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फ्लोरेंस नाइटिंगल की याद में मनाया जाता है, 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस

मधुबनी : “दीदी..बच्चा को टीका लगाना है, दीदी..डिलेवरी करानी है..दीदी गर्भवती का जांच कैसे होगा” ये आवाजें नर्स रूम से सहज मिलती हैं। यहां महिलाएं अपने बच्चों के टीकाकरण की बाबत जानकारी हासिल करती नजर आती हैं तो गर्भवती महिलाओं के परिजन प्रसव पूर्व जांच या प्रसव कराने को लेकर सलाह मशवरा करते दिखते हैं. नर्स कक्ष में जीएनएम काजल कुमारी सभी मरीजों की समस्याओं को बड़े शांत भाव से सुलझाती दिख जाती हैं।

1974 से हुई विश्व नर्स दिन मनाने की शुरूआत :

आज वर्ल्ड नर्सिंग डे है. यह दिन दुनिया के तमाम नर्स को समर्पित है जो लोगों को स्वस्थ्य रखने में अपना बड़ा योगदान दे रही हैं. हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. यह दिन आधुनिक नर्सिग आन्दोलन को जन्म देने वाली लेडी विद द लैंप के उपनाम से प्रसिद्ध फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद में मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस दुनिया में पहली बार 1965 में मनाया गया था. इसके बाद 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गयी। अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने इस दिवस को मनाने का पहली बार प्रस्ताव 1953 में रखा था. इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस का थीम, “नर्स: एक आवाज़ नेतृत्व का – एक दर्शन भविष्य के स्वास्थ्य सेवा के लिए” है। इस मौके पर हर साल 12 मई को राष्ट्रपति की ओर से राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार भी दिया जाता है।

5 माह आइसोलेशन वार्ड में कोविड मरीजों के बीच किया कार्य :

मूलतः पश्चिम बंगाल के चितरंजन की रहने वाली काजल कुमारी 3 अक्टूबर 2019 से मधुबनी जिले में कार्यरत है। बताया पिछले साल कोविड-19 के दौरान 5 मई से 30 सितंबर तक कोविड केयर सेंटर में मेरी ड्यूटी लगी थी। कोविड मरीजों के बीच कार्य करना काफी चुनौतीपूर्ण था हर समय संक्रमण का डर बना रहता था. लेकिन मैंने अपने हौसले को बनाए मुझे महसूस हुआ कि मैं खुद डर जाती तो मरीजों का इलाज कैसे होता है इसी सोच के साथ मैंने कोविड केयर सेंटर में मरीजों का ऑक्सीजन लेवल चेक करना, ऑक्सीमीटर लगाना तथा उनका नियमित देखभाल करना जैसा कार्य किया। अभी लखनौर स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीनेशन का कार्य कर रही हैं।

गर्भवतियों व बच्चों के टीकाकरण का रखती हैं खास ख्याल :

काजल बताती हैं लखनौर में पोस्टिंग के बाद बच्चों व गर्भवतियों के टीकाकरण के बारे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों समझाना मुशकिल होता था. लगातार प्रयास के बाद धीरे धीरे लोग जागरूक हुए और टीकाकरण के लिए सहमति देने लगे. वे दूसरी बीमारियों जैसे लेप्रोसी व टीबी को लेकर भी लोगों को जागरूक करती हैं. गर्भवती महिलाओं व उनके परिजनों को गर्भवती की आवश्यक देखभाल, खान पान की जानकारी देने के साथ संस्थागत प्रसव के फायदे, प्रसव पूर्व जांच की जरूरत सहित बच्चों के टीकाकरण आदि सभी की जानकारी देने के कारण ही लोगों में पहचान बन सकी है. निस्वार्थ भाव से सेवा करना ही अब जीवन का मकसद बन गया है।

दृढ़ इच्छाशक्ति से कोविड को दिया मात :

मूल रूप से झारखंड के डाल्टनगंज के रहने वाली जीएनएम नीलम बाड़ा ने बताया मेरी ड्यूटी कोविड केयर सेंटर रामपट्टी में लगी हुई थी मैं समान रूप से कोविड अनुरूप बिहेवियर का पालन करते हुए कोवीड केयर सेंटर में कार्य कर रही थी लेकिन कोविड केयर सेंटर में कार्य करना काफी चुनौतीपूर्ण है थोड़ी भी चूक हमें संक्रमित कर सकता है लेकिन हमसे कहीं चूक हुई जिससे मेरे अंदर कोरोना के कुछ लक्षण प्रतीत होने लगे, तो मैंने को जांच कराया, जांच में संक्रमित पाई गई उसके बाद मैं 14 दिनों के लिए आइसोलेट हो गई। उस दरमियान मैंने अपना इलाज करवाया।

इलाज खत्म होने तथा ठीक होने के बाद मैं हार नहीं मानी मुझे लगा अगर मैं फिर से काम पर नहीं जाती हूं तो बहुत से स्वास्थ्य कर्मी जो मेरे साथ जुड़े हुए हैं उनको लगेगा कि शायद कोरोना से ठीक होकर पुराने जीवन में लौटना आसान नहीं है लेकिन जब मैं कोरोना ठीक हुई तो एहसास हुआ मैं पहले जैसा महसूस कर रही हूं। मुझे अपना कर्तव्य पूरा करना था लोगों को सकारात्मक संदेश देना था कि कोविड संक्रमित होने के बाद पूर्व की भांति कार्य कर सकती हूं। इसी विश्वास के साथ कोविड केयर सेंटर वापस लौटी

आत्मविश्वास बनाए रखें, कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करते रहें :

नीलम ने बताया मेरा अनुभव है कई लोगों में कोविड संक्रमित होने के बाद आत्मविश्वास कहीं ना कहीं कमजोर होता है आत्मविश्वास कमजोर होने के बाद जो बीमारी आसानी से ठीक हो सकता है उसमें ज्यादा समय लगता है। मेरी लोगों से अपील है कोरोना किसी को किसी व्यक्ति को, किसी भी समय हो सकता है अगर कोरोना से संक्रमित होते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है नियमित कोविड अनुरूप प्रोटोकॉल का पालन करते रहे तो आसानी से करोना को मात दे सकते है।

कोरोना प्रोटोकॉल के तहत शारीरिक दूरी बनाकर व मास्क लगाकर राज्यव्यापी मांग दिवस के अंतर्गत सीपीआई(एम) अंचल कार्यालय जयनगर ब्लॉक रोड पोस्ट ऑफिस के बगल में एक दिवसीय धरना, प्रर्दशन के माध्यम से भारत सरकार एवं बिहार सरकार से निम्नलिखित मांग करती हैं।

मांगें इस प्रकार से हैं :-

1). पूरे देश में सामूहिक निःशुल्क टिकाकरण तुरंत प्रारंभ कि यहया जाए।
2). आयकर नही देने वाले सभी परिवारों को अविलंब ₹7500 दिया जाय।
3). केंद्रीय गोदामों में पड़े हुए करोड़ों टन अनाज को जरूरतमंदों के बीच वितरित किया जाय।
4). सेंट्रल विस्ता (नई संसद भवन) का निर्माण पर रोक लगाओ।
5). केंद्र सरकार छः माह से आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों को तुरंत स्वीकार करे। राज्य में सभी स्तरों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की गारंटी करे।
6). राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए पर्याप्त संख्या में बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और दवा की व्यवस्था की जाए।
7). निजी अस्पताल में कोरोना मरीज के इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करे।
8). एंबुलेंस की मनमानी, करोना से निपटने में इस्तेमाल होने वाले दवा, ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए।
9). जांच की संख्या बढ़ाई जाए, आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट 24 घंटों के अंदर जारी हो।
10). स्वास्थकर्मी, सफाईकर्मी, आशा, ममता, आगनवाड़ी सहित सभी कोरोना योद्धाओं के लंबित वेतन/मानदेय की भुगतान अविलंब हो।
11). कोरोना योद्धाओं के लिए प्रोत्साहन राशि और सुरक्षा की गारंटी किया जाय।
12). इस महामारी से निपटने में ढिलाई, गरीबों के साथ जायजती करने वाले अधिकारी पर कारवाई की जाय।
13). स्वास्थ विभाग में रिक्त परे पदों पर तुरंत बहाली हो।
14). केरल मॉडल के तर्ज पर स्वास्थ व्यवस्था दुरुस्त करो और केरल की तरह हीं बिहार में भी बिजली समेत अन्य वसूली पर तत्काल रोक लगाओ।

उक्त कार्यक्रम का नेतृत्व युवा नेता कुमार राणा प्रताप सिंह ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता किसान नेता रामजी यादव ने की। वहीं, इस कार्यक्रम में किसान नेता राम जी यादव, डीवाइएफआई के राज्य उपाध्यक्ष शशिभूषण प्रसाद, सीपीआई(एम) के युवा नेता सह अधिवक्ता कुमार राणा प्रताप सिंह, कन्हैया कुमार चौधरी एवं अन्य ने भाग लिया।

सुमित कुमार की रिपोर्ट