भाजपाई ‘रामराज्य’ से टेंशन में पार्टियां, अयोध्या दौड़ीं सपा-बसपा
नयी दिल्ली : जबसे भाजपा ने अयोध्या को ‘रामराज्य’ यानी वेलफेयर स्टेट के मॉडल के तौर पर पूरे भारत में पेश करने की रणनीति रखी, तभी से देश की सियासत सिर के बल उलटने का संकेत देने लगी है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा जहां अब तक अयोध्या के नाम पर बिदक उठती थी, अब ये सभी तथाकथित पार्टियां दनादन अयोध्या में कार्यक्रम रख अपना हिंदूवादी चेहरा लोगों के सामने पेश करने की आपाधाती में हैं। मायावती से लेकर अखिलेश तक, सभी पार्टिंयों के नेता अब अयोध्या के लगातार दौरे पर जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ है कि अब तक जिस अयोध्या के नाम पर ये राजनीतिक दल कन्नी काटते थे, अब उसी की माला जपने को बेताब हैं।
अयोध्या में दनादन कार्यक्रम कर रही बसपा
हाल में बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने यूपी के ब्राह्मणों को लुभाने के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या से की। लेकिन उन्होंने इसके लिए अयोध्या को ही क्यों चुना। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बसपा ने भी अब अयोध्या के धार्मिक और सामाजिक महत्व को समझने की कोशिश शुरू कर दी है। प्रबुद्ध सम्मेलन में जय श्री राम के नारों की भी गूंज सुनाई दी। साफ था कि बीएसपी का सम्मेलन ही अयोध्या में नहीं हो रहा है बल्कि वह यहां के परिवेश में भी खुद को ढला हुआ दिखाने का प्रयास कर रही है।
अखिलेश अयोध्या से शुरू करेंगे यूपी का दौरा
मायावती के बाद अब बारी अखिलेश की है। जानकारी मिली है कि सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव संसद के मौजूदा सत्र की समाप्ति के बाद अयोध्या आयेंगे और यहां से पूरे यूपी के दौरे की शुरुआत करेंगे। स्पष्ट है कि भगवान राम के विपरित कृष्ण को खड़ा करने की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी भी अब अयोध्या पर फोकस कर रही है। ऐसा करना अखिलेश की मजबूरी भी है। क्योंकि यूपी चुनाव तथा 2024 के लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व और सुशासन के संभावित भाजपाई ‘रामराज्य’ के गणित को भेदना महज सेकुलर एजेंडे से आसान नहीं होगा। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में सुशासन के जो मानक पेश किये हैं, उसका मुकाबला छद्म राजनीतिक एजेंडों से नहीं किया जा सकता।
अयोध्या से योगी को लड़वाने की भाजपाई रणनीति
दरअसल भाजपा अयोध्या को केंद्र में रखकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही स्टेप बाई स्टेप बढ़ रही है। बीते साढ़े चार सालों में सीएम योगी ने 20 बार अयोध्या का दौरा किया है। इससे पता चलता है कि बीजेपी के लिए अयोध्या कितनी अहम है। यही नहीं सियासी हलकों में अब इस बात की भी चर्चा है कि 2022 में सीएम योगी आदित्यनाथ यहीं से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। यही नहीं, भाजपा को अयोध्या को पूरे भारत में सुशासन एक मॉडल के तौर पर रख देश में ‘रामराज्य’ लाने की मंशा भी जता चुकी है। शायद यही वजह है कि अब दूसरी पार्टियों ने भी अयोध्या का रुख किया है और वे यह जताना चाहती हैं कि वे इससे अछूती नहीं हैं।