पंडारक में कुश्ती दंगल प्रतियोगिता का सफल आयोजन
बाढ़ : कुश्ती के खेलगाँव के रुप में मशहूर पटना जिले के प्रखंड मुख्यालय पंडारक में हर साल की तरह इस बार भी दुर्गापूजा के अवसर पर दंगल का आयोजन हुआ। पिछले डेढ़ सौ सालों से से भी अधिक समय से कुश्ती की परंपरा को अक्षुण्ण रखने वाली पंडारक की धरती पर आज भी तीन-चार अखाड़ों का नियमित संचालन हो रहा है।
इन अखाड़ों से राज्य स्तर के दर्जनों चैम्पियन पहलवानों के अतिरिक्त विभिन्न विभागों में कार्यरत् राष्ट्रीय स्तर के पहलवान भी निकले हैं। कोरोनाकाल से उत्पन्न संकट और परिवहन की असुविधा के चलते इस बार पंडारक के वार्षिक कुश्ती दंगल में बाहर के पहलवानों की सहभागिता नहीं हो सकी। स्थानीय पहलवानों के बीच ही मुकाबले हुये। विभिन्न स्पर्द्धाओं में पीयूष पहलवान, धीरज पहलवान, अमित पहलवान, मोहित पहलवान आदि विजयी रहे। इस कुशती दंगल को देखने के लिए बड़ी संख्या में कुश्तीप्रेमी दर्शक उपस्थित रहे।
पंडारक में हुआ रश्मिरथी का सफल नाटक मंचन
बाढ़ : बिहार की सुप्रसिद्ध नाट्य संस्था किरण कला निकेतन, पंडारक ने दुर्गापूजा के अवसर पर अपने 64वें वार्षिक नाट्य महोत्सव का आयोजन किया। कोरोनाकाल के चलते इस बार संक्षिप्त रुप में आयोजित इस समारोह के अंतर्गत कोविड-19 के लिए आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन करते हुए रंगमंच की जगह पूर्वांचल दुर्गा पूजा समिति, पंडारक के प्रांगण में ‘राम मनोहर शर्मा मुक्ताकाश मंच’ पर एक मात्र नाटक रश्मिरथी का संक्षिप्त मंचन किया गया।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित तथा पंडारक के नाटककार अमित कुमार द्वारा नाट्य रुपांतरित रश्मिरथी का निर्देशन रविशंकर कुमार ने किया। कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर नैतिकता और विश्वसनीयता की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर देनेवाले इस नाटक में रश्मिरथी का अर्थ है- सूर्यकिरण रथ का सवार अर्थात् कर्ण। इस नाटक में कर्ण की भूमिका में रविशंकर एवं कृष्ण की भूमिका में चंदन ने अद्भुत अभिनय का प्रदर्शन किया।
भीष्म एवं दुर्योधन की भूमिकाओं में क्रमशः शिवकुमार शर्मा तथा संतोष कुमार ने भी अपनी उत्कृष्ट अभिनय कला दिखाई । द्रोणाचार्य के रुप में रविशंकर रकटू तथा इन्द्र के रुप में संजय जायसवाल प्रभावी रहे। अर्जुन, धृतराष्ट्र, भीष्म, युधिष्ठिर तथा द्वारपाल की विभिन्न भूमिकाओं में श्याम कुमार, संजय पहलवान, सन्नू, सौरभ एवं दीपक ने भी दर्शकों को बाँधे रखा। सगीत संयोजन ब्लू आनंद, इन्द्रदेव, राजेश एवं दिलीप मिस्त्री ने किया। रंगमंच व्यवस्था रामाश्रय प्र. शर्मा, रमेश प्र. सिंह, रामानंद प्र. सिंह, उपेन्द्र शर्मा, विनय कृष्ण शर्मा की थी तथा प्रस्तुति सहायक के रुप में मुकेश, रवीश, राजीव, गोपाल, ब्रजेश, पीयूष आदि ने अपना सक्रिय योगदान दिया।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट