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आजाद भारत नहीं, इस देश में छापे गए भगवान राम की तस्वीर वाले नोट

नयी दिल्ली : कल हम अपनी आजादी की 74वीं वर्षगांठ मनायेंगे। लेकिन क्या हम जेहन से अभी भी आजाद हो पाये हैं? सवाल लाजमी है क्योंकि गुलामी के सैंकड़ों वर्षों का दंश झेलने के बाद भी हम आज भी वहीं खड़े हैं, जहां 1947 में थे। रामराज्य के जिस आदर्श को हमने आजादी के वक्त अपनाने का सपना बुना, वह तो अभी भी सपने जैसा ही है। यहां तक कि आजाद भारत ने आज तक प्रतीक के तौर पर ही सही, भगवान राम को अपनी राष्ट्रीय मुद्रा पर भी कोई जगह नहीं दी। हम सभी ने गांधीजी की तस्वीर वाले नोट तो बहुत देखे होंगे। लेकिन अगर कोई आपसे पूछे कि भगवान राम की तस्वीर वाले नोट के बारे में क्या जानते हैं? ज्यादातर लोगों का जवाब ‘कुछ नहीं’ होगा। लेकिन जो भारत नहीं कर सका, वह दुनिया के एक ऐसे देश में संभव हुआ जो न सिर्फ प्रजातंत्र का चैंपियन है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों को वहां पूरी आजादी भी है। हम बात कर रहे हैं यूएसए और नीदरलैंड की, जहां राम की तस्वीर वाले नोट छापे गए थे।

क्या है राम करेंसी, जानें पूरी कहानी

राम मुद्रा को अक्टूबर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका में महर्षि महेश योगी से जुड़े एक संगठन ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ द्वारा लॉन्च किया गया था। इस राम मुद्रा से उनके आश्रम के भीतर कोई भी व्यक्ति सामान खरीद सकता था। मुद्रा का इस्तेमाल सिर्फ आश्रम के भीतर या फिर आश्रम से जुड़े सदस्यों के बीच ही किया जा सकता था। आश्रम के बाहर अन्य शहर में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। संस्था ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी देते हुए लिखा कि यूसए के आयोवा शहर में स्थित महर्षि वैदिक सिटी ने 2001 से राम मुद्रा बांटना शुरू किया है। सिटी के आर्थिक विकास के लिए और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिटी काउंसिल ने राम मुद्रा का चलन स्वीकार किया था। कागज की ‘एक राम मुद्रा’ की कीमत 10 अमरीकी डॉलर तय की गई थी।

नीदरलैंड में भी चलती थी ‘राम मुद्रा’

एक मशहूर न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2003 में नीदरलैंड में भी लगभग 100 दुकान, 30 गांव और साथ ही कई कस्बों के कुछ हिस्सों में ‘राम मुद्रा’ चलती थी। उस वक्त ‘डच सेंट्रल बैंक’ ने जानकारी देते हुए कहा था कि, हम ‘राम मुद्रा’ पर नजर बना कर रखते हैं। उस वक्त नीदरलैंड में राम की तस्वीर वाले 1, 5 और 10 के नोट जारी किए जाते थे, जो नीदरलैंड और अमेरिका की कुछ जगहों पर ही स्वीकार किए जाते थे। राम मुद्रा को आमतौर पर वर्ड पीस बॉन्ड के रूप में जाना जाता था। यूरोप में यह 10 यूरो के बराबर था। जबकि अमेरिका में यह 10 डॉलर हो जाता था।

कौन हैं महर्षि महेश योगी, भारत से क्या नाता

महर्षि महेश योगी छत्तीसगढ़ राज्य में पैदा हुए थे। उनका असल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होंने फिजिक्स में उच्च शिक्षा लेने के बाद शंकराचार्य ब्रह्मानन्द सरस्वती से दीक्षा ली थी। इसके बाद उन्होंने विदेश में अपना प्रचार-प्रसार किया। महेश योगी का भावातीत ध्यान विदेशों में काफी लोकप्रिय है।