फर्जी सर्टिफिकेट वाले शिक्षकों में मचा हड़कंप, निगरानी जांच में आई तेजी

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– कई शिक्षकों पर दर्ज होगी प्राथमिकी

नवादा : जिले भर में कई फर्जी शिक्षक है. अब उनकी खैर नहीं है। लंबे अर्से के बाद जिले में नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की निगरानी जांच का काम तेज हो गया है। बताते चलें जिले में साढ़े सात हजार से अधिक शिक्षक विभिन्न चरणों में बहाल हुए हैं। निगरानी विभाग की ओर से पांच साल से अधिक समय से शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच का काम चल रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगरानी विभाग द्वारा जिन शिक्षकों के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। उनके खिलाफ विभिन्न थानों में प्राथमिकी करने की तैयारी कर रहा है। पांच दर्जन से अधिक शिक्षकों के सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए गए है। इनमें कुछ शिक्षकों के खिलाफ निगरानी विभाग की ओर से विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की अपुष्ट सूचना मिली है। निगरानी विभाग की कार्रवाई से फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने वाले शिक्षकों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। विभाग की ओर से फिलहाल प्रारंभिक स्कूलों में बहाल पंचायत व प्रखंड शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच कर रहा है। पिछले माह में विभाग ने सभी जिलों में बहाल नियोजित शिक्षकों को वेब पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड करने का निर्देश दिया था।

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जिले में अभी भी इस पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड करने की गति धीमी है। निगरानी विभाग की ओर से सर्टिफिकेट जांच के क्रम में जिले के छह शिक्षकों का प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिन शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। उनमें राकेश कुमार, शैलेश महतो, कुमारी नित्या, संजीव कुमार, मनोज कुमार व कुमारी वीणा के नाम शामिल हैं।

गौरतलब हो कि चार साल बीत गए। इसके बावजूद कुछ पंचायत नियोजिन इकाइयों की ओर से जिला शिक्षा विभाग को फोल्डर उपलब्ध कराने में आनाकानी की जाती रही। करीब तीन हजार फोल्डर निगरानी विभाग को नहीं मिलने से जांच का काम रुक गया था। इस दौरान जांच प्रक्रिया लंबे समय तक अटकी रही हैं।

जिले में कई बार स्थानीय तौर पर विभाग व जिला प्रशासन की ओर से शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच की गई। इस जांच के बाद जिन शिक्षकों के सर्टिफिकेट जाली पाए गए हैं। उन्हें शिक्षक की नौकरी से हटा दिया गया। राज्य सरकार के नियम के अनुसार सरकारी स्कूलों में कई साल से सेवाएं दे रहे शिक्षकों को अपनी शैक्षिक योग्यता की जानकारी साझा करनी होगी।

शिक्षकों को अपना शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक सर्टिफिकेट प्रोफाइल में अपलोड करना पड़ेगा। शिक्षकों का आधार नंबर भी प्रोफाइल में रहेगा। लिहाजा फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों पर गाज गिरेगी। क्योकि डिग्री व आधार में नाम, पिता का नाम, उम्र आदि जानकारी का मिलान किया जायेगा। इससे शहरों के अलावा ग्रामीण व पिछड़े इलाकों के स्कूलों को भी अच्छे शिक्षक मिलेंगे।

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