न वादा का जोर, न क्रशर का शोर,मुद्दा गौण,जाति हावी

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नवादा : जिले में नवादा, हिसुआ, वारिसलीगंज, गोविंदपुर, रजौली में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है।नवादा में परिवारवाद है, लेकिन मतदाताओं को इससे कहां कोई गुरेज है।

पति-पत्नी कौशल यादव नवादा और पूर्णिमा यादव गोविंदपुर से मैदान में हैं।कोरोना ने जीवनशैली बदली। मॉनसून ने मौसम का मिजाज,लेकिन बिहार चुनाव में नवादा में लगता है कुछ भी नहीं बदला। अक्टूबर माह में उमस और गर्मी। सड़कों पर धूल ही धूल। फिर भी बिना मास्क के अधिसंख्य लोग।
इसे बेफिक्री कहें या लापरवाही। सुबह से शाम तक यही नजारा है यहां।

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सड़क किनारे पहले जैसी बैठकी है। बैठकी में शामिल लोगों से बात होती है तो कहते हैं कि अब यहां क्रशर का शोर तो बंद है ही साथ में वादा का जोर भी नहीं दिख रहा है। यह और बात है कि कहीं-कहीं पोस्टर दिखता है और कभी-कभार चुनावी प्रचार गाड़ी।

कोरोना ने प्रचार का तरीका तो बदला। लोग कहते हैं कि पांच साल में हमारे लिए क्या बदला? हम तो जैसे थे,वैसे ही हैं।
नाला तो जरूर बना, लेकिन पानी निकासी नहीं है। आधे-अधूरे काम को दिखाते हुए नवादा में धर्मेंद्र महतो कहते हैं कि देखिए आप भी, लेकिन होगा क्या? वोट तो जाति पर ही देंगे लोग। कोई मुद्दा नहीं है यहां। यहां तो सीधा मुकाबला है। धर्मेंद्र अकेले नहीं है,जो ऐसा कहते हैं कि नवादा में सड़क, बिजली, शिक्षा या कोई मुद्दा चुनाव में है। नवादा जिले में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। नवादा, हिसुआ, वारिसलीगंज, गोविंदपुरऔर रजौली (सुरक्षित)।2015 में महागठबंधन को तीन और एनडीए को को दो सीटें मिली थीं, जबकि 2010 में एनडीए को सभी सीटों पर सफलता मिली थी।

इस बार चुनावी सरगर्मी में सभी जगहों पर सीधा मुकाबला एनडीए और महागठबंधन में है। लोजपा के जदयू और नीतीश कुमार के विरोध का फिलवक्त असर नहीं दिख रहा है। जबकि नवादा के सासंद लोजपा के हैं। जो हो मतदाताओं के मन को बदलने के तमाम हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हिसुआ के अनिल मिश्र कहते हैं कि महागठबंधन और एऩडीए के बीच सीधा मुकाबला है। यहां कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर है। बदलाव और नए विकल्प की बात भी करते हैं, लेकिन कहते हैं कि यहां शांति है और हमलोग शांति ही चाहते हैं। हमारे सामने विकल्पहीनता है।

नवादा विधानसभा विधायक कौशल के सामने हैं राजबल्लभ की पत्नी विभा नवादा विधानसभा में कुल 15 प्रत्याशी हैं। मुख्य मुकाबला जदयू के कौशल यादव और राजद की ओर से पूर्व राज्यमंत्री राजबल्लभ प्रसाद की पत्नी विभा देवी के बीच माना जा रहा है। एलजेपी ने भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष शशिभूषण कुमार बबलू को उतारा है। निर्दलीय श्रवण कुशवाहा और आरपी साहू एक बड़ा फैक्टर है।

