18 मई : आरा की मुख्य खबरें

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आरा की मुख्य ख़बरें

मजदूरी मांगने गए मजदूर की हत्या

आरा: भोजपुर जिला के सिकरहट्टा थानान्तर्गत देव गाँव में मजदूरी मांगने पर मजदूर को पहले पीटा गया और फिर बाद में उसे पानी में डुबो कर मार दिया गया| यह घटना सोमवार की देर शाम की है| पुलिस ने शव को घटना स्थल से कब्जे में लेकर मंगलवार को आरा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया| इस सम्बन्ध में गाँव के ही पिंटू साह के खिलाफ नामज़द प्राथमिकी दर्ज़ कर पुलिस छानबीन कर रही है| मृतक सिकरहट्टा थानान्तर्गत देव गाँव के स्व गया रजवार का पुर ३५ वर्षीय पुत्र विनोद रजवार है| इसी बीच ग्रामीणों ने पिंटू साह को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया| पुलिस उससे पूछ-ताछ कर रही है|

दर्ज़ प्राथमिकी के आधार पर सिकरहट्टा थानाध्यक्ष ने बताया कि विनोद रजवार देव गाँव के पिंटू साह के खेत में काम करता था| सोमवार की शाम दिन भर काम के बाद जब वह अपनी मजदूरी मांगने गया तो पिंटू साह ने उसकी जम का पीटाई कर दी तथा उसे गाँव के तालाब में ही डूबा कर मार डाला| ग्रामीणों के सहयोग से शव को तालाब से बाहर निकाला गया| थानाध्यक्ष ने बताया कि विनोद रजवार की ह्त्या पीट कर तथा गला दबा कर और उसके बाद तालाब में डुबो कर की गयी प्रतीत होता है हालाँकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का सही कारण पता चल सकेगा|

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लोकशंकर थे शंकराचार्य आचार्य भारतभूषण

आरा : आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की जयंती के अवसर पर श्रीसनातनशक्तिपीठसंस्थानम् के तत्त्वावधान में पूजन-अर्चन एवं ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष आचार्य भारतभूषण पाण्डेय ने की। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए रामकुमार शर्मा (दिल्ली) ने कहा कि भगवान आदि शंकराचार्य ने वैदिक संस्कृति, वाङ्मय और देश की एकता-अखण्डता को सुव्यवस्थित व सुस्थापित कर दिया। पूरे विश्व को भारतीय वेदांत दर्शन से प्रकाशित किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रो. बलिराज ठाकुर (आरा) ने कहा कि शंकराचार्य जी ने लीक से हटकर अपने पथ का निर्माण स्वयं किया। संन्यास धर्म का पालन करते हुए भी अपनी माता की अंत्येष्टि की।

बत्तीस वर्ष की कुल आयु में उन्होंने जो किया वह दूसरा नहीं कर सकता। प्रो. ठाकुर ने कहा कि भारतवर्ष को भावनात्मक एकता के सूत्र में बाँधा है शंकराचार्य ने। अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य (डॉ.) भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि ईस्वीय सन् से 507वर्ष पूर्व भगवत्पाद शिवावतार आदि शंकराचार्य का प्राकट्य हुआ था। उन्होंने वैदिक ज्ञान-विज्ञान की पूरी व्याख्या अपने भाष्यों में की तथा वेदांत को दार्शनिक-वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातल पर प्रकट किया। पूरे विश्व और प्राणिमात्र के कल्याण के लिए वैदिक मार्ग को प्रकाशित किया।

दशनामी संन्यासियों, अखाड़ों, चार पीठों, चार धामों आदि के द्वारा देश की एकता और सुरक्षा का सुव्यवस्थित प्रबंधन किया। आचार्य ने कहा कि महामारी के काल में भी वैदिक धर्म ही रक्षा कर सकता है।स्वागत भाषण पं. देश कुमार कौशिक (नई दिल्ली), संचालन अंजनी तिवारी (काशी) और धन्यवाद ज्ञापन पं. राघवेंद्र पाण्डेय (काशी) ने किया।इस अवसर पर दिल्ली से वैद्य मोहन मठपाल,ई दीपक चौरसिया,प्रमोद कुमार सोती, पूनम शर्मा,हरियाणा से दिनेश जिंदल, जयपुर से अनिल शर्मा भारद्वाज, मुम्बई से जगदीश शास्त्री,चेन्नई से संगु कृष्णन, पटना से गंगा समग्र के प्रान्तीय संयोजक शम्भू नाथ पाण्डेय, चित्रा माइन्स झारखंड से डॉ. अरुण कुमार मिश्र, आरा से राकेश कुमार मिश्र, बलीन्द्र प्रसाद, काशी से केएन वासुदेवाचार्य, अंजनी कुमार तिवारी, पं. राघवेंद्र पाण्डेय ने विचार व्यक्त किया।

राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट

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