युवा रंगकर्मी ओ पी कश्यप ने डिक्शन,अनुशासन, और वॉयस के वैरिएशन के बारे में बताया और उसको विकसित करने के तरीकों के बारे में बताया। तीसरे दिन कार्यशाला में कई अतिथियो का भी आगमन हुआ जिन्होंने बच्चों के बीच अपने जीवन के अनुभव को शेयर किया। विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित मशहूर लोकनर्तक पुनेश पार्थ, लेखक राजेन्द्र शर्मा पुष्कर, मंगलेश तिवारी और रोबोटिक टेक्नोलॉजी पर कार्य करने वाले लव कुमार ने आज नाट्य कार्यशाला में बच्चों के बीच अपने अनुभव शेयर किए. आये सभी अथितियों ने बच्चों के कार्य को सराहा और कहा कि ऐसे कार्यशाला का होना बेहद जरूरी है. ऐसे कार्यशालाओं के जरिये कई नई प्रतिभाओं को निखारा जा सकता है. कार्यशाला का मैनेजमेंट मनोज श्रीवास्तव दिख रहे हैं।
बिहार में कला नीति लागू हो : मोर्चा
आरा : पूरी दुनिया में भोजपुरी संस्कृति के उत्थान के लिए कटिबद्ध भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा के कोर कमेटी की अत्यावश्यक बैठक कल देर शाम संयोजन कार्यालय में आयोजित की गई।बैठक की अध्यक्षता संयोजक भास्कर मिश्र ने की।बैठक में मोर्चा के भविष्य की योजनाओं पर गहन विचार विमर्श किया गया।ततपश्चात चरणवार तरीके से कार्य करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।
भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा ने बिहार सरकार से यह मांग की है कि पड़ोसी राज्य झारखंड और मध्यप्रदेश की तरह बिहार में भी कला नीति बना कर यथाशीघ्र लागू की जाए ताकि कला और कलाकारों का उचित संरक्षण किया जा सके। संगीत और चित्रकला की तरह नाट्य विधा में स्नातक डिग्रीधारियों को भी नियोजित शिक्षकों के रूप में बहाली का अवसर दिया जाये। राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि भोजपुरिया लोगों की सशक्त पहचान भोजपुरी पेंटिंग (लोककलचित्रशैली) का संरक्षण और संवर्धन किया जाये।
साथ ही जिला प्रशासन से इस बात का अनुरोध किया जायेगा कि आरा के सांस्कृतिक भवन और नागरी प्रचारिणी सभा को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाए और न्यूनतम शुल्क पर कलाकारों को उपलब्ध कराया जाए और इसके देखरेख और संचालन की जिम्मेदारी सरकारी पदाधिकारियों के नेतृत्व में संस्कृतिकर्मियों की कमिटि को दी जाए। आरा के वीर कुँवर सिंह मैदान एवं वीर कुँवर सिंह स्टेडियम के मैदान एवं भवन का आधुनिकीकरण और बेहतर रखरखाव किया जाए।
स्टेडियम में खेल के गतिविधियों के अलावा किसी भी अन्य प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाये।क्योंकि इससे खेल मैदान खेलने लायक़ नहीं रह जाता है। साथ ही इसके देखरेख और संचालन की जिम्मेदारी सरकारी पदाधिकारियों के नेतृत्व में खिलाड़ियों की कमिटि को दी जाए।भोजपुर के मुख्यालय आरा में कला दीर्घा का निर्माण किया जाये। धन्यवाद ज्ञापन उपसंयोजक चित्रकार विजय मेहता ने किया। आज की बैठक में कोषाध्यक्ष चित्रकार कमलेश कुंदन, विशेष आमन्त्रित सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मानव और सदस्यों में रंगकर्मी मनोज श्रीवास्तव,संजय नाथ पाल, मनोज कुमार सिंह खिलाड़ी कुमार विजय आदि उपस्थित थे।
भोजपुर में वज्रपात से रिटायर्ड फौजी की मौत
आरा : शाहपुर थानान्तर्गत कनैली गांव के बधार में ठनका गिरने से एक अधेड़ व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक की पहचान कनैली गांव निवासी इन्द्रदेव पाण्डेय के 53 वर्षीय पुत्र धीरेंद्र पांडे के रूप में हुयी है| शव का पोस्टमार्टम आरा सदर अस्पताल में कराया गया|
शाहपुर थानाध्यक्ष नित्यानंद शर्मा ने बताया कि इन्द्रदेव पाण्डेय पाण्डेय आज अपने खेत में काम कर रहे थे तभी तेज गर्जना के साथ ठनका गिरा और उनकी मौत घटनास्थल पर भी हो गई, वही वीरेंद्र पांडे जख्मी हो गए। मृतक धीरेंद्र पांडे पैरामिलिट्री फोर्स से रिटायर हैं| हालांकि आसपास के खेतों में काम करने वाली कुछ औरतों ने ग्रामीणों को पुकारा जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए शाहपुर रेफरल अस्पताल लाया गया। परंतु चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अमरूद तोड़ने को लेकर दो पक्षों में जमकर मारपीट
