मधुबनी जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड में स्थानीय पुलिस प्रशासन ने अपनाया कड़ा रुख
मधुबनी : नए कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से अब चार बजे ही दवा की दुकान छोड़ अन्य सभी तरह की दुकानों को बंद करना है। इसके अनुपालन को लेकर स्थानीय बीडीओ राजेश्वर राम के नेतृत्व में स्थानीय सीओ प्रवीण कुमार वत्स, स्थानीय थानाध्यक्ष अमृत लाल वर्मन सहित भारी संख्या में पुलिस बल सहित इसके पालन कराने को सड़क पर उतरे। इस दौरान अंधराठाढ़ी प्रखंड मुख्यालय, बस स्टैंड, गुमती चौक तक पैदल मार्च निकाला।
मालूम हो कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार के द्वारा शाम 4 बजे के बाद दुकान बंद करने का निर्देश दिया गया है। उसी क्रम में दवाई दुकानों के अलावे आवश्यक सेवा को छोड़ सभी दुकान बंद करवाया गया है। वही, कई व्यवसायी पर कार्रवाई भी की गई।
प्लूरल्स पार्टी द्वारा फ्रन्टलाइन वारियर्स प्रेस रिपोर्टर को दिया गया पीपीई किट, सेनेटाइजर और मास्क
मधुबनी : नगर में आज प्लूरल्स पार्टी के नगर अध्यक्ष नवीन मुरारका ने फ्रंट लाइन वारियर्स प्रेस रिपोर्टर बंधुओ को कोरोना से सुरक्षित रखने के लिए पीपीई किट, सेनेटाइजर और मास्क दिया। इस मौके पर अध्यक्ष नवीन मुरारका ने कहा कि इस कोरोनाकाल महामारी में भी जान पर खेलकर हमारे रिपोर्टर अस्पताल कोविड सेंटर और विभिन्न क्षेत्रों में जाकर हमारे लिए समाचार लाते है। उनकी स्वास्थ के खतरे को भांपते हुए उन्हें सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेवारी है।
शहर के युवा समाजसेवी विजय घनश्याम ने कहा की कोरोनाकाल में वो ही वॉरियर्स है जो पुलिस, डॉक्टर्स, नर्स, पत्रकार, सफाईकर्मी लोग है। यह सभी प्रकार के लोग इस कोरोनाकाल में भगवान के तरह सामने आए है, और यह महामारी से हमलोग सभी मिलकर जीतेंगे। इस कार्यक्रम में स्टेट प्रोग्राम मैनेजर सचिन मुरारका, जिला अध्यक्ष अनुराधा सिंह, नगर सचिव आदर्श कुमार चौधरी सहित नगर के युवा समाजसेवी विजय घनश्याम और मधुबनी के सभी मीडिया के लोग भी उपस्थित थे।
इंडो-नेपाल आधिकारिक सीमा बन्द होने के बावजूद आवाजाही जारी, जरूरी सामानों की हो रही तस्करी
मधुबनी : पिछले कोरोना काल से ही भारत-नेपाल सीमा आधिकारिक तौर पर बंद है। पर इनके खुले होने का फायदा तस्कर ओर बलेकिया कहे जाने वाले लोग खूब उठा रहे हैं। हालांकि भारत-नेपाल में बेटी-रोटी का संबंध है, पर फिर भी इस सीमा बंद होने से दोनों देशों के लोगों को काफी दिक्कतों ओर परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि भारत से नेपाल, यहाँ के तो एक भी वाहन नही जा पा रहे हैं, परंतु नेपाल के मोटरसाइकिल अक्सर खुले बॉर्डर का फायदा उठा कर अक्सर भारतीय क्षेत्रों में दिखाई पड़ते हैं।
ऐसा ही वाकया आपको मधुबनी जिले के जयनगर में इनरवा बॉर्डर पर अक्सर दिखाई देगा। यहां ये आम सी बात हो चुकी है। हालांकि एसएसबी कमला बीओपी के जवान यहाँ चौबीसों घंटे मुस्तैदी से तैनात रहते हैं, परंतु दिन के उजाले में भी ये तस्कर इनके सामने से खाने-पीने, खाद एवं अन्य दूसरे सामानों की तस्करी करते हैं।
सूत्रों की मानें तो ये सब इनकी मिलीभगत से होता है, ओर इनका कमीशन तक सेट होता है इन तस्करों ओर बलेकिया के साथ। अब न जाने क्यों ऐसा होता है? हालांकि इन वीडियो में आप साफ देख सकते हैं कि कमला बीओपी के जवानों के सामने से तस्कर सामना लेकर भारतीय सीमा से नेपाल में प्रवेश कर रहे हैं, ओर इनको कोई रोकता-टोकता तक नही है।
समीर कुमार महासेठ ने सरकार से पूछा कहाँ है 300 बेड वाला आवंटित जिला अस्पताल
मधुबनी : आज पूरा भारत कोरोना के बढ़ते संक्रमण ओर हो रही मौतों पर चिंतित है। हर तरफ हाहाकार से मचा हुआ है। आखिरकार मधूबनी जिले को आवंटित हुआ 300बेड वाला अस्पताल कहाँ है अब तक? जब भी हमने ये सवाल पूछते पूछा तो कहा गया की कभी सॉइल टेस्टिंग, तो कभी कुछ-कभी कुछ का बहाना लगा कर ताल दिया जाता है।
ऐसे जिले भर में कहीं अस्पताल नहीं हैं, तो कहीं अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं। कहीं किसी को ऑक्सीजन सिलिंडर नही मिल पा रहा है, तो मरीजों को कहीं रेमेडेसीवीर सुई। न ही जरूरी अस्पताल में अनुकूल सुविधा मिल रही है, न कहीं अस्पतालों में आवश्यकतानुसार वेंटिलेटर उपलब्ध है। सही अस्पताल में सही डॉक्टरों की पोस्टिंग तक नही हो पाई है। हर जगह, हर मोर्चे पर फेल है ये बिहार में डबल इंजन वाली नीतीश सरकार।
हालांकि नीतीश कुमार पिछले 16सालों से सत्ता में है, पर इस्तिथि आज भी बाद से बदतर है स्वास्थ ओर शिक्षा विभाग में। ऐसे में अब कब कोरोना से लड़ने का समय है तो सरकार हर जगह लापरवाह ओर बेबस हो गयी है। ऐसे में हालात और खराब होंगें ओर इस्तिथि भयावह बनेगी।
फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में पत्रकारों को भी लगेगा टीका
मधुबनी : वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में हर कोई एक योद्धा के रूप में अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रहा है। इस संक्रमण के खिलाफ चिकित्सक, पुलिस कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी के साथ साथ जिले के पत्रकार भी योद्धा के रूप में कार्य कर रहे हैं। ऐसे में पत्रकारों के स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति चिंतित स्वास्थ्य विभाग ने एक अहम निर्णय लिया है। इसको लेकर पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में शामिल कर कोविड-19 का टीकाकरण किए जाने का आदेश दिया गया है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर सभी सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है।
जारी पत्र में निर्देश दिया गया है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक्रेडिटेड सभी पत्रकारों के साथ साथ जिला जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा सत्यापित प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं वेब मीडिया के पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल कर उन्हें कोविड-19 का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा। कार्यपालक निदेशक ने निर्देश दिया है कि जिला अंतर्गत ऐसे सभी चिन्हित पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 का टीकाकरण किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
