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25 मई : मधुबनी की मुख्य खबरें

ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन के द्वारा हुआ विरोध-प्रदर्शन, केंद्र-सरकार से रखी गयी मांग

मधुबनी : ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाइज यूनियन के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार से निम्नलिखित मांग रखी गयी :-
1). सभी रेल-कर्मचारी को कोरोना-योद्धा माना जाए।
2). रेलकर्मी को 50 लाख बीमा कवरेज दिया जाए।
3). एनपीएस हटाकर ओपीएस लागू किया जाए।
4). रेलवे का निजीकरण बन्द हो।
5). महंगाई भत्ते की सभी किस्तें तुरंत लागू हो।
6). रात्रि ड्यूटी भत्ता पर से वेतन की सीलिंग हटाई जाए।
7). मार्च-2020 के बाद के मृतक रेल कर्मचारी के परिवार को 50 लाख एक्स-ग्रेसिया का भुगतान किया जाए।

उक्त कार्यक्रम रत्नेश वर्मा, जोनल जॉइंट सेक्रेटरी के नेतृत्व में रेलवे कर्मचारियों के समुह द्वारा विरोध-प्रदर्शन करते हुए नारेवाजी की गई। इस सभा को संबोधित करते हुए रत्नेश वर्मा(जोनल जॉइंट सेक्रेटरी) ने कहा कि कई रेलकर्मी संक्रमित हुए कइयों की मौत भी हो गई है। अतः कोरोना महामारी में जान जोखिम में डालकर लगातार कार्य मे डटे रेलकर्मी को कोरोना योद्धा घोषित करके 50 लाख का बीमा दिया जाना चाहिए, साथ ही हमारी अन्य मांगों को भी सरकार अविलंब पूरा करे। इस मौके पर दर्जनों रेल कर्मचारियों ने कोरोना प्रोटोकॉल के तहत विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया।

कोविड-19 टीकाकरण केंद्र पर उड़ रही सोशल डिस्टेंस की जम कर धज्जियां, पीएचसी के पदाधिकारी जानबूझ कर मौन

मधुबनी : जिले के बिस्फी प्रखंड मुख्यालय की बिहार सरकार भवन में कोरोना महामारी के कोविड-19 वैक्सीन टीकाकरण का केंद्र बनाया गया है, जहां काफी उत्साह में लोग दूर-दूर से टीकाकरण लेने पहुंच रहे हैं। जानकारी के मुताबिक समाचार लिखे जाने तक 210 लोगों को टीका दिया गया। जिस दौरान कोविड-19 वैक्सीन सेंटर पर पीएचसी चिकित्सा पदाधिकारी एवं डॉक्टरों की काफी लापरवाही के कारण टीकाकरण केंद्र पर जम कर सोशल डिस्टेंस का धज्जियां उड़ाते देखे गए।

टीकाकरण केंद्र पर विधि व्यवस्था काफी लिचर देखे गए हैं। स्वास्थ्य विभाग कर्मियों के द्वारा लोगो के साथ मिलकर खूब सोशल डिस्टेंस का धज्जियां उड़ाई जा रही है। हालांकि इस महामारी काल में प्रखंड क्षेत्र के कई ऐसी पंचायत है, जहां कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस स्थिति में कोविड-19 केंद्र पर इतनी भीड़ कोरोना को न्योता दे रही है, और पीएससी स्वास्थ्य विभाग के कर्मी चुप चाप देख जानबूझकर मौन हैं। वही नर्सो के द्वारा टीका भी दी जाती हैं, पर शायद उनको कोविड-19 वैक्सीन देने से अलावा सोशल डिस्टेंसिनग का ध्यान ही नही आ रहा हो।

बिस्फी स्वास्थ्य विभाग की खुली पोल, लोगो ने पीएचसी प्रभारी के विरुद्ध किया विरोध प्रदर्शन, पीएचसी में नही थे एक भी डॉक्टर उपस्थित

मधुबनी : जिले के बिस्फी प्रखंड मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की इस्थित बद से बदतर है। इस कोरोना महामारी काल में भी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कुम्भकर्णी नींद में सोने की बात लोगो द्वारा बताया गया। कल ही बांका गांव निवासी मो० साबिर को एक जहरीला सर्प डँस लिया, जिसे लोगो द्वारा पीएचसी लगाया गया। जहाँ घण्टो प्रतीक्षा किये जाने के बाद भी न तो कोई एक डॉक्टर आया, न तो कंपाउंडर नजर आया। इधर मरीज के परिजन परेशान बना हुवा था।

वहीं मो० तबरेज, मो० सिवली, सरोज कुमार, मो० राशिद, मो० जासुउद्दीन मो० टूम्मी, मो० छोटे सहित अन्य लोगो ने बताया कि घण्टो बीत जाने के बाद नर्स द्वारा हम लोगो से बाहर की दुकान से इंजेकशन लाने को कहा गया, बाहर से इंजेक्शन लाने के बाद मरीज को इंजेक्शन लगाया गया। हालांकि इस बाबत में पीएचसी प्रभारी को सुचना देने के लिए सरकारी नंबर पर फोन भी किया गया, लेकिन कुम्भकर्णी नींद में दस बजे तक सोये प्रभारी के द्वारा एक बार भी फोन नही उठाया गया, जिससे आक्रोशित लोगो ने स्वास्थ्य विभाग एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के लापरवाही एवं मनमानी के खिलाफ पीएचसी में आज विरोध-प्रदर्शन किया गया।

इस दौरान भाजपा के बिस्फी मंडल अध्यक्ष रामसकल यादव ने कहा कि पीएचसी की यह दुर्भाग्य हैं, जो चिकित्सा पदाधिकारी का इस तरह का रैबैया हैं और इस बात में कोई शक नही है कि बिस्फी के पीएचसी प्रभारी मनमानी नही करते हैं। उन्होंने साफ लब्जो में कहा की पीएचसी प्रभारी द्वारा मनमानी और लापरवाही किया जाता हैं, और सामाजिक लोगो से कोसो दूर है तथा इस पदाधिकारी में कूट कूट कर घमंड भड़ा हुवा हैं।

पीएचसी की इस्थित इतनी दयनीय है कि इमरजेंसी मरीज को कोई देखने वाला नही हैं। लोग भगवान भरोसे यह अस्पताल चल रही हैं दयनीय इस्थित को देख मरीज की परिजन या आम लोगो द्वारा अगर आवाज उठाया जाता है, तो तानाशाह की तरह उलटे कार्रवाई कर दी जाती है, तथा डॉक्टर एवं कंपाउंडर का कार्य नर्स द्वारा की जाती हैं। बहुत जल्द इस पर ठोस कदम उठाई जायेगी। वहीं इस बाबत में बेनीपट्टी एसडीओ को अवगत कराया गया, तो उनके द्वारा बताया गया मामला संज्ञान में आया है तो जाँच कर कार्रवाई की जायेगी।

मधुबनी में यास का पड़ा असर, एक तो लॉक डाउन दूसरा ये तूफान कर रहा जीवन प्रभावित

मधुबनी : मिथिलांचल में बंगाल की खाड़ी से उठने वाले यास तूफान का प्रभाव सुबह 06बजे से काफी बादल की गर्जन के साथ तेज हवा एवं बारिश चली, जिससे लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल पड़ा है। लेकिन अभी तक स्थानीय प्रशासन के द्वारा कहीं हताहत होने की खबर की पुष्टि नहीं हुई है।

लोग सभी अपने घरों में दुबके पड़े हैं, जबकि यास तूफान का झलक कल से ही दिखाई दे रहा था। रात होते-होते बादल घनघोर घटा का रूप धारण कर लिया था। कुछ किसानों ने खेतों में धान की बीज वो दी थी, जो पानी के जलजमाव से डूब गई है। एक तरफ कोविड-19 की मार दूसरी तरफ यास तूफान की कहर से स्थानीय लोगों ने चिंता का संशय बना हुआ है।

