आदिवासी प्रथा को जीवित करती बिरहोर जाति के युवक-युवती की शादी

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नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड के चितरकोली पंचायत की नदी उस पार पहाड़ की तलहटी में बसे आदिवासी समुदाय के बिरहोर जाति के युवक और युवती के बीच रविवार को हुई शादी की चर्चा लोगों की जुबान पर है। शादी समारोह के बाद दोनों युवक- युवती परिणय सूत्र में बंध गए। आम जनमानस से अलग हटकर बिरहोर जाति की यह शादी वाकई कुछ अलग ही नजारा पेश कर रही थी। शादी के बाद बिरहोर जाति के लोगों व परिजनों ने दूल्हा-दुल्हन बने वर- वधु को सुखमय जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद दिया।

जानकारी के मुताबिक रजौली के चितरकोली पंचायत की दूधीमाटी गांव के बंधु बिरहोर व बिगनी बिरहोरनी के बेटे राजू बिरहोर की शादी झारखंड राज्य के कोडरमा जिले के मरकच्चो थाने के तेलियामारण गांव की मंगर बिरहोर व रत्नी बिरहोरनी की बेटी मालो बिरहोरनी के साथ रविवार को दूधीमाटी गांव में जंगल व पहाड़ के बीच के स्थल पर शादी हुई। हालांकि इस शादी में आम लोगों की शादी की तरह कोई ज्यादा विधि-विधान देखने को नहीं मिला। फटे-पुराने कपड़े पहने परिजनों, आदिवासी बोलचाल व आदिवासी गीतों व अलग रहन-सहन के बीच आदिवासी रीति-रिवाज से दोनों वर-वधू की शादी संपन्न हुई।

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मिट्टी पर बैठकर हल्दी की रस्म, सिंदूर दान, दुल्हन को सिंदूर देने के लिए दूल्हे द्वारा उसे बार-बार आदिवासी स्वर में बोलकर अपनी ओर खींचना वाकई में एक उत्सुकता पैदा कर रहा था। आदिवासी समुदाय की वर-वधू की शादी पर लोगों ने कहा कि यह शादी आज भी हमें उन दिनों की याद दिलाता हैं। जब लोग जंगलों में पेड़-पौधों के बीच कबीलों में रहा करते थे। जंगली खाद्य पदार्थों को खाकर अपना जीवन यापन किया करते थे।

गौर करने वाली बात यह है कि शादी के बाद जब उसके परिजनों से वर-वधु के उम्र के बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ भी याद नहीं है कि दोनों वर-वधू की कितनी उम्र हुई है। अगर दोनों की उम्र की स्पष्ट जानकारी मिलती तो सम्भवतः राज्य सरकार द्वारा प्रदत मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत ₹10000 की राशि वधु के पिता को मिलती। लेकिन उम्र की जानकारी के अभाव में वधु के पिता इस राशि से बंचित हो रहे हैं ।

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