Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

swatva samachar
बिहार अपडेट बिहारी समाज मधुबनी

17 दिसंबर : मधुबनी की मुख्य खबरें

कांग्रेस कमेटी द्वारा कृषि विरोधी तीनो कानून के विरोधी प्रतिरोध मार्च निकाल किया मोदी का पुतला दहन

मधुबनी : आज दिनांक 16दिसंबर 2020 को जिला कांग्रेस कमेटी मधुबनी के द्वारा किसान विरोधी मोदी सरकार के द्वारा कृषि विरोधी तीनो काला कानून के खिलाफ जिला कार्यलय से प्रतिरोध मार्च निकालकर शहर के थाना चौक पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन किया गया सभा को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष प्रो०शीतलाम्बर झा ने कहा कि देश के सैकड़ों किसान संगठनों के द्वारा इस कड़ाके के ठंड में पिछले 21 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली सिमा पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन तानाशाह मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को लाभान्वित करने के लिए किसान विरोधी तीनो काला कानून वापस नहीं लेना चाहती हैं। आज देश के अन्य दाता किसान भाइयों एवं बहनों को प्रताड़ित कर रही हैं परिणामस्वरूप दर्जनों किसानों ने अपनी प्राण की आहुति दे दी।

(1)गोदी सरकार किसानों को लागत को दुगुना मुनाफ़ा देना नहीं चाहती ।
(2)msp को कानूनी दर्जा नहीं देना
(3)किसानों का कृषि ऋण माफी नहीं करना
(4)किसानों का धान आज पैक्स के माध्यम से खरीदारी नहीं होना
5)किसानों का बिजली माफ नहीं करना एक सुनियोजित साजिश है।
(6)किसानों के लिए प्रतिमाह6महीना पेंशन नहीं देना चाहती हैं

आज मोदी सरकार देश के सभी सार्वजनिक संपत्ति रेलवे ,LIC, Bsnl,नवरत्न एयर लाइंस को भी अपने पूंजीपतियों के हाथों बेच दी। अब देश के 60%जनता जो किसानी पर निर्भर हैं ।बस कृषि को भी कर अंबानी एवं अडानी को धनवान बना रही हैं जिला कांग्रेस कमेटी मधुबनी सरकार से मांग करती हैं कि किसानों से अभिलम्भ वार्ता कर तीनों काला क़ानून वापस ले नहीं तो आंदोलन को और तेज किया जाय ।

कार्यक्रम मनोज कुमार मिश्र, हिमांशू कुमार, ललन कुमार सिंह, आनंद कुमार झा, बीरेंद्र झा, ज्योति झा, कौशल राजपूत,सुरेश चंद्र झा रमन, प्रो इस्तियाक अहमद, अनुरंजन सिंह, कौशल किशोर चोधरी, उर्मिला देवी, काली चंद झा, प्रफुल चंद झा, विनय झा, धनेसवर ठाकुर, फैजी आर्यन, अशोक कुमार, अमरजीत झा, मो एजाज,राजू कुमार झा, ललन राम, सुनीता देवी, आलोक चंद्र झा, ललिता देवी अन्य कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

किसान बिल के विरोध में एमएसयू के द्वारा समाहरणालय के आगे धरना

मधुबनी : मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा आज मधुबनी समाहरणालय के आगे धरना स्थल पर एक दिवसीय उपवास कर केंद्र सरकार के द्वारा लागू किसान बिल के विरोध में एमएसयू मधुबनी जिलाध्यक्ष विजय श्री के नेतृत्व में किसानों के समर्थन में एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त मौके पर उपस्थित एमएसयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश भारद्वाज ने कहा की केंद्र सरकार चाहती है कि सारे किसान मजदूर हो जाये और अम्बानी अडानी का मजदूरी करे।

वही पूर्व राष्ट्रीय सचिव राघवेन्द्र रमन ने कहा की केंद्र सरकार किसानों की आवाज को लगातार दबा रही है। ऐसे में मिथिला स्टूडेंट किसानों के पक्ष में खड़ी है, साथ ही मिथिला के तमाम किसानों को एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वाहन किया। वही अपने सम्बोधन में मधुबनी जिलाध्यक्ष विजय श्री टुन्ना ने कहा देश मे हो रहे किसानो के आंदोलन को सरकार चंद पूंजीपति के इशारों पर दबा रही है।

