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22 मई : आरा की मुख्य खबरें

आरा के सुनीलम हॉस्पिटल ने वसूले दावाओं के तिगुने दाम

आरा : बिहार में कोरोना महामारी के बीच आरा के एक निजी अस्पताल में ब्लैक मार्केटिंग का खुलासा हुआ है। जज कोठी मोड़ के पास स्थित सुनीलम हॉस्पिटल पर बड़े पैमाने पर दवाओं की कालाबाजारी के आरोप लगे हैं| मरीजों को दोगने-तिगुने दामों पर दवाइयां बेची जा रही है।

आरा के सुनीलम हॉस्पिटल में कोरोना का इलाज कराने गए भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खनिता गांव के रहने वाले सूर्यदेव उपाध्याय के परिजनों ने कालाबाजारी की शिकायत की है। सूर्यदेव उपाध्याय कोरोना से संक्रमित थे। उनके बेटे राहुल कुमार उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि सुनीलम हॉस्पिटल में दवाई और इंजेक्शन के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में दोगुने-तिगुने दाम में इंजेक्शन बेचा जा रहा है। पूछने पर अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि कि उन्होंने भी ब्लैक में खरीदा है इसलिए अधिक दाम में बेच रहे हैं। मेरी टीम पटना और अन्य जगहों से ब्लैक में दवाइयों की खरीद-बिक्री करती है।

सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक कुमार द्विवेदी ने सुनीलम हॉस्पिटल से दी गयी कच्ची और पक्की रसीद दिखाई। दवाई की रसीद में अस्पताल के काले कारनामे का सबूत है। कम्प्यूटराइज्ड बिल और कच्चे बिल, दोनों में इंजेक्शन के दाम को ढाई गुना से ज्यादा जोड़ा गया है। अस्पताल ने 585 रुपये प्रिंट वाले Enoxaparin 0.6 इंजेक्शन को डेढ़ हजार रुपए में बेचा है। अभिषेक द्विवेदी का आरोप है कि 600-700 में बिकने वाले Mero 1g इंजेक्शन को सुनीलम हॉस्पिटल ने 4 हजार 318 रुपए में बेचा है। इसका उन्होंने सबूत भी पेश किया है। उन्होंने इस अस्पताल पर कार्रवाई करने की मांग की है।

सुनीलम हॉस्पिटल अस्पताल के प्रबंधक डॉ सुनील कुमार ने कहा कि मार्केट से दवाई आउट ऑफ स्टॉक हो गयी थी। इसलिए ब्लैक में किसी से दवाई खरीदी। हमको बिल्कुल भी याद नहीं है कि किससे, किस दिन और किस तारीख को ब्लैक में दवाई खरीदी गयी थी। हालांकि डॉ सुनील कुमार ने स्वीकार किया कि आरा से पटना तक फैले दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग में वह और उनकी टीम शामिल है। अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान बचाने के लिए दवा दी जाती है और काफी महंगी और ऊंचे दामों में वह खुद इन दवाइयों को खरीदते हैं।

डॉ सुनील कुमार ने बताया कि पटना में रहने वाले एक एजेंट के माध्यम से इन दवाइयों को ब्लैक में मंगवाया था। उसी ब्रोकर के जरिए इस दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग करते हैं। पटना के जीएम रोड में ये एजेंट रहते हैं, जिनके माध्यम से डॉ सुनील कुमार अवैध तरीके से दवाइयों की खरीद-बिक्री करते हैं। दवाइयां स्टॉक में नहीं रहती हैं, तो एजेंट के माध्यम से दवा मंगाई जाती है। डॉ सुनील कुमार का कहना है कि जीएम रोड में ऐसे कई सारे ब्रोकर हैं, जिनके संपर्क में इनकी टीम रहती है, जो आरा सुनीलम हॉस्पिटल में दवाइयां पहुंचाती है।

डॉ सुनील ने बताया कि जो लोग ये दवाइयों की कालाबाजारी करते हैं, उनका चेहरा, नाम, पता या संपर्क नंबर कुछ याद नहीं है। डॉ सुनील को बस इतना याद है कि उन्होंने किसी को भेजकर ब्लैक में दवाई मंगाई थी। उन्होंने कहा कि जब कोरोना पीक पर था तो पंद्रह दिन पहले उन्होंने दवाई मंगाई थी| मरीजों की जान बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है। कहीं से भी दवा मांगकर मरीज की जान बचाना चाहते हैं। ये बात कहना गलत है कि हम ज्यादा पैसे ले रहे हैं।

भोजपुर डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि सुनीलम हॉस्पिटल के बारे में उन्हें भी शिकायत मिली है। इसके लिए उन्होंने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है। डायरेक्टर इंजेक्शन की कीमत और मरीज को जितने में दवाई बेची गई, उसकी जांच करेंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद सुनीलम हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा। कोरोना महामारी में इस तरह की लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी और मरीजों के खून चूसने वाले अस्प्ताल के निबंधन को रद्द करते हुए डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

डीएम ने आरा के सिविल सर्जन के नेतृत्व में भी एक टीम बनाई है। ये टीम सुनीलम अस्पताल से जुड़े मामलों की डिटेल रिपोर्ट सौंपेगी। आरा सदर अनुमंडल पदाधिकारी आईएएस वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि सुनीलम हॉस्पिटल में कालाबाजरी का मामला उनके भी संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा कि अभिषेक द्विवेदी की ओर से ईमेल के माध्यम से उन्हें सारी जानकारी और उपयुक्त डाक्यूमेंट उपलब्ध कराये गए हैं. जांच जारी है. आरा सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को भी इस मामले के बारे में बताया गया है।

गौरतलब हो कि भोजपुर जिला प्रशासन की ओर से निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए बेडो की संख्या निर्धारित की गई है. राजेंद्र अस्पताल में 30, सुनीलम अस्पताल में 30, आयुष्मान हॉस्पिटल में 10, हेल्थ हेवन में 20 और न्यू लाइफ हॉस्पिटल में 20 बेड कोरोना के मरीजों के लिए है।

आरा में नाच कार्यक्रम बंद करवाने पहुंची पुलिस टीम पर लाठी-डंडे से हमला

आरा : भोजपुर जिले के चरपोखरी थानान्तर्गत एकौनी टोला गांव शुक्रवार की देर रात में हो रहे नाच कार्यक्रम को बंद कराने पहुंची पुलिस पर बारातियों एवं ग्रामीणों ने लाठी डंडे से हमला पुलिस की गाडी क्षतिग्रस्त कर दी तथा दो पुलिस कर्मियों को घायल भी कर दिया| आरा में इन दिनों लॉक डाउन के नियमों की अनदेखी कर शादी समारोहों में खुलेआम हथियारों का प्रदर्शन और बार-बालाओं के साथ ठुमके लगाए जा रहे हैं।

एक तरफ पूरा बिहार कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है जिसे कंट्रोल करने के लिए सरकार ने 25 मई तक दुसरे फेज का लॉक डाउन लगाया है ताकि इस भयावह बिमारी की चेन को तोड़ा जा सकें वहीं दूसरी तरफ आरा सहित पूरे भोजपुर में तस्वीर इससे कुछ जुड़ा है जहां दवाओं और कोविड के नियमों से नही पिस्तौल से गोलियां चलाकर और खुलेआम बार बालाओं के साथ डांस कर कोरोना को भगाया जा रहा है।

भोजपुर के कई इलाकों से लोगों के कोरोना नियमों को ताक पर रख शादी समारोह में शामिल होने और बार बालाओं के साथ हथियार लेकर नाचने की तस्वीर भी सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार चरपोखरी थाना के एकौनी टोला गांव में डीजे की धुन पर बार बालाओं का जमकर ठुमका लग रहा था| सूचना पुलिस घटना स्थल पर पहुंचकर नाच बंद करवा ही रही थी तब ही बारातियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। चरपोखरी थाना प्रभारी ने बताया कि नाच कार्यक्रम बंद करवाने गई पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। जिसमें 7 लोगों पर नामजद प्राथमिकी और पांच लोगों पर अज्ञात प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।

राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट