सत्तालोलुप कांग्रेस का क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे का सबसे बड़ा उदाहरण है आपातकाल- अरविंद
पटना : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्व इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था।
भाजपा नेता ने कहा कि आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया।प्रधानमंत्री के बेटे स्व संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया।
अरविंद सिंह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने इसे ‘भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि’ कहा था और इस कुकृत्य ये ख़िलाफ़ पूरे देश में जनआंदोलन चलायें जिसका परिणाम हुआ कि चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हार गयी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी इस काली इतिहास को भी इस देश की जनता के सामने एक बार पुनः बताने का काम करे और ये भी बताए की बाज़ार ग़ए स्कूल गए हुए हैं 16-18 साल के नौजवान और नवयुवतियों को 50-80 वर्ष के बुज़ुर्ग महिला और पुरुषों को नसबंदी करके छोड़ दिया जाता था वो भी इस देश की जनता को बताने का काम करे। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी सिद्धांत और नीति की बात करते है, जिनके दल के पुरखों की काली इतिहास पड़ी हुई है।
इससे पहले सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि आपातकाल (इमरजेंसी) की काली यादें देश आज भी नहीं भूला है, जब एक तानाशाह शासक के विरोध में उठी आवाजों को दबाने के लिए सवा लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को 22 महीने के लिए जेलों में ठूंस दिया गया था। तब प्रेस सेंसरशिप लगा कर चौथे स्तम्भ का ही नहीं लोकतंत्र का भी गला घोंटा गया व निरंकुश शासन के तहत आम नागरिकों तक पर अमानुषिक अत्याचार किये गए थे। कांग्रेस के दमन पर लगा यह एक ऐसा बदनुमा दाग है जो उसके लाख माफी मांगने के बावजूद धुलने वाला नहीं है।