गंभीर संकेतों के पहचान से नवजात मृत्यु दर में कमी संभव
– नवजातों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बीमारी की जानकारी जरुरी
– एसएनसीयू में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध
– फैसिलिटी एवं समुदाय स्तर पर नवजात के लिए कई सुविधाएँ
मधुबनी : सही समय पर उचित स्वास्थ्य सुविधा के आभाव में नवजात को गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की समय पर पहचान कर उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है. इसे ध्यान में रखते हुए फैसिलिटी एवं समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराये गए हैं. जिसमें सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट की भूमिका अहम है.
एसएनसीयू की अहम भूमिका: सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया नवजातों में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की पहचान कर उन्हें बचाया जा सकता है. इस दिशा में गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम के तहत आशा घर-घर जाकर परिवार के लोगों को नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की जानकारी दे रही है. साथ ही जन्म के समय 1800 ग्राम या उससे कम वजन के नवजात एवं 34 सप्ताह से पूर्व जन्म लिए नवजातों को बेहतर देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से सभी जिला अस्पतालों में सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट(एसएनसीयू) की स्थापना की गयी है. इससे नवजातों को नया जीवनदान मिल रहा है.
ऐसे बच्चों की होती है एसएनसीयू में भर्ती:
– जन्म के समय 1800 ग्राम या उससे कम वजन के नवजात शिशु
– 34 सप्ताह से पूर्व जन्म लिए नवजात शिशु
– जन्म के समय या बाद में सांस नहीं ले पा रहे नवजात शिशु
– स्तनपान करने में अक्षम बच्चे
– गंभीर पीलिया से ग्रसित बच्चे
– नवजात शिशु का शरीर नीला पड़ने, किसी भी अंग से रक्त स्त्राव होने एवं गंभीर दस्त से ग्रसित नवजात शिशु
– जन्मजात विकृति से ग्रसित नवजात शिशु( होंठ कटा होना, तालू चिपका होना एवं हाथ या पैर टेढ़े होने पर)
डिस्चार्ज बच्चों का फोलोअप: डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने के बाद भी कम वजन वाले बच्चों में मृत्यु का अधिक ख़तरा रहता है. स्वस्थ नवजात की तुलना में जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों में कुपोषण के साथ मानसिक एवं शारीरिक विकास की दर प्रारंभ से उचित देखभाल के आभाव में कम हो सकती है. इसे ध्यान में रखते हुए नवजात के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनका नियमित फोलोअप किया जाता है. इसके लिए आशाएं शिशुओं को 3 माह से 1 वर्ष तक त्रैमासिक गृह भ्रमण कर उनकी देखभाल करती हैं.
खुद जाने नवजात की समस्या: डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की सही समय पर जानकारी होना जरुरी है. इससे उनकी जान बचायी जा सकती है. नवजात की जटिलताओं को जानकर तुरंत आशा या एएनएम से संपर्क करना चाहिए या फिर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में नवजात को ले जाना चाहिए। ये हो सकती हैं
जटिलताएँ:
– नवजात स्तनपान नहीं कर पा रहा हो
– नवजात का शरीर अधिक ठंडा या गर्म हो गया हो
– नवजात के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही हो
– नवजात को अचानक दौरे पड़ रहे हों
कोविड-19 के नियमों का पालन जरूरी :
– घर से बाहर निकलते समय मास्क अवश्य पहने
– अपने साथ अल्कोहलयुक्त हैंड सैनिटाइजर भी रख लें
– लोगों से अवाश्यक दूरी बनाकर चले और मिले
– समय-समय पर साबुन से अनिवार्य रूप से हाथ धोए
– बिना कारण भीड़-भाड़ न जुटने दें और न ही भीड़ में जाएं
लोकतंत्र के महापर्व को शांतिपूर्ण तरीके से उत्सव के रूप में मनाए : प्रो शीतलाम्बर झा
प्रो0 शीतलाम्बर झा अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमिटी मधुबनी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि लोकतंत्र का महापर्व, बिहार विधानसभा चुनाव का अंतिम चरण कल 7 नवम्बर को होना है,आप मधुबनी जिलावासियों इस महापर्व को आपसी भाईचारा,शांति,सामाजिक सद्भाव से उत्सव के रूप में भारी मतदान कर मनाए।
प्रो झा ने कहा है कि पूरे जिला के सभी विधानसभा के दौरा से लगा है कि खासकर नौजवानों, छात्रों, गरीबों, किसानों, मजदूरों, छोटे छोटे व्यपारियों,बेरोजगारों में सरकार के प्रति काफी आक्रोश है ।जिस तरह से राज्य में महंगाई, महिलाओं पर अत्याचार, जिला के अंदर लगातार हत्याएं, लूट,राहजनी,बढ़ती अपराध, घटती नौकरी,बढ़ती बेरोजगारी ,बन्द परे लोहट,सकरी,रैयाम चीनी मील, पंडौल सुता फैक्ट्री 15 वर्षों की नीतीश सरकार से लोगों में घोर निराशा देखने को मिला।
वहीं दूसरी ओर मिथिलांचल की आमजनों की मातृभाषा मैथिली की उपेक्षा,मैथिली शिक्षकों की बहाली नही होना,मिथिला मखाना को जी आई टैग बिहार करने से मिथिलावासी अपने को ठगा महसूस कर रहें है। जिला में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, जिला के प्रमुख स्थलों को पर्यटक स्थल के रूप में विकास नही होना,बाढ़, सुखार पर सरकार की नाकामी से आमजन सरकार को उखाड़ फेंकने को तैयार है। उन्होंने कहा है इसवार राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाना सुनिश्चित है और जिला से सभी दसो सीट महागठबंधन जीतेगी।