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30 अप्रैल : सारण की मुख्य खबरें 

माइल्ड एवं बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आईसोलेशन को लेकर दिशा-निर्देश जारी

छपरा: पिछले साल 2 जुलाई को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के माइल्ड एवं बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आईसोलेशन की सलाह दी थी एवं इसको लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किया था। इस वर्ष पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण संक्रमण के स्वरुप में काफ़ी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने होम आईसोलेशन के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसमें होम आईसोलेशन के लिए मरीजों की योग्यता, होम आईसोलेशन में मरीजों द्वारा ध्यान देने योग्य बातें, मरीजों की देखभाल करने वाले लोगों के लिए सलाह, चिकित्सकीय सलाह एवं अस्पताल में भर्ती होने की परिस्थितियों सहित होम आईसोलेशन में जरुरी ईलाज आदि बातों की विस्तार से जानकारी दी गयी है।
गाइडलाइन में कहा गया है कि माइल्ड या बिना लक्षण (असिम्टोमेटिक) वाले रोगी ही होम आइसोलेशन के लिए योग्य हैं. माइल्ड लक्षण वाले रोगियों को बुखार, कफ, खांसी, नाक बहना या बदं होना, सिरदर्द, थकान आदि रहता है.
चिकित्सा पदाधिकारी की सलाह के बाद होम आइसोलेशन: 
गाइडलाइन में कहा गया है कि चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा कोरोना संक्रमित मरीज में माइल्ड अथवा बिना लक्षणों की पुष्टि किये जाने के बाद रोगी को होम आइसोलेशन में रहना चाहिए. सेल्फ आइसोलेशन के दौरान ऐसे रोगियों के लिए हरसमय एक देखभालकर्ता को मौजूद होना जरूरी है. होम आइसोलेशन के दौरान रोगी के स्वास्थ्य के निगरानी व अद्यतन जानकारी देने के लिए  देखभालकर्ता को अस्पताल के साथ संवाद बनाये रखना बहुत जरूरी है. वैसे कोविड मरीज जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है तथा हाइपरटेंशन, मधुमेह तथा लंग, लीवर, किडनी तथा तंत्रिका तंत्र से जुड़े गंभीर रोग से ग्रसित हैं उन्हें चिकित्सा पदाधिकारी के निर्देश व सलाह के बाद ही होम आइसोलेशन में रखा जाना चाहिए.
इन मरीजों को होम आइसोलेशन में नहीं रखने की सलाह: 
गाइडलाइन में कहा गया है कि होम आइसोलेशन के दौरान रेमेडिसिविर का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना है. इसके साथ ही यह जानकारी दी गयी है कि वैसे रोगी जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो, एचआइवी ग्रसित हों या फिर कैंसर थेरेपी आदि हुआ है उन्हें होम आइसोलेशन में नहीं रखा जाना चाहिए. ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा सभी जांच के बाद ही होम आइसोलेशन में रखे जाने की सलाह दी गयी है. कोविड रोगी के देखभाल करने वाले व उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को तीन लेयर वाले मास्क का इस्तेमाल करें.
कोविड रोगी एवं देखभालकर्ता इन बातों का रखें ध्यान: 
गाइडलाइन में कोविड रोगी को घर के एक कमरे में रहने तथा विशेषतौर पर परिवार में मौजूद  गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों से दूरी बनाकर रहने के लिए कहा गया है. साथ ही कमरे में पर्याप्त फ्रेश हवा की मौजूदगी एवं इसके लिए वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखने की सलाह दी गयी है. कमरे में देखभालकर्ता तथा रोगी दोनों तीन लेयर के मास्क इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है. साथ ही अधिकतम आठ घंटे तक ही एक मास्क का इस्तेमाल करने की बात कही गयी है. मास्क के भींग जाने के बाद उसे तुरंत बदल लें. देखभालकर्ता को मरीज से शारीरिक दूरी, नियमित अन्तराल पर हाथों की सफ़ाई एवं रोगी के द्वारा इस्तेमाल की जा रही चीजों का घर के अन्य सदस्यों से दूर रखने की हिदायत भी दी गयी है. गाइडलाइन में मास्क एवं अन्य चीजों के सुरक्षित डिस्पोजल की भी सलाह दी गयी है.
इन परिस्थितियों में चिकित्सकीय सलाह जरुरी: 
• सांस लेने में तकलीफ़ होने पर
• ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम होने पर
• छाती में लगातार दर्द का बने रहना या अचानक बढ़ जाना
• मानसिक रूप से अधिक परेशान होने पर
10 दिन बाद आ सकते हैं आइसोलेशन से बाहर :
होम आइसोलेशन में रहने वाले रोगी 10 दिनों के बाद बाहर आ सकते हैं. होम आइसोलेशन से बाहर आने के बाद जांच की कोई आवश्यकता नहीं होती है. होम आइसोलेशन के दौरान रोगी अधिक से अधिक आराम करें और खूब पानी पीकर शरीर में पानी की मात्रा को बढ़ायें.  श्वसन संबंधी सुरक्षा तथा व्यवहार के नियमों का पालन करें. साबुन पानी से हाथों को नियमित रूप से 40 सेकेंड तक अवश्य धोंयें. व्यक्तिगत इस्तेमाल वाली चीजें साझा नहीं करें. रोगी के कमरे को एक प्रति हाइपोक्लोराइट से टेबल, दरवाजे, आदि साफ करें. कोविड के माइल्ड लक्षण वाले रोगी अपने शरीर के आँक्सीजन स्तर की निगरानी करते रहें.

