राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद : तथ्यों के पुनर्लेखन से ही बच सकती है विरासत

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पटना : राजधानी के ज्ञान भवन में आज पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय द्वारा तृतीय राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य थीम “समाजिक विज्ञान और राष्ट्रीय पुनरूत्थान” था। इसमें मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन, बिहार सरकार के विधि एवं शिक्षा मंत्री कृष्णनन्दन वर्मा और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति गुलाबचंद राम जयसवाल तथा सुषमा यादव समेज बड़ी संख्या में समाज विज्ञानियों ने भाग लिया। इस मौके पर राजीव कुमार द्वारा रचित ‘क्रांतिदूत जयप्रकाश नरायण’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
मौके पर समाज विज्ञानी प्रोफेसरों ने सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा पर विशेष जोर देने की बात कही। प्रोफेसर अनिरूध मिश्रा ने कहा कि हमारे देश में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक गतिविधियों को ऐसा रूप दे दिया गया है, जिससे यह प्रतीत होने लगा है कि उनका आधार पश्चिमी सभ्यताएं हैं। हमारा तो कुछ भी अपना प्रतीत होता ही नहीं। इस पर काम करके हमें इस गड़बड़ी को बदलना होगा। वर्ना, हमारी आने वाली पीढ़ी अपने गौरवशाली अतीत और विरासत को ही भूल जाएगी। आज विद्यालयों में शिक्षा नहीं, बल्कि भेदभाव की पढाई की जा रही है जिससे देश में अलगाव और तनाव उत्पन्न हो रहा है। प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल करने से सामाज का उत्थान होगा। सामाज और पर्यावरण को एक सूत्र में बांधने की जरूरत पर वक्ताओं ने बल दिया।
वहीं दूसरी तरफ प्रो. पीवी कृष्ण भट्ट ने कहा कि अंग्रेजीयत का प्रभुत्व अपना परचम लहरा रहा है। हम अपनी भाषा की पहचान खोने लगे हैं, इसलिए हमें अपनी भाषा के महत्व को समझना पड़ेगा। पाठ्य पुस्तकों के पुनर्लेखन की आवश्यकता है। इस मौके पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और छात्रगण उपस्थित रहे।
सोनू कुमार

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