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किसानों की नहीं बिचौलियों से हो रही पैक्सों में धान की खरीदारी

नवादा : प्रदेश की मुखिया नीतीश कुमार अधिकारियों के संग बैठक कर किसानों की धान अधिप्राप्ति शीघ्र शुरू करने को लेकर संबंधित अधिकारियों को हर दिन दिशा निर्देश दे रहे हैं। जबकि अधिकारी व पैक्स अध्यक्षों द्वारा बिचौलियों की मिली भगत से किसानों के नाम पर व्यवसायियों से धान खरीद कर सरकारी बेवसाइट पर आंकड़ा दिखा रहे हैं। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी धान खरीद फर्जी किसानों से शुरू कर कागजी खानापूर्ति करने का काम शुरू हो चुका है। जबकि अभी तक मात्र जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के 16 में से आठ पैक्स ही धान खरीद शुरू किया है।

इस बाबत अब तक सर्वाधिक धान खरीद चुके मोहिउद्दीनपुर पंचायत के संबंधित किसानों से जब सम्पर्क किया गया। तब अब तक प्रस्तुत सरकारी आंकड़ा का सच सामने आया। उदाहरण के तौर पर मोहिउद्दीनपुर पंचायत की बल्लोपुर ग्रामीण मो कमल अंसारी से संपर्क किया गया। तब सरकारी आंकड़े के अनुसार उक्त किसान को साढ़े पांच एकड़ खेतिहर भूमि का पर्चा पर डेढ़ सौ क्विण्टल धान की खरीद का डाटा उक्त पैक्स के साइट पर लोड है। लेकिन संबंधित किसान से बात करने पर घबराकर कहा कि मुझे तो मात्र एक एकड़ 25 डिसमिल खेतिहर जमीन है। जांच होने की बात कह हड़काने पर बताया कि मैने अभी धान नहीं बेचा, बल्कि मेरे दादा की सामूहिक जमीन का पर्चा एवं 2012 में बना एलपीसी एक व्यक्ति मांग कर ले गया था।

बता दें कि प्रखंड के आठ पैक्स ही अभी तक धान की खरीदारी शुरू किया है। दो दिन पूर्व की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार मात्र 1178 क्विंटल धान की खरीदारी हुई है। जिसमें सबसे अधिक मोहिद्दीनपुर पंचायत के किसानों से 403 क्विंटल धान की खरीदारी सरकारी वेबसाइट पर दर्शाई जा रही है। शुक्रवार को सरकारी वेबसाइट के आंकड़ों को जब अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया जिसे पढ़कर उक्त पंचायत के किसान आश्चर्यचकित हैं। पंचायत के किसानों से मिली जानकारी के अनुसार पंचायत में अभी धान की खरीद शुरू भी नहीं हुई है। पंचायत के पूर्व सरपंच और मोहिद्दीनपुर ग्रामीण अजीत प्रसाद के अनुसार पंचायत में धान खरीद अभी शुरू नहीं हुई है।

जबकि वर्तमान सरपंच विपिन पासवान के अनुसार अभी तक पंचायत की गांवो में धान खरीद शुरू नहीं हुई है । लेकिन गोदाम में धान रखा जा चुका है। प्रखंड राजद के अध्यक्ष सह उक्त पंचायत की सोनबरसा निवासी मुनेश्वर कुशवाहा के अनुसार पंचायत में धान क्रय केंद्र अभी नहीं खुली है और एक छटाक धान क्रय केंद्र के माध्यम से खरीदा नहीं गया है। वहीं सोनबरसा ग्रामीण रामविलास कुशवाहा, गंभीरपुर ग्रामीण जगदीश प्रसाद, नेबाज गढ़ ग्रामीण रजनीश कुमार, हरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि पंचायत में कोई भी ऐसा किसान नहीं है जो 100 या 200 क्विंटल धान की बिक्री करता है। सरकारी वेबसाइट पर 403 क्विंटल धान खरीदारी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों से धान खरीदारी शुरू नहीं हुई है। जिससे हम लोगों को अपने धान को व्यवसायियों के हाथों औने पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है।

पिछले वर्ष भी किसान की कम और व्यसायियो से ज्यादा खरीदी गई थी धान : –

प्रखंड के किसानों की माने तो पिछले वर्ष वारिस के अभाव में वारिसलीगंज में लगभग 40 फीसदी ही धान की रोपनी हो सकी थी। कम धान रोपनी के चलते सरकार द्वारा 40 हजार क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया था। जिसके लिए क्षेत्र के सैकड़ों किसानों द्वारा धान बिक्री करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया गया था। देर से ही सही अंततः जनवरी के अंतिम सप्ताह से कुछ पैक्स के द्वारा धान खरीद शुरू की गई। लेकिन तब तक किसानों ने अपनी उपज का 80 फीसदी से अधिक धान व्यवसायियों के हाथों बिक्री कर चुके थे।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पैक्स अध्यक्ष ने बताया की प्रखंड में मात्र कुछ पैक्स को छोड़ अधिकांश पैक्स अध्यक्षों द्वारा मात्र खानापूर्ति करने के लिए 10 से 20 प्रतिशत धान की खरीद किसानों से की गई थी। बाकी बचे 80 फीसदी धान का चावल जिसको सरकारी गोदाम में जमा करना होता है। बाहर से खरीद कर जमा कर दिया गया है। शेष लेखा जोखा कागजो पर सम्पन्न किया गया।

पैक्स अध्यक्ष खुद अपने नाम पर बेच चुके हैं कई क्विंटल धान :-

मोहिउद्दीनपुर पंचायत की पैक्स अध्यक्ष ब्रह्मदेव प्रसाद ने बताया कि पैक्स के द्वारा धान खरीद शुरू कर दी गई है। बताया कि अब तक 403 क्विंटल धान की खरीद हो चुकी है।इस संबंध में जानकारी के लिए प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मोहिउद्दीनपुर पैक्स के 05 किसानों से 403 क्विण्टल धान खरीद की गई है।

जिसमें ब्रह्मदेव प्रसाद पूर्व पैक्स अध्यक्ष, शिवशंकर पासवान पैक्स अध्यक्ष का पति, वारिसलीगंज बाजार के बैट्री दुकानदार सह बल्लोपुर ग्रामीण मो कमाल अंसारी व राहुल कुमार तथा श्यामदेव प्रसाद का नाम सामने आया। यह तो सिर्फ बानगी है अगर सही व ईमानदारी पूर्वक जांच किया जाय तो पता चलेगा कि सरकार धान का समर्थन मूल्य के नाम पर जो सब्सिडी दे रही है उसे किसान कम और बिचौलिया तथा संबंधित अधिकारी ज्यादा निगल रहे हैं।