पटना : जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली रवाना हो गए हैं। वे कल पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे। नीतीश कुमार के साथ 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पीएम मोदी के साथ मुलाकात करेंगे। वहीं, इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि ब्रिटिश राज में 1931 की अंतिम बार जनगणना के समय बिहार, झारखंड और उड़ीसा एक थे। उस समय के बिहार की लगभग 1 करोड़ की आबादी में मात्र 22 जातियों की ही जनगणना की गई थी।
अब 90 साल बाद आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और राजनीतिक परिस्तिथियों में बड़ा फर्क आ चुका है। जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकि और व्यवहारिक कठिनाइयां हैं, फिर भी भाजपा सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।
सुमो ने कहा कि वर्ष 2011 में भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने जातीय जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था। उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पायी गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। भारी गड़बड़ियों के कारण उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। वह सेंसस या जनगणना का हिस्सा नहीं था।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा कभी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही, इसीलिए हम इस मुद्दे पर विधान सभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले बिहार के प्रतिनिधिमण्डल में भी भाजपा शामिल है।