जातीय जनगणना को लेकर केंद्र पर हमलावर हुए लालू व मायावती, कहा- पिछड़ों व अति पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों?
पटना : जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि 2021 की जनगणना में ओबीसी आबादी की अलग से गिनती करने का निर्देश न दिया जाए। इसके बाद एक फिर जातीय जनगणना को लेकर सियासत तेज हो गई है।
केंद्र पर निशाना साधते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि जनगणना में साँप-बिच्छू,तोता-मैना, हाथी-घोड़ा, कुत्ता-बिल्ली, सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह! BJP-RSS को पिछड़ों/अति पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा। इससे सबकी वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।
BJP-RSS पिछड़ा/अतिपिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा छल कर रहा है। अगर केंद्र सरकार जनगणना फ़ॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फ़ीसदी से अधिक लोगों की जातीय गणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने गए सांसदों व मंत्रियों पर धिक्कार है। ऐसे लोगों का सामूहिक सामाजिक बहिष्कार हो।
इसी मसले पर बसपा सुप्रीमो ने भी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इन्कार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है। सजगता जरूरी।
एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की माँग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है, लेकिन केन्द्र का इससे साफ इन्कार पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुँचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है।