कोविड के दोनों टीके हैं जरूरी :
कोविड-19 का टीका दो डोज में पूरा किया जाएगा। सभी लाभार्थियों को दोनों डोज लेना अनिवार्य है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोविड-19 का टीकाकरण कारगर हथियार साबित हो रहा है। वैक्सीन के दोनों डोज लेने के करीब 4 सप्ताह बाद कोविड-19 के खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। ऐसे में टीका लेने के बाद भी सावधानी बरतना अति आवश्यक है। पहला डोज लेने के बाद समय अंतराल पूरा होने पर दूसरा डोज भी अवश्य लें। तभी आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकेंगे।
ऑनलाइन करना होगा रजिस्ट्रेशन :
कोविड-19 का टीका लेने के लिए पत्रकारों को भी कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु एप के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन करने के बाद नजदीकी टीकाकरण केंद्र पर जाकर अपना टीकाकरण करा सकते हैं। टीकाकरण केंद्रों पर अपने और अपनों की भलाई के लिए सब से दूरी बनाते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।
सुरक्षा नियमों का पालन करना सबकी जिम्मेदारी :
संकट की इस घड़ी में हम सब की यह जिम्मेदारी है कि हम सभी सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करें। एक-दूसरे के प्रति करुणा और दया का भाव रखें और जहां तक हो सके एक-दूसरे की मदद करें। मास्क का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। जब भी आप बाहर जाएँ, दूसरों से मिलें या किसी कोविड संक्रमित व्यक्ति के पास जाएं, त्रिस्तरिए मास्क का प्रयोग करें। घर से बाहर निकालने की स्थिति में शारीरिक दूरी (कम-से-कम दो गज) का पालन अत्यंत जरूरी है तथा साबुन से कम-से-कम 60 सेकेंड तक अपने हाथों को नियमित धोते रहें। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखें और सभी पात्र-लाभार्थी समय पर कोविड का टीका अवश्य लें।
शहाबुद्दीन की ईलाज के दौरान हुई मौत को लेकर युवा नेता दानिश में उठाया सवाल, कहा पुष्पम प्रिया चौधरी का मुंह करेंगें काला
मधुबनी : जिले के बिस्फी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी युवा नेता परवेज हसन दानिश ने सिवान के पूर्व सांसद मो० शहाबुद्दीन की हुई मौत पर शकः जाहिर किया है। उन्होंने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा की जब न्यायालय का आदेश था, कि दिन भर में दो बार शाहाबुद्दीन को दो बार परिवार के लोगो से फोन पर बात करवाया जाए, तो जब वो कोरोना से पिड़ित हुए तो आखिर क्यो नहीं बात करने दिया गया?
दानिश ने कहा परिजन चाहते थे कि उनका ईलाज एम्स करवाया जाए, तो आखिर परिवार के लोगो को क्यो नही विश्वास में लिया गया। उन्होने कहा शहाबुद्दीन की राजनैतिक हत्या हैं, और इसकी जांच होनी ही चाहिए। क्योकि बिहार सहित पूरे देश का बहुत बड़ा तबका उनकी मौत को राजनैतिक हत्या मानता है। वहीं उन्होंने प्लूरल्स पार्टी की सुप्रीमो पुष्पम प्रिया चौधरी के मुँह पर कालिख पोतेंगे।