काफी जगहों से मिथिलांचल के इलाके के परिवार रह रहे बंगाल में उड़ीसा असम में आंध्र प्रदेश में और झारखंड में रहने वाले परिजनों का दूरभाष पर जिज्ञासा ले रही है। मिथिलांचल में भी रात से बिजली गुल हो रही है। मिथिलांचल के छोटे-छोटे नदियां उफान में आ गई है। कुछ ऐसे मजदूर वर्ग के लोग हैं जो दैनिक भत्ता पर अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाते थे। उनका भी आस कहीं यह चक्रवात ने भूख की नींद सुलाने की तैयारी कर दी है। सड़क की हालात कई जगहों पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है, लोगों का परिचालन भी बाधित हो रही है। अब देखना यह है कि सरकार कितने हद तक इस समस्या से लोगों को निजात दिला पा रही है।

लेकिन प्रशासनिक महक के द्वारा सभी को 24 मई को ही अलर्ट कर दिया गया था। फिर भी लोगों के अंदर यह भाई बनी हुई है, की अब क्या होगा? एक तरफ जहां कोविड-19 की कहर, वहीं दूसरी तरफ यास चक्रवात से प्रभावित मिथिलांचल भयभीत है। कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए आवास का निर्माण का कार्य छत तक चला गया है, लेकिन आवास सहायक के नजर अंदाज में लापरवाही के कारण छत से बिना छत के अंदर अब जीवन बिताना मुश्किल पड़ गया है, कि कब तक यह मार झेलनी पड़ेगी?

अब कोविड टीकाकरण के लिए 18 से 44 साल वाले करा सकेंगे ऑनसाइट रजिस्ट्रेशन, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिलेगी सुविधा

मधुबनी : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीनेशन को लेकर बदलाव किया है। अब 18 से 44 साल के लोग बिना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविन पोर्टल पर 18 से 44 साल के लिए ऑन साइट रजिस्ट्रेशन व अपॉइंटमेंट शुरू कर दिया है। ये सुविधा वर्तमान में केवल सरकारी कोविड टीकाकरण केंद्रों के लिए ही है। ऐसे में अब सरकार ने 18 से 44 साल की आयु के लोगों के लिए ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट की सुविधा देने का फैसला लिया है।

हालांकि यह सुविधा सिर्फ सरकारी कोविड वैक्सीनेशन केंद्रों पर ही होगी। फिलहाल यह सुविधा निजी वैक्सीनेशन केंद्रों पर नहीं मिलेगी। प्राइवेट संस्थानों में टीकाकरण के लिए अब भी पहले से ही ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुकिंग करानी होगी। इस तरह पहले से बुकिंग के बिना भी अब सीधे ऑनसाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए टीका लगवा सकेंगे।टीकाकरण केंद्रों पर भीड़भाड़ से बचने के लिए 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए ऑन-साइट रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट शुरू करते समय अत्यधिक सावधानी बरती जानी चाहिए क्योंकि ऐसे में भीड़ होने की संभावना है।

वैक्सीन के बर्बादी पर लगेगी रोक, बिना रजिस्ट्रेशन वाले को दिया जायेगा डोज :

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पूरी तरह से प्रक्रिया ऑनलाइन किए जाने के चलते दिन के अंत में कई बार वैक्सीन बर्बाद होने की नौबत आ जाती है। इसकी वजह यह है कि ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने के बाद भी लोग वैक्सीन के लिए नहीं पहुंचते हैं। ऐसे में बिना रजिस्ट्रेशन वाले लोगों को भी मौके पर ही टीका लगाने की सुविधा से वैक्सीन की बर्बादी कम हो सकेगी। सरकार की ओर से भले ही एक मोबाइल नंबर से 4 लोगों के ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने की सुविधा दी गई है।

मोबाइल इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करने वालों को वैक्सीन का लाभ :

इस समय कोविन के जरिए एक मोबाइल नंबर पर चार लोगों का वैक्सीन के लिए पंजीकरण किया जा सकता है। पंजीकरण सुविधा आरोग्य सेतु, उमंग तथा काॅमन सर्विस सेंटर इत्यादि के जरिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा मिल रही है। जो लोग वैक्सीन के लिए इंटरनेट या मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए ऑनसाइट सुविधा से लाभ ले सकेंगे।

भाकपा(माले) के जिला कार्यालय में माले कार्यकर्ताओं ने मनाया नक्सलबाड़ी दिवस, 25 मई 1967 से बर्ष 2021 तक का 54 बर्षो का सफर

मधुबनी : मालेनगर अबस्थित भाकपा-माले के जिला कार्यालय में नक्सलबाड़ी दिवस को माले कार्यकर्ताओं ने मनाया। नक्सलबाड़ी आंदोलन के शहिदों को श्रद्धांजलि देते हुए बिनाशकारी मोदी सरकार और कोविड नरसंहार के खिलाफ लड़ाई में नक्सलबाड़ी की क्रांतिकारी भावना को बूलंद करने का संकल्प लिया।

इस मौके पर माले नेता बिशंम्भर कामत की अध्यक्षता में संचालित नक्सलबाड़ी दिवस को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव ध्रुब नारायण कर्ण ने कहा कि 1967 में कांग्रेसी कुशासन में जनता का संकट चरम पर चला गया था, और सरकार बेनकाब हो गई थी।

जनता कांग्रेसी शासन से उब गई थी। ऐसे ही समय में नक्सलबाड़ी से शुरू हुआ आंदोलन बशंत का बज्रनाद बनकर समूचे देश में आशा का संचार किया और देखते ही देखते गरीब व बंचित जनता के बीच संपूर्ण भारत में फैल गया। जनता का स्वार्थ ही पार्टी का स्वार्थ है, नक्सलबाड़ी आंदोलन की उद्घोषणा बन कर उभरी। शासक वर्ग के भयंकर दमन का मुकाबला करते हुए कामरेड चारु मजूमदार की अगुवाई में भाकपा(माले) का गठन 22 अप्रैल 1969 को हुआ। इसके प्रथम व संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार चुने गए। माले को ध्वस्त करने के लिए शासक समूहों ने नृशंस दमन ढाया। इसके बाबजूद माले का कारवां उतार चढ़ाव से गुजरते हुए आगे बढ़ते चला गया, जो लगातार अब बढ़ते जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि आज 2021 में भी जनता का संकट चरम पर है। कोविड महामारी ने लाखों भारतीयों का जान ले लिया है, और यह बास्तव में बिनाशकारी मोदी सरकार के निती और लापरवाही से लाखों लाख लोगों का नर संहार हो रहा है। अब मोदी सरकार का नर संहारी कुशासन बेनकाब हो गया है। जनता इसके खिलाफ खासकर कोविड नरसंहार, देश बेचू और साम्प्रदायिक फासीवादी कार्यशैली के खिलाफ खड़ा हो गया है। ऐसे जन संहारी निजाम से मुक्ति चाहती है। ऐसे समय में नक्सलबाड़ी आंदोलन की क्रांतिकारी भावना को बूलंद व मजबूत करने और संकट में पड़ी जनता की सेवा करने एवं उसके आंदोलनों की अगुवाई करने का संकल्प लेना है।

नक्सलबाड़ी दिवस को किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, रहिका प्रखंड माले सचिव अनिल कुमार सिंह, राजनगर प्रखंड माले सचिव दानी लाल यादव ने संबोधित किया। जबकि माले कार्यकर्ता राम नारायण ठाकुर, शैनी साह, जय नारायण साह, शंभू साह, संजय यादव, चौठी साह सहित एक दर्जन कामरेडों ने भाग लिया।

मधुबनी में वाँक इन इंटरव्यू मे आये चिकित्सको ने उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां

मधुबनी : जिला मे कोरोना जाँच के लिए पहुंचे चिकित्सको ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी। भीड़ को नियंत्रण करने के लिए पुलिस को हल्ज बल प्रयोग भी किया। यह सभी चिकित्सक वाक इन इंटरव्यू मे शमिल होने आये थे।इस दौरान इनसे कोरोना जाँच की निगेटिव रिपोर्ट मांगी गई, जिसका पहले से कोई जिक्र नही था।

जैसे ही चिकित्सको को पता चला की वाक इन इंटरव्यू मे कोरोना जाँच की निगेटिव रिपोर्ट देनी है, जिसका पहले से कुछ पता नही था अफरातफरी मच गई। इसके बाद चिकित्सको मे कोरोना जाँच कराने को लेकर एकाएक भीड़ बढ़ गई। अचानक जुटी इस भीड़ के कारण टेस्ट काउंटर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