आरा : भोजपुर जिले के चांदी थानान्तर्गत भदवर गांव में कल रात अमरूद तोड़ने को लेकर दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई। मारपीट में दोनों पक्षों से आठ लोग जख्मी हो गए। सभी को इलाज के लिए आरा सदर अस्पताल लाया गया। जख्मियों में भदवर गांव निवासी एक पक्ष से बृज बिहारी महतो, उनकी पत्नी फुलवंती देवी, पुत्र विकास कुमार, नितेश कुमार एवं पुत्री प्रतिमा कुमारी एवं दूसरे पक्ष से राणा महतो, उनका पुत्र सोनू कुमार एवं पुत्री रजनी कुमार है।
बताया जाता है कि राणा महतो की बेटी रजनी कुमारी दूसरे पक्ष के पेड़ से अमरूद तोड़ रही थी। तभी दूसरे पक्ष के बृज बिहारी महतो की पुत्री प्रतिमा कुमारी ने उसे अमरूद तोड़ने से मना किया। जिसको लेकर दोनों पक्षों में नोकझोंक हुई। जिसके बाद दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए और जमकर मारपीट की। जिसमें दोनों पक्षों से आठ लोग जख्मी हो गये। हालांकि इस मामले में किसी भी पक्ष द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की सूचना नहीं है।
आरा-मुंडेश्वरी धाम रेल लाइन 12 वर्षों बाद भी अधर में
आरा : पुराने शाहाबाद जिले की आरा-मुंडेश्वरी धाम रेल लाइन का निर्माण 12 साल बाद भी अधर में है। 14 दिसंबर, 2008 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने मोहनियां में इसका शिलान्यास किया था। शुरुआती तीन बजट में इसके लिए राशि मिली। इसका फाइनल सर्वे भी हो चुका है पर पिछले कई वर्षों से इसके लिए राशि का प्रावधान नहीं होने से अब तक निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो सका है।
लिहाजा न तो बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती जगदीशपुर के रेल मार्ग से जुड़ने का सपना पूरा हो रहा है और न ही देश के प्राचीनतम मुंडेश्वरी मंदिर तक रेल मार्ग से पहुंचने की इच्छा पूरी हो पा रही है। हाल ही में सासाराम लोकसभा क्षेत्र की उपलब्धियों की सूची से इस परियोजना का नाम हटाने और दिलदारनगर-मुंडेश्वरी रेल लाइन का सर्वे जोड़े जाने के बाद शाहाबाद की जनता आक्रोशित और आंदोलित है। पिछले सप्ताह इसे लेकर आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन निर्माण संघर्ष समिति की ओर से जगदीशपुर में धरना-प्रदर्शन भी किया गया।
आरा के सामाजिक कार्यकर्ता रवि प्रकाश सूरज ने कुछ दिनों पूर्व रेल मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत इस परियोजना के निर्माण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों का जवाब मांगा था। जवाब के अनुसार शिलान्यास वर्ष 2008-09 में 7.50 लाख, 2009-10 में 14.75 लाख और 2011-12 में 11.04 लाख रुपये खर्च हुए। यानी तीन वित्तीय वर्षों में करीब 33.30 लाख रुपये खर्च हुए। इसके बाद कोई राशि खर्च नहीं हुई है।
यह परियोजना मुंडेश्वरी धाम से भभुआ रोड, समहुता, परसथुआ, कोचस, दिनारा, भलुनी, बभनौल, कड़सर, आयर, जगदीशपुर, इसाढ़ी, कौरा और उदवंतनगर होते आरा पहुंचेगी। सात गांवों की भूमि अधिग्रहण के लिए जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, कैमूर के पास एक अक्टूबर, 2008 को फाइल गई थी पर अब तक एक इंच भूमि भी अधिगृहीत नहीं हो सकी है।
12 अगस्त, 2018 को आरा जंक्शन कार्यक्रम में पहुंचे तत्कालीन रेल मंत्री पियूष गोयल के समक्ष शाहाबाद क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सासाराम के सांसद छेदी पासवान ने मंच से इस मसले को उठाया था। रेलमंत्री ने आश्वासन भी दिया। उस वक्त आरा-सासाराम क्षेत्र की उपलब्धियों की पुस्तिका में इसका जिक्र हुआ था। इस बार की उपलब्धि पुस्तिका में इस परियोजना का नाम भी नहीं है। बता दें कि इस बहुप्रतीक्षित योजना की घोषणा देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने की थी और वीर कुंवर सिंह की धरती जगदीशपुर को रेल लाइन से जोड़ने की इच्छा जताई थी।
147 किमी लंबी इस परियोजना का अनुमानित खर्च शिलान्यास के समय 450 करोड़ रुपये था। 2009 में बढ़कर 550 करोड़, 2017 में 1941 करोड़ और अब 2296 करोड़ रुपये हो चुका है। सांसद मनोज तिवारी ने 2018 में इस परियोजना को लेकर संसद में सवाल पूछा था। उस वक्त भी रेल मंत्रालय यह उत्तर देने में असमर्थ रहा कि अब तक इस पर कार्य शुरू क्यों नहीं हुआ और कब शुरू होगा?
