लदनियां प्रखंड में मुख्य सड़क एनएच-227 निर्माण से यातायात हुआ सुगम
मधुबनी : सड़क निर्माण से सड़क किनारे गांव और गांव की सड़कें बरसात के पानी से जलमग्न हो गया है। लदनिया प्रखंड के पद्मा पंचायत के योगिया गांव निवासी विनोद सिंह, अजीत सिंह, संतोष कुमार शर्मा, कमलेश सिंह, दुर्गेश कुमार, आनंद कुमार एवं रंजीत सिंह समेत दर्जनों ग्रामीणों ने गांव स्थित एनएच के बगल से नाला निर्माण को लेकर ग्रामीणों द्वारा हस्ताक्षर युक्त आवेदन राष्ट्रीय उच्च पथ प्रमंडल सितामढी के कार्यपालक अभियंता, मधुबनी जिला पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को आवेदन देकर अविलंब निदान की मांग की है।
ग्रामीणों ने बताया कि जयनगर-लदनियां एनएच-227 निर्माण कार्य से निर्माण ऐजेंसी के द्वारा सड़क निर्माण से पूर्व उचांई कर दिया गया। सङक के उचांई होने के कारण सङक किनारे बसे गांव और गांव में जाने वाली सङकें नीचा होने के कारण बरसात होने पर लोगों के घरों में बरसात का पानी प्रवेश कर गया है। जबकि गांव में प्रवेश करने वाली सभी पीसीसी सङकें पानी में डूब गई है।
जिस से लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि आवागमन में लोगों को भारी परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि योगिया गांव स्थित एनएच के बगल से पूर्व में नाला का निर्माण था, जिसे निर्माण ऐजेंसी के द्वारा बंद कर दिया गया है। एनएच विभाग और निर्माण ऐजेंसी जल निकासी के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पायी है। ग्रामीणों ने उक्त स्थानों पर अविलंब नाला निर्माण की मांग की है।
चक्रवाती तूफान ‘यास’ का दिखने लगा बुरा असर, शहर का एक तीनमंजिला इमारत महज 10सेकंड में हुआ जमींदोज
मधुबनी : शहर के भौवरा में वार्ड नंबर-29 के अशोक महासेठ का घर चक्रवाती तूफान एवं भारी बारिश के वजह से महज केवल 10 सेकेंड में धराशाई हो गया। मकान में चिरक्का आने की वजह से गृहस्वामी अपने पूरे परिवार के साथ घर से बाहर निकल चुके थे, और देखेत ही देखते ही 10 सेकेंड के अंदर मकान धराशाई हो गई और घर के सभी सदस्य बाल-बाल बचे।
इस बाबत वार्ड पार्षद हलीमा खातून के पुत्र एजाज खान ने जानकारी देते हुए बताया कि चक्रवाती तूफान ‘यास’ के असर काफी डरा रहे हैं। एक तो शहर बारिश और भरे नाले के कारण नरक से हो गया है, मुख्य सड़कों को छोड़ लगभग सभी गली, कॉलोनियों में पानी लबालब भरा हुआ है। ऐसे में हमारे वार्ड में महासेठी पिक्चर के समीप अशोक महासेठ का मकान बारिश में ढह गया है।
गनीमत ये रही कि मकान में जब चरक्का लगा तब बाहर से कुछ राहगीरों ने आवाज देकर घर के मालिक को बताया और समय रहते वो सभी लोग सकुशल घर से बाहर आ गये। हालांकि मकान धराशायी हो गया, जिसमें लाखों रूपये की संपत्ति बर्बाद हो गयी, पर किसी के जान की नुकसान नही हुई। हालांकि बिहार सरकार और जिला प्रशासन ने इस चक्रवाती तूफान से हुए नुकसान का सर्वे कर जिओ टैग करने का दिशा-निर्देश अंचल अधिकारियों को पहले ही दे रखा हुआ है।
कमला नदी पर बने पुल के ऊपर सफाई नही होने से जल-जमाव, लोगों ने कहा जल संसाधन बिभाग की है लापरवाही
मधुबनी : जिला के जयनगर में कमला पुल के ऊपर सड़क पर बारिश होने से जल-जमाव हमेशा लगा रहता है, क्योंकि कई वर्षों से पुल पर पानी निकासी के लिए बने बिल बालू से बंद हैं।साफ-सफाई नही के बराबर होता है। इसी को लेकर लोगों में कमला नगर प्रमंडल विभाग के अधिकारी और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर काफी आक्रोश है।
पुल के ऊपर सड़क पर पानी लगने से आने-जाने वाले राहगीर को काफी परेशानी होती है। जब हमारे संवाददाता ने इसी को लेकर आस-पास के नागरिक और राहगीरों से बातचीत की तो पता चला कई वर्षों से पानी निकासी के लिए जो बिल बना हुआ है। उसका साफ-सफाई नही होता है। इसलिए जल-जमाव होता है।
इस मौके पर मोहम्मद समीर, बबलू कुमार, रंजन कुमार, सोहन कुमार का कहना है कि हमलोगों को इस जल-जमाव से काफी परेशानी होती है। अतः सरकार से मांग करते की जयनगर के लाइफलाइन कहे जाने वाले कमलापुल के ऊपर सड़क पर पानी निकासी के लिए बने बिल की साफ-सफाई जल्द से जल्द हो, जिससे लोगों की परेशानी न हो।
लगातार हो रही बारिश से कमला नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी, मौसमी फसलों का हुआ नुकसान
