सिमरिया/बेगूसराय : राम मय सिमरिया धाम। मोरारी बापू राम कथा सुना रहे हैं। चारों वेला प्रसाद की भी व्यवस्था है। अन्नपूर्णा की कृपा निरंतर बनी है। अन्न-अन्न में ईश्वर, कण—कण में ईश्वर। “दिनकर” जी की याद में इससे बड़ा आयोजन जेहन में नहीं है। अद्भुत कहना अतिशयोक्ति नहीं। ससमय यथास्थान संबंधित व्यक्ति और सुविधाओं की उपलब्धतता अनुशासन की मिसाल है।
सिर्फ कथा पंडाल करीब एक किलोमीटर लंबा और चार सौ मीटर चौड़ा है। पूरे में नए कॉरपेट, भूरे और नीले कंबिनेशन में। आगे से सात सौ मीटर खचखच भरा। उससे अधिक लोग प्रसाद समेत अन्य पंडालों में भ्रमणशील मोड में। सैकड़ों आ-जा रहे। गंगा किनारे हल्के कुहासे के बीच से सूर्य की लाली इसमें चार-चांद लगा रही थी। शाम में साहित्य संध्या का आयोजन होता। उसके लिए भव्य क्लासिकल मंच सटे पूरब है। मंगलवार को रात एक बजे तक भंडारा चलता रहा। रहने-सहने के भी लाजवाब इंतजाम। आसपास टेंट सिटी बसा दी गई है। अपार्टमेंट के फ्लैट्स की तरह सभी नंबरों से जाने-पहचाने जाते हैं। प्रवेश के लिए जर्मन तकनीक से बने रेवटी के आवंटन कार्ड दिखाने पड़ते। अंदर से होटल के कमरे दिखते। शौच के लिए कमोड विथ ठंडा और गर्म पानी। एक में चार शय्या लगाए गए हैं। बैग की तरह दरवाजे चेन से बंद होते। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम। चाय-पानी बेशुमार। भजन-भोजन अहिल-दहिल। आला रे, आला। आयोजक (बिपिन कुमार ‘ईश्वर’) को साधुवाद।