06 जुलाई : मधुबनी की मुख्य खबरें

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लखनौर में सुरक्षित गर्भपात पर हुई बैठक

मधुबनी : कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें सुरक्षित गर्भपात करना भी एक चुनौती रहा. इसको लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लखनौर में परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत बैठक आयोजित की गई, जिसमें 19 आशा एवं दो आशा फैसिलिटेटर को आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर दिनेश कुमार के द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन और कानून के बारे में विस्तृत जानकारी तथा सही तरीके से गर्भपात को लेकर चर्चा की गई।

उन्होंने बताया कोरोना के समय में लोगों को कई विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। इस दौरान कई ऐसी महिलाएं है जो अनचाहे रूप से गर्भवती हो गई। संक्रमण के मद्देनजर वह अपना सुरक्षित रूप से गर्भपात भी नहीं करा सकी। सरकारी अस्पतालों में व्याप्त चिकित्सकीय सुविधा का लाभ से वह वंचित रह गई। लिहाजा उन महिलाओं का गर्भ अब 2 से 3 माह का हो चुका है। इसलिए उनका सुरक्षित रूप से चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। ताकि उनका सुरक्षित रूप से गर्भ समापन किया जा सके। इसे लेकर सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। खासकर सामाजिक स्थिति में इसे लेकर जागरूकता लानी होगी।

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20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से समाप्त करने की है इजाज़त :

एमटीपी( मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी) एक्ट 1971 में निहित कुछ शर्तों के तहत कोई भी महिला 20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से हटा सकती है। लेकिन एमपीटी एक्ट में कुछ शर्तों का जिक्र किया गया है। जिसका अनुपालन अनिवार्य है तथा इसे लेकर जरूरी दस्तावेज होनी चाहिए। लेकिन इस दरम्यान ख्याल रखना होगा कि उनका सुरक्षित रूप से गर्भपात हो सके। इसके लिए उनके परिजनों को खास ध्यान रखने की आवश्यकता है। किसी भी बिचौलियों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। किसी तरह की समस्या होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में संपर्क करना चाहिए।

सरकारी अस्पतालों में कानूनी रूप से निःशुल्क गर्भपात कराने की सुविधा उपलब्ध है। साथ हीं एंबुलेंस की मदद से महिला मरीज को नि:शुल्क रूप से हायर सेंटर भेजने की सरकारी सुविधा उपलब्ध है। लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए। 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है. लेकिन 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक में 2 प्रशिक्षित डॉक्टर की उपस्थिति में सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में गर्भपात होनी चाहिए। इस दौरान माहवारी के समय साफ -सफाई के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी।

असुरक्षित गर्भपात से 8 प्रतिशत महिलाओं की हो जाती मौत :

भारत में होने वाली मातृ मृत्यु में से लगभग 8% मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है। यदि किसी महिला को माहवारी के दिन चढ़ गए हो या उससे अनचाहे गर्भ के ठहरने की आशंका हो तो उसे बिना किसी देरी के नजदीकी आशा एएनएम से संपर्क करना चाहिए या डॉक्टर को दिखाना चाहिए अगर गर्भधारण की पुष्टि होती है और महिला गर्भ नहीं रखना चाहती है तो उसे गर्भपात का निर्णय जल्दी ले लेना चाहिए अगर गर्भ 9 सप्ताह तक का हो तो गोलियों द्वारा गर्भपात भी किया जा सकता है।

गर्भपात जितना जल्दी कराया जाए उतना ही सरल और सुरक्षित होता है। कई बार ऐसा हो सकता है कि गर्भपात सेवाएं लेने के लिए पहुंचने तक गर्भ 12 हफ्ते से ऊपर का हो इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं -जैसे कि गर्भ की जानकारी बाद में लगना होने वाले शिशु में जन्मजात विकृति होना अस्पताल समय से ना पहुंच पाना।

सुरक्षित गर्भपात के मद्देनजर समय पर निर्णय न ले पाना इत्यादि। यदि महिला 12 हफ्ते या 3 महीने से ज्यादा अवधि के गर्भ का गर्भपात करवाना चाहती है तो उसमें उसे घबराने की आवश्यकता नहीं है। 20 सप्ताह तक गर्भपात से जुड़ी सेवाएं लेने के लिए महिला को बड़े अस्पताल जैसे कि जिला अस्पताल 24*7 उपलब्ध सीएससी तथा मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाना होगा।

