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सीवीसी ने इन तीन न्यूज़ पोर्टलों को भेजा लीगल नोटिस, आठ दिन में जवाब तलब

बक्सर : नोटिस का फोटो- जिले की बाल कल्याण समिति बक्सर ने गलत तथा भ्रामक खबर चलाने को लेकर बक्सर के तीन न्यूज़ पोर्टलो को लीगल नोटिस भेज कर जबाब तलब किया है, सीवीसी ने माना है कि ये तीनो न्यूज़ पोर्टल बाल संरक्ष्ण अधिनियम का उलंघन किया है, न्यूज़ पोर्टल पंजाब केशरी, प्रतेयक न्यूज़, तथा 24 वल्ड न्यूज़, इन तीनो पोर्टलो के रिपोर्टरों को नोटिस भेजकर आठ दिनों के अंदर जबाव माँगा है।

यहा बताते चले की सिकरौल थाना क्षेत्र के बधार (धान के खेत) से एक नवजात शिशु मिला था, गाव बालों ने इसकी सुचना जिला बाल कल्याण समिति को दी, सुचना के बाद उक्त नवजात शिशु को सीवीसी अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया, जिसकी खबर इन न्यूज़ पोर्टल के रिपोर्टरों ने चलाया और प्रमुखता से दिखाया भी, उस खबर में नवजात शिशु की खुली तस्वीर दिखायी गयी, जबकि बाल संरक्ष्ण अधिनियम के तहत अठारह साल से कम उम्र के बच्चो की तस्वीर मिडिया के माध्यम से ओपेन करना वर्जित है। इस खबर की जब रिपोर्टरों ने सीवीसी के सदस्यों से बच्चा गोद लेने के बारे जानकारी ली तब सीवीसी के सदस्य नवीन कुमार पाठक ने बाल संरक्ष्ण अधिनियम के तहत बच्चा गोद लेने का प्रावधान है। कोई भी बच्चा गोद ले सकता है।

बच्चा गोद लेने के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसके लिए आवेदक से दो किश्तों में 60 हजार रूपये जमा करना होता है। पहली किश्त में 40 हजार और बच्चा गोद लेने की सारी क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 20 रूपये सरकारी खजाने में जमा करना पड़ता है। जो विधिसम्मत है। बशर्ते की आवेदक दुसरे प्रदेश का होना चाहिए। बताते चले की मुज्फरपुर बालिका गृह कांड की राज्य ही नही अपितु पुरे देश में चर्चा का बिषय बना, जिस पर देश की सर्वोच्च न्यायलय ने स्वत संज्ञान ली। इस विभ्श्त घटना में न्यायालय ने बालिका संरक्ष्ण गृह मुजफरपुर के अध्यक्ष और सदस्य को आजीवन जेल की सजा दी। उस घटना से सबक लेते हुए जिला सीवीसी इकाई भी पूरी तरह से सतर्क हो गया है। बच्चा गोद लेने के लिए सरकारी खजाने में पैसा जमा करवाने की बात को इन न्यूज़ पोर्टल के रिपोर्टरों ने रिश्वत के रूप में मानकर दनादन खबर प्रसारित कर दी। सदस्य श्री पाठक ने कहा की बाल संरक्ष्ण अधिनियम के उलंघन तहत छह माह का जेल और दो लाख रूपये की जुर्माना हो सकती है, अथवा अर्थ दंड के साथ जेल भी हो सकती है।

शेषनाथ पाण्डेय की रिपोर्ट