शहाबुद्दीन की मौत के बाद कई लोगो ने शोक व्यक्त किया, वही प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए युवा नेता दानिश ने कहा की उनका ये बयान किसी धर्म विषेश को टारगेट करने वाला है। पुष्पम प्रिया अपने ब्यान को वापस नहीं लेती हैं, तो उसके मुंह पर कालिख पोतने का काम हमलोग करेंगे।
भारत-नेपाल मैत्री रेल सेवा प्रोजेक्ट के समाप्ती आज भी हैं लोगों नाराज, लोगों की नाराजगी हो रहा आक्रोश में तब्दील
मधुबनी : अंतरराष्ट्रीय रेल सेवा भारत और नेपाल के बीच कई वर्षों से रहा है। हालांकि पहले छोटी लाइन हुआ करती थी, जिसको दोनों देशों के सहमति से ब्रॉड गेज यानी बड़ी रेल लाइन सेवा में तब्दीली को लेकर आमान-परिवर्तन का कार्य किया जाना था। जोकि कई महीनों पहले इस प्रोजेक्ट को बना रहे मशहूर कम्पनी इरकॉन के द्वारा खत्म कर दिया गया है। बावजूद इसके कई महीनों से अन्य कुछ अज्ञात कारणों से बंद है अभी तक।
हालांकि नेपाल रेलवे के पास ट्रेनेड स्टाफ ओर अन्य दूसरे टेक्निकल कर्मियों के अभाव बताई गयी, जिसको भारतीय रेल के कोंकण रेलवे के द्वार स्टाफ की सुविधा और दो जोड़ी ट्रैन के कोच भी उपलब्ध करवाए गए। इस ट्रैक को जयनगर से नेपाल के जनकपुर होते हुए वर्दीवास तक जाना है, पर सफल ट्रैक परिचालन के बावजूद न जाने अन्य किसी कारणों से नेपाल सरकार द्वारा इसको चालू नही किया जा रहा है, जिसके कारण दोनों देशों के लोगों में भारी निराशा है, जो अब आक्रोश में तब्दील हो रहा है।
सूत्रों की मानें तो नेपाल भारत से सहयोग न लेना चाहता है और शायद चाइना के इशारों पर इस रैलट्रैक को चालू नही होने दे रहा है। पर वास्तविकता का जब पता लगाने की कोशिश को तो सभी नीचे के अधिकारियों ने साफ तौर पर कुछ भी नही कहा, ओर उच्च अधिकारियों के जानकारी लेने की बात कह दी।
आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच बेटी-रोटी का संबंध है, ओर ये रेलखंड इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएगा। और यही एक कारण है जो लोगों में अब ये निराशा गुस्से में भरने लगा है। स्थानीय लोगों की मानें तो सबसे सरल,सुगम ओर आसान रास्ता है नेपाल जाने का, जोकि भारत सरकार के प्रयास से पूर्ण होने के बाद भी नेपाल सरकार की नीतियों या गलत मंशा का शिकार हो रहा है।
सूबे में सरकार ने हर घर बिलजी, सड़क व पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं को गंगा बहाया
मधुबनी : आज भी कई गांव ऐसे है, जहां वर्षो से एक सड़क और पानी जैसी महत्वपूर्ण सुबिधाओं से वंचित होना पड़ रहा है। मामला मधुबनी जिले के अंधराठाढ़ी प्रखंड के मरुकिया गांव आज सरकार की सभी दाबो को पोल खोल रही है। विकास के नाम पर इस गांव में आजादी के 72 वर्ष बाद भी लोग गांव की मुख्य सड़क बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। सरकार के द्वारा सभी वादे को धत्ता बाबते हुए इस गांव के लोग 21वीं सदी नही बल्कि सैकड़ो वर्ष पुराने सदी में अपना जीवन व्याप्त करने को मजबूर हैं।
वहीं प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लचर व्यवस्था को लेकर आक्रोश पनप रही है। मालूम हो कि मरुकिया दुर्गा स्थान से लेकर कबीर चौक तक सड़क की हालत बद से बत्तर बनी हुई है। सड़क पर जल जमाव से लेकर जगह जगह बने गड्ढे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों मुख पर काला धब्बा बना हुआ है।
इस सड़क की समस्याओं को लेकर बीते 20 वर्षो से ग्रामीणों सांसद, विधायक, मुखिया सहित प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष कई बार गुहार लगाई गई। किंतु सभी लोग अपनी कुंभकर्णी निंद्रा से बाहर नही निकल पाए है। आक्रोशित ग्रामीणों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है।
अतिक्रमणकारियों का मंसूबा सातवें आसमान पर, पुलिस व सीओ के चेतावनी के बाद भी अतिक्रमण का सिलसिला जारी
– गांव में तनाव का माहौल कायम, किसानों ने प्रशासन से लगाया न्याय की गुहार
– 45 अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध शुरु हुई कार्रवाई, भूमी की कागजात लेकर न्याय का गुहार लगाई किसानों ने
मधुबनी : जिले के हरलाखी प्रखंड के खिरहर थाना क्षेत्र के सोनई गांव में अतिक्रमणकारियों का हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया है। सीओ एवं थानाध्यक्ष के चेतावनी के बावजूद असमाजिक तत्वों ने किसानों के जमीन पर कब्जा करना बंद नहीं किया है। अतिक्रमणकारियों ने गांव के किसानों का अब तक करीब सौ बीघा जमीन पर कब्जा कर चुके है, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है।
वहीं गांव में दो पक्षों में तनाव का माहौल है। इस मामले को लेकर किसान रजनीश झा,श्याम नारायण शुक्ल, किशोरी शरण शुक्ल, रविन्द्र नाथ झा,ब्रजभूषन झा समेत दर्जनों किसानों ने एसडीओ बेनिपट्टी, डीएम मधुबनी समेत कई वरिय पदाधिकारियों को पत्राचार कर न्याय का गुहार लगाई है। किसानों ने बताया कि गांव के कुछ लोगों के द्वारा राजनितिक षडयंत्र के तहत हम किसानों के निजी भूमि पर कब्जा करवाया जा रहा है। हमलोग भयभीत होकर उक्त भूमि पर नहीं जा रहे है। उन्होंने कहा कि प्रशासन जल्द अतिक्रमण मुक्त नहीं किया तो मामला गंभीर हो सकती है. और हमलोगों के जान- माल का खतरा भी हो सकता है.
क्या कहते है थानाध्यक्ष :
थानाध्यक्ष अंजेश कुमार ने बताया कि करीब 45 अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध धारा 107 की कार्रवाई कि गई है साथ ही उक्त भूमी पर 144 लागू किया गया है. पुलिस मामले की गंभीरता से लेते हुए आगे की कार्रवाई में जूटी हुई है। विदित हो कि सोनई गांव स्थित सेम्हली रोड के दोनों तरफ दर्जनों किसानों का दर्जनों एकड़ जमीन है जहां शनिवार को करीब 30 बीघा जमीन पर लाल झंडा गाड़कर असामाजिक तत्वों ने अवैध कब्जा कर लिया. इससे पहले सभी अतिक्रमणकारी कोशी नहर पर अवैध कब्जा करके घर बनाकर रह रहे थे.लेकिन कोषी नहर का उड़ाही के दौरान सभी को वहां से हटा दिया गया. जिसके बाद इन लोगों ने किसानों के भूमि को अतिक्रमण करना शुरु कर दी. वहीं किसानों का कहना है कि एक भी अतिक्रमणकारी भूमिहीन नहीं है. सबका गांव में घर है बावजूद हमलोगों के साथ अत्याचार कर रहा है. बहरहाल अतिक्रमण का सिलसिला जारी है.