गर्भावस्था की अवधि के आधार पर महिला को इन सेवाओं के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाता है। महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वह गर्भपात के साथ तुरंत ही किसी गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग शुरू कर दें क्योंकि गर्भपात और अगले गर्भधारण के बीच में कम से कम 6 महीने का अंतर रखना उचित होता है। इस दौरान बीसीएम विक्रम कुमार केयर इंडिया के रितु कुमारी आदि उपस्थित थे।

घर की दहलीज पार कर माता बैठक में पहुंची महिलाएं, परिवार नियोजन पर खुलकर की चर्चा

मधुबनी : छोटा व सुखी परिवार के लिए चिंतित महिलाएं घर की दहलीज पार कर माता बैठक में उत्साह के साथ पहुंची। परिवार नियोजन के विभिन्न साधनों पर खुलकर चर्चा की। जिले के रहिका प्रखंड के हुसैनपुर पंचायत, वार्ड नंबर 1 आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 43 पर माता बैठक आयोजित किया गया। बैठक के बाद उपस्थित महिलाओं के द्वारा जागरूकता रैली भी निकाली गई।

बैठक में महिलाओं को परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जानकारी दी गई। एक संतान वाले दंपतियों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी गई। जिसमें गांव की महिलाएं उत्साह के साथ परिवार नियोजन के विभिन्न साधनों पर चर्चा की और स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित की।

केयर इंडिया के प्रखंड समन्वयक अमित कुमार विपुल ने बताया कि परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिले में 27 जून से दंपत्ति संपर्क पखवाड़ा तथा 11 जुलाई से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जाएगा। इस अभियान के तहत समुदाय स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता फैलायी जा रही है।इस अभियान का असर भी देखने को मिल रहा है। जिसका परिणाम है कि गांव की महिलाएं घर की दहलीज पार कर माता बैठक में शामिल हो रही हैं और इस पर चर्चा भी कर रही हैं।

माता बैठक के माध्यम से किया गया जागरूक :

इस बैठक के दौरान महिलाओं को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूक किया गया।

•जन-जन में फैलाएं एक विचार, छोटा परिवार सुखी परिवार

• कम बच्चे छोटा परिवार, यही है प्रगति का आधार

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• परिवार नियोजन अपनाएंगे, देश खुशहाल बनाएंगे

एक सन्तान वाली महिलाओं को मिली जानकारी :

प्रखंड समन्वयक अमित कुमार विपुल ने बताया परिवार नियोजन को लेकर लोगों को जागरूक करने के दौरान स्थाई एवं अस्थाई उपायों के साथ-साथ समय अंतराल की भी जानकारी दी गई। जिसमें बताया गया कि अगर कोई महिला परिवार नियोजन बंध्याकरण के लिए इच्छुक हैं किन्तु, उनका शरीर बंध्याकरण के लिए सक्षम नहीं है तो ऐसी महिला अस्थाई उपायों को भी अपना सकती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए सरकार द्वारा पीएचसी स्तर पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। जिसमें कंडोम, छाया, अंतरा, कॉपर – टी समेत अन्य वैकल्पिक साधन शामिल हैं। इस बैठक में मुख्य रूप से शून्य या एक सन्तान वाली महिलाओं को शामिल किया गया था।

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए परिवार नियोजन जरूरी :

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया परिवार नियोजन को अपनाने से ना सिर्फ छोटा और सीमित परिवार होगा, बल्कि, महिलाओं का बेहतर शारीरिक विकास भी संभव होगा। साथ ही इससे परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। जिससे आप अपने बच्चों को उचित परवरिश के साथ अच्छी शिक्षा हासिल कराने में समर्थ होंगे। इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा और सामाजिक स्तर पर लोग परिवार नियोजन साधनों को अपनाने के प्रति अधिक जागरूक होंगे। उन्होंने बताया सीमित परिवार के कारण बच्चों की उचित परवरिश होती है जिससे वह मानसिक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं।

भगवान भरोसे है बिस्फी की जनता, बाढ़ एवं बरसात के पानी से जीना हुआ मुश्किल

मधुबनी : बिहार सीएम नीतीश कुमार को विकास पुरुष कहते है, लेकिन हकीकत से दुर यह सिर्फ जुमला नजर आता है। मधुबनी जिला के प्रखंड बिस्फी एवं अगल-बगल के कई गाँव की संवाददाता सुमित कुमार राउत ने ग्राउंड जीरो का दौरा किया। तो उन्होंने पाया कि विकास यहाँ से कोसो दुर है। वहाँ आमलोगों को समस्या ही समस्या है, जिसे कोई सुननेवाला नही है। कई के घर डूब चुके है, रास्ता पर जलजमाव है, जिसके कारण आवागमन मे ग्रामीणो को काफी असुविधाओं क़ा सामना करना पड़ता है।

खासकर महिलाओ एवं बच्चो को तो भारी मुसीबतों क़ा सामना करना पड़ता है। विषैले जीव एवं अन्य कीटाणु से अलग डर लगा रहता है। रात जागकर बिताना इनकी मजबूरी बन गई है, जीना बेहाल हो गया है। कई एकड़ जमीन मे जलनिकासी की व्यवस्था नही रहने के कारण जलजमाव की समस्या है। इस जमीन पर लोग खेती भी नही कर सकते है, जिससे लोगो को आर्थिक क्षति क़ा सामना करना पड़ रहा है।

मौके पर मिले लोगों ने बताया कि घर के सामने जलनिकासी की पर्याप्त व्यवस्था नही होने के कारण किसानो की लगभग 50एकड़ जमीन डबरा बना हुआ है, जिसके कारण इस बरसात के मौसम मे कई लोगो के घरो मे पानी घुस गया है, खेती तो दुर की बात है। जनता मालिक क़ा दुख-दर्द ना तो कोई जनप्रतिनिधि सुनते है, ना कोई पदाधिकारी। बेचारी जनता थक-हारकर भगवान भरोसे अपना जीवन किसी तरह काट रही है। हमारी सरकार आम जनता को सिर्फ ठगने क़ा काम कर रही है।

शहर बनी झील, घर बने टापू मानसून की पहली बारिश में ही जलमगन हुआ आधा शहर

मधुबनी : यूं तो बारिश मानसून में होती है, पर अमूनन शहर की सूरत नही बिगड़ती है। पर आपको हम दिखाते हैं एक ऐसे शहर का हाल जो लगभग आधा शहर बाढ़ के नही बारिश के कारण डूब गया हुआ है। जी हाँ ऐसा ही हाल हुआ है मधुबनी के जयनगर शहर का, जहाँ जयनगर बस्ती पंचायत के लगभग सभी घर बरसात में डूब गए हैं।

जहाँ एक तरफ नगर पंचायत तमाम दावे कर रहा है, सफाई की, अतिक्रमण नही होने की, बारिश में नालों के जाम नहीं होने की, पर ये सारे दावे उस समय फुस्स हो गए, जब एक अखाड़ बारिश में ही शहर आधा डूब गया। बता दें की शहर के कई हिस्से भी जैसे कि विद्या नगर, रामलखन कॉलोनी, यूनियन टोल, मरकडी टोल, स्टेशन रोड, मेन रोड जैसे जगह भी बारिश के पानी के कारण डूब गए। ज्ञात हो कि नगर पंचायत, जयनगर हमेशा दावे करता रहा है कि बरसात में शहर की सूरत नही बिगड़ेगी, पर ऐसा होता नही दिखाई दे रहा है।

लोगों ही नहीं थाना परिसर भी बाढ़ की चपेट में, हर जगह पानी हीं पानी

मधुबनी : “बिहार में बहार है नीतीशे सरकार है” ये तो आपने सुना ही है, लेकिन जरा इस तस्विर को गौर से देखिए फिर आप कहेंगें की “बिहार में जनता बेहाल है, नीतीशे सरकार है”। बारिश के कारण बिहार में लोगों का बेहाल होना कोई नई बात नहीं है। आपने पानी से बेहाल पुलिस वालों की दशा पहले नहीं देखा होगा। ये तस्वीर है बिहार के मधुबनी जिले के फुलपरास अनुमंडल थाना का जहां पुलिस थाने में हर वर्ष बारिश का पानी थाने के हर कमरे में प्रवेश कर जाता है। देखिए किस प्रकार से पुलिस वाले पानी के बीच थाने कैम्पस में बने जर्जर बैरेक क्वाटर में रहने को मजबूर हैं।

रात हो या दिन जहरीले सांपों के डर हमेशा सताता है। बर्दी पहनकर हाथों में जुते लेकर ड्यूटी के लिए रोजाना निकलना इन पुलिस वालों की किस्मत में लिखा है, रात दिन पेट्रोलिंग ड्यूटी करने के बाद अमानवीय तरीके से रहने को मजबूर पुलिस वालों की गंदे पानी के बीच में रहकर टायफाईड, मलेरिया व कोरोना जैसे गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। पुलिस अधिकारी बताते हैं के कई बार वरिष्ठ अधिकारी को बताया लेकिन सुध लेने वाला कोई नही है। इस बाबत जब संवाददाता सुमित कुमार राउत ने ग्राउंड जीरो से उक्त थाने के पुलिसकर्मियों से जाना उनका हाल, पानी के बीच कैसे काटते हैं रात। तो जवाब सुन दांतों तले उंगली दबाना पड़ा।

आपको बता दें की फुलपरास चार दशकों से कई नेता, मंत्री, विधायक, सांसद यहां तक कि जननायक कर्पूरी ठाकुर फुलपरास से चुनाव जीतकर ही मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में नीतीश सरकार में परिवहन मंत्री शीला कुमारी का गांव गोरगामा मात्र 3 किलोमिटर पर है। वहीं जल संसाधन मंत्री संजय झा हैं, जो सीएम के काफी करीबी माने जाते हैं। यहाँ से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। ऐसे में इस भीआईपी क्षेत्र का ये हाल है, तो फिर आप कैसे कह पाएंगे कि बिहार में बहार है, यहाँ तो नीतीशे कुमार है।

बाढ़ की स्थिति हो गई गंभीर, बांध टूटते ही आसपास के गांवों में मचा कोहराम

मधुबनी : जिले के मधवापुर प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति अब और गंभीर हो गई है। बसवरिया गांव के पास धौंस नदी का सुरक्षा तटबंध सोमवार की शाम पानी का दबाव नहीं झेल सका और बांध ध्वस्त हो गया। बांध टूटते ही आसपास के गांवों में कोहराम मच गया। प्रखंड के भौगाछी, बसवरिया, पिहवारा, उतरा, बैंगरा, अबारी, पहिपुरा समेत करीब एक दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

बसवरिया चौक के समीप धौंस नदी का सुरक्षा तटबंध पूरब दिशा में टूटा है। बांध टूटने से करीब 25 से 30 हजार की आबादी प्रभावित हो गई है। खेतों में किसानों की कड़ी मेहनत बाढ़ के पानी में डूब गई है। प्रभावित होने वाले गांवों के लोग स्वजनों व पशुओं के साथ जरूरी सामान समेट कर विस्थापित हो गए हैं। लोगों ने ऊंचे स्थानों व स्टेट हाईवे मुख्य सड़क पर शरण ले ली है।

बांध टूटने से स्टेट हाईवे मुख्य सड़क से भौगाछी गांव जाने वाली सड़क पर दो से तीन फीट पानी का बहाव हो रहा है, करीब तीन गांवों का सड़क संपर्क पूरी तरह भंग हो चुका है। लोग भयभीत दिख रहे हैं। बांध टूटने की सूचना पर स्थानीय विधायक सुधांशु शेखर ने बसवरिया चौक पहुंच कर लोगों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन को सूचित कर दिया गया है। जल्द ही लोगों तक राहत पहुंचेगी।

बता दें कि रविवार को प्रखंड क्षेत्र के अंदौली गांव के समीप धौंस नदी का सुरक्षा तटबंध टूट जाने से तरैया पंचायत व पिरौखर पंचायत के एक दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इस बाबत स्थानीय सीओ रामकुमार पासवान ने बताया कि बांध टूटने की सूचना मिली है, अधिकारियों के साथ बसवरिया के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।

सुमित कुमार की रिपोर्ट

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