नीतीश ने RCP को नहीं दिया बधाई, ललन सिंह की नाराजगी बन सकती है वजह

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पटना : बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में जदयू को भी शामिल किया गया।जदयू से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केंद्र में इस्पात मंत्रालय सौंपा गया। आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद बधाईयों का तांता लगा हुआ है। लेकिन वहीं आरसीपी सिंह के शपथ लेने के 14 घंटे बाद भी अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई नहीं दिया है।

गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे मौके पर बधाई देने में पीछे नहीं रहते हैं। ऐसे मौकों पर कुमार अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए बधाई देते हैं। ट्विटर पर एक्टिव रहने वाले नीतीश अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहले से ज्यादा सक्रिय हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आरसीपी सिंह को ट्वीट कर बधाई नहीं दी है।

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देखने वाली बात यह है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने ट्विटर हैंडल से बुधवार की देर शाम तकरीबन 8:30 बजे बाढ़ समीक्षा को लेकर की गई बैठक से जुड़ा ट्वीट किया। लेकिन उन्होंने आरसीपी सिंह को लेकर कोई ट्वीट नहीं किया है। वहीं जदयू सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मंत्री बनने के बाद भी आरसीपी और नीतीश कुमार में अभी कोई बातचीत नहीं हुई है।

वहीं राजनितिक जानकारों की माने तो आरसीपी सिंह नीतिश कुमार की सहमति से ही केंद्र में मंत्री बने हैं और नीतीश से उनको पहले ही बधाई दे दिया है। जिसके बाद अब यह आरसीपी सिंह को सार्वजनिक रूप से बधाई देना नहीं चाहते हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके सबसे बडे़ सिपासलाहकार ललन सिंह केंद्र में मंत्री नहीं है। साथ ही साल 2019 वाली परिस्थितियों के साथ ही इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू शामिल हुआ है।

ललन सिंह से नहीं लेना चाहते पंगा

वहीं दुसरे तरफ यह भी चर्चा उठने लगी है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह को बधाई देकर कोई जोखिम लेना नहीं जाते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि यदि उनके बधाई देने से ललन सिंह नाराज हो गए तो पार्टी का भूमिहार वोट किसी और के साथ चला जाएगा और हो सकता है कि आने वाले दिनों में पार्टी के कई विधायक भी इस कारण पार्टी छोड़कर किसी और दल के साथ हाथ मिला लें। इसलिए उन्होंने ने आरसीपी सिंह को बधाई नहीं दिया।

पार्टी के अंदर ही उठने लगा सवाल

इसके साथ ही चर्चा यह भी है कि नितीश कुमार का जग्गू अध्यक्ष आरसीपी सिंह बधाई न देने का पीछे का कारण यह है कि जब नीतीश कुमार पार्टी अध्यक्ष थे तब भी उन्हें केंद्र में एक मंत्री पद मिल रहा था लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। लेकिन अब एक बार फिर से जब जो एक सीट पर मंजूर हो गया है। जिसके बाद पार्टी के अंदर और बाहर यह सवाल उठने लगा है कि अगर एक मंत्री पद के साथ ही केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होना था तो फिर 2 साल तक इंतजार क्यों किया गया? कई ऐसे सवाल हैं जो आगे और तेजी के साथ उठेंगे।

बहरहाल , देखना यह है कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच वाकई दूरी बढ़ी हुई है या नहीं क्योंकि दूरी बढ़ी हुई है तो इसका असर पार्टी पर देखने को मिलेगा लेकिन अगर दोनों मिलकर कोई नया खेल खेल रहे हैं तो उन्हें भी इस खेल का अंदाजा जरूर होगा।

 

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