हमारे क्षेत्र के किसानों को अभी भी समर्थन मूल्य से कम पर अनाजो को बेचना पड़ता है, यह काफी निंदनीय है। उक्त सभा को राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रियरंजन पाण्डेय, मयंक विश्वाश, अंकित आजाद, सागर नवदिया, सुजीत कुमार, अरविंद झा, छोटू जी, जॉनी मैथिल, विकास मैथिल, राजन झा, कुन्दन कश्यप, गणेश भारद्वाज समेत अन्य ने सम्बोधित किया।

दिसंबर माह के अंत तक अपूर्ण योजना को हर हाल में करें पूर्ण, वरना होगी कार्रवाई :- एसडीएम

मधुबनी : जिले के बेनीपट्टी प्रखंड कार्यालय स्थित टीपीसी भवन में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत चारो प्रखंड बेनीपट्टी, हरलाखी, बिस्फी और मधवापुर प्रखंड में क्रियान्वित जल- नल योजना की समीक्षा एसडीएम अशोक कुमार मंडल की अध्यक्षता में दो पालियों में आहूत की गई। प्रथम पाली में बेनीपट्टी एवं मधवापुर प्रखंड तथा द्वितीय पाली में बिस्फी एवं हरलाखी प्रखंड के योजनाओं की समीक्षा वार्डवार किया गया।

समीक्षा के क्रम में पाया गया कि विभिन्न पंचायतों की कुछ वार्डों में जल-नल योजना का कार्य या तो प्रारंभ नहीं हुआ है या अधूरा है। जिसका मुख्य कारण जमीन का अभाव, मुखिया द्वारा राशि का स्थानांतरण नहीं करना एवं वार्ड सदस्य द्वारा कार्यों में रुचि नहीं लेना है। एसडीएम ने सभी पंचायत सचिव, तकनीकी सहायक एवं इस योजना से जुड़े सभी कर्मियों को निर्देश दिया कि वे अब तक प्रारंभ नहीं हुए कार्यों अथवा अपूर्ण कार्यों के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी और बीडीओ के माध्यम से तीन दिनों के अंदर देना सुनिश्चित करें।

बीपीआरओ एवं बीडीओ को पंचायतों में भ्रमणशील रहकर कार्य प्रारंभ नहीं होने या पूर्ण होने के कारणों का पता लगाकर संबंधित वार्ड के वार्ड क्रियान्वयन समिति तथा ग्राम पंचायत राज के मुखिया से बात करते हुए समस्या का निराकरण करें। कार्य को हर हाल में 31 दिसंबर 2020 तक पूरा करें ऐसा नहीं होने पर सभी संबंधितों के विरुद्ध विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुरूप कार्यवाही की जाएगी।

तीस वार्ड के लोगों द्वारा विजय घनश्याम के नेतृत्व में हुई नगर परिषद बोर्ड की बैठक

मधुबनी : आज नगर परिषद को नगर के एक से तीस वार्ड के लोगों द्वारा नगर के समाजसेवी विजय घनश्याम के नेतृत्व में नगर परिषद बोर्ड की बैठक में सभी वार्ड पार्षद कार्यपालक पदाधिकारी और चेयरमैन को घेरा। वहीं धरना प्रदर्शन कर नगर परिषद पर किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के नेता राजेन्द्र प्रसाद ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन राजु कुमार राज ने किया।

विजय घनश्याम ने कहा कि अगर नगर परिषद मधुबनी 25 तारीख तक आवास योजना की राशियों का भुगतान नही किया गया, तो नगर को बंदकर पूरे नगर का चक्का जाम कर सवाल किया जाएगा की आखिर हम कब तक खुले आसमान के नीचे रहेंगे। मौके पर जानकारी देते हुए समाजसेवी विजय घनश्याम ने बताया कि मधुबनी नगर परिषद क्षेत्र के लाभुक को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का लाभ नहीं मिल रहा है,वहीं पिछले दो सालों से नगर में एक से तीस वार्ड के लोगों को आवास योजना की प्रथम क़िस्त, द्वितीय क़िस्त एवं तृतीय किस्त का राशि भी आवंटन नही किया गया है!

