सेक्युलर बनने के चक्कर में सच्चाई से मुंह मोड़ रही JDU, भाजपा कोटे से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
पटना : सीमांचल में घुसपैठ के मुद्दे पर भाजपा व जदयू के बीच स्थिति यथावत है। दोनों दलों के नेताओं की घुसपैठ के मुद्दे पर अलग-अलग राय है। एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके दल के नेता कहते हैं कि सीमांचल में कोई घुसपैठ नहीं है। वहीं, भाजपा का मत बिल्कुल अलग है। और कहीं न कहीं सच्चाई भी भाजपा नेताओं के बयानों से मेल खाते हैं।
ताजा, मामला बिहार सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री रामसूरत राय के बयान से जुड़ा हुआ है। दरअसल, रामसूरत राय ने कहा कि सीमांचल इलाके में जमकर घुसपैठ हो रही है। वहां, विदेशी मदद से जमीन खरीदी जा रही है, एक साजिश के तहत ऐसा हो रहा है। मठ-मंदिरों की जमीन पर कब्जा हो रहा है, इससे देश को नुकसान हो रहा है। लेकिन, सरकार घुसपैठियों पर एक्शन लेगी, जो दलाल और स्थानीय लोग इस कार्य में लिप्त हैं, उनपर कार्रवाई की जाएगी, उन्हें चिन्हित किया जा रहा है।
वहीं, राय के इस बयान पर जदयू के तरफ से कहा गया कि यह बयान ठीक नहीं है। भाजपा नेता यूपी चुनाव जीतने को लेकर ऐसे बयान दे रहे हैं। इसके साथ ही जदयू नेता ने नीतीश कुमार से रामसूरत राय को मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को मंत्रिमंडल में नहीं रखना चाहिए। इस तरह के लोगों से समाज में तनाव पैदा होता है। उक्त बयान जदयू नेता सह विधान परिषद खालिद अनवर और गुलाम रसूल बलियावी ने दिया है।
क्या है सच्चाई?
बता दें कि बिहार विधानसभा के अनुपूरक बजट के दौरान भाजपा विधायक संजय सरावगी ने विस में सवाल किया था कि क्या यह सच है कि देश में वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.57 है। जबकि किशनगंज जिला में जनसंख्या वृद्धि दर 4.60 प्रतिशत है। इसी सवाल का जबाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि देश की जनसंख्या 2011 के जनगणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 25.1 प्रतिशत है। वहीँ, किशनगंज में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि दर 30.4 फीसदी है। किशनगंज में वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 3.04 प्रतिशत है।
पूर्वोत्तर के सात राज्यों से लेकर बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में धर्माधारित जनसांख्किी का गहन अध्ययन करने वाले विधान परिषद के पूर्व सदस्य हरेंद्र प्रताप का मानना है कि पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज व अररिया जिलों के हालात बहुत खराब हैं। इन जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की अवैध बस्तियां धड़ल्ले से बसी हुई हैं। उन अवैध बस्तियों में अवैध धंधेबाजों व अपराधियों के अड्डे बने हुए है। बिहार के इन जिलों से देश विरोधी व आतंकी गतिविधियां संचालित होती रही हैं। दलितों के साथ अत्याचार के भी मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन, तुष्टीकरण की राजनीति में इन अवैध घुसपैठियों पर कार्रवाई की बात गुम हो जाती रही है। जनगणना रिपोर्ट साक्षी है कि अवैध घुसपैठियों के कारण इन जिलों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
दरअसल, बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठिए मजदूर बहुत कम पारिश्रमिक में ही काम करते थे। इसलिए भारतीय ठेकेदार बांग्लादेशी घुसपैठियों को ही काम देने लगे। इसके कारण हिंदू मजदूर बेकार होने लगे। बंगलादेशी घुसपैठिए सरकारी भूमि पर बसने लगे। धीरे-धीरे उनकी स्थिति मजबूत होने लगी।
वहीं, बात करें इन क्षेत्रों के हिंदुओं की तो कटिहार, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में हिंदू मतदाता अल्पसंख्यक हो गए हैं। अररिया जिले के जोकीहाट में मुसलिम मतदाताओं की सख्या 67.47 प्रतिशत है। अररिया विधानसभा क्षेत्र में 58.97, किशनगंज के बहादुरगंज में 59.19, ठाकुरगंज में 62.68, कोचाधामन में 74.21, पूर्णिया के अमौर में 74.30, बायसी में 69.05, बलरामपुर में 65.10 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाताओं की संख्या पहुंच चुकी है। यह स्थिति पिछले 25 वर्षों में हुई है। वहीं, पूर्वी व उत्तर बिहार के 10 विधानसभा क्षेत्रों में हिंदू और मुसलिम मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर हो गयी है। वहीं, करीब 30 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुसलिम मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या के 20 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसी स्थिति घुसपैठियों के कारण हुई है।