शिलान्यास के समय तत्कालीन रेल मंत्री ने घोषणा की थी कि आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन परियोजना अगले पांच वर्षों में वर्ष 2013 के अंत तक पूरी हो जायेगी। इससे रेल मानचित्र पर कैमूर का नाम स्थापित हो जायेगा और विकास का नया द्वार खुलेगा। शिलान्यास के दो साल बाद रेल लाइन के सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ हुआ था। लालू प्रसाद के रेल मंत्री पद से हटने के बाद से ही इस परियोजना पर ग्रहण लग गया। ममता बनर्जी के रेल मंत्री बनने पर इस परियोजना को फायदेमंद न मानते हुए इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में डाल दिया। इसके बाद से ही रेल लाइन निर्माण कार्य शुरू करने के लिए रेल बजट में राशि के प्रावधान के इंतजार की इंतहा हो गई है।
पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर के राजेश कुमार आरा-मुंडेश्वरी रेल लाइन का फाइनल सर्वे हो चुका है। बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान होते ही निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा। लोगों में यह गलतफहमी है कि इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिलदारनगर-मुंडेश्वरी रेल लाइन का सर्वे किया जा रहा है। वह अलग प्रोजेक्ट है। पुरानी परियोजना को बंद नहीं हुयी है।
बच्चों ने जाना यूज ऑफ प्रॉप्स और बॉडी एक्ट के बारे में
आरा : अभिनय एवं ऐक्ट द्वारा आयोजित 20 दिवसीय नाट्य कार्यशाला के चौथे दिन बच्चों ने रंगकर्मी व नाट्य गुरु चन्द्रभूषण पांडेय से तालीम ली. मंगलम दी वेन्यू में बच्चों की कार्यशाला में प्रशिक्षक चंद्रभूषण पांडेय ने बॉडी ऐक्ट की बारीकियों को बताया. उन्होंने बच्चों को बड़ी सहजता के साथ बतलाया कि वे भी उनसे सीखने आये हैं. ये सहजता बच्चों में आत्मबल को बढ़ाने और उनकी झिझकता को दूर करने के लिए उन्होंने अपनायी।
उन्होंने बताया कि फेस एक्सप्रेशन से पहले बॉडी के एक्सप्रेशन की जरूरत होती है और इसके लिए पूरे बॉडी पर एक्टर का कमांड रहना बेहद जरूरी है. उन्होंने कई शारीरिक चाल को प्रैक्टिकल के रूप में कर के दिखाया और फिर यूज ऑफ प्रॉप्स के बारे में बताया। उन्होंने इसके साथ ही तुरन्त 8 तरह के प्रॉप्स का उपयोग करने को बच्चों को दिया। सभी ने प्रॉप्स का उपयोग तरह-तरह से अपनी कल्पना के चरित्रों के साथ उसे फिट कर दिखाया।
चंद्रभूषण पांडेय जिले के ऐसे चर्चित रंगकर्मी हैं जिन्होंने इस शहर को कई अच्छे अभिनेता और निर्देशक दिए हैं. स्कूल के जमाने मे वे राष्ट्रीय हॉकी प्लेयर भी रह चुके हैं. 4 दर्जन से उपर नाट्य कार्यशालाओं में जहाँ वे हजारों बच्चों को प्रशिक्षण दे चुके हैं वही रश्मि-रथी जैसे काव्य के नाट्य रूपांतरण के लिए भी देश मे प्रचलित हैं. वे बेहद सादे और सहज व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं।
उनका मानना है कि थियेटर एक गेम है और इसे अपनी रचनात्मकता से बेहद सुंदर बना दर्शकों को घन्टो बांधा जा सकता है. बेहद प्रैक्टिकल जीवन जीने वाले चंद्रभूषण पांडेय भोजपुर के फरहदा के रहने वाले है और वर्तमान में आरा में रहते हैं. रवीन्द्र भारती, सत्यकाम आनन्द, विष्णु शंकर बेलू, विष्णु प्रसाद, धमेंद्र ठाकुर, आलोक सिंह, शैलेन्द्र सच्चु, और ओ पी पांडेय जैसे कई रंगकर्मी और निर्देशक को इन्होंने प्रशिक्षित किया है।
आज कार्यशाला में अतिथि कलाकारों में चित्रकार रौशन राय, कमलेश कुंदन और कौशलेश कुमार ने बच्चों के बीच शिरकत किया और उन्हे उनके तत्क्षण तैयार सिचुएशन पर प्रॉप्स के साथ अभिनय के लिए सराहा. साथ ही उनकी गलतियों को भी उनके समक्ष रखा ताकि उसमें सुधार आये और हीरे की चमक की तरह वे चमक जिले का नाम रौशन करे. कार्यशाला के संयोजक ओ पी पांडेय हैं तथा मैनेजमेंट मनोज श्रीवास्तव देख रहे हैं।
राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट