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आर के सिंह का नवोदय और नए संगठन महामंत्री का आगमन-बड़े बदलाव के संकेत

बिहार भाजपा द्वारा जन आशीर्वाद यात्रा निकालना,केंद्रीय मंत्री आर के सिंह का इसका नेतृत्व करना और नए संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया को बनाना बिहार भाजपा में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।

भीखू भाई दलसानिया का मनोनयन बिहार भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बड़े बदलाव के संकेत

ज्ञातव्य है कि बिहार में 19 अगस्त से गया से भाजपा ने जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है जिस का समापन 22 अगस्त को आरा में होगा। इस दौरान 20 जिलों से होकर निकलने वाली इस यात्रा का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह कर रहे है। सामान्य तौर पर मीडिया,प्रचार और पार्टी के कार्यक्रम से दूर रहने वाले आरके सिंह को इसका नेतृत्व देने का निर्णय राजनीतिक पंडितों को अचंभित कर रहा है। इस बीच दो कार्य अवधि से ज्यादा समय तक संगठन महामंत्री रहे नागेंद्र जी को क्षेत्रीय संगठन प्रभारी के रूप में प्रोन्नति देकर रांची भेजना और नए संगठन महामंत्री के रूप में भीखू भाई दलसानिया का मनोनयन बिहार भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बड़े बदलाव के संकेत की पुष्टि करता है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बिहार भाजपा के पुराने नेतृत्वकर्ताओं के सारे सामर्थ्य को देख चुका है। इसीलिए उसने पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद अपने पुराने योद्धाओं पर दांव लगाना उचित नहीं समझा और उसमें से अधिकतर को साइडलाइन कर दिया। सरकार और संगठन में नए लोगों को मौका दिया गया। केंद्रीय नेतृत्व को लग रहा है कि इतना परिवर्तन से काम नहीं हो सकता। अभी और परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार में शामिल भाजपा के नेतृत्वकर्ता अभी भी उस दमखम का परिचय नहीं दे पा रहे हैं जो अपेक्षित था।

बिहार भाजपा में राजपूत जाति का कोई बड़ा नेता नहीं!

इसीलिए केंद्रीय नेतृत्व ने भविष्य योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है जिसके अंतर्गत आर के सिंह को ज्यादा जिम्मेदारी दी गई है और एक नेता के रूप में स्थापित करने की भी कोशिश की जा रही है। श्री सिंह राजपूत जाति से आते हैं। सवर्णों का अधिकतर मत भाजपा को मिलता है। सिर्फ राजपूत जाति का वोट ही ऐसा है जो कभी भी थोक में भाजपा को नहीं मिल पाया क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा हमेशा से राजद को मिलते रहा है। बिहार भाजपा में राजपूत जाति का कोई बड़ा नेता नहीं है। राधा मोहन सिंह अपने राजनीतिक ढलान पर हैं। राजीव प्रताप रूडी पर केंद्रीय नेतृत्व ने कौशल विकास मामलों के बाद पूरा विश्वास नहीं कर पा रहा है। औरंगाबाद के सांसद सुशील सिंह कभी भी मुख्यधारा में नहीं रहे। विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह,सांसद गोपाल नारायण सिंह सहित बाकी किसी राजपूत नेता का इतना बड़ा कद नहीं है कि उसके नाम पर आगे नेतृत्व के लिए विचार हो।

आर के सिंह को नेता के रूप में प्रस्तुत करने का यह अवसर

स्वच्छ छवि के पूर्व नौकरशाह और नतीजा पूर्ण काम करने के लिए ख्याति प्राप्त केंद्रीय मंत्री आरके सिंह आगे के लिए भाजपा के लिए उम्मीद की एक किरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी राज्यों में आश्चर्यजनक नेतृत्व देने के लिए जानी जाती रही है। झारखंड में रघुवर दास के रूप में गैर आदिवासी को, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के रूप में गैर जाट को और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के रूप में ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाना परम्परा व लीक से हटकर लिया गया निर्णय था। बिहार में 1990 के बाद से कोई सवर्ण मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है। ऐसे में अगर किसी सवर्ण और वह भी राजपूत जाति से किसी को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इससे पहली बार भाजपा को राजपूतों का पूरा वोट मिल सकता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी राजद में वरिष्ठ राजपूत नेताओं स्व रघुवंश प्रसाद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह सहित अन्य राजपूत नेताओं का राजद के युवराज तेज प्रताप यादव द्वारा लगातार अपमान करने की प्रक्रिया चलते आ रही है। शायद भाजपा नेतृत्व को आर के सिंह को नेता के रूप में प्रस्तुत करने का यह अवसर लग भी रहा हो।

पुराने सेनापतियों को आराम देकर नए नेतृत्व को उभारने के अभियान में लगा केंद्रीय नेतृत्व

जन आशीर्वाद यात्रा का संयोजक विधान पार्षद सह प्रदेश उपाध्यक्ष प्रमोद चंद्रवंशी को बनाने के पीछे की भी मंशा भी समझनी होगी।

बिहार भाजपा में वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार के बाद अति पिछड़े वर्ग से कोई अन्य नेता नहीं है। प्रेम कुमार चुकी आपने राजनीतिक अवसान की ओर हैं, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व अति पिछड़े वर्ग से किसी युवा नेता को उभारना चाहता है विद्यार्थी परिषद में लगभग 3 दशको तक काम कर चुके और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने वाले डॉ प्रमोद चंद्रवंशी के रूप में भाजपा को एक युवा नेता की तलाश पूरी हो सकती है जो अति पिछड़े वर्ग का नेतृत्व कर सके। शायद इसीलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने डॉ प्रमोद चंद्रवंशी को विधान परिषद बनाया और अब जन आशीर्वाद यात्रा के संयोजक का प्रभार सौंपा है। इसके पहले भी वह पार्टी के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष, उसके बाद प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में प्रदेश के उपाध्यक्ष हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व शायद अपने पुराने सेनापतियों को आराम देकर नए नेतृत्व को उभारने की अभियान में लगा है जिसके दो महत्वपूर्ण केंद्र आरके सिंह और डॉ प्रमोद चंद्रवंशी हो सकते हैं।

इस बीच एकाएक संगठन महामंत्री के रूप में गुजरात से बुलाकर भीखूभाई दलसानिया को बनाने के पीछे भी केंद्रीय नेतृत्व के इस सोच की पुष्टि करता है कि बिहार में अब संगठन के स्तर पर जो नए परिवर्तन करने हैं, उसके लिए केंद्रीय नेतृत्व अपने अनुकूल नया संगठन महामंत्री चाहता है।

कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि बिहार भाजपा संगठन के अवसर पर परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। केंद्रीय नेतृत्व इसमें धीरे धीरे आमूलचूल परिवर्तन के लिए योजनाएं बनाकर उसपर अमल करना भी शुरू कर चुकी है। आगे और भी अनअपेक्षित परिवर्तन दिखेंगे। केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को को आगे करना इसका एक प्रतिफल है।

वेद प्रकाश