स्वत्व डेस्क : आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा रही है। इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व देश के अधिकतर भागों में 24 जुलाई 2021 को मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि हनुमान जी भी गुरु के ही स्वरूप हैं। भारतीय संस्कृति में हनुमान जी को ‘कृपा करहु गुरुदेव की नाई’ कहा गया है। गुरु पूर्णिमा पर शनिवार 23 जुलाई को एक विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन हनुमान जी की एक नारी के तौर पर पूजा अर्चना करने से शनि की ढैया और साढ़े साती से पीड़ित लोगों का कल्याण होता है। आइए जानते हैं हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा की परंपरा क्या है।
गुरु के रूप में कैसे करें हनुमान जी की पूजा
शनि की ढैय्या और साढ़े साती जातक की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ती है। उस पर यदि जातक की कुंडली में शनि की कुदृष्टि भी हो तो मुश्किलों में इजाफा होते देर नहीं लगती है। ऐसे जातकों को शनि देव से जुड़े खास योग बनने पर कुछ उपाय जरूर कर लेने चाहिए। इन्हीं विशेष संयोग और उपायों में एक है गुरु पूर्णिमा पर हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा। इस दिन जातक को हनुमान जी के मंदिर में गुरु को याद कर उन्हें शक्ति के रूप में ध्यान स्मरण करने तथा घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। इससे उन्हें शनि के प्रकोप से बहुत राहत मिलेगी।
इकलौता मंदिर जहां स्त्री रूप में पूजे जाते हैं हनुमान
जी हां, आपने सही पढ़ा। और शायद, यह पूरी दुनिया में मौजूद इकलौता मंदिर भी है जहां भगवान हनुमान की पूजा एक महिला के रूप में की जाती है। छत्तीसगढ़ में रतनपुर के गिरजाबांध स्थित इस मंदिर में ‘देवी’ हनुमान की मूर्ति है। इस मंदिर के प्रति लोगों में काफी आस्था है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी यहां पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है।
क्या है इस अजूबे हनुमान मंदिर का इतिहास
गिरजाबांध स्थित हनुमान मंदिर सदियों से इस क्षेत्र में अस्तित्व में है। माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा दस हजार साल पुरानी है। किंवदंती है कि मंदिर का निर्माण पृथ्वी देवजू नाम के राजा ने कराया था। राजा पृथ्वी देवजू हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे औऱ उन्होंने कई सालों तक रतनपुर पर शासन किया था। माना जाता है कि वह कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। कहा जाता है कि एक रात राजा के सपने में हनुमान जी आए और उन्हें मंदिर बनाने का निर्देश दिया। राजा ने मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। जब मंदिर काम पूरा होने वाले था, तब राजा के सपने में फिर हनुमान जी आए और उन्हें महामाया कुंड से मूर्ति निकाल कर मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा। राजा ने हनुमान जी के निर्देशों का पालन किया और कुंड से मूर्ति निकाली गई। लेकिन हनुमान जी की मूर्ति को स्त्री रूप में देखकर हैरान रह गए। फिर महामाया कुंड से निकली मूर्ति को पूरे विधि विधान से मंदिर में स्थापित किया गया। मूर्ति स्थापना के बाद राजा की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई।