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बयानबाजी से बाज नहीं आने पर VIP का रुतवा गंवा सकते हैं सहनी, टूट सकती है पार्टी!

पटना : सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकना वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को भारी पड़ने लगा है। अब, पार्टी के अंदर ही सहनी के खिलाफ बगावत शुरू हो गई है। विधानसभा के सदस्य व वीआइपी नेता का कहना है कि मुकेश सहनी जो भी निर्णय लेते हैं, वो निर्णय उनका खुद का होता है। कोई भी निर्णय लेने से पहले वे किसी से विचार-विमर्श नहीं करते हैं।

VIP नेता व विधायक राजू सिंह ने कहा कि बीते दिन एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होना मुकेश सहनी का निर्णय था। उन्होंने कहा कि बैठक में भाग नहीं लेना है, इसलिए हमलोग बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक में शामिल नहीं होने के निर्णय पर पार्टी के सभी विधायक राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात करेंगे। वहीं, पार्टी के अन्य विधायक भी यही बात कह रहे हैं कि पार्टी अध्यक्ष व नेताओं के बीच कोई तालमेल नहीं है। अधिसंख्य निर्णय बगैर बात-चीत के ही लिए जा रहे हैं।

विधायकों का कहना है कि अगर मुकेश सहनी को लगता है कि उन्हें एनडीए में सम्मान नहीं मिल रहा है तो वे अलग हो जाएं। लेकिन, ऐसा तो बिल्कुल नहीं चलेगा कि जिसके साथ रहना है उसी को कोसना है। इसलिए गठबंधन को लेकर निर्णय होगा।

यूपी में मांगी थी कुछ सीटें

हाल के तमाम राजनीतिक प्रकरण के बाद मुकेश सहनी की पार्टी को लेकर कहा जा रहा है कि वे भाजपा से गठबंधन करने के लिए उत्तर प्रदेश गए थे। जहां, उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह से मिलकर साथ चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कुछ सीटों की मांग की थे। लेकिन, उन्होंने सीट देने की बात को नकार दिया। इसके बाद से ही सहनी के तेवर सख्त हो गए हैं और लगातार एनडीए के खिलाफ बयानबाजी कर सरकार को असहज करने में लगे हैं।

नहीं सुधरे तो टूट सकती है पार्टी

इन तमाम राजनीतिक घटनाओं के बाद पार्टी के चार विधायक जिनमें से कुछ आयातित हैं, उनको लेकर कहा जा रहा है कि अगर मुकेश सहनी अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं, तो वे लोग कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ऐसा करने में रुचि नहीं दिखा रही है। भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक स्थिर सरकार चलाने के प्रयास में है, लेकिन अगर मुकेश सहनी अपने रवैया से बाज नहीं आएंगे तो इसके बाद वे सदन के सदस्य के रूप में अकेले बच जाएंगे।