ज्ञात हो कि मधुबनी मे तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर चिकित्सको की वैकेंसी निकाली गई है, जिसके लिए दो हजार के करीब अभ्यर्थी जुट गये। इसमे महिला अभ्यर्थी भी शमिल थे। अभ्यर्थी चिकित्सको ने बताया कि जब वाक इन इंटरव्यू के लिए वैकेंसी निकाली गई थी, तब साथ मे कोबिड निगेटिव की रिपोर्ट के बारे मे कुछ नही कहा गया था।

जब हम लोग इंटरव्यू के लिए यहाँ आये तो हमसे कोरोना जाँच की रिपोर्ट मांगी गई, तब हमलोगो को जाँच के लिए नंबर लगाना पड़ा, लेकिन जाँच के लिए पर्याप्त व्यवस्था नही रहने के कारण हमलोग करीब तीन घंटे धूप मे परेशान रहे। यदि कोरोना जाँच की बात पहले ही बता दी होती तो ऐसी दिक्कत नही होती।

डीसीएचसी में 25 बेड में पाइपलाइन के जरिये मरीजों को उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन

मधुबनी : कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों की संख्या में हर दिन बढ़ाेतरी हो रही है। वहीं, कुछ मरीजों को ऑक्सीजन की कमी होने की भी परेशानी आ रही है। मधुबनी रामपट्टी में बने डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में 25 बेडों पर ऑक्सीजन की आपूर्ति पाइल लाइन के जरिये शुरू कर दी गई है। कोरोना के गंभीर मरीजों को इसका लाभ भी मिलना शुरू हो गया है।

गौरतलब है की डीसीएचसी में 50 बेडों के लिये ऑक्सीजन की पाइपलाइन बिछाई गई है, जिसमें फिलहाल 25 बेड पर ही यह सुविधा शुरू हो पाई है। डीसीएचसी में तीन शिफ्ट में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी होने के कारण परेशानी के बावजूद चिकित्सक अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। विदित हो कि जिले में कोरोना के गंभीर मरीजों को डीसीएचसी में भर्ती किया जाता है। यहां हर दिन संक्रमित मरीजों को जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन सिलिंडर के जरिये ऑक्सीजन मुहैया कराया जा रही है।

डीसीएचसी में 51 मरीज भर्ती :

जिले के रामपट्टी स्थित डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में कोरोना के 51 गंभीर मरीज भर्ती हैं जिसमें 44 मरीज ऑक्सीजन पर तथा 4 मरीज ऑक्सीजन बाईपास यानी मिनी वेंटिलेटर पर हैं तथा 3 मरीज सामान्य स्थिति में भर्ती हैं । वही सीसीसी कोविड केयर सेंटर में 14 कोरोना से संक्रमित मरीज भर्ती हैं।

मेडिकल कचरा का उचित प्रबंधन किया जाता है डीसीएचसी में :

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया डीसीएचसी में कोविड मरीजों के इलाज में निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण विशिष्ट ढंग से किया जाता है। जिससे संक्रमण के फैलाव की सम्भावना ना के बराबर होती है। डीसीएचसी में चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट, मास्क, ग्लव्स व अन्य सामग्री को डस्टबीन रखा जाता है।

स्वास्थ्य प्रबंधन की ओर से बायो वेस्ट उठाने वाली मेडिकेयर इनवायरमेंटल मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड मुजफ्फरपुर एजेंसी द्वारा कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग किए गए मेडिकल वेस्टेज उठाव के लिए करार किया गया है। कोविड-19 से जुडे वेस्ट को डबल पन्नी में रखा जाता है। इसमें पीले रंग की पन्नी में रखकर उसको डबल किया जाना है। उसके बाद उसे एजेंसी की गाड़ी उठाव कर सावधानीपूर्वक ले जाती है। जहां पर उस वेस्ट को सीधे इंसीनेटर में रखकर नष्ट किया जाना है।

सुमित कुमार की रिपोर्ट