भोजपुर पुलिस ने ज्वेलर्स दुकान में लूट की घटना का किया पर्दाफ़ाश
आरा : भोजपुर पुलिस ने ज्वेलरी दुकान से हुए करीब 7 लाख रूपए के गहनों की लूट करने वाले अपराधियों को महज 48 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया है. आरा शहर में सोमवार की शाम सर्किट हाउस के समीप ज्वेलरी दुकान से करीब 7 लाख के गहने लूटकर पांच अपराधी फरार हो गए थे. लूट की इस घटना के बाद भोजपुर एसपी राकेश कुमार दुबे के नेतृत्व में एक टीम गठित करके महज 48 घंटे के अंदर ही लूट के घटना में शामिल मुख्य चार लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पकडे गए अपराधियों की पहचान आरा नगर थानान्तर्गत एम् पी बाग़ के संजीत सह का 24 वर्षीय पुत्र नंदन कुमार उर्फ़ सूरज गुप्ता, अशोक कुमार गुप्ता का 26 वर्षीय पुत्र छोटू कुमार, सुभाष उपाध्याय का 22 वर्षीय पुत्र सूरज कुमार उर्फ़ टाइगर तथा मछुआ टोली (बड़ी मस्जिद) के सरजेय रावत का 31 वर्षीय पुत्र सचिन देशमुख जिसने लुटे गये गहने को गलाया था के रूप में की गयी है| पुलिस ने उनके पास से एक देशी पिस्तौल, दो जिंदा कारतूस, दो मोबाइल, गलाए गए सोने का 300 ग्राम का बिस्कुट, गलाए गए सोने के 54.590 ग्राम का चार छोटे छोटे बिस्कुट तथा एक लाख पचास हज़ार नकद भी बरामद किये है|
भोजपुर आरक्षी अधीक्षक राकेश कुमार दुबे ने आज बताया कि 21 जून की शाम में हथियार के बल पर सर्किट हाउस के बगल वाली गली में लक्ष्मी ज्वेलर्स नामक दुकान में दिनदहाड़े घुसकर दुकानदार को बंधक बनाने के बाद अपराधियो ने 150 ग्राम सोने के गहने जिसकी कीमत करीब 7 लाख रुपये थी लूटकर भाग गए थे. पुलिस ने इस घटना के बाद सीसीटीवी के आधार पर लुटेरों की धर पकड़ तेज कर दी थी. मामले के खुलासे को लेकर एसपी राकेश कुमार दुबे ने एक स्पेशल टीम बनाई जिसमें नगर थाना प्रभारी शम्भू भगत, नवादा थाना प्रभारी संजीव कुमार, चीता फोर्स, DIU टीम शामिल थी। इसके बाद इस टीम ने मात्र 48 के अंदर ही चार लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया. लुटेरों के पास से लूटे गए गहने का एक बड़ा हिस्सा भी बरामद कर लिए गया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ये लूटकांड उनके लिए एक चुनौती थी. उन्होंने तुरंत एक स्पेशल टीम गठित कर अपराधियो की धर पकड़ में लगा दिया था। पुलिस टीम ने 48 घण्टे के अंदर लूटकांड में शामिल मुख्य 4 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है साथ ही अपराधियों के पास लूट के गहने का एक बड़ा हिस्सा भी बरामद किया गया है। एसपी ने बताया कि इस लूटकांड में दो अपराधी अभी फरार हैं पर जल्द ही दोनों की भी गिरफ्तारी कर ली जाएगी।
सोन में डूबकर एक मजदूर की मौत
आरा : भोजपुर जिले में कोईलवर थानान्तर्गत राजापुर गांव के पास सोन नदी में डूबने से छपरा के एक मजदूर की मौत हौ गयी। मृतक सारण जिला के जलालपुर गांव निवासी स्व. मोहन महतो का 35 वर्षीय पुत्र बदरी महतो है। पुलिस ने शव को नदी से निकालकर आरा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया।
कोइलवर थानाध्यक्ष ने बताया कि बदरी महतो मजदूरी करने के सिलसिले में अक्सर कोईलवर आता था। गुरुवार को भी नाव पर बैठकर राजापुर गांव आ रहा था तभी वह नाव से सोन नदी में गिर पड़ा और डूब गया और उसकी मौत हो गई। बाद में ग्रामीणों ने सोन नदी के किनारे उसके शव को तैरता देखा और पुलिस को सूचना दी।
भोजपुरी चित्रकारिता के सम्मान हेतु क्रांति गीतों के साथ आज भी उपवास
आरा : “सर झुकाने से नहीं कुछ नहीं मिलता, सर उठाओ तो कोई बात बने”,”इसलिए राह संघर्ष की हमने चुनी,जिंदगी आँसुओं में नहाई न हो”,”सुंदर सुभूमि भैया,भारत के देशवा”, “हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन” आदि संघर्ष और क्रांति गीतों के माध्यम से दीपक प्रकाश जैन, प्रकाश सुमन,नागेंद्र पांडेय,मनोज सिंह, किशन सिंह, रतन देवा, संजय पाल आदि ने आंदोलनकारियों में नया जोश भर दिया।इन गीतों से आरा रेलवे स्टेशन गूँज उठा।मौका था भोजपुरी चित्रकला को स्थापित करने के लिए भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चे के सांस्कृतिक आंदोलन के 24 वें दिन के दो दिवसीय सांकेतिक उपवास के दूसरे दिन का।