वार्ड पार्षद ने बिचौलियों की भूमिका निभाई और पूंजीपतियों को इस योजना का लाभ मिला है :

जबकि ज्ञात हुआ है कि नगर में अभी तक पांच हजार से ज्यादा आवास योजना के लाभुक का चयन किया जा चुका है! जिसमें अभी तक कितनो को प्रथम किस्त भी नहीं मिली है! सूत्रों से पता चला है कि इसमें वार्ड पार्षद ने बिचौलियों की भूमिका निभाई है,वार्ड पार्षद ने लोगों से लगभग चालीस से पचास हजार रुपए आवास योजना का लाभ दिलवाने हेतु लोगों से नाजायज रूप से मोटी रकम भी ले लिया! इधर लोग आवास योजना का लाभ लेने के लिए अपना पुराना फुस का घर एस्बेस्टस का घर तोड़कर इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को विवश है!

वहीं वार्ड में चर्चा है कि वार्ड पार्षद और उनके बिचौलियों के द्वारा पूंजीपतियों को आवास योजना का लाभ दिलवाया गया है! कुछ पहुंच वाले पूंजीपतियों को तीनों किस्त का भुगतान किया गया है वहीं शौचालय निर्माण योजना में भी नगर के जनता को इसका लाभ नही मिला है वो बाहर शौच करने को मजबूर है,जबकि नगर परिषद मधुबनी 2018 में ओडीएफ घोषित जिला किया गया था।

गरीबों का नाम डीपीआ शामिल किया जायेगा :

नगर परिषद मधुबनी का कहना है कि जिनका नाम डीपीआर में शामिल नही है उनको आवास योजना का लाभ नहीं मिलेगा ऐसे में जिन गरीब गुरबों का नाम डीपीआर में नही शामिल है। उनका नाम डीपीआर सूची में शामिल किया जाए और उन्हें चिन्हित कर अविलंब आवास योजना की राशि का भुगतान किया जाए। जिससे वो अपना आधा अधूरा मकान निर्माण कार्य पूरा कर सकेंगे। आवास योजना में यह गाइडलाइंस जारी किया गया था कि लाभुकों के बीच वार्ड के मोहल्ले कालोनियों में लोगों के बीच इस योजना का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार कर गरीब,शोषितों, वंचितों जिनका फुस का खपड़ा या चदरा का घर है जिनको रहने के लिए घर नही है।

उनको इस प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाया जाय मगर ऐसा नगर परिषद मधुबनी ने कोई कार्यक्रम नही किया ऐसे में आज भी नगर मधुबनी क्षेत्र के एक से तीस वार्ड में हजारों लोगों को इसका लाभ मिलता नही दिखाई दे रहा है! अतः दो दिन के भीतर आवास योजना के लाभार्थियों को जिनका प्रथम किस्त नही मिला है,और द्वितीय किस्त तृतीय किस्त के बांकी बचे राशियों का अविलंब भुगतान करने की एंव दोषियों बिचौलियों को सीबीआई जांच की कानूनी कार्यवाही शुरू करने की कृपा करें! यदि इस ज्ञापन को गंभीरता से नही लिया गया तो बहुत जल्द शहर मधुबनी के जनता द्वारा नगर में जन आंदोलन किया जाएगा,जिसकी सारी जवाबदेही नगर परिषद प्रशासन की होगी।

कोविड-19 के खतरे को लेकर भारत-नेपाल बॉडर पर चलाया गया जागरूकता अभियान

मधुबनी : जिले के जयनगर में इंंडो-नेपाल बॉडर के चेकपोस्ट पर यूनिसेफ एवं बिहार सेवा समिति संपोषित के तत्वावधान में कोविड-19 रिस्पांस एंड फ्लड प्रिपेरेडनेस रिस्पांस एंड रिकवरी कार्यक्रम अंतर्गत सूचना-सह-परामर्श केंद्र का संचालन किया गया। इस केंद्र के माध्यम से लोगों को कोरोना वायरस रोग से बचाव के तरीकों को बताकर जागरूक करने का कार्य किया गया।

मधुबनी जिला कोडिनेटर इन्दु कुमार यादव ने कहा की जिला कोविड एवं बाढ़ के दोहरी मार से प्रभावित हैं। ठंड के मौसम में कोरोना का खतरा और बढ़ रहा है, अतः खतरे को कम करने हेतु अनिवार्य रूप से मास्क पहनना तथा दो गज की शारीरिक दूरी बनाना एवं बार-बार साबुन से हाथ धोना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हैंड बिल, पंपलेट एवं पोस्टर व ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से लगभग 3000 से ऊपर आगंतुकों को जागरूक किया गया। इस मौके चाइल्ड लाइन सेंटर के सदस्य सविता देवी सहित अन्य कई लोग मौजूद थे

सर्किल इंस्पेक्टर ने फरार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कुर्की जब्ती कारवाई के साथ कई अहम बिंदुओं पर दिए निर्देश

मधुबनी : जिले के विस्फी प्रखंड क्षेत्र के विस्फी थाना का सर्किल इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने गुरुवार को औचक निरीक्षण किया। इस मौके पर लंबित कांडों की समीक्षा की इस दौरान उन्होंने थाना अध्यक्ष संजय कुमार को कई तरह के दिशा निर्देश भी दिए कांडों के अवलोकन के पश्चात सर्किल इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने लंबित पड़े मामलों के त्वरित निष्पादन करने, चार्ज सीट दाखिल करने, न्यायालय से वारंट जारी करवाने एवं फरार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कुर्की जब्ती कि कारवाई करने के साथ फरार अपराधियों और वारंटी को गिरफ्तार करने बैंक एटीएम एवं पेट्रोल पम्प की निगरानी करने के साथ ठंड व कुहासे में समय पर संध्या एवं रात्रि गश्ती काफी तेज करने के साथ मौके पर कई अहम निर्देश एसएचओ को दिया।

इसके अलावा उन्होंने दागी व्यक्तियों पर विशेष नजर बनाए रखने तथा अपराध नियंत्रण को लेकर संध्या एवं रात्रि गस्ती तेज करने और बैंक के आसपास निरंतर जांच अभियान चलाने का निर्देश दिया गया। उन्होंने उपस्थित पुलिस पदाधिकारी को कहा कि आम लोगों के सहयोग से शराबबंदी कानून को पूर्ण रूप से प्रभावी बनाने की बात कही सभी पदाधिकारियों को समय से सभी कार्य करने को कहा दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी की जाएगी।

वहीं अच्छे कार्य के लिए वैसे पदाधिकारी को पुरस्कृत भी किए जाने की बात उन्होंने बताया। तथा कोविड-19 को देखते हुए वाहन चेकिंग अभियान एवं लोगों को मास्क पहने दो गज की दूरी रखने को लेकर अभियान चलाने का भी निर्देश दिए। कांडों की समीक्षा के दौरान थाना अध्यक्ष संजय कुमार ,एएसआई माया शंकर सिंह, सुरेंद्र यादव, डीके निसाद, सुरेश चौधरी, रविंद्र चौधरी, हरिंदर राय केपी राय सहित कई पुलिस पदाधिकारी के साथ चौकीदार भी मौजूद थे।

कोविड-19 टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य कर्मियों का किया गया उन्मुखीकरण

मधुबनी : वैश्विक महामारी कोरोना के बचाव के लिए कोविड-19 टीकाकरण किया जाना है. इसी क्रम में जिला के सभी टीकाकरण से संबंधित पदाधिकारियों एवं कर्मियों का दो दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा ज़ूम वीसी के माध्यम से किया गया, जिसमें कोविड वैक्सीन हेल्थ केअर वर्कर एवं लाभार्थी को टीकाकरण के लिए वैक्सीन प्लानिंग, कोविन सॉफ्टवेयर अपडेशन, वैक्सीन की रख रखाव, कोल्ड चैन प्रबंधन, सेफ वैक्सीन, सोशल डिस्टेंस के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया।

