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08 दिसंबर : सारण की मुख्य खबरें

किसान विरोधी बिल के खिलाफ राजद और सामर्थन में कई दलों द्वारा बंद की गई चौक चौराहे

छपरा : किसान विरोधी बिल के खिलाफ राजद और समर्थक मे कई दलों द्वारा छपरा के चौक चौराहे पर बंद की गई। जहां साथ में भीम सेना, कम्युनिस्ट पार्टी तथा छात्र संगठनों ने झंडा बैनर के साथ सड़कों पर दिखे वहीं जिले के मढौरा से विधायक जितेंद्र कुमार राय गढ़खा विधायक तथा एकमा विधायक और राजद के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राय सहित सैकड़ों समर्थक सड़क पर बंदी करते दिखे। वहींकथित तौर पर किसान विरोधी बिल को लेकर छपरा शहर के ब्रम्हपुर पुल के समीप राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं व समर्थकों के द्वारा बीच सड़क पर आग लगी कर सड़क जाम कर दिया। गया जहां इस रास्ते से गुजरने वाली सभी गाड़ियां बंद हो गई और यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई।

इलाज कराने बेझिझक स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंच रहे लोग

छपरा : एक समय था जब लोग अस्पताल जाने के नाम से कतराते थे। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए लॉकडाउन लागू किया गया था। कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में डर व भय व्याप्त था। स्थिति ऐसी थी कि लोग बीमार पड़ने के बावजूद भी अपना इलाज कराने जाने से कतराते थे। लेकिन अब यह तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। देश से लॉकडाउन हटा दिया गया।

स्वास्थ्य संस्थानों को पहले के तरह संचालित कर दिया गया। जिले के सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही है। अब लोग भी अपना इलाज कराने बेझिझक स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंच रहें। इसका मतलब यह नहीं है कोरोना संक्रमण खत्म हो गया, बल्कि संक्रमण के मामले कम हुए है। लोगों ने भी अपने व्यवहार में परिवर्तन किया है। कोविड अनुरूप व्यवहार को अपने जीवन के हिस्से में शामिल किया है।

ओपीडी में प्रतिदिन आते है 600 से 700 मरीज :

कोरोना काल में सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी सेवा को भी कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। लेकिन कुछ महिने पहले की सभी ओपीडी सेवा को सुचारू कर दिया गया। अब पहले की तरह सदर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 600 से 700 मरीज आ रहे है। यहां सभी तरह के जरूरी दवाओं के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही है।

अब बेझिझक पहुंच रहे लोग :

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। भले हीं संक्रमण के मामले कम हुए है। अब स्थिति बदल रही है। पहले के तरह अस्पताल में मरीजों की भीड़ जुट रही है। पहले लोग अस्पताल में आने से भी डरते थे। गर्भवती महिलाएं भी सरकारी अस्पताल में नहीं आ पाती थी। लेकिन अब स्वास्थ्य संस्थानों में सभी सेवाएं बहाल कर दी गयी है। अस्पतालों में आने वाले सभी लोगों से अपील की जा रही है कि कोविड अनुरूप व्यवहार को पालन करें।

कोरोना से बचाव के लिए सावधानी अभी भी जरूरी :

सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने आये सदर प्रखंड के लाल बाजार निवासी कृष्णा राम कहते हैं “कोरोना से बचाव के लिए सावधानी अभी भी जरूरी है। खासकर जब कोई व्यक्ति अस्पताल जाता है तो वहां मास्क का उपयोग करना बहुत जरूर हो जाता है। क्योंकि अभी हमारे देश के सभी वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे है। अभी वैक्सीन तैयार नहीं हुई है, तब तक हम सभी सावधानी बरतना आवश्यक है”

सरकारी अस्पताल हीं बना सहारा :

सदर अस्पताल में इलाज कराने आयी रिविलगंज निवासी सीमा देवी का कहना है कि “यह बदलाव साबित करता है कि सेहत के साथ-साथ अब सतर्कता मनुष्य की प्राथमिकता बन गयी है। सरकारी अस्पतालों में आमूलचूल आधुनिक परिवर्तन हुए हैं आगे और भी होंगे क्योंकि निजी अस्पताल कोविड-19 महामारी में खास कारगर साबित नहीं हुए हैं। कोरोना काल में सरकारी अस्पताल हीं लोगों का सहारा बना”

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत सुरक्षित मातृत्व अश्वासन (सुमन) कार्यक्रम का किया गया क्रियान्वयन

छपरा : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत सुरक्षित मातृत्व अश्वासन (सुमन) कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आने वाली सभी महिलाओं व शिशुओं को अनिवार्य रूप से सम्मानपूर्वक तथा उच्च कोटी की स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी खर्च के उपलब्ध कराया जाना है। यह कार्यक्रम माता तथा शिशु को सकरात्मक एवं तनाव मुक्त जन्म का अनुभव प्रदान करने में सहयोग प्रदान करेगा।

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में प्रसूति महिलाओं को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि कभी-कभी महिलाओं की जान भी जोखिम में आ जाती है। किन्तु, अब प्रसूति महिलाओं को इन परेशानियों का सामना करना नहीं पड़ेगा। मालूम हो कि अब इन महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व आश्वसन (सुमन) कार्यक्रम के तहत बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत ना सिर्फ महिलाओं की परेशानियाँ दूर होगी, बल्कि मातृ मृत्यु दर में भी कमी आएगी और लोग संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देंगे। कार्यक्रम के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर जिला सिविल सर्जन पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना :

सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। किन्तु, जागरूकता के आभाव में कई बार समुदाय के लोग इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। अब सुमन कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं, प्रसव के बाद छह महीने तक प्रसूति महिलाओं एवं उनके बीमार नवजात शिशु को निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिले सभी पीएचसी प्रभारी को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

24 घंटे के अंदर देनी होगी मातृ मृत्यु की सूचना :

सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सबसे पहले मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी। जबकि, मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को भी दो सौ रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावे इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानी होने पर 104 टोल फ्री नंबर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

घर से अस्पताल तक पहुंचाने की होगी जिम्मेदारी :

सुमन कार्यक्रम के तहत प्रसव के बाद आवश्यकतानुसार बीमार प्रसूति और शिशु को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग लगातार ऐसी प्रसूति और शिशु का देखरेख करता हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा कार्यकर्ता महिला के घर जाकर उनका स्वास्थ्य का हाल जानेगी और वर्तमान स्थिति की जानकारी स्थानीय पीएचसी को देगी।

इन सेवाओं का शत-प्रतिशत लाभ लोगों मिले इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा। कार्यक्रम के तहत रेफरल सुविधाओं को और भी मजबूत किया जाएगा। इसके लिए किसी भी महत्वपूर्ण मामले की आपात स्थिति के एक घंटे के भीतर स्वास्थ्य सुविधा तक पहुंचने की गुंजाइश के साथ रेफरल सेवाओं का आश्वासन दिया जाएगा। जिसमें लाभार्थी को घर से अस्पताल तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस की भी सुविधा शामिल है। जटिलताओं के मामले एवं सिजेरियन प्रसव पर नि: शुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।