यहां बकरियां क्यों कर रहीं ‘जूम मीटिंग’? मुंह दिखाई से विदाई तक सब डिजिटल

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रांची/जमशेदपुर : कोरोना ने हमारे जीवन का सब बदल दिया है। यहां तक कि अब पशु भी डिजिटल हो गए हैं। सोशल डिस्टेंशिंग के इस जमाने में बाजार की भीड़ तथा कारोबार की तबाही से बचने के लिए झारखंड के पशु व्यापारियों ने बकरीद को देखते हुए इस उपाय को अपनाया है। इसमें कुर्बानी के लिए बकरों की सोशल नेटवर्किंग साइट जूम पर पहले तो मुंह दिखाई होती है, फिर डिजिटल पेमेंट के बाद ऑनलाइन विदाई तथा डिलीवरी भी हो रही है।

जमशेदपुर में कारोबारियों ने अपनाई तकनीक

जानकारी के अनुसार जमशेदपुर में मानगो, साकची आदि इलाकों में जहां मुस्लिम आबादी काफी है, वहां कुर्बानी के बकरों की खरीद का यह तरीका काफी सफल हो रहा है। वहां के पशु विक्रेता मो. सरफराज बताते हैं कि जिस तरह कोरोना के चलते लोगों का संपर्क कम हुआ, सोशल डिस्टेंसिंग की बात आई तो कारोबार को जारी रखने के लिए हमने भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जाने का विकल्प चुना। बकरीद सिर पर है इसलिए जूम और अन्य सोशल मीडिया का सहारा लेकर हम बाजार में उतरे हैं।

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ऐसे होता है कारोबार में सोशल मीडिया का इस्तेमाल

सबसे पहले व्यापारियों ने व्हाट्स एप, फेसबुक और अन्य प्लेटफार्म पर ग्रुप बनाकर अपने—अपने पशुओं की खूबियों, फोटो और वजन आदि की जानकारी पोस्ट की। फिर उनको शेयर कर काफी प्रचार किया। कीमत तथा पशुओं को पसंद करवाने के लिए उन्होंने वीडियो कॉलिंग तथा जूम एप का सहारा लिया। सब तय होने के बाद उन्होंने अपना बिक्री का पेमेंट लिंक भेजा और ग्राहक के पते पर पशु की ऑनलाइन डिलीवरी करा दी।

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