3.5 करोड़ की लगात से रहिका पीएचसी परिसर में बनेगा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र
– प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत होगा निर्माण
– स्वास्थ्य केंद्र में 30 बेड की होगी व्यवस्था
– जर्जर भवन को तोड़कर उसी भूखंड पर बनाया जाएगा अस्पताल
मधुबनी : अब सुदूर देहात के गांव के अगल-बगल के मरीजों को प्रखंड के पीएचसी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। पूर्व में जो व्यवस्था पीएचसी रहिका को थी उसी तर्ज पर पीएससी परिसर में ही मरीजों को सभी व्यवस्था सामुदायिक केंद्र में दी जाएगी । सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण प्रधान मंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत 3.5 करोड़ के लागत से होगा । इस के लिए बीएमएसआईसीएल से स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई है।
यह जानकारी सिविल सर्जन डॉक्टर सुनील कुमार झा ने दी। उन्होंने बताया कि इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के बन जाने के बाद केंद्र पर डॉक्टर, कंपाउंडर और एएनएम की तैनाती की जायेगी। साथ ही इस केंद्र पर प्रसव कार्य भी शुरू किया जायेगा । करोड़ों की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का निर्माण होगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रहिका प्रखंड को यह सुविधा देकर एक बड़ी सौगात दी गई है। भवन निर्माण की शुरुआत करने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है । उन्होंने बताया कि निर्माण होनेवाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेगी।
अस्पताल में 30 बेड की होगी व्यवस्था:
इस भवन में अस्पताल 30 बेड वाला होगा। सीएचसी में मरीजों के रहने एवं उनके इलाज की सुविधा होगी। साथ ही क्षमतानुसार डॉक्टरों की संख्या भी रहेगी। सिविल सर्जन ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य जल्द शुरू कर लिया जायेगा।
करोड़ों की लागत से बनेगा सामुदायिक स्वास्थ्य भवन:
प्रखंड के पीएचसी परिसर में करोड़ों की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का निर्माण होगा। इसके लिए भवन विभाग निर्माण द्वारा पीएचसी परिसर में पुराने जर्जर भवन को तोड़कर उसी जमीन परिसर में बनाया जाएगा । निर्माण होनेवाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जिला स्तर की सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेगी। इस भवन में 30 बेड होगी । साथ ही क्षमतानुसार डॉक्टरों की संख्या भी रहेगी।
वर्तमान में जिले में 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है:
जिले के रहिका में बनने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिले का 11 वां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होगा इससे पूर्व जिले में हरलाखी, राजनगर, खजौली, लदनिया, बासोपट्टी, खुटौना, मधवापुर, बिस्फी, बाबुबरही व लौकही में सीएचसी बनाया गया है।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन :
• एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें
• सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें
• अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं
• आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें
• छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें
विश्व निमोनिया दिवस विशेष : ठंड में शिशुओं को निमोनिया से बचाने को रहें सतर्क: डॉ एसके विश्वकर्मा
• “स्टॉप निमोनिया, एव्री ब्रेथ काउंट्स” है इस वर्ष की थीम
• सर्दी के मौसम में शिशुओं के निमोनिया से बचाव में पीसीवी टीका कारगर
• 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का अधिक खतरा
• सर्दी एवं संक्रमण से बचाव है जरूरी
मधुबनी : सर्दियों के आगमन के साथ ही शिशुओं में निमोनिया से पीड़ित होने की सम्भावना भी बढ़ सकती है। निमोनिया छींकने या खांसने से फ़ैलने वाला संक्रामक रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध बताते हैं कि निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 15 प्रतिशत केवल निमोनिया की वजह से होते हैं। यह रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है जिसका कारण कुपोषण और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता भी है। प्रत्येक वर्ष 12 नवम्बर को समुदाय को इसके प्रति जागरूक करने के लिए विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। “स्टॉप निमोनिया, एव्री ब्रेथ काउंट्स” को इस वर्ष की थीम रखा गया है।
जाने क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव :
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है जो जानलेवा भी हो सकता है। सुखद बात यह है की इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलव्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएँ। पीसीवी यानि न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।
रोग के लक्षण को पहचान कर हो जाएँ सतर्क:
डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कोरोना का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। ऊपर से सर्दी भी बढ़ रही है। ऐसे में आपके शिशुओं को कई तरह के शीतजनित रोग हो सकते हैं। ध्यान रखें और यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना ,कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
पोषण और सफाई पर दें ध्यान :
यूनिसेफ प्रमोद कुमार झा ने बताया निमोनिया एक संक्रामक रोग है इसलिए भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टीवाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें, जरूरत पड़ने पर मास्क और सैनिटाइज़र का उपयोग करवाएँ। समय-समय पर बच्चे के हाथ धुलवायेँ। उन्हें प्रदूषण और धूम्रपान से बचाएं ताकि सांस संबंधी समस्या न रहें। रोग-प्रतिरोधक क्षमता से बीमारी से लड़ना आसान होता है इसलिए 6 माह तक के शिशुओं को पूर्ण रूप से स्तनपान और उससे बड़े शिशुओं को पर्याप्त पोषण दें।