प्रशिक्षण के दौरान राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार सिन्हा ने कोविड-19 के टीकाकरण, कार्य योजना, टीका के रखरखाव के लिए कोल्ड चेन की भूमिका तथा कचरे के निस्तारण को लेकर विस्तार से चर्चा किया गया। वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ईविन) से सदर अस्पताल सहित पीएचसी के कोल्ड चेन प्वाइंट को जोड़ने का निर्देश दिया गया। इस सिस्टम में एप के माध्यम से वैक्सीन के तापमान एवं गुणवत्ता आदि पर नजर रखी जाती है। जीपीएस से वैक्सीन के कोल्ड चेन मेंटेनेंस सहित अन्य जानकारियां भी आसानी से मिलती है।

तीन कमरों का होगा टीकाकरण स्थल :

प्रशिक्षण में राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ नरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया प्रथम फेज में स्वास्थकर्मी को टिका लगाए जाने की योजना है टीकाकरण के लिए टीम का गठन करने का निर्देश दिया गया उन्होंने बताया टीकाकरण के लिए जो साइट चिन्हित होगा। उसमें तीन कमरे होंगे पहला कमरा में जिसका रजिस्ट्रेशन हो चुका है उसका पोर्टल पर वेरिफिकेशन किया जाएगा। वेरीफिकेशन संपुष्टि होने पर उसे वैक्सीनेशन रूम में भेजा जाएगा और वैक्सीन लगाया जाएगा, उसके बाद व्यक्ति को तीसरे कमरे में ऑब्जरवेशन के लिए भेजा जाएगा जहां आधा घंटा के लिए उन्हें रखा जाएगा ताकि किसी तरह का यदि रिएक्शन होता है तो तत्क्षण उनका इलाज किया जा सके और आधे घंटे के बाद उन्हें भेज दिया जाएगा। वैक्सीन प्रत्येक व्यक्ति को दो डोज पड़ेगा प्रथम डोज परने के बाद दूसरे डोज के बारे में अभी समय निर्धारित नहीं किया गया है।

जिले में 21 को कोल्ड चेन है संचालित :

जिले में वर्तमान में 21 कोल्ड चेन पॉइंट है जहां टीके को रखा जाता है, कोविड-19 के टीके को कोल्ड चेन में 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाएगा। सत्र स्थल पर ले जाने के लिए वैक्सीन कैरियर (आइस बॉक्स) में इसे वैक्सीनेशन साइट पर ले जाया जाएगा।

कैसे काम करता है डीप फ्रीजर :

कोल्ड चेन में टीके रखने के डीप फ्रीजर में थर्मामीटर लगे हुए हैं। ऐसे में फ्रीजर के बंद या खराब होने पर इसकी जानकारी संबंधित स्टाफ के पास चली जाती है। फ्रीज का तापमान 2 से 8 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा जाने पर मोबाइल से मैसेज व अलार्म बजने लगता है। ऐसे में तुरंत स्टाफ जाकर टीके को देख लेता है और उसे खराब होने से बचा लिया जाता है।

किया जाएगा कचरा का निस्तारण :

प्रशिक्षण में सिरिंज, निडिल का प्रॉपर डिस्पोजल किया जाएगा 3 कंटेनर रखा जाएगा वैक्सीनेशन के बाद जो भी कचरे होंग उसके निस्तारण के लिए उसे मुजफ्फरपुर भेजा जाएगा। इस ज़ूम ट्रेनिंग में सिविल सर्जन, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधकारी डॉ. सुनील कुमार, जिला प्रतिक्षण पदाधिकारी डॉ. एस. के. विश्वकर्मा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक दया शंकर निधि एवं सहयोगी संस्था डब्ल्यूएचओ के डॉ आदर्श वर्गीज, यूएनडीपी, पाथ, केयर इंडिया के कर्मी उपस्थित थे।

आयुष ग्राम को लेकर दूसरे दिन दिया गया प्रशिक्षण

मधुबनी : आयुष विधि से उपचार एवं रोकथाम के विभिन्न रोगों को के बारे में जागरूकता के लिए जिले का स्थानीय होटल में आंगनवाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग के कर्मी, कृषि विभाग के कर्मी को दूसरे दिन प्रशिक्षण दिया गया। राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक डॉक्टर अजीत कुमार सिंह ने बताया जिले के दो प्रखंड को आदर्श आयुष ग्राम के लिए चयनित किए गए हैं, जिसमें कैंप लगाकर आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक तथा योगा पद्धति से मरीजों का इलाज किया जाएगा। जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर हरेंद्र कुमार लाल दास ने बताया 18 दिसंबर को पंडौल प्रखंड के हाई स्कूल मैदान पर स्वास्थ्य कैंप लगाया जाएगा, जिसमें चिन्हित पंचायत सहित पूरे प्रखंड के लोगों को देशी चिकित्सा का लाभ मिलेगा तथा आयुष ग्राम लोहट में 19 व पटवारा में 21 दिसंबर को शिविर लगाया जाएगा।

क्या है आयुष ग्राम योजना :

जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर हरेंद्र कुमार लाल दास ने बताया, आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आम जनता को आयुष चिकित्सा सेवाएं सहज रूप से उपलब्ध करवाए जाने एवं उनके आधार पर स्वास्थ्य सूचकांकों के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से आयुषग्राम योजना ”आयुष मिशन” के तहत प्रारंभ की है। इस योजना के तहत 5 गांव के लगभग 10,000 जनसंख्या को शामिल किया गया है। आयुर्वेदिक भारतीय चिकित्सा प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिनमें स्वस्थ जीवन-यापन रोगों की रोकथाम तथा उपचार के लिए अथाह भंडार है। आयुष चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेदिक, योग, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धतियों का समावेश है। इस योजना से ग्राम वासियों के स्वास्थ्य का स्तर सुधरेगा जिसके फलस्वरूप उनका जीवन स्तर भी सुधरेगा।

आयुष ग्राम योजना के उद्देश्य :

आयुष ग्राम योजना के तहत संचारी रोग रोग जैसे हेपेटाइटिस बी, सी, मलेरिया, डेंगू, ट्यूबरक्लोसिस, एचआईवी, कोविड-19, चिकनगुनिया, वायरस, इनफ्लुएंजा एवं गैर संचारी रोग जैसे डायबिटीज, एनीमिया, मानसिक तनाव, ब्लड प्रेशर, थायराइड आदि बीमारियों का इलाज, रोकथाम एवं उपचार करना है तथा रोकथाम के और उपचार के लिए उपाय बताना है।

कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए इन विभागों का लिया जाएगा सहयोग:

कार्यक्रम को सफल संचालन के लिए आयुष विभाग के अतिरिक्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विभाग, वन विभाग, आईसीडीएस एवं एनजीओ का सहयोग लिया जाएगा। जिसमें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य योजनाओं की प्रदर्शनी तथा जानकारी उपलब्ध करवाएंगे एवं प्राथमिक उपचार के लिए ओपीडी तथा इमरजेंसी सेवाएं प्रदान करेंगे, शिक्षा विभाग सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों के छात्र छात्राओं को शिविर में स्वास्थ्य प्रदर्शनी का अवलोकन तथा स्वास्थ्य जानकारी उपलब्ध करवाएंगे, कृषि विभाग औषधीय पादपों के कृषि से संबंधित जानकारियां उपलब्ध करवाएंगे, वन विभाग औषधीय वनस्पति की प्रदर्शनी तथा वनस्पतियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना पौधे वितरण करवाना, विद्यालय में पौधारोपण करवाना आदि कार्य करेंगे. आईसीडीएस विभाग महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पोषण संबंधी प्रदर्शनी एवं जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। मौके पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश शर्मा ट्रेनर डॉ. रमेश पासवान, डॉ. सुजीत पासवान आदि उपस्थित थे।