मधुबनी सदर अस्पताल के नर्स की हुई संक्रमण से मृत्यु, लापरवाही के आरोप
मधुबनी : सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में कार्यरत एक नर्स अर्चना कुमारी की मौत डीएमसीएच में सोमवार की सुबह हो गई। वह कोरोना संक्रमित थी। मौत के बाद शव के मधुबनी सदर अस्पताल पहुंचते ही यहां कार्यरत नर्सों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए तत्काल अपनी ड्यूटी करने से मना कर दिया है। शव को देख नर्सों की आंखे नम थी। वे इस विषम परिस्थिति में भी आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं होने को लेकर आक्रोशित थी। नाराज नर्सों का कहना है कि अस्पताल में कार्यरत नर्सों को सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पीपीइ किट सहित अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
वहीं, नर्सों के कामकाज ठप करने की सूचना मिलते ही प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई। मधुबनी सदर एसडीओ अभिषेक रंजन तत्काल सदर अस्पताल पहुंच कर नर्सों को समझाने में जुट गए। सदर एसडीओ ने नाराज नर्सों से वार्ता कर उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। बताया जाता है कि नर्स अर्चना कुमारी एक सप्ताह पूर्व कोरोना संक्रमित हो गई थी। इलाज के लिए तत्काल उन्हें जिले के रामपट्टी स्थित कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया था, जहां से उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया गया था। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
बताया जाता है कि मृतक नर्स अर्चना कुमारी पांच माह की गर्भवती थी। वह नालंदा जिला की रहने वाली है, और सदर अस्पताल मधुबनी में कार्यरत थी। उसके निधन से सदर अस्पताल के नर्सों में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश है। नर्सों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच वे जान जोखिम में डाल अपना कर्तव्य निभा रही हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन को उनके सुरक्षा का ख्याल नहीं है।
इधर, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने नर्सों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें सारे संसाधन उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। बहरहाल, सदर अस्पताल में गतिरोध अभी भी बना हुआ है। कोरोना संक्रमण के ऐसे दौर में अगर अस्पताल की नर्स ने हड़ताल कर दिया या काम बंद कर दिया, तो आम मरीजों का भगवान ही मालिक होगा।
कोरोना जांच के सैंपल को लेकर मधुबनी सदर अस्पताल एक बार फिर से विवादों में
मधुबनी : सदर अस्पताल में RT-PCR लैब में भेजे जाने वाला सैंपल डीप फ्रीजर की जगह जमीन पर बेतरतीब ढंग से रखा जा रहा है, जिस कारण इस सैंपल की जांच के रिपोर्ट पर भी सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो सैंपल टेस्टिंग अगर दो से चार दिन के भीतर किए गए तो उसे 4 से आठ डिग्री के तापमान पर रखा जा सकता है। वहीं इसे ज्यादा दिनों तक रखना है तो डीप फ्रीजर में रखा जाना चाहिए, जहां तापमान माइनस में हो।
सदर अस्पताल के फ्लू कॉर्नर के कक्ष में सैंपलों को बेतरतीब ढंग से इसे रखा जा रहा है। डीप फ्रीजर और AC तो दूर की बात, जहां यह सैंपल रखा गया है, वहां पंखा की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है, साथ ही कई स्वास्थयकर्मियों का कहना है कि यहां नियमित रूप से सफाई भी नहीं होती है। कई सैंपल 14 अप्रैल के भी हैं तो कुछ 10 अप्रैल के भी यहां वैसे ही बिना मानक के रखे गए हैं, जबकि विभागीय निर्देश है कि 24 घंटे में RT-PCR की जांच रिपोर्ट देनी है।
सदर अस्पताल के फ्लू कॉर्नर में जो जांच होती है, उसे मधुबनी मेडिकल कॉलेज (निजी) स्थित RT-PCR लैब भेजा जाता है, लेकिन स्वास्थयकर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार वहां कुछ लैब टेक्निशियन के संक्रमित हो जाने के कारण 27 अप्रैल से सैंपल नहीं लिया जा रहा है। वहीं अन्य प्रखंडों का सैंपल पटना भेजा जाता है।
मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व ही कई प्रखंडों से खराब व बिना निबंधन के ही सैंपल भेज दिए गए थे, जिसे वापस किया गया था, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है क्या ये वैसे लोगों के साथ भद्दा मजाक नहीं है, जो घंटो लाइन में लगकर जांच करवाते हैं? इस संबंध में पूछने पर अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने बताया कि सैंपल आइस बॉक्स में रखने के लिए सैंपल रखा गया था। उसे आइस बाक्स में रखा जा रहा है। यहां डीप फ्रीजर उपलब्ध नहीं है। वहीं सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कि इस संबंध में सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक व अस्पताल प्रबंधक से जानकारी ली जा रही है।
सुमित कुमार की रिपोर्ट