Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured देश-विदेश बिहार अपडेट राजपाट

शक्ति प्रदर्शन की लड़ाई में चित हुए चाचा, भतीजे ने मारी बाजी

पटना : लोक जनशक्ति पार्टी में बगावत होने के बाद आज पहला मौका था, जब दोनों गुट के नेताओं ने बिहार में शक्ति प्रदर्शन किया। चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान के कर्म क्षेत्र हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा निकाली, तो वहीं पशुपति गुट ने पशुपति पारस की अध्यक्षता में पार्टी कार्यालय में बिहार के विभिन्न जिलों के 10000 कार्यकर्ताओं को जुटाने का दावा किया।

लेकिन आज के इस राजनैतिक शक्ति प्रदर्शन में चिराग पासवान के सामने चाचा पशुपति कुमार पारस कहीं नहीं टिक पाए। 10,000 कार्यकर्ताओं को जुटाने का दावा करने वाले पारस गुट ने मुश्किल से हजार लोगों की ही जुटा पाई
वहीं, चिराग पासवान दिल्ली से लेकर हाजीपुर तक हजारों लोगों की भीड़ जुटाने में सफल रहे। दिल्ली स्थित आवास में रामविलास पासवान को याद करने के बाद चिराग पटना एयरपोर्ट पहुंचे, जहां चिराग गुट के लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी की अगुवाई में 101 घोड़ों के साथ स्वागत स्वागत किया तथा हजारों की संख्या में चिराग के समर्थक उपस्थित रहे।

इसके बाद चिराग पासवान राजेंद्र नगर होते हुए हाजीपुर जा रहे थे, इस दौरान उनकी बड़ी बहन ने अपने परिवार के साथ चिराग के काफिले को रोककर अपने पिता को राजेन्द्र नगर स्थित आवास पर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान चिराग पासवान अपनी बड़ी बहन की आत्मीयता को देखकर दोनों भाई बहन एक दूसरे के गले लग कर फफक पड़े। विदित हो कि इससे पहले चिराग पासवान ने कहा था कि आज हमारे चाचा और हमारा भाई हमसे अलग हुआ है लेकिन पूरा बिहार हमारा परिवार है इसकी शुरुआत उनकी बहन ने कर दी है।

हाजीपुर पहुंचने के बाद विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे। बताया जाता है कि चिराग के काफिले में लगभग 500 से अधिक गाड़ियां चल रही थी। इस दौरान जगह-जगह पर रामविलास के चाहने वाले चिराग को ही असली वारिस मान रहे थे और उसी अनुरूप चिराग के प्रति सहानुभूति और प्यार दिखा रहे थे।

पशुपति कुमार पारस ने चिराग के समर्थन में उमड़े जनसैलाब को देखते हुए नया चाल चला। पशुपति पारस ने कहा कि अगर चिराग कार्यालय आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। चिराग पासवान चाचा के राजनैतिक प्रस्ताव को इनकार करते हुए पार्टी कार्यालय न जाकर एयरपोर्ट से सीधा हाजीपुर के लिए रवाना हो गए। इस बीच पशुपति गुट ने यह चर्चा चलाई की दिल्ली से अमित शाह का फोन आया है और वे मंत्री बन रहे हैं। इस बाबत जब पशुपति कुमार पारस से सवाल पूछा गया तो उन्होंने नहीं हां कहा नहीं न कहा। उन्होंने राज को राज रहने की बात कही।

अगर, शक्ति प्रदर्शन की बात करें तो चिराग के समक्ष उनके चाचा पशुपति कुमार पारस कहीं नहीं टिक पाए। इस तरह एक बार फिर चाचा-भतीजे की लड़ाई में चाचा चित हो गए।