पूर्व मध्य रेलवे के उदासीनता पूर्ण व्यवहार से क्षुब्ध होकर मजबूरीवश मोर्चा के सदस्य ही नहीं सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता भी उपवास में अपनी सक्रियता दिखाई। आज उपवास करने वालों में अशोक मानव, भास्कर मिश्र, विजय मेहता, कमलेश कुंदन, रौशन राय, अनिल राज, डॉ जितेंद्र शुक्ल और प्रशंसा पटेल थे। कला के विभिन्न विधाओं यथा नाट्य, गीत, संगीत और विभिन्न राजनीतिक विचारधारा यथा भाजपा, कांग्रेस, भाकपा माले, जन अधिकार पार्टी, भारतीय सबलोग पार्टी, भोजपुरिया जन मोर्चा के लोग अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को किनारे कर भोजपुरी कला और संस्कृति को राष्ट्रीय क्षितिज पर लाने के लिए प्रतिबद्ध होकर इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
जो कि इस आंदोलन की सार्थकता को दर्शाता है।पूर्व विधायक भाई दिनेश ने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन से यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। 24 दिन बीतने के बाद भी रेलवे प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है, अतः अब मोर्चा के साथ स्थानीय जनता को भी टेढ़ी उंगली करने पर ही सफलता प्राप्त होगी।पूर्व वार्ड पार्षद डॉ जितेन्द्र शुक्ल ने कहा कि यह संघर्ष न्यायोचित है और इसमें वरीय अधिकारियों को पहल कर अवसर प्रदान करना चाहिए।सामाजिक कार्यकर्ता अनिल राज ने कहा कि हम इस लड़ाई की धार को कुंद नहीं होने देंगे।हमारी ईमानदार एकजुटता ही हमारी ताकत है।
भोजपुरिया जन मोर्चा के विनोद सिंह ने कहा कि सरकार भोजपुरी अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रही है।डॉ कुमार शीलभद्र ने कहा कि दमन से विद्रोही पैदा होते हैं।हमें बाध्य नहीं किया जाए कि हम अपने अधिकार के लिए कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाये।रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह चित्रकला हमें पूर्वजों से विरासत में मिली है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार इसकी रक्षा का प्रयास करें।रंगकर्मी संजय पाल ने कहा कि हम अपनी चट्टानी एकता से रेल प्रशासन को अपनी मांग मानने के लिए बाध्य कर देंगे।
संस्कृतिकर्मी दीपक प्रकाश जैन ने कहा कि भोजपुरिया भाषी क्षेत्र के हर विधा के कलाकार इस आंदोलन के साथ हैं।संस्कृतिकर्मी प्रकाश सुमन ने अपने गीत जिंदगी भीख में मिलती नहीं, बढ़कर छीनी जाती है से आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाया।संस्कृतिकर्मी पप्पू शाहाबादी ने कहा कि इतिहास की प्रामाणिकता तत्कालीन कलाओं के अध्ययन से ही होती है।वर्तमान सरकार से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इस पीढ़ी की संस्कृति को अमर बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए।साथ ही covid 19 से प्रभावित रंगकर्मियों को जीवनयापन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करें।जाप के रघुपति यादव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पारंपरिक लोकचित्रकला का अंकन कोहबर और पीड़िया के रूप में हो रहा है।
रंगकर्मी रतन देवा ने कहा कि लिखित आश्वासन या कार्यादेश के बाद ही यह आंदोलन समाप्त होगा। रंगकर्मी अशोक मानव ने कहा कि यह स्थानीय संस्कृति की रक्षा के साथ साथ स्थानीय कलाकारों की रोटी की रक्षा की भी लड़ाई है।सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने कहा कि इतने दिनों तक चल रहे आंदोलन की उपेक्षा करना रेलवे प्रशासन की गलत मंशा को दिखा रहा है। चित्रकार रौशन राय ने कहा कि महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।चित्रकार प्रशंसा पटेल ने कहा कि सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि वह रोजगार के नए क्षेत्रों का भी सृजन करें। रंगकर्मी रविंद्र भारती ने कहा कि भोजपुरिया लोगों ने देश और विदेश हर जगह अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
भास्कर मिश्र ने कहा कि भोजपुरी चित्रकला भोजपुरी भाषी क्षेत्र में रोजगार के एक नये क्षेत्र के रूप में उभरेगा।मंच संचालन करते हुए कृष्णेन्दु ने कहा कि कलाकारों की कराह से पत्थर भी बोलने लगते हैं। पता नहीं रेलवे के पदाधिकारी किस मिट्टी के बने हैं कि उनपर कोई असर ही नहीं हो रहा। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कमलेश कुंदन ने कहा कि उपेक्षा का दर्द असहनीय पीड़ा देता है।वर्षों की साधना के बाद भी अवसर नहीं मिलना चुभता है।
आज के कार्यक्रम को अपनी उपस्थिति से गरिमामय बनाने वालों में कमल कुमार राय,संजय कुमार सिंह, किशन सिंह, मनोज श्रीवास्तव, घनश्याम पाठक, सुरेश सिंह, रूपा कुमारी, निराला कुमार, पूर्व पार्षद डॉ शशि सक्सेना, कमलेश नाथ पांडेय, नागेंद्र कुमार प्रमुख थे।