नाटापन (स्‍टंटिंग) को मात देने में बिहार को फ़िर मिली सफ़लता, पांच सालों में 5% से अधिक की कमी

मधुबनी : बिहार के बच्चों को नाटापन के जाल से निकलने में फ़िर सफलता मिली है. हाल में जारी किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों ने इस बात की पुष्टि की है. विगत पांच सालों में बिहार में नाटापन( उम्र के हिसाब से लम्बाई का कम होना) में 5.4% की कमी आई है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4( वर्ष 2015-16) के अनुसार में बिहार में 48.3% बच्चे नाटापन से ग्रसित थे, जो अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (वर्ष 2019-20) के अनुसार घटकर 42.9% हो गयी है. यह कमी वर्ष 2015-16 में जारी हुई राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के दौरान भी दर्ज हुयी थी. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (वर्ष 2005-06) में बिहार में 55.6% बच्चे नाटापन के शिकार थे, जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4(वर्ष 2015-16) में घटकर 48.3% हो गयी थी।

बच्चों में नाटापन होने के बाद इसे पुनः सुधार करने की गुंजाइश कम हो जाती है एवं यह बच्चों में कुपोषण की सबसे बड़ी वजह भी बनती है. इस लिहाज से नाटापन में आई कमी सुपोषित बिहार की राह आसान करने में प्रमुख भूमिका अदा करेगी. अपर्याप्त पोषण एवं नियमित संक्रमण जैसे अन्य कारकों के कारण होने वाला नाटापन बच्चों में शारीरिक एवं बौद्धिक विकास को अवरुद्ध करता है जो स्वस्थ भारत के सपने के साकार करने में सबसे बड़ा बाधक भी है.

मधुबनी में नाटापन में 8 % की आयी कमी :

यदि विगत पांच सालों में नाटापन में कमी की बात करें तो बिहार का मधुबनी में 8% की कमी आयी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार मधुबनी में 51.8 % बच्चे नाटापन से ग्रसित थे जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार 43.3% घट कर हो गया है.

सुपोषित बिहार के सपने को करना है साकार

आई.सी.डी.एस. निदेशक आलोक कुमार ने कहा कि राज्‍य में बच्‍चों एवं महिलाओं के पोषण स्‍तर में अपेक्षित सुधार लाने हेतु आई.सी.डी.एस. के माध्‍यम से कई योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही है। जिसका अनुश्रवण एवं मूल्‍यांकन विभिन्न स्तरों ICDS-CAS, आँगन-एप, RRS के माध्‍यम से किया जाता रहा है। जिसके फलस्‍वरूप स्‍वास्‍थ एवं पोषण के कुछ संकेतकों में सुधार है। आगे भी हमें निरन्‍तर इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है।

‘बाल कुपोषण मुक्त बिहार’ अभियान बना सूत्रधार :

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार विगत पांच सालों में बिहार में नाटापन में कमी आयी है. यद्यपि, इस सुधार में पोषण एवं स्वास्थ्य के कुछ विशेष सूचकांकों में आयी कमी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार विगत पांच सालों में बिहार में 6 माह तक केवल स्तनपान, संस्थागत प्रसव, महिला सशक्तीकरण, संपूरक आहार( 6 माह के बाद स्तनपान के साथ ठोस आहार की शुरुआत), कुल प्रजनन दर में कमी, 4 प्रसव पूर्व जाँच एवं टीकाकरण जैसे सूचकांकों में सुधार हुआ है। ये सूचकांक कहीं न कहीं नाटापन में कमी लाने में सहायक भी साबित हुए हैं।

लेकिन वर्ष 2014 में शुरू की गयी ‘बाल कुपोषण मुक्त बिहार’ अभियान नाटापन पर अधिक केन्द्रित था। इस तरह अभियान के तहत किए गए सार्थक एवं सामूहिक प्रयास नाटापन में कमी लाने में सूत्रधार बना। वहीं मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, समेकित बाल विकास सेवा सुदृढ़ीकरण एवं पोषण सुधार योजना (आई एस एस एन पी) पोषण अभियान एवं ओडीएफ़ जैसे कार्यक्रमों का बेहतर क्रियान्वयन भी नाटापन में सुधार लाने में सकारात्मक प्रभाव डाला है।

नाटापन के गंभीर दूरगामी परिणाम :

आईसीडीएस डीपीओ डॉ.रश्मि वर्मा उम्र के हिसाब से लंबाई कम होना ही नाटापन कहलाता है। गर्भावस्था से लेकर शिशु के 2 वर्ष तक की अवधि यानी 1000 दिन बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास की आधारशिला तैयार करती है. इस दौरान माता एवं शिशु का स्वास्थ्य एवं पोषण काफी मायने रखता है। इस अवधि में माता एवं शिशु का खराब पोषण एवं नियमित अंतराल पर संक्रमण नाटापन की सम्भावना को बढ़ा देता है। नाटापन होने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध होता है. साथ ही नाटापन से ग्रसित बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक बीमार पड़ते हैं, उनका आई-क्यू स्तर कम जाता है एवं भविष्य में आम बच्चों की तुलना में वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पिछड़ भी जाते हैं।

जिलावार रणनीति पर होगा कार्य :

यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ रवि नारायण परही ने कहा कि हाल में जारी किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में नाटापन (स्टंटिंग) में 5.4% की कमी आई है . जबकि देश के अन्य प्रमुख राज्यों में नाटापन की दर घटने की जगह बढ़ी है. बिहार ने स्टंटिंग दरों को कम करने के लिए उल्लेखनीय रूप से अच्छा कार्य किया है. विभिन्न विभागों के अभिसरण (कन्वर्जेन्स) के माध्यम से पोषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी विशेष जरुरत वाली माताओं को चिन्हित करने एवं 6 से 23 माह एवं खासकर 6 से 8 माह के बीच बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए आहार विविधता पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है. इसके लिए जिलावार पोषण सूचकांकों के अनुसार रणनीति बनानी होगी जिससे पोषण लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकेगा.

घर के पुरुष भी सुनिश्चित करें अपनी सहभागिता

घर-घर सुपोषण की अलख जगाने की दिशा में आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ कई अन्य सहयोगी संस्था भी निरंतर कार्य कर रही है। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर इसको लेकर सामुदायिक जागरूकता एवं सहभागिता भी महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण को लेकर माताओं की सक्रियता अधिक है। अभी भी पुरुष अपने बच्चे के पोषण को लेकर गंभीर नहीं है। गर्भवती महिला का स्वास्थ्य एवं पोषण, बच्चों का स्तनपान एवं संपूरक आहार जैसे बुनियादी फैसलों में पुरुषों की सहभागिता होने से कुपोषण के दंश से बच्चों को बचाया जा सकता है।

मोटरसाइकिल की ठोकर से 15 वर्षीय युवती की घटना स्थल पर ही मौत

मधुबनी : जिले के बिस्फी के औंसी थाना क्षेत्र के निजाम चौक से पूरब मोटरसाइकिल की ठोकर से 15 वर्षीय एक लड़की की मौत बुधवार को घटनास्थल पर ही हो गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार औंसी बिचला टोला निवासी जैनव परवीन अपने भाई के साथ चौक पर खड़ी थी, इसी दौरान औंसी के तरफ से तेज गति से एक मोटरसाइकिल सवार ने उसे ठोकर मार दी। जिससे उसकी मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही औंसी थाना अध्यक्ष कुणाल कुमार ने दल बल के साथ पहुंचकर शव को कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए मधुबनी सदर अस्पताल भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि मोटरसाइकिल पर सवार युवक मौके से ही फरार गया हैं। उन्होंने बताया कि एक ट्रैक्टर को साइड देने के चक्कर में यह घटना घटी है। लोगों में घटना की सूचना मिलते ही परिवार वालों में कोहराम मच गई। मृतक दसवीं कक्षा में औंसी गांव में पढ़ाई करती थीं।