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अफगानिस्तान में खतरनाक हथियारों का जखीरा छोड़ने के पीछे अमेरिका चीन का खतरनाक षड्यंत्र

अमेरिका ने अफगानिस्तान को अपने बुरे हाल पर छोड़ दीया और उसके सैनिक वापस लौट गए, लेकिन अफगानिस्तान में 600000 से अधिक घातक राइफल्स, सैकड़ों लड़ाकू विमान, बख्तरबंद गाड़ियां छोड़ दिए। उन पर तालिबानी आतंकियों का कब्जा हो गया है। सुनने में यह आसान लगता है लेकिन अमेरिका जैसे देश ने ऐसा कर भारतीय उपमहाद्वीप में भयंकर संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

अमेरिका ने ऐसा इसलिए किया, ताकि हथियारों का उसका बाजार मंद ना हो, आतंकियों के हाथ में कितनी बड़ी मात्रा में हथियारों का जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं मानवता के समक्ष संकट की स्थिति पैदा करने वाला है. दूसरी तरफ चीन इस इस आतंकी संगठन के साथ खड़ा दिख रहा है, एक अनुमान के अनुसार अमेरिका ने अफगानिस्तान में जितनी मात्रा में घातक हथियार छोड़ा है, वह विश्व की कई देशों के रक्षा संसाधन से कई गुना अधिक है।

पूरे विश्व को सरिया के अधीन लाने के लिए पागल तालिबानियों के हाथ में यह घातक हथियार जा चुके हैं, ऐसे में भारत वह इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपनी सुरक्षा के लिए तैयारी करनी होगी हथियारों की खरीद करनी होगी। ऐसे इस क्षेत्र में हथियार खरीद की होड़ होगी जिसका लाभ लेने के लिए अमेरिका और चीन गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं। भारत में तुष्टिकरण की राजनीति इसके लिए संकट पैदा कर सकता है, क्योंकि इस स्थिति से निपटने के लिए भारत को कुछ कड़े नीति अपनाने होंगे।