2019 के उपचुनाव में श्रवण कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन एलजेपी का बहुत पॉपुलर चेहरा नहीं है।यहां सेंट्रल स्कूल बड़ा मुद्दा रहा है। लंबे समय से नीतीश कुमार के शासनकाल से कई मुद्दे पर विरोध जरूर है, लेकिन विकल्पहीनता है। जाति प्रमुख मुद्दा है। यादव और मुस्लिम राजद के पक्ष में गोलबंद दिख रहे हैं। जबकि अतिपिछड़ा, महादलित, जदयू के साथ। एलजेपी से भूमिहार का प्रत्याशी है, लेकिन ज्यादा प्रभावी नहीं है। हिसुआ विधानसभा हैं तो 8 प्रत्याशी, पर मुकाबला भाजपा व कांग्रेस में ही हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में 8 उम्मीदवार हैं, लेकिन प्रमुख मुकाबला बीजेपी विधायक अनिल सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व राज्य मंत्री आदित्य सिंह की पुत्रवधू नीतू कुमारी के बीच है। आदित्य सिंह 1980 से लगातार विधायक रहे हैं। 2005 के बाद से अनिल सिंह विधायक हैं। यहां बाकी दल और प्रत्याशियों की भूमिका नही के बराबर दिख रही है।

यहां भी विकास कोई मुददा नहीं है। यहां मुख्य मुददा अनिल और आदित्य है। सामान्य वोटर्स गौण है। उसमें नाराजगी है।लेकिन विकल्प नहीं दिख रहा है। छोटी पाली के मनोज गिरि कहते हैं कि अब वे लोग बदलाव चाहते हैं। लेकिन फिर यह भी कहते हैं कि बदलाव के बाद क्या शांति रहेगी। जबकि गुरूचक गांव के कामेश्वर यादव कहते हैं कि उनके समाज का वोट महागठबंधन को जाएगा। कोई विकास नही हुआ है। पटवन की समस्या है।

रजौली विधानसभा यहां सबसे ज्यादा 22 उम्मीदवार मैदान में हैं रजौली सुरक्षित क्षेत्र में सर्वाधिक 22 उम्मीदवार हैं। लेकिन मुख्य रूप से निर्वतमान राजद विधायक प्रकाशवीर और बीजेपी के पूर्व विधायक कन्हैया रजवार के बीच माना जा रहा है। वैसे, बीजेपी के पूर्व प्रत्याशी अर्जुन राम, पूर्व विधायक बनवारी राम और जिला पार्षद प्रेमा चौधरी भी मैदान में हैं।
रजौली नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। कई मुददे हैं। लेकिन यहां वोटिंग जातीय गणित और सता और विपक्ष के गठबंधन के हिसाब से होते रही है। कटघरा के प्रेम ने कहा कि बीजेपी को वोटिंग करेंगे। क्योंकि काफी काम हुआ है। लालू नगर के रामविलास मांझी ने कहा कि लालू जी के शासन काल में यह कॉलोनी बना था। लेकिन उनके जाने के बाद विकास नही हुआ।

वारिसलीगंज विधानसभाः -2 देवियों अरुणा देवी, आरती सिन्हा के बीच होगा घमासान वारिसलीगंज विधानसभा में कुल 10 प्रत्याशी हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी विधायक अरूणा देवी और पूर्व विधायक प्रदीप कुमार की पत्नी आरती सिन्हा के बीच माना जा रहा है। वैसे, कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सतीश कुमार मंटन उम्मीदवार हैं।वारिसलीगंज में चीनी मिल का मुददा पुराना रहा है। लेकिन 1992 से बंद है। चालू नही हुआ। किसानों की आमदनी का प्रमुख जरिया था। वारिसलीगंज को अनुमंडल बनाने की मांग पुरानी रही है।

गोविंदपुर विधानसभाः- 15 उम्मीदवार, मैदान में हैं पूर्णिमा के सामने कामरान गोविंदपुर विधानसभा में कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला जदयू प्रत्याशी निवर्तमान विधायक पूर्णिमा यादव और राजद उम्मीदवार मो कामरान के बीच माना जा रहा है। वैसे एलजेपी ने बीजेपी लीडर रंजीत यादव को उम्मीदवार बनाया है। रंजीत की पत्नी फुला देवी 2015 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी। हालांकि एलजेपी के जरिए चुनाव में आने से बीजेपी के लोग विमुख हो गए हैं।गोविंदपुर पिछड़ा इलाका रहा है। इसके कई क्षेत्र जंगल और पठारी वाला रहा है। लेकिन यहां मुददे हावी नहीं होता। चुनाव के आखिरी दौर में यादव वोट कौशल यादव परिवार के प्रति ध्रुवीकरण हो जाता है।

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