फारूक अली की अध्यक्षता में पार्थेनियम मुक्त क्लब के सदस्यों ने विश्वविद्यालय कैम्पस से पार्थेनियम को उखाड़ कर किया साफ

छपराः जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर फारूक अली की अध्यक्षता में पार्थेनियम मुक्त क्लब के सदस्यों ने विश्वविद्यालय कैम्पस में मुख्य द्वार से पार्थेनियम को उखाड़ कर साफ किए। कुलपति महोदय ने दिनांक 4.5.2031 को डी एफओ के साथ एक बैठक इस आशय से रखवाया है जिससे पूर्व में विश्वविद्यालय के साथ वन विभाग का जो ऐग्रीमेंट हुआ है,उसकी जानकारी प्राप्त की जा सके और ग्रीन सेन्सस  भी करवाया जा सके। विदित हो कि माननीय कुलपति महोदय कृतसंकल्प हैकि जितने दिन वे सेवा देंगे उतने पेङ वे कैम्पस में अवश्य लगाएंगे।
पार्थेनियम मुक्त क्लब के जो सदस्य सफाई कार्य किए वे निम्नलिखित हैं-
प्रोफेसर फारूक अली जी,माननीय कुलपति,प्रभारी कुलसचिव डॉक्टर आर पी श्रीवास्तव, सी सी डी सी प्रोफेसर हरिश्चंद्र, इंजीनियर प्रमोद कुमार सिंह, मिंटू सिंह, नीरज सिंह, अनिल ठाकुर, लक्ष्मण सिंह, दीपक कुमार, विजय कुमार, भुवर, सुनील कुमार सिंह आदि उपस्थित हुए। कुलपति महोदय प्रोफेसर फारूक अली ने बताया कि जो सदस्य अच्छा कार्य करेंगे उन्हें 15.8.को सम्मानित किया जायेगा। कुलपति महोदय ने सभी सदस्य को 4.5.2021 को 9.00 बजे सुबह आने को कहा है।

यूनिसेफ़ बिहार एवं प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन (PSACWA) की संयुक्त अपील