मधुबनी : पिछले दो दिनों से चक्रवाती तूफान यास के कारण लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश से कमला नदी के जल स्तर पर वृद्धि हुई है। नदी में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। दो दिन से जयनगर सहित नेपाल के कई इलाकों में बारिश भी हुई। जलस्तर में हल्की बढ़ोतरी देखने को मिली है। नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण बेला, बलुआटोल, खैरामाट समेत दर्जनों गांव के किसान परेशान हैं। उन्हें आशंका है कि बारिश इसी रफ्तार से हुई तो खेतों में लगी सब्जी बर्बाद ना हो जाए। हालांकि मौसमी फसलों का पहले ही नुकसान हो गया है।
हालांकि कमला नदी का जलस्तर अभी खतरे के निशान से बहुत नीचे है। चिंता की कोई बात नहीं है। यदि और बारिश हुई तो बाढ़ जैसे की स्थिति बनेगी। लेकिन कमला नदी के तटीय इलाके में तरबूजा, खीरा, झुमनी, घिवरा की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान होने की संभावना है। यास को लेकर जयनगर प्रखंड में प्रशासन अलर्ट पर है। नदी में अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है, थोड़ी सी जलस्तर में वृद्धि हुई है। इस बाबत जानकारी देते हुए अंचल अधिकारी ने बताया कि किसी आशंका के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह तैयार है।
कोविड संक्रमित मरीजों के आरटीपीसीआर जांच के लिए सैम्पल बाहर नहीं भेजना होगा, लैब चालू हुआ जिले में
मधुबनी : कोरोना के बढ़ते मामलो के बीच एक राहत दिलाने वाली खबर है। जल्द ही जिले में रियल टाइम पेरीमिरेज चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) जांच होने लगेगी। जिला मुख्यालय के रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल इंस्टिट्यूट में आरटीपीसीआर लैब स्थापित किया गया है। जिसके लिए मशीन अधिष्ठापित कर दी गई है। बीएमएसआईसीएल द्वारा लैब की आधारभूत संरचना तैयार की जा रही है।
उम्मीद जताई जा रही है कि 10 से 15 दिनों में लैब से जांच शुरू हो जाएगी। कोरोना से लड़ाई जीतने के लिए सरकार द्वारा अब जिला स्तर पर ही कोरोना की अंतिम जांच की व्यवस्था की जा रही है। जिले में आरटीपीसीआर जांच सुविधा शुरू होने के बाद किसी भी प्रकार के सैंपल को परीक्षण के लिए मधुबनी मेडिकल कॉलेज तथा आरएमआई पटना नहीं भेजना पड़ेगा। वर्तमान में जिले के सरकारी संस्थानों में एंटीजन और ट्रूनाट जांच ही हो रही है।
लैब मैं जांच शुरू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। जल्द ही जिले में ही जांच की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। वहीं सदर अस्पताल में पीएम केयर्स फंड से 1000 लीटर/मिनट क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया है। जिसके लिए स्थल चयन कर सिविल सर्जन द्वारा डीएम को भेजा गया है।
रिपोर्ट मिलने में होगी सहूलियत-
आरटी-पीसीआर मशीन लग जाने के बाद अब जांच रिपोर्ट के लिए लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान में आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। यहां लैब स्थापित हो जाने के बाद तीन से चार घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी। सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि आरटीपीसीआर जांच कोरोना की अंतिम जांच होती है। इसमें आने वाली रिपोर्ट को ही सबसे बेहतर माना जाता है।
एंटीजन की निगेटिव रिपोर्ट की होती है क्रास चेकिंग :
एंटीजन किट से जांच में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद लक्षण वाले मरीजों के कन्फर्मेशन के लिए आरटीपीसीआर जांच कराई जाती है। जिले में ही इसकी सुविधा हो जाएगी तो लोगों को राहत मिलेगी। वर्तमान में ट्रूनाट और एंटीजन किट से जांच कराने के बाद लोग बाहर घूमते रहते हैं। अगर तीन से चार दिन बाद आरटीपीसीआर की जांच में रिपोर्ट पाजिटिव आती है तो आइसोलेट होते हैं। इस कारण कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
सदर अस्पताल में 1000/मिनट लीटर क्षमता का लगेगा ऑक्सीजन प्लांट:
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच देश ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रहा है। ऑक्सीजन की कमी से टूट रही सांसों की डोर को बचाने के लिए सरकार ने जिले में पीएम केयर्स फंड से 1000/मिनट लीटर क्षमता वाले ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने का निर्णय लिया है जिसके लिए सदर अस्पताल में दवा भंडार तथा आई वार्ड के बीच में स्थल भी चयन कर लिया गया है। जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित करने के पीछे मूल उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि जिले की दिन-प्रतिदिन मेडिकल ऑक्सीजन जरूरतों को पूरा करना है। यह सुनिश्चित करना कि जिलों के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक किसी भी तरह के व्यवधान का सामना न करना पड़े।
सुमित कुमार की रिपोर्ट