जदयू में ललन युग शुरू, होम्योपैथिक इलाज का करते हैं दावा
पटना : जनता दल यूनाइटेड में आज आरसीपी युग का खात्मा हो गया। पार्टी के वरिष्ठ नेता व मुंगेर से लोकसभा सदस्य राजीव रंजन सिंह को जदयू को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह के नाम पर मुहर लगी।
मालूम हो कि मुंगेर संसदीय सीट से सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि नीतीश कुमार का यदि जदयू में कोई सबसे अधिक भरोसेमंद साथी है, तो वह सांसद ललन सिंह ही हैं। इनपर नीतीश कुमार आंख बंद कर भरोसा करते हैं।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार जदय में एक व्यक्ति एक पद की नीति लागू की गई है। जिसके तहत पार्टी का कोई भी नेता एक ही पद पर रह सकता है। ऐसे में जब जदयू के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बनाए गए तो उन्हें अपने जदयू अध्यक्ष का त्याज करना पड़ा।
वहीं, जदयू सूत्रों की माने तो केंद्र में ललन सिंह को ही मंत्री बनना था, लेकिन मोदी कैबिनेट में भाजपा जदयू को मात्र दो सीट ही देना चाहती थी। हालंकि, भाजपा दो राज्य मंत्री का पद भी देने को तैयार था लेकिन भाजपा अपने तरफ से पशुपति कुमार पारस को मंत्री नहीं बनाना चाहता था , ऐसे में जदयू के पास विकल्प यह था कि वह आरसीपी सिंह और ललन सिंह को केंद्र में मंत्री बनाए और पारस को अपने कोटे से राज्य मंत्री बनाए, लेकिन इससे जदयू का चिराग से बदला पूरा नहीं होता। इस लिहाज से जदयू के तत्कालीन अध्यक्ष ने फैसला लिया की वह स्वयं और पारस को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश करेंगे।
वहीं, आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद मुंगेर सांसद बेहद नाराज हो गए उनके समर्थक द्वारा तीर में आग लगाने की तैयारी भी पूरी कर ली गई थी, ललन समर्थक इसके विरोध में सड़क पर उतरने को तैयार हो गए थे।
वहीं , इस बात की भनक जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिली तो उन्होंने तत्काल मुंगेर सांसद ललन सिंह से संपर्क किया और बताया की केंद्र की राजनीति में जो कुछ भी किया गया है, उसकी जानकारी उनको भी नहीं दी गई है और यदि वर्तमान में पार्टी द्वारा कोई गलत कदम उठाया जाता है, तो इसका नुकसान हम दोनों को भी होगा। साथ ही उन्होंने ललन सिंह को भरोसा दिया था कि आपको संगठन की जिम्मेदारी दी जाएगी। जिसके बाद ललन सिंह शांत हुए थे।