छपरा: कोविड की इस दूसरी लहर ने एक सुनामी का रूप धारण कर पूरे भारत को आक्रांत कर रखा है। इस महामारी से निपटने के लिए बिहार सरकार ने आवश्यक कदम उठाए हैं परंतु अब इससे लड़ना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बन गई है।
इसी जिम्मेदारी के तहत यूनिसेफ़ बिहार एवं प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन  साथ आए हैं एवं उन्होंने एक संयुक्त अपील जारी की है जिसके द्वारा भारत के 650 जिलों और 6.4 लाख गाँवों के लगभग 2 लाख से अधिक  प्राइवेट स्कूलों तक कोविड से सुरक्षा, सावधानी और सही जानकारियाँ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।  प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद और यूनिसेफ़ बिहार की चीफ नफीसा बिनते शफीक  ने इस  साझा अपील में सर्वाधिक चिंता बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के बारे में जाहिर की है।
इस संयुक्त अपील द्वारा इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि जहां तक संभव हो सभी  अपने परिवारों के साथ घर में हीं रहें, जब तक बिल्कुल जरूरी न हो, बाहर ना जाएँ। सुरक्षा प्रोटोकॉल/अनुदेशों और सरकारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें। प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष  सैयद शमायल अहमद ने बताया कि बच्चों के लिए घर में एक सुरक्षित, सकारात्मक और सहायक वातावरण बनाया जाए।
महामारी के कारण बच्चों के स्कूल बंद हो गए, उनका बाहर खेलने जाना बंद हो गया; उनकी पढ़ाई ऑनलाइन हो गई है; उन्हें दोस्तों, परिवार और मौज-मस्ती से पृथक होना पड़ा है। परिवार के लोग संक्रमित हो रहे हैं, और बच्चे एवं युवा भी संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। बच्चों में  मानसिक तनाव, उलझन, भय और चिंता बढ़ रही है। उनमे कई तरह की नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियाँ भी देखने को मिल रहे हैं। इस महामारी ने बहुत परिवारों के रोजगार और उनकी जीविका की संभावनाओं पर प्रश्नचिंन्ह लगा दिया है। इसी तथ्य को सामने रखते हुऐ राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद  ने अपने इस अपील में सर्वाधिक चिंता बच्चों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर जाहिर की है।
यूनिसेफ़ बिहार की राज्य प्रमुख  नफ़िसा बिनते शफीक  ने  सभी   माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में हम सब को बेहद संवेदनशील होने की आवश्यकता है, “आपके बच्चों को इस समय आपकी सबसे अधिक आवश्यकता है।“ इस महामारी में उनकी शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक भलाई आपके कार्यों और प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करती है।
लड़कियों, विशेष जरूरतों वाले बच्चों और हाशिये पर खड़े समूहों के लोगों को ऐसे में विशेष ध्यान और देखभाल की आवश्यकता है। माता-पिता खुद भी बहुत परेशान हैं, ऐसे में अपना मनोबल ऊंचा बनाए रखना है, बच्चों को सकारात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखना जरूरी है, यूनिसेफ़ और अन्य संस्थाओं  द्वारा “पेरेंटिंग” पर बहुत से ऑनलाइन सीखने के संसाधन हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है। कैरियर संबंधी जानकारी www.yuwaah.org और  www.biharcareerportal.com पर ले सकते हैं।
माता-पिता को तनाव-परामर्शदाता, मनोचिकित्सकीय अथवा मनोवैज्ञानिक परामर्श लेने में झिझक नही करना चाहिए। NIMHANS द्वारा निःशुल्क  हेल्पलाइन ( 08046110007)भी चलाई जा रही है। जरूरतमन्द बच्चों के लिए चाइल्डलाइन 1098 पर फोन करें। संकट की इस घड़ी में हम सब की यह जिम्मेदारी है कि हम सभी सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करें। एक-दूसरे के प्रति करुणा और दया का भाव रखें और जहां तक हो सके एक-दूसरे की मदद करें।
मास्क का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। जब भी आप बाहर जाएँ, दूसरों से मिलें या किसी कोविड संक्रमित व्यक्ति के पास जाएं, त्रिस्तरिए मास्क का प्रयोग करें। घर से बाहर निकालने की स्थिति में शारीरिक दूरी (कम-से-कम दो गज) का पालन अत्यंत जरूरी है तथा साबुन से कम-से-कम 20 सेकेंड तक अपने हाथों को नियमित धोते रहें। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखें और सभी पात्र-लाभार्थी समय पर कोविड का टीका अवश्य लें।